हवन-पूजा के अनिवार्य नियम
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है* पूजा में एक से अधिक दीपक जलानें हों तो कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाएं । प्रत्येक दीपक को माचिस की तीली से ही जलाए।
* चन्दन को घिस कर कभी भी तांबे के पात्र में नहीं रखना चाहिए। चन्दन अधिक पतला हो तो यह देवताओं को नहीं चढाया जाता।
* अगर आप शंख की पूजा करते हैं और उसमें पानी भरना है तो कभी भी शंख को पानी में डुबाकर नहीं भरना चाहिए। एसा करने से पूजा का कार्य सिद्ध नहीं होता है। शंख में आचमनी के द्वारा जल डालें। संकल्प के लिए जिस तांबे अथवा चांदी के चम्मच से जल ग्रहण किया जाता है, उसे आचमनी कहते हैं।
* शंख को पृथ्वी पर नहीं रखना चाहिये । पूजा में अगर शंख की भी पूजा करते हैं तो अनाज की ढेरी पर स्थान दें और घर के पूजा स्थल में स्थान देना है तो आसन पर स्थान दें। तभी शंख की कृपा प्राप्त हो सकेगी।
*प्रसाद बांटते समय ध्यान रखें कि वह जमीन पर नहीं गिरे। अगर गिरता है तो उसे तत्काल उठा लें और किसी सुरक्छित स्थान पर रख दें। प्रसाद को न तो झूठे हांथो से बंटाना चाहिए और न ग्रहण करना चाहिए।
* पूजा प्रारम्भ करने के पश्चात् चाहे कैसी भी स्थिति हो, कभी जोर से नहीं बोलें। किसी पर क्रोध करना अथवा अपशब्द कहना पूजा को खण्डित कर देता है।
क्षमा प्रर्थना
किसी भी देवता की पूजा को पूर्ण करने के पश्चात् अपना आसन छोड़ने के पहले अपने आराध्य से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार की त्रुटी या कमी के लिए छमा अवश्य मांगे । इसे एसा भी कह सकते हैं कि आप की छमा प्रार्थना के साथ ही आप की पूजा संपन्न होती है इसके लिए जब आप पूजा कर चुकें तो हाँथ जोड़कर , आंखे बंद कर प्रभु से निवेदन करें कि हे प्रभु , मैंने साधनों द्वारा , अपनी क्षमता , ज्ञान एवं आस्था-श्रद्धा के द्वारा आप कइ बहोत हइ अच्छी पूजा की है। पूजा में अगर जाने-अनजाने किसी प्रकार की त्रुटी हुई हो तो अथवा पूजा के साधनों में कुछ कमी रह गई हो तो मुझे अपना बालक समझ कर छमा करें । मैंने अपने सच्चे मन से आप की पूजा की है कृपया इसे स्वीकार्य करें और अपना आशीर्वाद प्रदान करें। विद्वान् आचार्यों का कथन है कि अगर आप से किसी भी प्रकार की त्रुटी नहीं हुई है और पूजा भी आपने पूर्ण विधि-विधान से ही संपन्न की है , तब भी पूजा के पश्चात् क्षमा-प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। तभी की हुई पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो पायेगा ।
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