सिद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र
श्री गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है. श्री गणेश विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है. इस चतुर्थी उपवास को करने वाले जन को चन्द्र दर्शन से बचना चाहिए.मत्रं
ॐ ग्लां ग्लीं ग्लूं गं गणपतये नम : सिद्धिं मे देहि बुद्धिं
प्रकाशय ग्लूं गलीं ग्लां फट् स्वाहा||
विधि :-
इस मंत्र का जप करने वाला साधक सफेद वस्त्र धारण कर सफेद रंग के आसन पर बैठकर पूर्ववत् नियम का पालन करते हुए इस मंत्र का सात हजार जप करे| जप के समय दूब, चावल, सफेद चन्दन सूजी का लड्डू आदि रखे तथा जप काल में कपूर की धूप जलाये तो यह मंत्र ,सर्व मंत्रों को सिद्ध करने की ताकत (Power, शक्ति) प्रदान करता है|
द्वितिय मत्रं
श्री गणेश मूल मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः ||
विघ्न-विनाशक गणेश मन्त्र
“जो सुमिरत सिधि होइ
गननायक करिबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोई
बुद्धिरासी सुभ गुन सदन ।।”
मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभ
सर्व-प्रथम गणेशजी को सिन्दूर का चोला चढ़ायें और फिर रक्त-चन्दन की माला पर प्रातःकाल के समय दस माला (108*10=1080) बार इस मन्त्र का पाठ करें । यह प्रयोग ४० दिन तक करते रहें तो प्रयोग-कर्त्ता के सभी विघ्नों का अन्त होकर गणेशजी का अनुग्रह प्राप्त होता है ।
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