श्री परशुराम स्तोत्रम:
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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ओम रां रां ओम रां रां ओम परशूहस्ताय नमः।।
श्री परशुराम स्तोत्रम:
कराभ्यां परशुं चापं दधानं रेणुकात्मजं!
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं!!१!!
जामदग्न्यं भजे रामं भार्गवं क्षत्रियान्तकं!!१!!
नमामि भार्गवं रामं रेणुका चित्तनन्दनं!
मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्!!२!!
मोचितंबार्तिमुत्पातनाशनं क्षत्रनाशनम्!!२!!
भयार्तस्वजनत्राणतत्परं धर्मतत्परम्!
गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम्!!३!!
गतगर्वप्रियं शूरं जमदग्निसुतं मतम्!!३!!
वशीकृतमहादेवं दृप्त भूप कुलान्तकम्!
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्!!४!!
तेजस्विनं कार्तवीर्यनाशनं भवनाशनम्!!४!!
परशुं दक्षिणे हस्ते वामे च दधतं धनुः !
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्!!५!!
रम्यं भृगुकुलोत्तंसं घनश्यामं मनोहरम्!!५!!
शुद्धं बुद्धं महाप्रज्ञापण्डितं रणपण्डितं!
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम्!!६!!
रामं श्रीदत्तकरुणाभाजनं विप्ररंजनम्!!६!!
मार्गणाशोषिताभ्ध्यंशं पावनं चिरजीवनम्!
य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत्!!७!!
य एतानि जपेन्द्रामनामानि स कृति भवेत्!!७!!
सर्वकामना सिद्धि हेतु जपें भगवान परशुराम के विशेष मंत्र
भगवान विष्णु के दशावतार में छठे अवतार भगवान परशुराम माने जाते हैं। क्रोध और दानशीलता में उनका कोई सानी नहीं है। शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता सिर्फ और सिर्फ भगवान परशुराम ही माने जाते हैं। भगवान शिव ने ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया जिससे वे परशुराम कहलाए। वे परम शिवभक्त थे।
उन्होंने सहस्रार्जुन की इहलीला समाप्त कर दी। प्रायश्चित के लिए सभी तीर्थों में तपस्या की। गणेशजी को एकदंत करने वाले भी परशुराम थे। पृथ्वी को 17 बार क्षत्रियों से विहीन करने वाले भगवान परशुराम ही थे। उनकी दानशीलता ऐसी थी कि समस्त पृथ्वी ही ऋषि कश्यप को दान कर दी। उनके शिष्यत्व का लाभ दानवीर कर्ण ही ले पाए जिसे उन्होंने ब्रह्मास्त्र की दीक्षा दी।
भगवान परशुराम की सेवा-साधना करने वाले भक्त भूमि, धन, ज्ञान, अभीष्ट सिद्धि, दारिद्रय से मुक्ति, शत्रु नाश, संतान प्राप्ति, विवाह, वर्षा, वाक् सिद्धि इत्यादि पाते हैं। महामारी से रक्षा कर सकते है।
भगवान परशुराम की सेवा-साधना करने वाले भक्त भूमि, धन, ज्ञान, अभीष्ट सिद्धि, दारिद्रय से मुक्ति, शत्रु नाश, संतान प्राप्ति, विवाह, वर्षा, वाक् सिद्धि इत्यादि पाते हैं। महामारी से रक्षा कर सकते है।
अक्षय तृतीया के दिन सर्वकामना की सिद्धि हेतु भगवान परशुराम के गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र इस प्रकार हैं : -
1. 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
2. 'ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।'
3. 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।'
जप-ध्यान कर दशांस हवन करें तथा हर प्रकार की समस्याएं दूर हो शक्ति है।।
मंत्र इस प्रकार हैं : -
1. 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
2. 'ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।'
3. 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।'
जप-ध्यान कर दशांस हवन करें तथा हर प्रकार की समस्याएं दूर हो शक्ति है।।
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