भगवान् राम का ध्यान मंत्र, जप मन्त्र
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भगवान् विष्णु समस्त संसार के कल्याण एवं मानवता व धर्म की रक्षा करने हेतु विभिन्न रूपों में धरती पर अवतरित हुए। भगवान् विष्णु सतयुग में रामावतार के रूप में धरती पर अवतरित हुए।
सर्वविदित है कि रामनाम की महिमा अपरम्पार है। राम का नाम इतना सहज, लघु, सरल, शक्ति सम्पन्न श्रवण सुखद एवं उच्चारण सुलभ है कि अनेक देवता भी इसका जप करते हैं। हनुमानजी के इष्टदेव प्रभु राम ही थे। महर्षि वाल्मीकि एवं तुलसीदास जी ने रामकथा के माध्यम से समस्त संसार के लिए रामभक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। वस्तुतः राम नाम का जप कर संसार का कोई भी व्यक्ति कल्याण की प्राप्ति कर सकता है।
‘राम’ शब्द की शास्त्रीय विवेचना करते हुए कहा गया है :-
रकारो नलं बींज स्याद् ये सर्वे बाड़वादयः,
अकारो भानु बींज स्याद् वेद शास्त्र प्रकाशः।
मकारश्चन्द्रिका बींज च सदभ्षु परिपूरणम्।।
अर्थात्, राम शब्द का प्रत्येक अक्षर विविध शक्तियों से सम्पन्न है। ‘र’ अग्नि का मूल रूप है, जो साधक की काम क्रोध आदि वृत्तियाँ एवं शुभाशुभ कर्मों को जलाकर उसे निर्मल बना देता है। ‘अ’ अज्ञाननाशक है। यह साधक को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है। ‘म’ मल व मलिनता का नाशक एवं तीनों तापों को हरने वाला है। इसका प्रभाव साधक को शीलता प्रदान करता है।
वस्तुतः ‘राम’ शब्द के जप का प्रभाव साधक के अज्ञान को दूर करके उसे ज्ञान विवेक एवं सुख शान्ति प्रदान करता है।
प्रभु राम के निम्न वर्णित मन्त्रों का शास्त्रों में विवेचन मिलता है। प्रभु राम मन्त्र जप हेतु विद्वान मंत्रशास्त्रियों ने कुछ नियम भी बताये हैं जिसके अंतर्गत बताया गया है कि सर्वप्रथम जप साधना स्थल पर प्रभु राम का एक चित्र स्थापित करें, जिसका पूजन मन्त्र जप पूर्व ही कर लिया जाए। निम्न में से कोई भी एक मन्त्र चुन लें। जिस भी मन्त्र का जप करे, उसके अक्षरों के बराबर ही लाख की संख्या में मन्त्रजप का संकल्प करे। जैसे छः अक्षरों वाला मन्त्र जपना है, तो इसके लिए 6 लाख का संकल्प करे और जितने दिनों तक साधना करनी हो, उसी अनुपात से गणना कर ले। प्रतिदिन कए निश्चित संख्या में माला जपने से उतने दिनों में संकल्प संख्या पूरी हो जाय, ऐसी गणना करनी चाहिए। जब जप साधना पूर्ण हो जाए तब अष्टगन्ध से दशांश हवन संपन्न करें। जप करते समय किसी भी श्लोक से प्रभु राम का स्मरण कर लेना आवश्यक होता है।
प्रभु राम की साधना हेतु सर्वप्रथम उनके चित्र का पूजन धूप, दीप, अक्षत व पुष्प से करें तत्पश्चात अग्रलिखित ध्यान मन्त्र से उनका ध्यान व प्रार्थना करें :
ध्यान मन्त्र :-
नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम्
सीता समरोपित वामभागम् ।
पाणौ महासायक चारु चापम्,
नमामि रामम् रघुवंशनाथम् ।।
अब निम्न में से किसी एक मन्त्र को सुविधानुसार चुनकर, उसके जप का संकल्प लें व नियमित रूप से, इष्ट संख्या में, चुने हुए मन्त्र का जप प्रारभ करें :
जप मन्त्र :-
• श्रीं राम श्रीं।
• रां राम रां।
• रामायनमः।
• रां रामायनमः।
• ह्नीं राम ह्नीं।
• ऐं रामाय नमः।
• श्री रामाय नमः।
• क्लीं राम क्लीं।
• फट् राम फट्।
• क्लीं रामाय नमः।
• ह्नी रामाय नमः।
• ओइम् राम ओइम्।
• श्रीं रामः शरणं मम।
• ओइम् रामाय नमः।
• हुं जानकी वल्लभाय नमः।
• रामाय धनुष्पाणये नमः।
• ओइम् त्रैलोक्य नाथाय नमः।
• ओइम् रामयां हुं फट् स्वाहा।
• ओइम् ह्नीं श्रीं श्रीं दाशरथाय नमः।
• श्री राम जय राम जय जय राम।
• ओइम् नमो भगवते रामाय महापुरुषयाय नमः।
• ओइम् आद्यपुराण पुरुषोत्तमाय ब्राह्मणे नमः।
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