२० बीज मंत्र
बीज मंत्र का अर्थ खोजो तो समझ में नही आएगा लेकिन अंदर की शक्तियों को विकसित कर देते हैं | सब बिज मंत्रो का अपना-अपना प्रभाव होता है | जैसे ॐ कार बीज मंत्र है ऐसे २० दूसरे भी हैं |
ॐ बं ये शिवजी की पूजा में बीज मंत्र लगता है | ये बं बं…. अर्थ को जो तुम बं बं…..जो शिवजी की पूजा में करते हैं | लेकिन बं…. उच्चारण करने से वायु प्रकोप दूर हो जाता है | गठिया ठीक हो जाता है | शिव रात्रि के दिन सवा लाख जप करो बं….. शब्द, गैस ट्रबल कैसी भी हो भाग जाती है | बीज मंत्र है
खं…. हार्ट-टैक कभी नही होता है | हाई बी.पी., लो बी.पी. कभी नही होता | ५० माला जप करें, तो लीवर ठीक हो जाता है | १०० माला जप करें तो शनि देवता के ग्रह का प्रभाव चला जाता है | खं शब्द |
ऐसे ही ब्रह्म परमात्मा का कं शब्द है | ब्रह्म वाचक | तो ब्रह्म परमात्मा के ३ विशेष मंत्र हैं | ॐ, खं और कं |
ऐसे ही रामजी के आगे भी एक बीज मंत्र लग जाता है | रीं रामाय नम: ||
कृष्ण जी के मंत्र के आगे बीज मंत्र लग जाता है | क्लीं कृष्णाय नम: ||
तो जैसे एक-एक के आगे, एक-एक के साथ मिंडी लगा दो तो १० गुना हो गया | ऐसे ही आरोग्य में भी ॐ हुं विष्णवे नम: | तो हुं बिज मंत्र है | ॐ बिज मंत्र है | विष्णवे…, तो विष्णु भगवान का सुमिरन | ये आरोग्य के मंत्र हैं | तो बिज मंत्र जिसमें जितने |
एक मैं मंत्र देता हूँ, जो एकदम सीरियस है, केस ठीक नही है, डॉक्टरों को समझ में नही आ रहा, तबियत ठीक नही है, फलाना है, धिन्गना है, एकदम विशेष जो रोगग्रस्त अथवा समस्या से, तकलीफ से ग्रस्त है | उनको मैं मंत्र देता हूँ | उसको मैंने ऐसे ही विनोद में नाम रख दिया यमराज का मोबाईल नम्बर है, तो उसमें ४ बिज मंत्र हैं |
तो बीज मंत्रो की साधना अथवा बीज मंत्रो का प्रभाव उसी सच्चिदानंद परमात्मा से आता है |
ये जो देवता लोग आशीर्वाद देते हैं अथवा जिनका आशीर्वाद पड़ता है, उनके जीवन में बीज मंत्रो का भी प्रभाव पड़ता है |
मंत्र शास्त्र में बीज मंत्रों का विशेष स्थान है। मंत्रों में भी इन्हें शिरोमणि माना जाता है क्योंकि जिस प्रकार बीज से पौधों और वृक्षों की उत्पत्ति होती है, उसी प्रकार बीज मंत्रों के जप से भक्तों को दैवीय ऊर्जा मिलती है। ऐसा नहीं है कि हर देवी-देवता के लिए एक ही बीज मंत्र का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है। बल्कि अलग-अलग देवी-देवता के लिए अलग बीज मंत्र हैं।
“ऐं” सरस्वती बीज । यह मां सरस्वती का बीज मंत्र है, इसे वाग् बीज भी कहते हैं। जब बौद्धिक कार्यों मंल सफलता की कामना हो, तो यह मंत्र उपयोगी होता है। जब विद्या, ज्ञान व वाक् सिद्धि की कामना हो, तो श्वेत आसान पर पूर्वाभिमुख बैठकर स्फटिक की माला से नित्य इस बीज मंत्र का एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“ह्रीं” भुवनेश्वरी बीज । यह मां भुवनेश्वरी का बीज मंत्र है। इसे माया बीज कहते हैं। जब शक्ति, सुरक्षा, पराक्रम, लक्ष्मी व देवी कृपा की प्राप्ति हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“क्लीं” काम बीज । यह कामदेव, कृष्ण व काली इन तीनों का बीज मंत्र है। जब सर्व कार्य सिद्धि व सौंदर्य प्राप्ति की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“श्रीं” लक्ष्मी बीज । यह मां लक्ष्मी का बीज मंत्र है। जब धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की कामना हो, तो लाल रंग के आसन पर पश्चिम मुख होकर कमलगट्टे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“ह्रौं” शिव बीज । यह भगवान शिव का बीज मंत्र है। अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग नाश, चहुमुखी विकास व मोक्ष की कामना के लिए श्वेत आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“गं” गणेश बीज । यह गणपति का बीज मंत्र है। विघ्नों को दूर करने तथा धन-संपदा की प्राप्ति के लिए पीले रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“श्रौं” नृसिंह बीज । यह भगवान नृसिंह का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, सर्व रक्षा बल, पराक्रम व आत्मविश्वास की वृद्धि के लिए लाल रंग के आसन पर दक्षिणाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या मूंगे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“क्रीं” काली बीज । यह काली का बीज मंत्र है। शत्रु शमन, पराक्रम, सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ आदि कामनाओं की पूर्ति के लिए लाल रंग के आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर रुद्राक्ष की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
“दं” विष्णु बीज । यह भगवान विष्णु का बीज मंत्र है। धन, संपत्ति, सुरक्षा, दांपत्य सुख, मोक्ष व विजय की कामना हेतु पीले रंग के आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर तुलसी की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
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