माँ बगुलामुखी साधना व् प्रयोग भाग 5
माँ बगलामुखि शत्रु नाशक साधना
माँ बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी काअवतरण हुआ
रुद्रमाला तन्त्र के अनुसार माता बगलामुखी शिव की अर्धागनि है तथा पितवरण(पिले रूप में)इन्हें बगलामुखी और शिव को बागलेश्वर कहा जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार माता बगलामुखी का सम्बन्ध वृहस्पति ग्रह से है ।देवी बगलामुखी का वर्ण पिला है जो गुरु वृहस्पति को सम्बोधित करता है ।ऐसी मान्यता है की देवी बगला मुखी की साधना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए की जाती है।कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार जातक की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति का स्थान 12बां है और वेधा स्थान 6बां है तथा 8बें स्थान में अनिष्ठकारी फल देता है अतःये तीनो भाव कुंडली के निक भाव कहे गये है।कुंडली का 12बां स्थान व्यक्ति के खर्चों और गुप्त शत्रुओं को सम्बोधित करता है ।कुंडली का 6बां स्थान शत्रु और रोगों को सम्बोधित करता है तथा कुंडली का 8बां स्थान मृत्यु को सम्बोधित करता है।
देवी बगलामुखी साधना से व्यक्ति को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।धन-हानि से छुटकारा मिलता है और रोगों का शमन होता है तथा प्राणों की रक्षा होती है
1.देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पीले कनेर के फूल चढ़ाएं
2.गुरुवार के दिन 8 ब्राह्मणों को इच्छानुसार चने की दाल दान करेँ
3.सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर देवी बगलामुखी के आगे दीपक जलाये
4.सेंधे नमक से देवी बगलामुखी "ह्रीं शत्रु नाशय" मंत्र से हवन करें
5.लाल धागे में 8नींबू पिरोकर देवी बगलामुखी के चित्र पर चढ़ायें
6.देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पिली सरसों के दाने कपूर मिलाकर जलायें
7.गुरुवार के दिन सफेद शिवलिंग पर "'ह्रीं बागलेश्वराय "मंत्र बोलते हुये पिले आम के फूल चढ़ायें
8.शनिवार के दिन काले रंग के शिवलिंग पर हल्दी मिले पानी का अभिषेक करें
9.सफेद शिवलिंग पर ""ॐ ह्रीं नमः"" का उच्चारण करते हुये शहद का अभिषेक करें
देवी का बीज मंत्र ""ह्रीं""है इसी बीज से देवी दुश्मनों का पतन करती है
रुद्रमाला तन्त्र के अनुसार माता बगलामुखी शिव की अर्धागनि है तथा पितवरण(पिले रूप में)इन्हें बगलामुखी और शिव को बागलेश्वर कहा जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार माता बगलामुखी का सम्बन्ध वृहस्पति ग्रह से है ।देवी बगलामुखी का वर्ण पिला है जो गुरु वृहस्पति को सम्बोधित करता है ।ऐसी मान्यता है की देवी बगला मुखी की साधना शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए की जाती है।कालपुरुष सिद्धान्त के अनुसार जातक की कुंडली में देव गुरु बृहस्पति का स्थान 12बां है और वेधा स्थान 6बां है तथा 8बें स्थान में अनिष्ठकारी फल देता है अतःये तीनो भाव कुंडली के निक भाव कहे गये है।कुंडली का 12बां स्थान व्यक्ति के खर्चों और गुप्त शत्रुओं को सम्बोधित करता है ।कुंडली का 6बां स्थान शत्रु और रोगों को सम्बोधित करता है तथा कुंडली का 8बां स्थान मृत्यु को सम्बोधित करता है।
देवी बगलामुखी साधना से व्यक्ति को शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।धन-हानि से छुटकारा मिलता है और रोगों का शमन होता है तथा प्राणों की रक्षा होती है
1.देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पीले कनेर के फूल चढ़ाएं
2.गुरुवार के दिन 8 ब्राह्मणों को इच्छानुसार चने की दाल दान करेँ
3.सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर देवी बगलामुखी के आगे दीपक जलाये
4.सेंधे नमक से देवी बगलामुखी "ह्रीं शत्रु नाशय" मंत्र से हवन करें
5.लाल धागे में 8नींबू पिरोकर देवी बगलामुखी के चित्र पर चढ़ायें
6.देवी बगलामुखी के चित्र के आगे पिली सरसों के दाने कपूर मिलाकर जलायें
7.गुरुवार के दिन सफेद शिवलिंग पर "'ह्रीं बागलेश्वराय "मंत्र बोलते हुये पिले आम के फूल चढ़ायें
8.शनिवार के दिन काले रंग के शिवलिंग पर हल्दी मिले पानी का अभिषेक करें
9.सफेद शिवलिंग पर ""ॐ ह्रीं नमः"" का उच्चारण करते हुये शहद का अभिषेक करें
देवी का बीज मंत्र ""ह्रीं""है इसी बीज से देवी दुश्मनों का पतन करती है
साधनाकाल की सावधानियाँ - ब्रह्मचर्य का पालन करें
(1) - पीले वस्त्र धारण करें। -
(2)एक समय भोजन करें
( 3)बाल नहीं कटवाए। -
(4)व्रहमचर्य का पालन करें
(5)मनसे कर्मसे बच्चनसे सुद्ध रहें
(2)एक समय भोजन करें
( 3)बाल नहीं कटवाए। -
(4)व्रहमचर्य का पालन करें
(5)मनसे कर्मसे बच्चनसे सुद्ध रहें
(6)साधना के दौरान जमीन पर ही सोयें
(7)कमजोर दिलवाले वीमार डरपोक इस साधना को न करे मंत्र के जप रात्रि के 10 से (8)प्रात: 4 बजे के बीच करें।
( 9)दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
(7)कमजोर दिलवाले वीमार डरपोक इस साधना को न करे मंत्र के जप रात्रि के 10 से (8)प्रात: 4 बजे के बीच करें।
( 9)दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
(10) साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिये
मन्त्र सिद्धि की विधि:=साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।
(2) अगर सक्षम हो तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।
विनियोग
"" अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये। ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:। ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:""।
आवाहन
""ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा""।
ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम् हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम् हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।
जप मंत्र
""ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं फट् स्वाहा"" ।।
इस मंत्र में अद्भुत प्रभाव है। इसको एक लाख जाप द्वारा सिद्ध किया जाता है। अधिक सिद्धि हेतु पाँच लाख जप भी किए जा सकते हैं। जप की संपूर्णता के पश्चात् दशांश यज्ञ एवं दशांश तर्पण भी आवश्यक है।
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