Sunday, March 22, 2020

पत्नी कैसी मिलेगी PATNI KAISI MILEGI

पत्नी कैसी मिलेगी PATNI KAISI MILEGI

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यह कुंडली देखकर भावी पत्नी के स्वभाव के बारे में काफी कुछ जानकारी हासिल की जा सकती है। जन्म कुंडली में सप्तम भाव जीवनसाथी का भाव होता है। इससे होने वाले पति या पत्नी के स्वभाव के बारे में पता लगता है। इस भाव में उपस्थित ग्रहों के अनुसार स्वभाव तय होता है। किसी स्त्री के बारे में जानकारी हासिल करना हो तो इस भाव के ग्रहों का अध्ययन करना चाहिए। आइये देखते हैं स्त्री की कुंडली के सप्तम भाव में कौन से ग्रह के होने का क्या प्रभाव पड़ता है।.
सूर्य : पुरुष की कुंडली के सप्तम भाव में यदि सूर्य हो तो वह दुष्ट स्वभाव की होती है। उसका स्वर कर्कश होता है और हमेशा लड़ने के लिए तैयार रहती है। इस स्वभाव के कारण स्त्री पति के प्रेम से वंचित रह जाती है।
चंद्रमा: सप्तम भाव में चंद्रमा हो तो स्त्री का स्वभाव मधुर होता है। उसमें लाज-शर्म होती है। यदि सप्तम भाव का चंद्रमा वृषभ राशि में हो तो स्त्री को वस्त्र, आभूषण पहनने का शौक होता है और वह रूपवान होती है।
मंगलः सप्तम का मंगल स्त्री को सौभाग्यहीन बनाता है। ऐसी स्त्री बुरे लोगों की संगत में रहती है और बुरे कर्म करती है। सप्तम स्थान में कर्क या सिंह राशि हो तथा मंगल के साथ शनि भी हो तो स्त्री के कई पुरुषों के साथ संबंध होते हैं। हालांकि इसके पास धन प्रचुर मात्रा में होता है।
बुधः पुरुष की कुंडली में सप्तम स्थान में बुध हो तो उसकी पत्नी के पास बड़ी मात्रा में आभूषण होते हैं। बोलचाल की भाषा मधुर होती है। मिलनसार होती है और पति की प्यारी होती है। इस स्थान में बुध यदि उच्च राशि का हो तो स्त्री लेखिका, धनी और अनेक प्रकार के ऐश्वर्य भोगने वाली होती है।
गुरु: बृहस्पति के कारण स्त्री पतिव्रता, धनवान, गुणवान और सुखी होती है। सप्तम स्थान में गुरु हो और चंद्रमा कर्क राशि में हो तो नारी सौंदर्य से भरपूर होती है। पुरुष इनके आकर्षण में बंधा रहता है।
शुक्र: सप्तम स्थान में शुक्र हो तो स्त्री को श्रेष्ठ गुणों वाला सुंदर, धनवान और कामकला में निपुण पति मिलता है। ऐसी स्त्री स्वयं भी सुंदरता की मिसाल होती है। इसके बाल लंबे, गौर वर्ण और नेत्र तीखे होते हैं। अगर पुरुष की कुण्डली हो तो उपरोक्त गुणों वाली पत्नी मिलती है।
शनि: सप्तम स्थान का शनि स्त्री की कुंडली में हो तो उसका पति रोगी, दरिद्र, व्यसनी, निर्बल होता है। यदि शनि तुला राशि में हो तो वह उच्च का होता है। उच्च का शनि हो तो पति धनवान, गुणवान, शीलवान होता है।
अगर पुरुष की कुण्डली हो तो उपरोक्त गुणों वाली पत्नी मिलती है।
राहु या केतु: कुंडली के सप्तम भाव में राहु या केतु हो तो ऐसी स्त्री अपने कुल पर दोष लगाने वाली होती है। सदा दुखी रहती है तथा पति के सुख से वंचित होती है। ऐसी स्त्री का स्वभाव कड़ा होता है। किसी से उसकी ठीक से नहीं बनती।
#नोट:- 【यह एक अति सामान्य जानकारी है, इसके आधार पर व्यक्तिगत या कोई महत्वपूर्ण निर्णय ना लें। सटीक निर्णय के लिये, सप्तम भाव की राशि, उसके अंश, उसमें स्थित ग्रह के अंश, स्थित ग्रह के उपर पडने वाली अन्य ग्रहों की दृष्टियाँ, उन ग्रहों के अंश एवं बल आदि आदि बहुत सी बातों का ख्याल करना पडता है। अस्तु!
व्यक्तिगत कुण्डली विश्लेषण के लिये किसी अनुभवी और अपने पसंद के ज्योतिषी की मदद लें।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )