गाय व गो मूत्र
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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गाय एकमात्र देव्य जीव है जिसकी रीढ़ की हड्डी से सूर्यकेतु नाड़ी (सूरज से संपर्क में रहने वाली नाड़ी) गुज़रती है|
इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी का रंग सुनहरा होता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि सूर्यकेतु नाड़ी, सौर किरणों के संपर्क में आकर उसके रक्त में सोने के लवण का उत्पादन करती है| यह लवण गाय के दूध और अन्य शारीरिक तरल पदार्थों में मौजूद हैं, जो चमत्कारिक ढंग से कई रोगों का इलाज करते हैं| गाय से शरीर से जो सात्विक उर्जा निकलती है, उस घर या इलाके में गाय होने से बहुत सारी अशुभ चीजें दूर हो जाती हैं l गाय के शरीर में सुर्यकेतु नाड़ी होती है, जो सूर्य किरणों को पीती है, इसलिए गाय के गोबर व मूत्र में भी सात्विक पॉवर होती है l मरते समय भी गाय के गोबर का लीपन करके व्यक्ति को सुलाया जाता है
कैसी भी जहरीली दवाएं खायी हो, गौमूत्र थोड़े दिन पिये, ब्लोकेज (Blockage) खुल जायेगा और जहरीली दवाओं का असर उतर जायेगा
* बच्चों को गाय की पूंछ का झाड़ा देने से ऊपर की आई हुई हवा या कुप्रभाव नाश होता है
* जिसको रात को ठीक से नींद न आती हो, वो मोर के पंख रख दे, सिरहाने के नीचे और "हरि ॐ" का गुंजन करे , नींद आने लगेगी
* जिसको बुरे स्वप्न आते हों वो बुरे स्वप्न न आयें इसका आग्रह छोड़ दें l पैरों को गाय का घी मल दें और सिर में
थोड़ा हलकी मालिश कर दें किसी भी तेल की
* गाए के दूध से बनी दही शरीर पर रगड़कर स्नान करने से स्वास्थ्य, प्रसन्नता और दरिद्रता दूर हो जाती है
* जिस रोग के लिए डॉक्टर ने मना कर दिया हो की ये रोग ठीक नहीं हो सकता, वो व्यक्ति घर में गाय पालें और चारा-पानी खुद खिलाये और स्नेह करें
गाय की प्रसन्नता उसके रोमकूपों से प्रकट होगी और आप अपने हाथ गाय की पीठ पर घुमाएंगे तो आपके
हाथों की उँगलियों द्वारा वो प्रसन्नता, रोग प्रतिकारक शक्ति बढाएगी l 2-4 महीने तक ऐसा करें
* काली गाय का घी बुढापे में भी जवानी ले आता है
हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाहट खाने की मनाही है तो गाए का घी खाएं, हार्ट मज़बूत बनता है l
गोमूत्र अर्क
गौ कई प्रकार की होती है जेसे जर्शी, दोगली, देशी | इनमें से देशी गौ का मूत्र बहुत काम आता है | हिन्दू धर्म में गौ को माता मानते है और उसकी पूजा भी करते है | इसलिए देशी गौ को गौ माता के नाम से भी जाना जाता है | भाइयो हमारे बुजुर्ग कहते है की गौ माता के मूत्र में गंगा और गोबर में लक्ष्मी का वास होता है तभी मूत्र को घर में छिड़का और गोबर से चोका लगाया जाता है |गोमूत्र के गुण :-
आयुर्वेद में गौ मूत्र के बहुत प्रयोग हैं |गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। इसके साथ साथ गोमूत्र में ताम्र, फास्फेट, यूरिया, पौटेसियम सल्फेट, क्लोराईड, सोडियम, नाईट्रोजन आदि तत्व पायें जाते हैं |आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है।
गौ मूत्र का सेवन कैसे करें :-
स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर उसमें से आधा कफ गौ मूत्र सुबह-सुबह खाली पेट पियें | ध्यान रहे की गौ देशी होनी चाहिए और वो प्रेगनेंट नहीं होनी चाहिए | अगर आप गौ अर्क का सेवन करना चाहते हैं तो आधे कफ पानी में 1 या 2 चम्मच गौ अर्क डाल दें और उसे पी लें | आप इसका सेवन सुबह-साम खाली पेट कर सकते हैं |
बीमार व्यक्ति के लिए गोमूत्र सेवन :- जो व्यक्ति बहुत बीमार हैं उन व्यक्तियों को 100 मिलीलीटर गोमूत्र का सेवन करना चाहिए|
स्वस्थ व्यक्ति के लिए गोमूत्र सेवन :- जो व्यक्ति बिलकुल स्वस्थ हैं या थोड़े बहुत बीमार हैं उनको सुबह -सुबह खाली पेट 50 ग्राम गोमूत्र सेवन करना चाहिए|
नोट जरूर पढ़ें :-
याद रहे जो भी उपचार आपको नीचे गौ मूत्र से बताये गयें है | इसमें आपको देशी गौ माता का मूत्र ही लेना है और गौ प्रेग्नेनेट नहीं होने चाहिए | या आप उसकी बछिया का ले सकते है | वैसे जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र स्र्वोच्तम होता है|और फिर आपको ये गौ मूत्र किसी सूती कपडे में से 7-8 बार छानना है | तभी इसका प्रयोग करना है|
कृषि में गोमूत्र का प्रयोग :-
वर्तमान मानव जीवन कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणामों को झेल रहा है। रासायनिक खादों से विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैल रही हैं। ऐसे में गोमूत्र एवं अन्य अपशिष्ट वैकल्पिक खाद और कीटनाशक के रूप में सामने आ रहे हैं।
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