YATRA VICHAR यात्रा संबंधी शकुन
यात्रा संबंधी शकुन
किसी नये या शुभ कार्य के लिए घर से प्रस्थान करते समय, शुभ- मुहुर्त और शकुन का पूरा ध्यान रखा जाता था। शुभ मुहूर्त देखते समय वार, नक्षत्र, तिथि, योग आदि सभी का ध्यान रखा जाता था। सातों वारों का अपना महत्व था। इसका उल्लेख ""सात वार विचार'' नामक ग्रंथ में मिलता है। प्रस्थान के लिए सोम, वृहस्पति व शुक्रवार तथा अश्वनी, पुष्प, रेवती, मूल, मृगशिर, पुनर्वसु, ज्येष्ठ, अनुराधा आदि नक्षत्र शुभ माने जाते थे। चतुर्थी, नवमी, अष्टमी, चतुर्दशी व अमावस्या की तिथियाँ अशुभ व निषेधकारी मानी जाती थी। इसके अलावा माना जाता था कि मासंत, संक्राति, दिन त्रृठी तिथि, दग्धाए दिन वर्जनी बीजी तिथ सर्वभली वियोग, सिद्धयोग, सर्वक योग इत्यादिक उत्तम योग भला। यमघट, यमदाढ़, ज्वालामुखी, भद्रा, कुलिक, मृत्युयोग, कर्कयोग
इणे योगे न चालीजै।
विसासूल सन्मुख टालवौ।।
प्रातःकाल सफर के लिए प्रस्थान करने से पूर्व, यदि व्यक्ति की श्वास का दाहिना सुर चलता हो, तो उसे अवश्य प्रस्थान करना चाहिए।
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