महाभारत की 11 महिला शक्ति
महाभारत में जहां संजय, सहदेव, भीम, अश्वत्थामा, बर्बरीक, घटोत्कच आदि कई चमत्कारिक और रहस्यमयी लोग थे वहीं ऐसी कई चमत्कारिक और कुछ खासियत लिए हुए महिलाएं भी थीं जिनकी शक्ति के बारे में महाभारत में उल्लेख मिलता है। इसी शक्ति के कारण वे प्रसिद्ध थी। आओ जानते हैं ऐसी ही 11 महिलाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
1) गंगा : इंद्र के शाप के चलते शांतनु और गंगा को मनुष्य योनी में जन्म लेना पड़ा और फिर दोनों को मिलन हुआ। गंगा ने शांतनु से विवाह करने की शर्त रखी कि मैं आपसे विवाह करुंगी पर चाहे मैं कुछ भी करूं, आप कभी मुझसे ये नहीं पूछेंगे कि मैं वैसा क्यों कर रही हूं। अन्यथा में स्वर्ग चली जाऊंगी।' शांतनु ने शर्त मंजूर कर ली। गंगा और शांतनु के पुत्र होते थे तो गंगा उन्हें नदी में बहा देती थी। शर्त में बंधे शांतनु कुछ नहीं करते थे, लेकिन अपने आठवें पुत्र को जब गंगा नदी में बहाने लगी तो शांतनु ने उन्हें रोककर पूछ ही लिया कि तुम ऐसा क्यों करती हो। शर्तभंग होने के बाद गांगा ने कहा कि ये आठ वसु थे जिन्हें शाप के चलते मनुष्य योनी में जन्म लेना पड़ा लेकिन इस आठवें पुत्र को अब मनुष्यों के दुख भी भोगना होंगे। यह पुत्र आगे चलकर भीष्म पितामह कहलाए।
2) सत्यवती : गंगा के बाद राजा शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती थीं। सत्यवती के शरीर से मछली की ही गंध आती रहती थी। कहते हैं कि सत्यवती ही एक प्रमुख कारण थी जिसके चलते हस्तिनापुर की गद्दी से कुरुवंश नष्ट हो गया। सत्यवती को पराशर मुनी से कुआंरी बने रहने का वरदान मिला था। वेदव्यास उन्हीं के पुत्र थे।
3) गांधारी : गांधारी की आंखों में अद्भुत शक्ति थी। गांधारी ने ही अपनी शक्ति के बल पर दुर्योधन के अंग को वज्र के समान बना दिया था। लेकिन श्रीकृष्ण की चतुराई के चलते उसकी जंघा वैसी की वैसी ही रह गई थी। क्योंकि श्रीकृष्ण ने कहा था कि मां के समक्ष नग्न अवस्था में जाना पाप है। गांधारी मानती थी कि श्रीकृष्ण के कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ और उन्हीं के कारण मेरे सारे पुत्र मारे गए। तभी तो गांधारी ने भगवान श्रीकृष्ण को उनके कुल का नाश होने का श्राप दिया था।
4) कुंति : कुंति को यह वरदान था कि वह किसी भी देवता को बुलाकर उनके साथ नियोग कर सकती थी। इस विद्या को उसने माद्री को भी सीखा दिया था। जिसके चलते माद्री को नकुल और सहदेव नामक दो पुत्र मिले और कुंति के पुत्र कर्ण, युद्धिष्ठिर, अर्जुन और भीम थे। कुंती वसुदेवजी की बहन और भगवान श्रीकृष्ण की बुआ थीं।
5) द्रौपदी : कहते हैं कि द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ था इसीलिए उसे याज्ञनी कहा जाता था। द्रौपदी को पंचकन्याओं में शामिल किया गया है। पुराणानुसार पांच स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है। अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा और मंदोदरी।
6) भानुमति : दुर्योधन की पत्नी भानुमती युद्ध कला, शतरंज और कुश्ती में पारंगत थी। कहते हैं कि एक दिन उसने कुश्ती में दुर्योधन को भी पटकनी दे दी थी। भानुमती के कारण ही यह मुहावरा बना है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। भानुमती बेहद ही सुंदर, आकर्षक, तेज बुद्धि और शरीर से काफी ताकतवर थी। गंधारी ने सती पर्व में बताया है की भानुमती दुर्योधन से खेल-खेल में ही कुश्ती करती थी जिसमें दुर्योधन उससे कई बार हार भी जाता था।
7) सत्यभामा : राजा सत्राजित की पुत्री सत्यभामा भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी थीं। सत्यभामा बहुत ही सुंदर थीं और देवमाता अदिति से उनको चिरयौवन का वरदान मिला था। वह राजकार्य और राजनीति में रुचि लेती थी। नरकासुर से युद्ध के दौरान सत्यभामा ने भी युद्ध लड़ा था। सत्यभामा के कारण ही धरती पर पारिजात के वृक्ष पाए जाते हैं क्योंकि उन्होंने श्रीकृष्ण से इसे स्वर्ग से लाने को कहा था।
हिडिम्बा : राक्षस जाति की हिडिम्बा को पांडु पुत्र भीम से प्रेम हो गया था। उसने अपनी माया से सुंदर शरीर धरकर भीम से विवाह किया और बाद में वह अपने असली रूप में आ गई। हिडिम्बा और भीम का पुत्र घटोत्कच था। घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक था। द्रौपदी के शाप के कारण ही महाभारत के युद्ध में घटोत्कच कर्ण के हाथों मारा गया था।
9) उलूपी : अर्जुन की पत्नी उलूपी भी मायावी शक्ति से संपन्न महिला थीं। कहते हैं कि उलूपी जलपरी थी। उन्हीं ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान दिया था। इसके अलावा उसी ने चित्रांगदा और अर्जुन के पुत्र वभ्रुवाहन को युद्ध की शिक्षा दी थी। महाभारत युद्ध में अपने गुरु भीष्म पितामह को मारने के बाद ब्रह्मा-पुत्र से शापित होने के बाद उलूपी ने ही अर्जुन को शापमुक्त भी किया था और इसी युद्ध में अपने पुत्र के हाथों मारे जाने पर उलूपी ने ही अर्जुन को पुनर्जीवित भी कर दिया था।
10) जाम्बवन्ती : भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी जाम्बवन्ती के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि वह श्रीराम के काल के जाम्बवन्त की पुत्री थीं। जाम्बवन्त आज भी जीवित हैं। जाम्बवन्ती के पुत्र साम्ब के कारण ही श्रीकृष्ण के कुल का नाश हो गया था।
11) उर्वशी : उर्वशी इंद्र के दरबार की एक अप्सरा थीं। अर्जुन जब इंद्र के दरबार में गए तो उर्वशी उन्हें देखकर उन पर कामांध हो गई और उन्होंने अर्जुन से प्रणय निवेदन किया लेकिन अर्जुन ने उनके प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि आप मेरे पुर्जवों की पत्नीं रह चुकी हैं अत: आप मेरे लिए मां समान हैं। यह सुनकर उर्वशी भड़क गई और उसने अर्जुन को एक वर्ष के लिए नपुंसक हो जाने का श्राप दे दिया। एक वर्ष तक अर्जुन को किन्नर के वेष में रहना पड़ा था।
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