Sunday, March 22, 2020

सभी प्रकार की बाधाएँ शान्त के लिए : बाधा-निवारक शाबर मन्त्र

सभी प्रकार की बाधाएँ शान्त के लिए  : बाधा-

निवारक शाबर मन्त्र


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मन्त्रः- “ॐ-कार गुरु गोविन्द को नमस्कार । चलु चलु सब देवतन की शक्ति । भूत-प्रेत-पिशाच, कुल-दोष, गोत्र-वध, चमर-दोष कुल मह, केहू कर मारा मुवा वा, मुवा मिरचुक केतहू कर, किहा आइ होइ, नन औरेक, अजि औरेक, ससुरारीक, बैताल, जोगनी चरी चमारी, देव-दानव, भैरो-भवानी, मरी-मसान, हड़न्त, गड़न्त, भूत-प्रेत, शाकिनी, डाकिनी, तर धरती कर ऊपर अकास कर ।
आदि-जोति महा-काली आद्या-शक्ति, कासी के कोतवाल भैरो साहेब । हदी-वदी किहा-करावा, पेशा पेशागर वा, गरा, झगरा मरा नात कबीला कर भाई भवादी कर, कुल कर, रोग-दोष-प्रयोग, मही मारुका, फूलमती, चौंसठ दोष गोरख हाँकै, हनुमन्त पडापै, जिमी हालै, अकास हालै । अरजुन कर बाण, भीम कर गदा, हनीमान कर मुगदर, कासी कोतवाल भैरो का दण्ड, छांडु ग्रह लागु पन्थ ।
काल-भैरो, भूत-भैरो, महा-काली, आद्या-शक्ति पदी कर पद, जहाँ कर तहाँ । जेहि डार का बिछुरा, तहि डार लागै । दूध का दूध, पानी का पानी, निरीक्षण करि देइ । ब्रह्म वाचा, विष्णु वाचा, रुद्र वाचा, तीनिऊ वाचा कर दोष ऊपर परै । जो एतना काज न करौ, तो गऊ के रक्त सो नहाई । वाचा छोड़ कुवाचा चलै, तो सात इस्त्री के अघोर नरक में पचि मरै । या काल भैरो बटुक भैरो, एतना काज न करो, तो कासी भरे का पूजा हराम है । या हनुमान साहब, अञ्जनी के पूत, एतना काज न करौ, तो तीनों लोक, अजोध्या पुरी, जगन्नाथ-पुरी का रोट-पूजा हराम है । माता अञ्जनी पारबती का सत टारै का दोष परै ।
या पाँचो पीर औलिया, गाजी मियाँ, एतना काज न करौ, तो बीबी फातिमा का तीसौ रोजा क हराम है, सुवर का हलाल है । या भैरो-नाथ, हनुमान साहेब, चारहु दिसा के पीरहु, तैंतीस कोटि देवता, नृसिंह, देवी पाटन, विन्ध्याचल की भवानी, एतना देवता का लाख गौ, लाख ब्राह्मण मारै का दोष है, ईश्वर का हतक है । जौन हदी करहद पदी कर पद, जहाँ कर तहाँ । जवनी गाई कर लेहवा, तवनी गाई लगाइ देइ । आनि करह, तौ परमेश्वर कै दोहाई । नारायन की शक्ति, गौ गोहारि, बालक गोहारि, त्रिया गोहारि, तीनिऊ गोहारि, न मिलै तो एतना दोष पाप ऊपर परै ।”

 विधिः- नित्य ७ पाठ करे । १ पाठ करने पर, १ फूलदार लौंग तोड़ता जाए । इस प्रकार प्रति-दिन ७ बार पढ़कर ७ लौंग तोड़ता जाए ।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )