श्री दुर्गासप्तशती चण्डी अनुष्ठान की अति गुप्त पूर्ण विधि भाग 9
दुर्गा सप्तशती के पाठ। की सँख्या और कामना
श्री दुर्गा जी की दुर्गा सप्तशती के पाठ की सँख्या और होने वाला फल .
श्री दुर्गा सप्तशती महान तँत्र ग्रँथ है, हर एक श्लोक भोतिक और अध्यात्मिक सफलता दे सकती है . इसमे मारण मोहन ,वशीकरण और उच्चाटन सभी प्रयोग का सफल लाभ लिया जा सकता है ,इस के दर्जनो प्रयोग है , इसका पाठ दर्जनो तरीको से होता है, जो मै आप तक भेजता रहुँगा, यह बहुत बडा क्षेत्र है ,
पाठ की सँख्या 1 से 1 000 तक हो सकती है , 101 पाठ का विधान शतच्णडी का है , जो वाँछित कामना पुरी को पुरी करने के लिए 101 पाठ करनी चाहिए, एक सम्पुट पाठ का भी विधान है , इसमे एक ही मँत्र को 1400 बार बोलना पडता है और 700 श्लोक भी है , इसका दँशाश हवन , तर्पण , मार्जण , कन्या पुजन , भण्डारा और ब्रह्मण की पुर्ण सँतुष्टी के बाद ही सफलता मिलती है ,
शाँति कार्य पाठ की सँख्या
शाँति हेतु 3
ग्रह दोष। 5
उत्पात से बचने हेतु 7
महामारी की शाँति 9
वशीकरण/ ऐश्वर्य। 11
शत्रुनाश / गुप्त काम। 12
शत्रु / पत्नी वश हेतु 14
सुख समृद्धि / लक्ष्मी हेतु 15
पुत्र पोत्र। / धन वाहन। 16
शत्रु उच्चाटन ... 18
जेल और वेल आदि ..... 25
अनेक लाभ.... 50
असाध्य रोग, राजकीय ..... 101
श्री दुर्गा सप्तशती महान तँत्र ग्रँथ है, हर एक श्लोक भोतिक और अध्यात्मिक सफलता दे सकती है . इसमे मारण मोहन ,वशीकरण और उच्चाटन सभी प्रयोग का सफल लाभ लिया जा सकता है ,इस के दर्जनो प्रयोग है , इसका पाठ दर्जनो तरीको से होता है, जो मै आप तक भेजता रहुँगा, यह बहुत बडा क्षेत्र है ,
पाठ की सँख्या 1 से 1 000 तक हो सकती है , 101 पाठ का विधान शतच्णडी का है , जो वाँछित कामना पुरी को पुरी करने के लिए 101 पाठ करनी चाहिए, एक सम्पुट पाठ का भी विधान है , इसमे एक ही मँत्र को 1400 बार बोलना पडता है और 700 श्लोक भी है , इसका दँशाश हवन , तर्पण , मार्जण , कन्या पुजन , भण्डारा और ब्रह्मण की पुर्ण सँतुष्टी के बाद ही सफलता मिलती है ,
शाँति कार्य पाठ की सँख्या
शाँति हेतु 3
ग्रह दोष। 5
उत्पात से बचने हेतु 7
महामारी की शाँति 9
वशीकरण/ ऐश्वर्य। 11
शत्रुनाश / गुप्त काम। 12
शत्रु / पत्नी वश हेतु 14
सुख समृद्धि / लक्ष्मी हेतु 15
पुत्र पोत्र। / धन वाहन। 16
शत्रु उच्चाटन ... 18
जेल और वेल आदि ..... 25
अनेक लाभ.... 50
असाध्य रोग, राजकीय ..... 101
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