Friday, March 1, 2019

श्री दुर्गासप्तशती चण्डी अनुष्ठान की अति गुप्त पूर्ण विधि भाग 9

श्री दुर्गासप्तशती चण्डी अनुष्ठान की अति गुप्त पूर्ण विधि भाग 9


दुर्गा सप्तशती के पाठ। की सँख्या और कामना

श्री दुर्गा जी की दुर्गा सप्तशती के पाठ की सँख्या और होने वाला फल .
    श्री दुर्गा सप्तशती महान तँत्र ग्रँथ है, हर एक श्लोक भोतिक और अध्यात्मिक सफलता दे सकती है . इसमे मारण मोहन ,वशीकरण और उच्चाटन सभी प्रयोग का सफल लाभ लिया जा सकता है ,इस के दर्जनो प्रयोग है ,  इसका पाठ दर्जनो तरीको से होता है,  जो मै आप तक भेजता रहुँगा,  यह बहुत बडा क्षेत्र है ,
पाठ की सँख्या 1 से 1 000 तक हो सकती है ,  101 पाठ का विधान शतच्णडी का है , जो वाँछित कामना पुरी को पुरी करने के लिए 101 पाठ करनी चाहिए,   एक सम्पुट पाठ का भी विधान है ,  इसमे एक ही मँत्र को 1400 बार बोलना पडता है और 700  श्लोक भी है , इसका दँशाश हवन , तर्पण ,  मार्जण , कन्या पुजन , भण्डारा और ब्रह्मण की पुर्ण सँतुष्टी  के बाद ही सफलता मिलती है ,


शाँति कार्य पाठ की सँख्या
शाँति हेतु                          3
ग्रह दोष।                          5
उत्पात से बचने हेतु             7
महामारी की शाँति              9
वशीकरण/ ऐश्वर्य।           11
शत्रुनाश / गुप्त काम।          12
शत्रु / पत्नी वश हेतु             14
सुख समृद्धि / लक्ष्मी हेतु       15
पुत्र पोत्र। / धन वाहन।         16
 शत्रु उच्चाटन ...                   18
 जेल और वेल आदि .....        25
 अनेक लाभ....                     50
असाध्य रोग, राजकीय .....    101 

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विशेष सुचना

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