Saturday, December 30, 2017

पीर सखी सुलतान जी साधना ( लालां वाले पीर )

पीर सखी सुलतान जी साधना ( लालां वाले पीर )

दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है      

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|| मंत्र ||

बिस्मिल्लाहरहमानअरहीम
काला भैरो कबरीयाँ जटा
हत्थ कड़की मोड़े मढ़ा
यहाँ भेजूं भैरों यती
वही हाज़िर खड़ा
कक्की घोड़ी सब्ज लगाम
उत्ते चढ़ सखी सुलतान
सखी सुलतान की दुहाई
चले मन्त्र फुरे वाचा
देखां बाबा लक्ख दाता पीर
तेरे ईलम का तमाशा
मेरे गुरु का शब्द सांचा !

|| विधि ||

इस मंत्र को 41 दिन 5 माला जप करे ! जप के दौरान ब्रह्मचारी रहे , भूमि-शयन करे ! हर रोज 5 तेल के दीपक जलाएं और पांच रोटियों का चूरमा बनाकर बच्चो में बांटे ! जप गुरुवार से शुरू करे और हर गुरुवार को पीले चावल बनाकर किसी पीर की मजार पर पीर सखी सुलतान के नाम से चढ़ाये ! हर रोज थोड़े से कच्चे आटे में थोडा सा गुड और सरसों का तेल मिलाकर अच्छे से घोल ले , जप पूरा होने पर यह किसी कुत्ते को खिला दे ! जिस दिन जप पूरा हो उस दिन 21 किलो का रोट बनाकर उसका भोग लगायें ! मंत्र सिद्ध हो जायेगा और आपके कानो में आवाज़ पड़ने लगेगी !

|| प्रयोग विधि ||

इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद यदि किसी विशेष कार्य को करवाना हो तो गुरुवार के दिन पांच चिराग लगाये और इस मंत्र का जप शुरू कर दे ! आपके कानो में आवाज़ पड़ने लगेगी ! उस समय पीर से जो भी प्रार्थना की जाएगी , पीर उसका उत्तर देंगे और उस समय पीर से कहे कि अमुक कार्य सिद्ध होने पर मैं 21 किलो का रोट लगाऊंगा ! कार्य पूरा होने पर ऐसा करे !

नोट – यह जो रोट लगाया जाता है उसका अधिकार सिर्फ एक ही जाति के पास है , उस जाति को भराई कहते है ! यदि रोट लगवाना हो तो इस जाति से लगवाएं क्योंकि इस जाति के अलावा यदि कोई और रोट लगता है तो पीर स्वीकार नहीं करते ! यह जाति एक मुस्लिम जाति है !

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )