Tuesday, March 24, 2020

चतुःश्लोकी भगवत CHATUSHALOKI BHAGWAT

चतुःश्लोकी भगवत CHATUSHALOKI BHAGWAT

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|| श्रीभगवानुवाच || 

ज्ञानं परमगुह्यं में यद्विज्ञानसमन्वितम् | 
सरहस्यं तदङ्गं च गृहाण गदितं मया || 

यावानहं यथाभावो यद्रूपगुणकर्मकः | 
तथैव तत्त्वविज्ञानमस्तु ते मदनुग्रहात् || 

अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यन्नदसत्परम् | 
पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येन सोऽस्म्यहम् || 

ऋतेऽर्थं यत्प्रतीयेन न प्रतीयेन चात्मनि | 
तद्विद्यादान्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तमः || 

यथा महान्ति भूतानि भूतेषुच्चावचेष्वनु | 
प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् || 

एतावदेव जिज्ञास्यं तत्वजिज्ञासुनाऽऽत्मनः | 
अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत्स्यात्सर्वत्र  सर्वदा || 

एतन्मतं समातिष्ठ परमेण समाधिना | 
भवान कल्पविकल्पेषु न विमुह्यति कर्हिचित् ||

|| इति श्रीमद्भागवते महापुराणे अष्टादशसाहस्र्यां संहितायां वैयासिक्या दितीयस्कन्धे नवमे अध्याये भग्वद्ब्रह्म सम्वादे चतुःश्लोकी भागवतं सम्पूर्णं ||

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )