Wednesday, March 6, 2019

SUPREME PRACTICE OF TANTRA BHAIRAVI SADHNA FROM SEX TO SALVATION PART 6 तंत्र की सर्वोच्च साधना भैरवी साधना सम्भोग से समाधि तक भाग 6

SUPREME PRACTICE OF TANTRA BHAIRAVI SADHNA FROM SEX TO SALVATION PART 6 तंत्र की सर्वोच्च साधना भैरवी साधना सम्भोग से समाधि तक भाग 6


Bhairavi Sadhana from Sambhog to Samadhi



पुरुष के भैरवी साधना में शरीर के अंगों में अमृत बिंदु और अमृत न्यास

न्यास मंत्र – ॐ क्लीं क्लीं क्लीं ह्रीं श्रीं (अंग) न्यस्यते नमः

विशेष – यह भैरवी साधना के एक गुप्त मार्ग का न्यास मंत्र है। विभिन्न मार्गों में यह बदलते रहते हैं।

पुरुष अंगों में अमृत – संचरण

शुक्ल पक्ष – 1. अंगुष्ठ   2. पादपृष्ठ     3. टखना   4. घुटना   5. लिंग   6.नाभि   7. हृदय   8.स्तन   9. गला   10. नाक   11. आँख   12. कान  13. भौंव   14. कनपट्टी     15. मस्तष्क (चाँद)

कृष्ण पक्ष – 1. मस्तष्क (चाँद)   2. कनपट्टी   3. भँव   4.कान   5. आँख   6. नाक     7.गला   8.स्तन     9.ह्रदय   10. नाभि   11. लिंग 12. घुटना   13. टखना   14. पादपृष्ठ   15. अंगुष्ठ

 न्यास विधि – स्नानादि से शुद्ध होकर पाँचों उंगली के स्पर्श से दाहिने पैर के अंगूठे से मस्तष्क तक शुक्ल पक्ष में तिनं-तीन मंत्र से न्यास करें। फिर जिस तिथि में (ऊपर तालिका के अनुसार) जिस स्थान में अमृत हो; तिथि के अनुसार उस स्थान पर स्पर्श करते हुए 108 बार मंत्र जप करें। यह पुरुष की प्रकिया है। स्त्री में इसे बायें पैर के अंगूठे से प्रारंभ किया जाता है।

कृष्णपक्ष में यह न्यास इसी प्रकार मस्तक से अंगूठे तक किया जाता है। पुरुष में शुक्ल प्रति पदा से दायें अंगूठे से मस्तक तक समस्त दाया अंग फिर कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से मस्तक से बायाँ अंग अंगूठे तक। स्त्री में यह क्रम उल्टा होता है। ऊपर की ओर बायें भाग से चढ़ा और दायें भाग में उतरा जाता है।

 न्यास के समय स्त्री दक्षिण मुखी , पुरुष उत्तर मुखी या स्त्री नैऋत्य मुखी , पुरुष ईशान मुखी होना चाहिए। सम्पूर्ण नग्न होकर करें  हो सके तो खुले आसमान के निचे 
करें

साधना कार्यों में अभिषेक, न्यास, दीक्षा , पूजन विधि गुरु के द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

लाभ – मानसिक शक्ति, शारीरिक ऊर्जा चक्रों की शक्ति , दृष्टि ज्योति, सुनने की शक्ति , प्रेम भाव , सुख शांति की वृद्धि होती है। सम्मोहन की शक्ति जाग्रत होती है।

गुह्य न्यास – यह गुप्त न्यास प्रकिया है। केवल अभिषेकित दीक्षित साधक/साधिका के लिए ही अनुमेय है।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )