Saturday, March 4, 2017

गोरोचन GOROCHAN

गोरोचन GOROCHAN

गोरोचन -रविपुष्य में यह भी प्रयोग करे !!...यह प्रयोग निश्चित रूप से फलदायी है - SOME APPLICATIONS OF GOROCHAN 


रविपुष्य में यह भी प्रयोग करे :
तंत्र शास्त्र में जिन अनेक वस्तुओ को अति आवश्यक और निश्चित प्रभावी बताया गया है उसमें गोरोचन भी एक पदार्थ है ! यह गौ ( गाय ) के शरीर से उत्पन्न होने वाला एक पदार्थ है ! यह गौ का पित्त है ! पूजा -पाठ - मंत्र -तंत्र आदि में गोरोचन को बहुत उच्च स्थान प्राप्त है ! यह अनेक प्रयोगों में काम आता है ! गोरोचन जहा भी रहेगा - स्थान , व्यक्ति , वस्तु, प्रतिमा में कही भी - दैवी शक्ति बनाये रहेगा ! इसके रहते वहा नकारात्मक उर्जा भूलकर भी नहीं आती ! गोरोचन की गंध , रंग, स्पर्श और दर्शन मात्र से ही दुष्टात्मा , वायव्य -दोष आदि दूर हो जाते है ! प्रिय मित्रो यन्त्र लेखन में तिलक रचना आदि में गोरोचन का प्रयोग बहुत होता है !

(१) रविपुष्य के दिन अपनी दैनिक पूजा आदि करने के बाद गोरोचन को धुप -दीप दिखाकर इसे चांदी के ताबीज में भर ले ! भरने के बाद उसे सुरक्षित रूप से बन्द कर दे ! और इसका पंचोपचार पूजन कर अपने इष्ट मंत्र का १ माला जप करके यदि गले - भुजा में धारण कर लिया जाए या अपने पास रख मात्र भी लिया जाय तो यह जब तक आप के पास रहेगा वहा के दुष्प्रभाव , अमंगल शीघ्र ही समाप्त हो जाते है और मंगलमय वातावरण और शुभ प्रभाव की वृद्धी में यह प्रयोग निश्चित रूप से फलदायी है !

(२) रविपुष्य के दिन अपनी दैनिक पूजा आदि करने के बाद अनार कलम से भोजपत्र पर सिर्फ ( ह्रीं ) बीज लिख कर इसका पंचोपचार पूजन कर अपने इष्ट मंत्र का १ माला जप करके यदि गले - भुजा में भूतावेश , प्रेत-पीड़ा से पीड़ित रोगी को चांदी के ताबीज में करके धारण करा दिया जाए यह वायव्य -दोष आदि को दूर कर देता है !

(३) रविपुष्य के दिन गोरोचन का तिलक माथे पर लगाना प्रारंभ करे ! फिर नित्य स्नान आदि करने के बाद लगाते रहे ! इसके रहते साधक जहा भी जाता है इसका वशीकरण का प्रभाव शीघ्र ही दुसरो को अपनी और आकर्षित कर लेता है !

(४) रविपुष्य के दिन गोरोचन को विधिवत धुप - दीप दिखा कर ॐ श्रीं श्रीयै नमः मंत्र की २ माला जप कर यदि कुछ मुद्रा के साथ इसको गल्ले - बाक्स , तिजौरी , गोलक में रख दे ! यह प्रयोग निश्चित रूप से धन वर्धक होता है !

(५) रविपुष्य के दिन अपनी दैनिक पूजा आदि करने के बाद गोरोचन को धुप -दीप दिखाकर इसे चांदी के ताबीज में भर ले ! भरने के बाद उसे सुरक्षित रूप से बन्द कर दे ! और इसका पंचोपचार पूजन कर इसके समक्ष रुद्राक्ष माला से १ माला ( ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्त्कारी भानुः शशि भूमि-सुतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहाः शान्ति करा भवन्तु ) जप करके यदि गले - भुजा में धारण कर लिया जाए और नित्य स्नान आदि करने के बाद धारण करने वाला जातक इसका टिका - बिन्दी लगा ले वह नवग्रहों के कोप से मुक्त रहता है !

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )