SOMVATI AMAVASYA PUJAN VIDHI सोमवती अमावस्या पूजन विधि
हिंदी मास के अनुसार हर मास में अमावस्या आती है । लेकिन जब किसी भी माह में सोमवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो उसे, सोमवती अमावस्या कहते हैं।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य निश्चय ही समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।
इस दिन पवित्र नदियों, तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है।
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह-सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाकर सवा किलो साफ चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें। पूजन के पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर उसका दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है ।
शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है ।
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारायण का जाप करते हुए परिक्रमा करें, इससे जीवन के सभी आर्थिक संकट निश्चय ही समाप्त हो जाते है।
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा,कानूनी विवाद,आर्थिक परेशानियों और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गये उपाय अवश्य ही सफल होते है । इस दिन जो व्यक्ति धोबी,धोबन को भोजन कराता है,सम्मान करता है, दान दक्षिणा देता है, उसके बच्चो को कापी किताबे, फल, मिठाई,खिलौने आदि देता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है ।
इस दिन ब्राह्मण, भांजा और ननद को फल, मिठाई या खाने की सामग्री का दान करना बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है।
अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राषि में रहे, तब तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए। अमावस्या को केवल श्री हरि विष्णु का भजन र्कीतन ही करना चाहिए। अमावस्या व्रत का फल भी शास्त्रों में बहुत ही ऊंचा बतलाया है।
हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें। इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है ।
अमावश्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्लव पत्र को भूल से भी न तोड़ा. अमावश्या पर देवी देवताओ अथवा भगवान शिव को बिल्लव पत्र चढ़ाएं के लिए उसे एक पहले ही तोड़ कर रख ले.
सोमवती अमावस्या का व्रत विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिये करती है ।
इसे अश्वत्थ (पीपल) प्रदक्षिणा व्रत भी कहते हैं।
इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्म तथा स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। अब सभी पूजन सामग्री लेकर पीपल के वृक्ष के पास जायें। पीपल की जड़ में लक्ष्मी नारायण की स्थापना करके दूध /जल अर्पित करें। पीपल की जड़ में सूत लपेट दें। भगवान का ध्यान करके पुष्प, अक्षत, चन्दन, भोग, धूप इत्यादि अर्पण करें। फिर प्रेमपूर्वक हाथ जोड़कर भगवान की प्रार्थना करें। अब पेड़ के चारों ओर
“ॐ श्री वासुदेवाय नम:”
बोलते हुए 108 बार परिक्रमा करें। इसके बाद कथा सुनें अथवा सुनाये। सामर्थ्यानुसार दान दें। ऐसा करने से भगवान पुत्र, पौत्र, धन, धान्य तथा सभी मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
“ॐ श्री वासुदेवाय नम:”
बोलते हुए 108 बार परिक्रमा करें। इसके बाद कथा सुनें अथवा सुनाये। सामर्थ्यानुसार दान दें। ऐसा करने से भगवान पुत्र, पौत्र, धन, धान्य तथा सभी मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
क्या न करें:
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है।
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है।
इस दिन मूली और रूई का स्पर्श ना करें।
इस दिन के व्रत का महत्त्व हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी दिया गया है। विवाहित स्त्री अपने पति की लम्बी आयु के लिये इस दिन व्रत रखती है। यह पितृ दोष के निवारण में भी सहायक है। इस दिन को गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। जो मनुष्य गंगा स्नान को नहीं जा सकते, वे अपने घर में हीं पानी में गंगा जल मिला कर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करें। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन मौन रहकर स्नान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
• सोमवती अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को जल देना चाहिए, इससे गरीबी और दरिद्रता दूर होती है ।
• 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
• इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
• इस दिन पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जाता है ।
• सोमवार को भगवान शिव का वार है, अत: सोमवती अमावस्या को शिव एवं हनुमान जी की पूजा करने से कठिनाईयाँ दूर होती है ।
• इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा व पेड़ की जड़ में दीपक जलाना चाहिए तथा शनि देव की भी पूजा करनी चाहिये।
पूजन सामग्री - Somvati Amavasya Pujan Samagri
इस दिन के व्रत का महत्त्व हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी दिया गया है। विवाहित स्त्री अपने पति की लम्बी आयु के लिये इस दिन व्रत रखती है। यह पितृ दोष के निवारण में भी सहायक है। इस दिन को गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। जो मनुष्य गंगा स्नान को नहीं जा सकते, वे अपने घर में हीं पानी में गंगा जल मिला कर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करें। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन मौन रहकर स्नान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में स्नान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
• सोमवती अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को जल देना चाहिए, इससे गरीबी और दरिद्रता दूर होती है ।
• 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
• इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
• इस दिन पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जाता है ।
• सोमवार को भगवान शिव का वार है, अत: सोमवती अमावस्या को शिव एवं हनुमान जी की पूजा करने से कठिनाईयाँ दूर होती है ।
• इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा व पेड़ की जड़ में दीपक जलाना चाहिए तथा शनि देव की भी पूजा करनी चाहिये।
पूजन सामग्री - Somvati Amavasya Pujan Samagri
• पुष्प • माला • अक्षत • चंदन • कलश • दीपक • घी • धूप • रोली • भोग • धागा • सिंदूर
• चूड़ी / बिंदी / सुपारी / पान के पत्ते / मूंगफली – 108 की संख्या में (जिससे परिक्रमा आसानी से पूरी हो जाये)
*अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)*
मंत्र-
।।अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांची अवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेया: सप्तैता मोक्ष दायिका।।
।।गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिन्धु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
जो लोग नदी पर स्नान के लिए नहीं जा सकते और घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए। इसके साथ ही नीचे लिखे उपाय करने से निश्चित ही आपके सारे कष्टों से मुक्ति भी मिलेगी।
सोमवती अमावस्या के उपाय-
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। पान, हल्दी की गांठ व धान को पान पर रखकर तुलसी चढ़ाएं। तुलसी पर दूध, दहीं, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, काला तिल चढ़ाएं।
* सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी।
* जिन लोगों का चन्द्रमा कमजोर है, वे गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
* इस दिन शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। अत: शिवजी की पूजा-आराधना पूरे मन से करनी चाहिए तभी फल प्राप्त होता है। इस दिन घर में रुद्राभिषेक भी करवा सकते हैं।
* इसके अलावा अपने पितृ को प्रसन्न करके के लिए सुबह और शाम के समय कंडे जलाकर उसमें गुड़-घी की धूप देकर पितरों का आशीर्वाद ले सकते हैं और किसी भी तीर्थस्थल पर जाकर पितृ के निमित्त पूजन कर सकते हैं। पूरी, खीर, आलू की सब्जी बनाकर, पहले पितरों को अर्पण करें, फिर प्रसाद ग्रहण करें।
* सोमवती अमावस्या के र्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर पितृदोष निवारण के लिए सूर्य अर्घ्य देते समय पितृ तर्पण तथा 'ॐ पितृभ्य नमः' मंत्र का करने से भी जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। पान, हल्दी की गांठ व धान को पान पर रखकर तुलसी चढ़ाएं। तुलसी पर दूध, दहीं, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, काला तिल चढ़ाएं।
* सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी।
* जिन लोगों का चन्द्रमा कमजोर है, वे गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
* इस दिन शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। अत: शिवजी की पूजा-आराधना पूरे मन से करनी चाहिए तभी फल प्राप्त होता है। इस दिन घर में रुद्राभिषेक भी करवा सकते हैं।
* इसके अलावा अपने पितृ को प्रसन्न करके के लिए सुबह और शाम के समय कंडे जलाकर उसमें गुड़-घी की धूप देकर पितरों का आशीर्वाद ले सकते हैं और किसी भी तीर्थस्थल पर जाकर पितृ के निमित्त पूजन कर सकते हैं। पूरी, खीर, आलू की सब्जी बनाकर, पहले पितरों को अर्पण करें, फिर प्रसाद ग्रहण करें।
* सोमवती अमावस्या के र्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर पितृदोष निवारण के लिए सूर्य अर्घ्य देते समय पितृ तर्पण तथा 'ॐ पितृभ्य नमः' मंत्र का करने से भी जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन आप ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अघ्र्य दें।
यह करें इस दिन
यह करें इस दिन
पीपल के वृक्ष की पूजन करें।
पीपल के पेड़ के चारों और 108 बार धागा लपेटते हुए परिक्रमा करें, इस दिन कुछ सामान के साथ परिक्रमा ली जाती हैं,
इस दिन आप पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम: मंत्र का जाप करें।
इस दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या के पर्व पर अपने पितरों के निमित्त पीपल का वृक्ष लगाने से जातक को सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र, धन की प्राप्ति होती है और उसके समस्त पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं।
इस दिन कपड़े, अन्न, मिठाई का दान करना शुभ होता हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन गाय को दही व चांवल खिलाएं।
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गुगल, ७. गुड़, ८. देशी कपूर, गौ चंदन या कण्डा…
विधि: गौ चंदन या कण्डें को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र
१. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
२. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
उपाय 1 -
पितृ दोष दूर करने के लिए सोमवती अमावस्या का अद्भुत प्रयोग:
सोमवती अमावस्या पितृदोष दूर करने के लिये अतिउत्तम है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड के पास जाइये, उस ही पीपल देवता को एक जनेऊ दीजिये साथ ही दुसरा जनेऊ भगवान विष्णु जी के नाम से उसी पीपल के पेड को दीजिये, पीपल के पेड और भगवान विष्णु को नमस्कार कर प्रार्थना कीजिये, अब एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की करे दुध की बनी मिठाई को हर परिक्रमा के साथ पीपल को अर्पित करते जाईए। परिक्रमा करते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र को जपते रहे। 108 परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड और भगवान विष्णु से फिर प्रार्थना करे कि जाने अन्जाने में हुये अपराधो के लिए उनसे क्षमा मांगिये। और अपने पितरो के कल्याण के लिए प्रार्थना करे ।
उपाय 2 -
* सोमवती अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है।
उपाय 3 -
* सोमवती अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा (वस्त्र) दान करने से पितृ दोष कम होता है।
उपाय 4 -
* इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए। यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है।
उपाय 5 -
* पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या के अतिरिक्त भी प्रति शनिवार पीपल के वृक्ष की पूजा करना चाहिए।
रुद्राक्ष उपाय
5 मुखी रुद्राक्ष धारण करें तथा नित्य द्वादश ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें।
अगर पितृ दोष राहु की वजह से बन रहा है तो 8 मुखी, केतु की वजह से बन रहा है तो 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
10 मुखी रुद्राक्ष पहनने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है और पितृ दोष की शान्ति होती है।
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
वास्तु विजिटिंग के लिए एवं अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने या अपनी कुण्डली बनवाने के लिए अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति हेतु संपर्क करें ।।
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