धन-संपदा प्राप्ति व स्थिरता एवं ऋण निवृत्ति प्रयोग
मंत्र:आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः। मामालक्ष्मी नाशय नाशय। माम ऋणौतीर्ण कुरू कुरू, सम्पदं वर्धय वर्धय स्वाहा।
विधि:
उक्त मंत्र का नित्यप्रति 43 दिनों तक 228 बार जप करें तथा 44वें दिन 196 बार जप करें तथा इसी दिन 228 कमलगट्टा लेकर गोघृत के साथ एक-एक मंत्र पढ़ते हुए हवन करें। बाद में नित्य प्रति 10 बार मंत्र जप करें तो धन-संपदा प्राप्ति व स्थिरता एवं ऋण निवृत्ति होती है।
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