Tuesday, November 7, 2017

तुलसीदासकृत हनुमानाष्टक

तुलसीदासकृत हनुमानाष्टक

तत: स तुलसीदास: सस्मार रघुनन्दनं ।
हनुमन्तं तत्पुरस्तात् तुष्टाव भक्त रक्षणं ।।1।।

धनुर्वाणो धरोवीर: सीता लक्ष्मण संयुत: ।
रामचन्द्र सहायो मां किं करिष्यत्ययं मम ।।2।।

हनुमान् अंजनीसूनुर्वायुपुत्र महाबल: ।
महालाड्गूल चिक्षपेनिहताखिल राक्षस: ।।3।।

श्रीरामहृदयानन्द विपत्तौ शरणं तव ।
लक्ष्मणो निहते भूमौ नीत्वा द्रोणचलं यतम्।।4।।

यथा जीवितवानद्य तां शक्तिं प्रच्चटी कुरु ।
येन लंकेश्वरो वीरो नि:शकं विर्जितस्त्वया ।।5।।

दुर्निरीक्ष्यापि देवानां बल दर्शयाSधुना ।
यया लंका प्रविश्यत्वं ज्ञातवान् जानकी स्वयं ।।6।।

रावणान्त: पुरेSत्युग्रे तां बुद्धिं प्रद्यटी कुरु ।
रुद्रावतार भक्तार्ति विमोचन महाभुज ।।7।।

कपिराज प्रसन्नस्त्वं शरणं तव रक्ष माम्।
इत्यष्टकं हनुमत: य: पठेत् श्रद्धयान्वित: ।।
सर्वकष्ट विनिर्मुक्तो लभते वांछितं फलम् ।।8।।

2 comments:

  1. If anyone has hindi translation of above तुलसीदासकृत हनुमानाष्टक
    , please share. Thank you.

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विशेष सुचना

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