Tuesday, March 21, 2017

MAHAKALI महाकाली

MAHAKALI महाकाली 

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शिव जी कहते है कि जो भी काली के इन नामो का जाप करता है मै उनके दासो का भी दास बनके रहता हूं |


" काली दक्षिण काली च कृष्णरूपा परात्मिका ।
मुण्डमाला विशालाक्षी सृष्टि संहारकारिका ॥

स्थितिरूपा महामाया योगनिद्रा भगात्मिका ।
भगसर्पि पानरता भगोद्योता भागाङ्गजा ॥

आद्या सदा नवा घोरा महातेजाः करालिका ।
प्रेतवाहा सिद्धिलक्ष्मीरनिरुद्धा सरस्वती ॥

एतानि नाममाल्यानि ए पठन्ति दिने दिने ।
तेषां दासस्य दासोऽहं सत्यं सत्यं महेश्वरि ॥"

*जय महाकाली भद्र काली कपालिनी*

काली शब्द काले रंग का प्रतीक है। साधक काली की उपासना को सबसे प्रभावशाली मानते हैं। काली किसी भी काम का तुरंत परिणाम देती हैं। काली की साधना के बहुत से लाभ होते हैं। जो साधक को साधना पूरी करने के बाद ही पता चल पाते हैं। यदि मां काली आपकी उपासना से प्रसन्न हो जाती हैं तो उनके आशीर्वाद से आपका जीवन बेहद सुखद हो जाता है।

एकाक्षर मंत्र : क्रीं मां काली का एकाक्षरी मंत्र ‘क्रीं है। इसका जप मां के सभी रूपों की आराधना, उपासना और साधना में किया जा सकता है। वैसे इसे चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी कहा जाता है।

द्विअक्षर मंत्र : क्रीं क्रीं इस मंत्र का भी स्वतंत्र रूप से जप किया जाता है। तांत्रिक साधनाएं और मंत्र सिद्धि हेतु हेतु बड़ी संख्या में किसी भी मंत्र का जप करने के पहले और बाद में सात-सात बार इन दोनों बीजाक्षरों के जप का विशिष्ट विधान है।

त्रिअक्षरी मंत्र : क्रीं क्रीं क्रीं त्रिअक्षरी मंत्र ‘क्रीं क्रीं क्रीं’ काली की साधनाओं और उनके प्रचंड रूपों की आराधनाओं का विशिष्ट मंत्र है। द्विअक्षर मंत्र की तरह इसे भी तांत्रिक साधना मंत्र के पहले और बाद में किया जा सकता है।

ज्ञान प्रदाता मन्त्र : ह्रीं यह भी एकाक्षर मंत्र है। काली की उपासना के बाद इस मंत्र के नियमित जप से साधक को सम्पूर्ण शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसे विशेष रूप से दक्षिण काली का मंत्र कहा जाता है।

क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा पांच अक्षर के इस मंत्र के प्रणेता स्वयं जगतपिता ब्रह्मा जी हैं। इस मंत्र का प्रतिदिन सुबह के समय 108 बार जप करने से सभी दुखों का निवारण करके घन-धान्य की वृद्धि होती है। इसके जप से पारिवारिक शांति भी बनी रहती है।

क्रीं क्रीं फट स्वाहा छह अक्षरों का यह मंत्र तीनों लोकों को मोहित करने वाला है। सम्मोहन आदि तांत्रिक सिद्धियों के लिए इस मंत्र का विशेष रूप से जप किया जाता है।

क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चारों ध्येयों की आपूर्ति करने में यह मंत्र समर्थ है। आठ अक्षरों से निर्मित इस मंत्र उपासना को उपासना के अंत में जप करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

नवार्ण मंत्र‘ ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:’ दुर्गासप्तशती के अनुसार नौ अक्षरों से बना यह मंत्र मां के नौ स्वरूपों को समर्पित है। इसका प्रत्येक अक्षर एक ग्रह को नियंत्रित करता है। इस मंत्र का जप नवरात्रों में विशेष फलदायी होता है।उपासना विधि मां काली की उपासना के लिए मां की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ आसान पर स्थापित करें। प्रतिमा के तिलक लगाएं और पुष्प आदि अर्पित करें। एक आसन पर बैठकर प्रतिदिन किसी भी मंत्र का 108 बार जप करें। जप के बाद अपनी सामथ्र्य के अनुसार भोग मां काली को अर्पण करें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। यदि आप विशेष उपासना करना चाहते हैं तो सवा लाख, ढाई लाख, पांच लाख मंत्र का जप अपनी सुविधा अनुसार कर सकते हैं।मां काली का स्वरूपमां काली के चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार, एक हाथ में राक्षस का सिर। बाकी दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है। मां के पास कान की बाली के लिए दो मृत सिर हैं। गर्दन में 52 खोपड़ी का एक हार, और दानव के हाथों से बना वस्त्र है। उनकी जीभ मुंह से बाहर रहती है, उनकी आंखे लाल रहती हैं।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )