Sunday, March 22, 2020

अंग- फड़कन संबंधी शकुन ANG FADAKNE KA SHAKUN

अंग- फड़कन संबंधी शकुन ANG FADAKNE KA SHAKUN

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अंग- फड़कन संबंधी शकुन

शरीर के विभिन्न अंगों के फड़कने के आधार पर भी शकुन ज्ञात करने की धारणा प्रचलित रही है। प्रायः पुरुष का दाहिना अंग और स्री का बांया अंग फड़कना शुभ माना जाता है। आँखों के फड़कने संबंधी मान्यता जनसामान्य में अधिक व्याप्त थी। स्री का बांया आँख और दाहिना आँख का निचला भाग का फड़कना शुभ होता है। बाँया आँख फड़कना सुख, भोग तथा संगम का प्रतीक है तथा दाहिने आँख का निचला भाग यश, लाभ तथा सुख को बताता है, परंतु दाहिने आँख तथा बाँये आँख के निचले हिस्से का फड़कना, भय और हानि को इंगित करता है। पुरुष आँखों में इसका बिल्कुल विपरीत होता है। जहाँ दाहिना आँख तथा बांये आँख का निचला हिस्सा शुभ माना जाता है, वही बांया आँख तथा दाहिने आँख का निचला हिस्सा अशुभ माना जाता है।


सिर फड़कने पर धरती का लाभ, ललाट फड़कने पर स्थान- वृद्धि, नाक फड़कने पर मित्र- मिलन, पीठ फड़कने पर प्रिय से मिलन, पेट फड़कने पर अच्छा भोजन, गाल फड़कने पर स्री संयोग, कान फड़कने पर नयी व अच्छी बात सुनने का अवसर, ऊपर का ओठ फड़कने पर कलह, नीचे का ओठ फड़कने पर संयोग तथा पुट्ठे तथा "मुट्ठी' फड़कने पर पराजय, कंधों फड़कने पर शत्रु विजय, स्री- स्तन फड़कने पर पुरुष लाभ, हृदय फड़कने पर हानि, पाँव फड़कने पर स्थान- लाभ तथा पगलती फड़कने पर यात्रा योग होता है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )