नवार्ण मन्त्र विधि:NAVARN MANTRA VIDHI
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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ॐ अस्य श्रीनवार्णमन्त्रस्य ब्रह्मविष्णुरुद्रा ऋषयः गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दासि, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।
न्यास :
१. ऋष्यादिन्यास :
ब्रम्हविष्णुरुद्रऋषिभ्यो नमः शिरसि।
गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दोभ्यो नमः मुखे।
श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताभ्यो नमः हृदि ।
ऐं बीजाय नमः गुह्ये ।
ह्रीं शक्तये नमः पादयो ।
क्लीं कीलकाय नमः नाभौ ।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे :- इस मूल मन्त्र से हाथ धोकर करन्यास करें।
२. करन्यास:
ॐ ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः । (दोनों हाथों की तर्जनी अँगुलियों से अंगूठे के उद्गम स्थल को स्पर्श करें )
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः । ( दोनों अंगूठों से तर्जनी अँगुलियों का स्पर्श करें )
ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नमः । ( दोनों अंगूठों से मध्यमा अँगुलियों का स्पर्श करें )
ॐ चामुण्डायै अनामिकाभ्यां नमः । ( दोनों अंगूठों से अनामिका अँगुलियों का स्पर्श करें )
ॐ विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां नमः । ( दोनों अंगूठों से कनिष्ट/ कानी / छोटी अँगुलियों का स्पर्श करें )
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः । ( हथेलियों और उनके पृष्ठ भाग का स्पर्श )
३. हृदयादिन्यास :
ॐ ऐं हृदयाय नमः । (दाहिने हाथ की पाँचों उँगलियों से ह्रदय का स्पर्श )
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा । (शिर का स्पर्श )
ॐ क्लीं शिखायै वषट् । (शिखा का स्पर्श)
ॐ चामुण्डायै कवचाय हुम् । ( दाहिने हाथ की अँगुलियों से बाएं कंधे एवं बाएं हाथ की अँगुलियों से दायें कंधे का स्पर्श)
ॐ विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट् । ( दाहिने हाथ की उँगलियों के अग्रभाग से दोनों नेत्रों और मस्तक में भौंहों के मध्यभाग का स्पर्श)
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अस्त्राय फट । ( यह मन्त्र पढ़कर दाहिने हाथ को सिर के ऊपर से बायीं ओर से पीछे ले जाकर दाहिनी ओर से आगे लाकर तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों से बाएं हाथ की हथेली पर ताली बजाएं।
४. वर्णन्यास :
**इस न्यास को करने से साधक सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है**
ॐ ऐं नमः शिखायाम् ।
ॐ ह्रीं नमः दक्षिणनेत्रे ।
ॐ क्लीं नमः वामनेत्रे ।
ॐ चां नमः दक्षिणकर्णे ।
ॐ मुं नमः वामकर्णे ।
ॐ डां नमः दक्षिणनासापुटे ।
ॐ यैं नमः वामनासापुटे ।
ॐ विं नमः मुखे ।
ॐ च्चें नमः गुह्ये ।
इस प्रकार न्यास करके मूलमंत्र से आठ बार व्यापक न्यास (दोनों हाथों से शिखा से लेकर पैर तक सभी अंगों का ) स्पर्श करें।
**अब प्रत्येक दिशा में चुटकी बजाते हुए निम्न मन्त्रों के साथ दिशान्यास करें:**
५. दिशान्यास:
ॐ ऐं प्राच्यै नमः ।
ॐ ऐं आग्नेय्यै नमः ।
ॐ ह्रीं दक्षिणायै नमः ।
ॐ ह्रीं नैऋत्यै नमः ।
ॐ क्लीं प्रतीच्यै नमः ।
ॐ क्लीं वायव्यै नमः ।
ॐ चामुण्डायै उदीच्यै नमः ।
ॐ चामुण्डायै ऐशान्यै नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे उर्ध्वायै नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे भूम्यै नमः ।
अन्य न्यास :- यदि साधक चाहे तो इतने ही न्यास करके नवार्ण मन्त्र का जप आरम्भ करे किन्तु यदि उसे और भी न्यास करने हों तो वह भी करके ही मूल मन्त्र जप आरम्भ करे।
यथा :-
६. सारस्वतन्यास :
**इस न्यास को करने से साधक की जड़ता समाप्त हो जाती है**
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः अनामिकाभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः हृदयाय नमः ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिरसे स्वाहा ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः शिखायै वषट् ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः कवचाय हुम् ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं नमः अस्त्राय फट ।
७. मातृकागणन्यास :
**इस न्यास को करने से साधक त्रैलोक्य विजयी होता है**
ह्रीं ब्राम्ही पूर्वतः माँ पातु ।
ह्रीं माहेश्वरी आग्नेयां माँ पातु ।
ह्रीं कौमारी दक्षिणे माँ पातु ।
ह्रीं वैष्णवी नैऋत्ये माँ पातु ।
ह्रीं वाराही पश्चिमे माँ पातु ।
ह्रीं इन्द्राणी वायव्ये माँ पातु ।
ह्रीं चामुण्डे उत्तरे माँ पातु ।
ह्रीं महालक्ष्म्यै ऐशान्यै माँ पातु ।
ह्रीं व्योमेश्वरी उर्ध्व माँ पातु ।
ह्रीं सप्तद्वीपेश्वरी भूमौ माँ पातु ।
ह्रीं कामेश्वरी पतालौ माँ पातु ।
८. षड्देविन्यास
**इस न्यास को करने से वृद्धावस्था एवं मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है**
कमलाकुशमण्डिता नंदजा पूर्वांग मे पातु ।
खडगपात्रकरा रक्तदन्तिका दक्षिणाङ्ग मे पातु ।
पुष्पपल्लवसंयुता शाकम्भरी प्रष्ठांग मे पातु ।
धनुर्वाणकरा दुर्गा वामांग मे पातु ।
शिरःपात्रकराभीमा मस्तकादि चरणान्तं मे पातु ।
चित्रकान्तिभूत भ्रामरी पादादि मस्तकान्तम् मे पातु ।
९. ब्रह्मादिन्यास
**इस न्यास को करने से साधक के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं**
ॐ सनातनः ब्रह्मा पाददीनाभिपर्यन्त मा पातु ।
ॐ जनार्दनः नाभिर्विशुद्धिपर्यन्तं मा पातु ।
ॐ रुद्रस्त्रिलोचनः विशुद्धेर्ब्रह्मरन्ध्रांतं मा पातु ।
ॐ हंसः पदद्वयं मा पातु ।
ॐ वैनतेयः करद्वयं मा पातु ।
ॐ वृषभः चक्षुषी मा पातु ।
ॐ गजाननः सर्वाङ्गानि मा पातु ।
ॐ आनंदमयो हरिः परापरौ देहभागौ मा पातु ।
१०. महालक्ष्मयादिन्यास :
**इस न्यास को करने से धन-धान्य के साथ-साथ सद्गति की प्राप्ति होती है **
ॐ अष्टादशभुजान्विता महालक्ष्मी मध्यं मे पातु ।
ॐ अष्टभुजोर्विता सरस्वती उर्ध्वे मे पातु ।
ॐ दशभुजसमन्विता महाकाली अधः मे पातु ।
ॐ सिंहो हस्त द्वयं मे पातु ।
ॐ परंहंसो अक्षियुग्मं मे पातु ।
ॐ दिव्यं महिषमारूढो यमः पादयुग्मं मे पातु ।
ॐ चण्डिकायुक्तो महेशः सर्वाङ्गानी मे पातु ।
११. बीजमन्त्रन्यास :
ॐ ऐं हृदयाय नमः । (दाहिने हाथ की पाँचों उँगलियों से ह्रदय का स्पर्श )
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा ।(शिर का स्पर्श )
ॐ क्लीं शिखायै वषट् । (शिखा का स्पर्श)
ॐ चामुण्डायै कवचाय हुम् । ( दाहिने हाथ की अँगुलियों से बाएं कंधे एवं बाएं हाथ की अँगुलियों से दायें कंधे का स्पर्श)
ॐ विच्चे नेत्रत्रयाय वौषट् । ( दाहिने हाथ की उँगलियों के अग्रभाग से दोनों नेत्रों और मस्तक में भौंहों के मध्यभाग का स्पर्श)
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे अस्त्राय फट । ( यह मन्त्र पढ़कर दाहिने हाथ को सिर के ऊपर से बायीं ओर से पीछे ले जाकर दाहिनी ओर से आगे लाकर तर्जनी और मध्यमा अँगुलियों से बाएं हाथ की हथेली पर ताली बजाएं।
१२. विलोमबीजन्यास :
**इस न्यास को समस्त दुःखहर्ता के नाम से भी जाना जाता है**
ॐ च्चें नमः गुह्ये ।
ॐ विं नमः मुखे ।
ॐ यैं नमः वामनासापुटे ।
ॐ डां नमः दक्षिणनासापुटे ।
ॐ मुं नमः वामकर्णे ।
ॐ चां नमः दक्षिणकर्णे ।
ॐ क्लीं नमः वामनेत्रे ।
ॐ ह्रीं नमः दक्षिणनेत्रे ।
ॐ ऐं नमः शिखायाम् ।
१३. मन्त्रव्याप्तिन्यास:
**इस न्यास को करने से देवत्व की प्राप्ति होती है**
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मस्तकाचरणान्तं पूर्वाङ्गे (आठ बार ) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे पादाच्छिरोंतम दक्षिणाङ्गे (आठ बार) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे पृष्ठे (आठ बार) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे वामांगे (आठ बार) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मस्तकाच्चरणात्नं (आठ बार) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे चरणात्मस्तकावधि (आठ बार) ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।
इसके पश्चात मूल मन्त्र के १०८/१००८ अथवा अधिक अपनी सुविधानुसार जप संपन्न करें।
*****"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे"*****
।। अथ नवार्ण-मन्त्र जप विधानम् ।। “मन्त्र-महोदधि” व “श्रीदुर्गाकल्पतरु” में मन्त्र का उद्धार इस प्रकार है – ‘अथ नवाक्षरं मन्त्रं वक्ष्ये चण्डी-प्रवृत्तये । वाङ्-माया मदनो दीर्घा लक्ष्मीस्तन्द्री श्रुतीन्दु-युक्। डायै सदृग्-जलं कूर्म-द्वयं झिण्टीश-संयुतं – “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” ।’ “मन्त्र-महार्णव” में उद्धार में प्रणव का उल्लेख नहीं है, किन्तु स्पष्ट मन्त्र को “ॐ” सहित दिया गया है, जिससे वह नवाक्षर न होकर दशाक्षर हो जाता है । तन्त्र क्रिया व कामना भेद से नवार्ण मन्त्र १२-१३ तरह के होते हैं । सप्तशती में जो मूल मन्त्र है वह नवाक्षर है (ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) । “ॐ” लगाने से यह दशाक्षरी हो जाता है। किन्हीं-किन्हीं आचार्यों का मत है कि किसी मन्त्र में प्रारम्भ में प्रणव (ॐ) या नमः लगाने से मन्त्र में नपुंसक प्रभाव आ जाता है, बीजाक्षर प्रधान है । तांत्रिक प्रणव “ह्रीं” है । अतः माला के जप में प्रारम्भ में “ॐ” लगावे तथा जब माला पूरी हो जाये तो माला के अंत में “ॐ” लगाये, यही मंत्र जाग्रति है । दक्षिण भारत में कहीं-कहीं ॐ सहित दशाक्षर मन्त्र महाकाली हेतु दस पाद, दस हस्तादि संबोधन मानकर जप करते हैं । नवार्ण मंत्र षडाम्नाय युक्त है, षडाम्नाय मंत्र होने से सभी चतुर्विध कार्यों में ग्राह्य है । अगर मंत्र सिद्ध नहीं हो रहा हैं, तो “ऐं”, “ह्रीं”, “क्लीं” तथा “चामुण्डायै विच्चे” के पृथक्-पृथक् सवा लाख जप करें फिर नवार्ण का पुरश्चरण करें । विनियोगः- ॐ अस्य श्रीनवार्ण मंत्रस्य ब्रह्म-विष्णु-रुद्रा ऋषयः, गायत्र्युष्णिगनुष्टुप् छन्दांसि, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वतयो देवताः, रक्त-दन्तिका-दुर्गा भ्रामर्यो बीजानि, नन्दा शाकम्भरी भीमाः शक्त्यः, अग्नि-वायुसूर्यास्तत्त्वानि, ऋग्-यजुः-सामानि स्वरुपाणि, ऐं बीजं, ह्रीं शक्तिः, क्लीं कीलकं, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती स्वरुपा त्रिगुणात्मिका श्री महादुर्गा देव्या प्रीत्यर्थे (यदि श्रीदुर्गा का पाठ कर रहे हो तो आगे लिखा हुआ भी उच्चारित करें) श्री दुर्गासप्तशती पाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः । ऋष्यादि-न्यासः- ब्रह्म-विष्णु-रुद्रा ऋषिभ्यो नमः शिरसि, गायत्र्युष्णिगनुष्टुप् छन्देभ्यो नमः मुखे, श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वतयो देवताभ्यो नमः हृदिः, ऐं बीज सहिताया रक्त-दन्तिका-दुर्गायै भ्रामरी देवताभ्यो नमः लिङ्गे (मनसा), ह्रीं शक्ति सहितायै नन्दा-शाकम्भरी-भीमा देवताभ्यो नमः नाभौ, क्लीं कीलक सहितायै अग्नि-वायु-सूर्य तत्त्वेभ्यो नमः गुह्ये, ऋग्-यजुः-साम स्वरुपिणी श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती देवताभ्यो नमः पादौ, श्री महादुर्गा प्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे । “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” – नवार्ण मन्त्र पढ़कर शुद्धि करें । षडङ्ग-न्यास – कर-न्यास – अंग-न्यास – ॐ ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः शिरसे स्वाहा ॐ क्लीं मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट् ॐ चामुण्डायै अनामिकाभ्यां हुम् कवचाय हुम् ॐ विच्चे” कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् नेत्र-त्रयाय वौषट् ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतल-कर-पृष्ठाभ्यां फट् अस्त्राय फट् अक्षर-न्यासः- ॐ ऐं नमः शिखायां, ॐ ह्रीं नमः दक्षिण-नेत्रे, ॐ क्लीं नमः वाम-नेत्रे, ॐ चां नमः दक्षिण-कर्णे, ॐ मुं नमः वाम-कर्णे, ॐ डां नमः दक्षिण-नासा-पुटे, ॐ यैं नमः वाम-नासा-पुटे, ॐ विं नमः मुखे, ॐ च्चें नमः गुह्ये । व्यापक-न्यासः- मूल मंत्र से चार बार सम्मुख दो-दो बार दोनों कुक्षि की ओर कुल आठ बार (दोनों हाथों से सिर से पैर तक) न्यास करें । दिङ्ग-न्यासः- ॐ ऐं प्राच्यै नमः, ॐ ऐं आग्नेय्यै नमः, ॐ ह्रीं दक्षिणायै नमः, ॐ ह्रीं नैर्ऋत्यै नमः, ॐ क्लीं प्रतीच्यै नमः, ॐ क्लीं वायव्यै नमः, ॐ चामुण्डायै उदीच्यै नमः, ॐ चामुण्डायै ऐशान्यै नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊर्ध्वायै नमः, ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे भूम्यै नमः । ।। ध्यानम् ।। ॐ खड्गं चक्रगदेषुचाप परिधाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः, शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम् । नीलाश्मद्युतिमास्य पाददशकां सेवे महाकालिकाम्, यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम् ।। १।। ॐ अक्षस्रक्परशुं गदेषुकुलिशं पद्मं धनुष्कुण्डिकां, दण्डं शक्तिमसिं च चर्म जलजं घण्टां सुराभाजनम् । शूलं पाशसुदर्शने च दधतीं हस्तैः प्रसन्नाननां सेवे सैरिभमर्दिनीमिह महालक्ष्मीं सरोजस्थिताम् ।। २।। घण्टाशूलहलानि शङ्खमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दशतीं घनान्तविलसच्छितांशुतुल्य प्रभाम् ।। गौरीदेहसमुद्भुवां त्रिजगतामाधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम् ।। ३।। ।। माला-पूजन ।। माला के गन्धाक्षत करें तथा “ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः” इस मंत्र से पूजा करके प्रार्थना करें – ॐ मां माले महामाये सर्वशक्ति स्वरुपिणि । चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तः तस्मान्मे सिद्धिदाभव ।। ॐ अविघ्नं कुरुमाले त्वं गृह्णामि दक्षिणे करे । जपकाले च सिद्धयर्थं प्रसीद मम सिद्धये ।। ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्व मंत्रार्थ साधिनि साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा । इसके बाद “ऐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” इस मंत्र का १०८ बार जप करें । ।। पाठ-समर्पण ।। ॐ गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री त्वं, गृहाणास्मत्-कृतं जपम् । सिद्धिर्मे भवतु देवि ! त्वत्-प्रसादान्महेश्वरि ! ।। उक्त श्लोक पढ़कर देवी के वाम हस्त में जप निवेदन करें ।
दुरूपयोग और गोपनीयता की दृष्टि से विधि अधूरी प्रकाशित की गई है
OUR ANUSHTHAN SEIVICES
1→ Vashikaran Anushthan for Love Marriage
2→ Vashikaran Anushthan for Love Back
3→ Vashikaran Anushthan for Lost Love Back Again
4→ Vashikaran Anushthan for Control Boy friend/Girl Friend
5→ Vashikaran Anushthan for Control Husband
6→ Vashikaran Anushthan for Control Same Sex/ Gay
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OUR SERVICES :-
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Vashikaran anushthan for love marriage vashikaran is a science of attraction and vashikaran anushthan is basically a religious process of 1 day or more than 1 day which is performed by experts to control the mind and activity of the desired person. This anushthan has the facility to regulate any individual, living any where in the world. If you want to do love marriage but your family members are against your decision. Than use our service vashikaran anushthan for love marriage. This service will help to agree your family members at your decision and you can easily do love marriage with your loving partner. Vashikaran anushthan for love marriage is very powerful and provide you good results.
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Vashikaran anushthan for love back basically use to get your love back into your life. If you are married couple and your partner leave you alone due to any reason than what will you do. You can use our vashikaran anushthan for love back service so that you can find your love and get back him/her into your life. Vashikaran anushthan basically a kind of puja which is perform under the supervision of our experts. So they will remove all the hurdles from your life and make your life happy and tension free.
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As the name of this service vashikaran anushthan for lost love back again, it will help our client to find their love. If you are in relationship with your partner and live happy with them, but suddenly your partner go away from you due to any reason, it will cause unbearable pain in your life. If you do truly love to your partner and can not be live without him/her and wants to bring him/her back into life. Than you can use our service vashikaran anushthan for lost love back again. This service is definitely helping you and your boyfriend or girlfriend has come back again into your life.
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ऑनलाइन वशीकरण अनुष्ठान
सभी को किसी न किसी को वश में करना होता है। कर्मचारी चाहता है कि उसका बॉस उसके वश में हो, और जब चाहें उसे छुट्टी मिल जाए….. पत्नी सोचती है पति वश में रहें, यही सोच पति की भी होती है….. कोई सोचता है/ सोचती है कि मेरे सभी दोस्त मेरे वश में हो, और जो मैं बोलूं सभी वैसा ही करें…… लड़कों को लड़कियों को वश में करना होता है और लड़कियों को लड़के अपने वश में चाहिए….. व्यापारी चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक मेरे वश में हो, और उसके ग्राहक पड़ोसियों के पास न जाएं….. प्रेम विवाह करने वाले सोचते है कि उनके घर वाले उनके वश में हो, और उनकी शादी में कोई रुकावट न डाले….. माता-पिता सोचते हैं कि उनकी संतान उनके कहने से बाहर न हो, और उनके बताए गये अच्छे रास्तों को छोड़कर गलत रास्ते पर न जाएं। सामान्यतः ऐसी ही सोच सभी की होती है।
वशीकरण क्या है…..?
यही कि जो आप चाहें…..वह ही हो जाए।
वशीकरण का मतलब होता है किसी को अपने अनुकूल कर लेना। अगर प्रेमी या प्रेमिका मन बदल गया हो, या विवाह करने को राजी न हो रहे हो।
या कोई अधिकारी आपके विरोध में कार्य कर रहा हो।
या परिवार में कोई सदस्य गलत रास्ते पर जा रहा हो, तो ऑनलाइन वशीकरण अनुष्ठान के प्रयोग से उसका मन बदला जा सकता है।
सामन्यतः यह देखा जाता है कि पति पत्नी, सगे सम्बन्धियों, अभिन्न मित्रों में किसी न किसी बात पर मत्तभेद हो ही जाते हैं, सम्बन्धों के टूटने की नौब्बत भी आ जाती है, या बहुत ही गहरे सम्बन्ध टूट जाते है।
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ऑनलाइन वशीकरण अनुष्ठान को घर बैठे आपके द्वारा जानकारी बताकर करवाने और इस अनुष्ठान की दक्षिणा के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हमारे मोबाइल नम्बर 9953255600 (For India) और +919953255600 (For Outside India) पर कॉल करें या व्हाट्सएप्प पर इसी नम्बर पर मेसेज करें।
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