Wednesday, March 6, 2019

SUPREME PRACTICE OF TANTRA BHAIRAVI SADHNA FROM SEX TO SALVATION PART 1 तंत्र की सर्वोच्च साधना भैरवी साधना सम्भोग से समाधि तक भाग 1

SUPREME PRACTICE OF TANTRA BHAIRAVI SADHNA FROM SEX TO SALVATION PART 1 तंत्र की सर्वोच्च साधना भैरवी साधना सम्भोग से समाधि तक भाग 1


Bhairavi Sadhana from Sambhog to Samadhi

तंत्र की सर्वोच्च साधना भैरवी साधना सम्भोग से समाधि तक भाग 1

भैरवी को माध्यम बनाकर सभी देवी-देवता, काल्पनिक शक्तियों से लेकर भूत-प्रेत-पिशाचिनी-डाकिनी तक सिद्ध किया जाता है। महाकाल, रूद्र, काली, दुर्गा, कमला, अर्द्धनारीश्वर, श्री कृष्ण, विष्णु आदि की भी सिद्धि कि जाती है।

नित्या रुपी सभी देवियों की साधना भैरवी के माध्यम से की जाती है। भैरव जी, अगिया बैताल आदि की भी। वस्तुतः यह कोई साधना नहीं है, साधना मार्ग है। इसमें कुछ भी सिद्ध किया जा सकता है। मन्त्र भी और काल्पनिक शक्तियां भी।

इसमें इस ज्ञान की आवश्यकता है कि किस बिंदु से किस शक्ति का सम्बन्ध है। जैसे कर्ण पिशाचिनी। यह वायुतत्व से सबन्धित शक्ति है। यानी कंठ और स्वाधिष्ठान चक्र। इसकी ताकत को आज्ञाचक्र पर केन्द्रित किया जाता है।
हमारे शरीर की एक ऊर्जा –संरचना है और इसमें पृथ्वी के वातावरण के अनुसार परिवर्तन होता रहा है। हमारी ज्योतिष विद्या इसी पर आधारित है। पर तन्त्र में इस वैज्ञानिक सत्य का प्रयोग दूसरे ही रूप में होता है। विशेषकर अघोर विद्या , महाकाल विद्या, श्री विद्या और भैरवी विद्या की साधानाओं में।

भैरवी साधनाओं में शरीर के विष एवं अमृत स्थानों का ज्ञान और उनकी चन्द्रमा की तिथि से ‘गति क्रम’ को जानना प्रत्येक साधक साधिका के लिए आवश्यक है। यदि कोई स्त्री-पुरुष का जोड़ा चाहे वह प्रेमी-प्रेमिका हो या पति-पत्नी इन अंगों इनकी गति को जानकर रात्रि में 9 बजे के बाद केवल विधिवत आपस में अंग न्यास करें ; तो उन दोनों को देवी-तत्व की प्राप्ति होती है और सुख –शांति के साथ कुछ अलौकिक शक्तियों की भी प्राप्ति होती हैं।
यह केवल भैरवी साधना का ही सत्य नहीं है। सभी प्रकार की सिद्धि-साधनाओं में पूजन की प्रक्रिया को जटिल से जटिलतम बनाया गया है। पर जब साधना की बात आती है, तो वातावरण, मुद्राओं, शरीर के चक्रों पर ध्यान लगाकर मंत्र जप करना ही सर्वत्र है। चाहे श्मसान में साधना करनी हो या घर में इसकी वास्तविक वैज्ञानिक प्रक्रिया यही है; शेष सभी तामझाम है; जो केवल संकल्प को और साधक की धैर्य सीमा को परसने के लिए लिए है। कारण यह है कि यहाँ भी सभी मार्ग के प्रसिद्ध आचार्यों ने मानसिक पूजा का ही महत्तव दिया है। मानसिक पूजा के बिना बाह्यपूजा  का कोई अर्थ नहीं है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )