Sunday, March 22, 2020

शकुन- अपशकुन SHAKUN APSHAKUN

शकुन- अपशकुन SHAKUN APSHAKUN

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शकुन- अपशकुन SHAKUN APSHAKUN

बारह महीनें में प्रत्येक मास के अनुसार, उसके फलों का निर्धारण किये जाने का प्रावधान रहा है। लौकिक भाषा में इसे ""आरख'' कहा जाता है।

कुछ वृक्ष व वस्तुओं के स्वरुप में होने वाले परिवर्तन के आधार पर भी शकुन ज्ञात किये जाते थे :-

चरण बोरी अरु खेजड़ा, सकल पान झड़ि जाय।
सुभ आरख आसाढ़ को, राजा सम्यो सराय।।
लूण गले सावण गले, नवसादर गल जाय।
जद असवारी मेह अती, कमी न राखे काय।।
कागद फुटे लेखनी, स्याही अॅली जाय।
लेहां आगम यूं लखे, मेहा मुगता होय।।

कृषकगण कृषि संबंधी पूर्वानुमान अपनी अनुभव के आधार पर लगाने में निपुण रहे हैं। इससे जुड़ी कुछ लोकोक्तियाँ इस प्रकार हैं :-

आदरा बाजै बाय, झूंपड़ी झोला खाय।

आदरा भरै खादरा, पनरवसु भरै तलाव।

कालै केरड़ा, सुकालै बोर।

गांव मांय तो कूतरा रोही मांय सियार।
ये जो रोवै तो पड़ै, गोहत्यारों काल।

जे बरसै उतरा तो धान न खावै कूतरा।

जे पुरवा लावै पुखाई तो सूखी नदियाँ नांव चलाई।

नाड़ा टांकण, बलद बिकावण तूं क्यूं चाली आधै सांवण

अक हल हत्या, दो हल काज।
तीन हल खेती, चार हल राज।।

नीं बोली सूकै नींव पर, पड़ै न नीचै आय
अन्न न नीपजै अक कण, काल पडैगो आय।।

मधा को बरसणो अर मा को पुरसणो बराबर

दो सांवण दो भादवा, दो कातिक दो ""मा।
ढाढ़ा ढोरी बेचकर, नाज बिसावण जा।।

जेठी बाजरो अर मोबी पूत राम दै तो पावै

बुध बावणी सुक्कर लावणी

काती को मे कटक बरोबर

जेठ सरीखा बाजरा, कातिक सरीखा जौ कोनी।

बरसात होने पर जब किसान हल लेकर खेत की तरफ प्रस्थान करता है, उस समय यदि कोई स्री पानी का बेड़ा लिए, उसके सामने आ जाती है या उसे अपने सामने धान मिल जाता है, तो अच्छा शकुन होता है। इसी प्रकार हाथ में लोटा लिये हुए महाजन, अपने औजारों के साथ सुथार करे तथा तलवार लिये राजपूत मिले, तो अच्छे शकुन माने जाते हैं, परंतु यदि खेत जाते कृषक को निसंतान पुरुष, बांझ, विधवा, सुनार, आटा, घी, खुले केश वाली स्री तथा लकड़ी की गठरी मिले, तो यह अपशकुन माना जाता है। किसान उस दिन खेत में हल नहीं चलाते।

जब प्रभात में बिना कुछ खाये- पीये सफर करना है, तब घड़ा, गधा, कोचरी हनुमान जी का देवरा तथा हरिण को दाहिनी तरफ रखकर प्रस्थान करना चाहिए

कुंभ करेवौ, कोचरी, हड़मत ने हिरणां।
इतरा लीजै जीवणा, परभाते निरणां।।

दैनिक जीवन में ऐसे ही कई और शकुन विचारे जाते हैं। सामने शव का मिलना शुभ माना जाता है। घर में दूध पीकर निकलना अशुभ होता है, परंतु गुड़ व दही का सेवन उत्तम माना जाता है। प्रस्थान करते समय मेहतरानी का मिलना उत्तम शकुन है। बिल्ली का रास्ता काटना, सामने से किसी का छींकना, रात को कुत्ते का भौंकना तथा मयूरों का दर्दनाक आवाज में चिल्लाना किसी आपत्ति का संकेत होता है।

वैसे तो आज के वैज्ञानिक युग में इन शकुनों का महत्व दिनोंदिन कम होता जा रहा है, लेकिन कई शकुन हमारे पूर्वजों के पर्याप्त अनुभव का नतीजा है। उन्हें झुठलाया या नकारा नहीं जा सकता। आवश्यकता है उनके इस विद्या के ठोस आधारों पर गहन विश्लेषण की, जिससे इसकी विश्वसनीयता का समुचित मूल्यांकन किया जा सके तथा समाज को लाभ मिल सके।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )