Tuesday, January 9, 2018

मंत्रों से होगी देवी मां प्रसन्न

मंत्रों से होगी देवी मां प्रसन्न

दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है      
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नवरात्रि में कोई भी व्यक्ति मंत्र साधना कर सकता है। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने पास पूजन में काम आने वाली वस्तु रख लें। कंबल या कुश के आसन पर बैठें।
कोई भी प्रयोग से पहले हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि आप किस कार्य के लिए यह प्रयोग कर रहे हैं। संकल्प में अपना नाम, पिता का नाम, गोत्र, शहर एवं देश का नाम लें। यह सब करने से आपको सफलता मिलेगी।
शीघ्र विवाह के लिए जपें यह मंत्र


हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों का समय पर विवाह हो जाए। यदि विवाह में देरी हो रही हो या कोई अड़चन आ रही हो तो नवदुर्गा में पहले दिन से यह मंत्र हल्दी की माला से करें।
मंत्र -पत्नीं मनोरमा देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवाम।
नौ दिन यह मंत्र करके अंतिम दिन किसी भी देवी के मंदिर में सुहाग सामग्री, श्रृंगार एवं प्रसाद चढ़ा दें।

कोर्ट-कचहरी विवाद समाप्त करने के लिए मंत्र

पति-पत्नी या परिवार में, किसी रिश्तेदार से, जमीन या व्यापार को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा हो तो निम्न मंत्र का नवदुर्गा में जाप करें।

मंत्र - सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।

गृह-क्लेश निवारण मंत्र

घर में यदि यदि भूत-प्रेत का प्रकोप हो अथवा उत्पात हो रहा हो या परिवार के सदस्यों में आपस में मनमुटाव चल रहा हो व कई प्रकार के उपाय करने से यह समस्या हल नहीं हो रही हो तो नवरात्रि में निम्न उपाय करें।
रात्रि में लाल रंग की धोती पहनकर शुद्ध आसन पर बैठ जाएं चौकी या पटिए पर भी बैठ सकते हैं। लाल कपड़ा बिछाकर थाली या प्लेट रखें फिर कुमकुम से 'हूं हनुमते नम:' लिखकर हनुमानजी का यंत्र रख दें एवं तांत्रिक नारियल या सादा नारियल सिन्दूर लगाकर रख दें, फिर गुड़-चने का भोग लगाएं।
प्रतिदिन निम्न मंत्र की 3 या 5 माला करें। राम नवमी के दिन किसी लड़के को भोजन करा दें। फिर नारियल एवं यंत्र घर की कच्ची जमीन में गाड़ दें।

मंत्र -ॐ घंटाकर्णो महावीर सर्व उपद्रव नाशय कुरु-कुरु स्वाहा।

नौकरी/रोजगार पाने के लिए मंत्र -

आप लाख प्रयास कर थक गए हैं, परंतु आपको नौकरी प्राप्त नहीं हो रही हो तो आप नवरात्रि में निम्न मंत्र की 7 माला रोज करें।

मंत्र -ॐ वर वरदाय सर्व कार्य सिद्धि करि-करि ॐ नम:

उपरोक्त मंत्र पूर्ण-श्रद्धा एवं विश्वास से करें, आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।

चैत्र और आश्विन नवरा‍त्रि ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरा‍त्रि अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है, यह प्रतिपदा 'सम्मुखी' शुभ होती है। घटस्थापना प्रात:काल अभिजीत मुहूर्त में करें। स्मरण रहे कि देवी का आवाहन, प्रवेशन, नित्यार्चन और विसर्जन- यह सब प्रात:काल में शुभ होते हैं अत: उचित समय का अनुपयोग न होने दें।
उपवास जरूरी है इस नवरात्रि में : -
स्त्री हो या पुरुष, सबको नवरा‍त्रि करना चाहिए। यदि कारणवश स्वयं न कर सकें तो प्रतिनिधि (पति, पत्नी, ज्येष्ठ पुत्र, सहोदर या ब्राह्मण) द्वारा कराएं।
नवरा‍त्रि नौ रात्रि पूर्ण होने से पूर्ण होता है इसलिए यदि इतना समय न मिले या सामर्थ्य न हो तो सात, पांच, तीन या एक दिन व्रत करें और व्रत में भी उपवास, अयाचित नक्त या एकभुक्त, जो बन सके यथा सामर्थ्य वही कर लें।
नवरा‍त्रि में घटस्थापन के बाद सूतक हो जाए तो कोई दोष नहीं, परंतु पहले हो जाए तो पूजनादि स्वयं न करें। चैत्र के नवरात्र में शक्ति की उपासना तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही शक्तिधर की उपासना भी की जाती है।
उदाहरणार्थ एक ओर देवी भागवत, कालिका पुराण, मार्कण्डेय पुराण, नवार्ण मंत्र के पुरश्चरण और दुर्गा पाठ की शतसहस्रायुत चंडी आदि होते हैं तो दूसरी ओर श्रीमद्भागवत, अध्यात्म रामायण, वा‍ल्मीकि रामायण, तुलसीकृत रामायण, राममंत्र- पुरश्चरण, एक-तीन-पांच-सात दिन की या नौ दिन की अखंड रामनाम ध्वनि और रामलीला आदि ‍किए जाते हैं। यही कारण है कि यह 'देवी-नवरा‍त्रि' और 'राम-नवरा‍त्रि' नामों से प्रसिद्ध हैं।
दुरूपयोग और गोपनीयता की दृष्टि से विधि अधूरी प्रकाशित की गई है

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )