द्वादश राशियों हेतु जन कल्याणकारी दैनिक जप हेतु उपयोगी मन्त्र
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, यंत्र, टोटका, वास्तु, कुंडली, हस्त रेखा, राशि रत्न,भूत प्रेत, जिन, जिन्नात, बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण, पितृ दोष, कालसर्प दोष, चंडाल दोष, गृह क्लेश, बिजनस, विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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राशि का सम्बन्ध चन्द्रमा एवं नक्षत्रों की गति से जुड़ा हुआ है। प्रत्येक मनुष्य के जन्म समय पर कोई न कोई राशि अवश्य ही पड़ती है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि प्रत्येक राशि एवं उससे सम्बंधित नक्षत्र तथा चन्द्रमा की गति का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर अवश्य ही पड़ता है जो की राशियों के आधार पर अनेक रूपों व प्रकारों में अनुभव किया जाता है। ज्योतिषाचार्यों अनुसार 12 राशियां विधमान है, प्रत्येक मनुष्य के जन्म समय के अनुसार ही उसकी राशि का निर्धारण इन्ही 12 राशियों में से ही किया जाता है। विद्वान पंडित एवं ज्योतिषाचार्य किसी भी बालक के जन्म समय से यह ज्ञात कर लेते हैं कि सम्बंधित बालक का जन्म कौनसी राशि, लग्न एवं नक्षत्र में हुआ है एवं इनका उस बालक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
अलग अलग राशि के व्यक्तियों में अलग अलग गुण व दोष एवं कुछ विशिष्ट प्रभाव देखने को मिलते हैं। यह गुण दोष लग्न, नक्षत्र, आदि के प्रभाव से घटते बढ़ते रहते हैं। किसी भी व्यक्ति की मूल प्रवृत्तियों एवं उसके भाग्य के निर्माण में राशि का स्थान बहुत महत्व रखता है।
कोई भी व्यक्ति अपनी राशि अनुसार मन्त्र का नियमित जप करके अपने सौभाग्य की वृद्धि तथा दोषों का निवारण कर लाभ उठा सकता है। निम्नवत 12 राशियाँ एवं उनके मन्त्र दिए जा रहे है इन राशि मन्त्रों के जप का कोई विशेष विधान नियत नहीं किया गया है। स्नान आदि दैनिक क्रियाओं से निवृत्त हो किसी शुद्ध व पवित्र स्थान पर कुश घांस से निर्मित आसन पर बैठ कर 1, 3, 5, 7 आदि माला अथवा जो संभव हो सके, का नित्य जप करते रहने से निश्चित रूपेण यह प्रभावित होगा एवं राशि से नियत जन्म गुणों की वृद्धि होगी व दुष्प्रभाव शान्त होंगे।
बारह राशियाँ इस प्रकार हैं :-
♦ मेष ♦ वृष ♦ मिथुन ♦ कर्क ♦ सिंह ♦ कन्या ♦ तुला ♦ वृश्चिक ♦ धनु ♦ मकर ♦ कुम्भ ♦ मीन
इनमें प्रत्येक के लिए मन्त्र व्यवस्था इस प्रकार की गयी है :-
♦ मेष राशि :- मेष राशि वालों को लक्ष्मीनारायण मन्त्र कल्याणप्रद होता है :
ओइम् श्रीं लक्ष्मीनाराणाय नमः।
♦ वृष राशि :- वृष राशि में जन्म व्यक्तियों को इनमें से कोई एक मन्त्र जपना कल्याणकारी रहेगा :
वासुदेव मन्त्र - ओइम् क्रीं उत्तरथायठधृताय नमः।
अथवा
विश्वरूपम मन्त्र - ओइम् ह्नीं विश्वरूपाय नमः।
♦ मिथुन राशि :- मिथुन राशि वालों के लिए भी दो मन्त्र रचे गये हैं :
क्रहम मन्त्र - ओइम् क्रीं कृहमाय नमः।
अथवा
केशव मन्त्र - ओइम् क्रीं केशवाय नमः।
♦ कर्क राशि :- कर्क राशि में जन्में व्यक्तियों के लिए भी दो मन्त्र कहे गये हैं :
हिरण्यगर्भ मन्त्र - ओइम् ह्नीं स्वाव्यास हिरण्यगर्भक रूपाय नमः।
अथवा
हरिवंश मन्त्र - ओइम् ह्नीं हरिहराय नमः।
♦ सिंह राशि :- सिंह राशि वाले जातक इन दो में से कोई भी एक मन्त्र जप सकते हैं :
मुकुन्द मन्त्र - ओइम् बालमुकुन्दाय नमः।
अथवा
मदनगोपाल मन्त्र - ओइम् क्रीं मदन गोपालाय नमः।
♦ कन्या राशि :- कन्या राशि वाले जातक निम्न दो में से कोई एक मन्त्र नियमित रूप से जपते रहें तो निश्चय ही लाभान्वित होंगे :
परमानन्द मन्त्र - ओइम् ह्नीं परमात्मेन नमः।
अथवा
पीताम्बर मन्त्र - ओमइ् ह्नीं पीताम्बराय परमात्मेन नमः।
♦ तुला राशि :- तुला राशि के जातक को केवल एक मन्त्र का अवलम्ब लेना चाहिए। वस्तुतः यह संसार का सर्वश्रेष्ठ, सरल और प्रभावी मन्त्र है :
राम मन्त्र - श्रीरामायनमः।
♦ वृश्चिक राशि :- वृश्चिक राशि के जातकों के लिए दो मन्त्रों का विधान मिलता है। किसी भी एक का जप उपयोगी होगा :
नारायण मन्त्र - ओइम् नमोनारायणायेभि मन्त्र सर्वार्थं साधकः।
अथवा
जानकी मन्त्र - ओइम् की जानकी रामाय नमः।
♦ धनु राशि :- धनु राशि के लोग भी मन्त्र-जप के अधिकारी होते हैं। उनके लिए इन दो में से कोई भी एक मन्त्र जपना श्रेयस्कर रहेगा :
भगवान मन्त्र - ओइम् ह्नीं क्रीं भगवते नमः।
अथवा
धरणीधर मन्त्र - ओइम् ह्नीं श्रीं क्रीं धरणीधराय नमः।
♦ मकर राशि :- मकर राशि के जातक को एक मन्त्र दिया गया है :
ब्रह्मतारक मन्त्र - ओइम् श्रीं वत्साय उपेन्द्राय नमः।
♦ कुम्भ राशि :- कुम्भ जातक के लिए निम्नलिखित दो मन्त्र उपयोगी होंगे :
गोपाल गोविन्द मन्त्र- श्री गोपाल गोविन्दाय नमः।
अथवा
श्याम मन्त्र- ओइम् क्रीं ह्नीं सान्मने श्यामरामाय नमः।
♦ मीन राशि :- राशि-चक्र की इस बारहवीं और अन्तिम राशि के लिए भी दो मन्त्र कहे गये हैं। जातक कोई भी एक जप सकता है :
दामोदर मन्त्र- ओइम् ह्नीं दामोदराय नन्दनाय नमः।
अथवा
चक्रपाणि मन्त्र- ओइम् ह्नीं श्रीं क्रीं रथांग चक्राय नमः।
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