अन्तर्मन जाग्रत व सामाजिक यश (सुख) का मन्त्र
“होय विवेक, मोह भ्रम भागा ।
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ।।”
मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः-
कुश की जड़ की गांठ से माला बना करके प्रतिदिन १००० मन्त्रों का जप करें ।
इस मन्त्र के प्रयोग से मोह, भ्रमादि का अन्त होकर अन्तर्मन जाग जाता है ।
सामाजिक यश (सुख) का मन्त्र
“सुनि समुझहिं जन मुदित,
मन मज्जहिं अति अनुराग ।
लहहीं चारि फल अछथ,
तनु साधु समाज प्रयाग ।।”
मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभः-
प्रतिदिन स्फटिक की माला पर १००० मन्त्रों का जप करें । इस क्रिया को ९० दिन तक करें और ९१वें दिन कोढ़ियों को खिचड़ी खिलायें ।
इस मन्त्र के प्रयोग से देह का सुख, साधुओं की कृपा, समाज का सहयोग तथा प्रयाग स्नान का फल प्राप्त होता है ।
No comments:
Post a Comment