Tuesday, April 25, 2017

BIRTHDAY SPECIAL PUJA PATH VIDHI जन्म दिन मनाने की विधि

BIRTHDAY SPECIAL PUJA PATH VIDHI जन्म दिन मनाने की विधि



भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ । 
'हैप्पी बर्थ-डे' भूल ही जाओ,जन्मदिवस बधाई कहो-कहलवाओ ।।


सुबह ब्राह्ममुहूर्त में जागो, मात-पिता-प्रभु पाँवों लागो ।
सभी बडों के चरण छूना, केक का नाम भूल ही जाना ।।

अपने सोये मन को जगाओ, अपना जीवन उन्नत बनाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ । 

जन्मदिवस को दीये जलाना, नहीं चाहिए ज्योति बुझाना ।
दीपज्योति से जीवन जगमगाना, ना इसको तम में ले जाना ।।

वेदों की ये शिक्षा पा लो, ज्ञान-सुधा से मन महकाओ । 
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ । 

आज तुम अन्न-प्रसाद बाँटना, दीन-गरीबों में दान भी देना । 
गये साल का हिसाब लगाना, नये साल की उमंगें जगाना ।।

प्रभु कहते सदा खुश रहो, यही आशीष है प्रभु-सुख पाओ । 
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ । 

हर जातक को चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , छोटा हो या बड़ा अपना जन्मदिवस बहुत ही प्रिय होता है । सभी लोगो को अच्छा लगता है कि लोग उनके जन्मदिन के दिन उन्हें शुभकामनाएँ दें, उन्हें सराहे, परिवार के सदस्य , अभिन्न मित्र उस दिन साथ में समय बिताएं , उनके बारे में अच्छी अच्छी बाते करें। इसीलिए अधिकतर सभी लोग अपना जन्मदिवस बहुत प्रसन्नता से मानते है, लेकिन क्या हमें मालूम है कि इस महत्वपूर्ण दिन में हम क्या करें जिससे ईश्वर की कृपा मिले, जिससे जीवन में सुख-शान्ति, आरोग्य, दीर्घायु, सम्पन्नता, यश और सफलता की प्राप्ति हो । 

वर्तमान युग में अधिकतर लोग पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होकर अपना जन्म दिन रात में धूम धड़ाका करके मानते है । लोग रात्रि में पहले केक पर मोमबत्ती जलाकर उसे फूंक मार कर बुझा देते है, फिर उस केक को जिस पर उनका नाम लिखा होता है उसे काटकर सब लोगो को खिलाते है , उस रात्रि में लोग मौज-मस्ती करके माँस मदिरा का सेवन करते है जो कि सर्वथा गलत है । 

इस संसार में प्रत्येक जातक का जन्म किसी ना किसी उद्देश्य से ही हुआ है , ईश्वर ने हम सभी पर बहुत बड़ी कृपा की है कि हमें 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि में जन्म दिया है। 
हमें इस बात का अवश्य ही ध्यान देना चाहिए की ईश्वर ने हमें जितनी आयु दे रखी है , उसकी अवधि शने: शने: समाप्त हो रही है, इसलिए इस दिन हम ईश्वर से अपनी सभी पिछली जाने अनजाने में की गयी गलतियों के लिए क्षमा माँगते हुए उन्हें अब तक के जीवन के लिए धन्यवाद दें । उनसे प्रार्थना करें कि हमारा आने वाला जीवन और भी अधिक सार्थक और उद्देश्य पूर्ण साबित हो । 

 हम जन्मदिन दिनांक के आधार पर मानते है लेकिन हमें अपना जन्मदिन तिथि के अनुसार मनाना चाहिए । तिथि नुसार जन्मदिन मनाने से हमें देवताओं का आशीर्वाद मिलता है । हम जिस दिन पैदा हुए थे उस दिन की तिथि, वार, नक्षत्र का स्मरण करते हुए वर्तमान तिथि , वार, नक्षत्र से अपने सफल जीवन के लिए प्रार्थना करें। इससे हमें परम पिता परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इसलिए हमें जन्म दिन तिथि के अनुसार ही मनाना चाहिए । 

हमें यदि अपना जन्म दिन याद है तो किसी भी पंडित से मिलकर पंचाग के माध्यम से बहुत आसानी से हम अपनी जन्मतिथि और माह को ज्ञात कर सकते है । 

लोग जन्मदिवस कहते है और इसे रात्रि में मनाते है ऐसा क्यों ? हमें जन्म दिवस मनाना है या जन्म रात्रि ?जन्मदिन को देर रात्रि में नहीं मनाना चाहिए यह जातक के लिए शुभ नहीं होता है। रात्रि का सम्बन्ध अंधेरे से है और दिन का रोशनी से तो आखिर क्यों हम अपना जन्म दिन को रात्रि में मनाकर अपने जीवन में खुद ही अंधेरा करते है, इसलिए जन्मदिन दिन के समय में ही मनाना उचित है । 

जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का गौरव बढायेंगे ।

जन्म दिन मनाने की भारतीय विधि


अपना जन्म दिन दिनांक के आधार पर न मनाकर भारतीय वैदिक तिथि के अनुसार मनाना श्रेष्ठ माना गया है
यदि हम भगवान् का जन्मदिन जैसे – रामनवमी, जन्माष्टमी आदि तिथि के अनुसार मना सकते है तो अपना जन्मदिन तिथि के अनुसार क्यों नहीं ?

हमारे सब संस्कार, उत्सव, शुभ कार्य दीप प्रज्ज्वलित कर आरंभ होते हैं। जलते दीप को बुझाना तो अति अशुभ कार्य हैं। बच्चे हमारे कुलदीप हैं, उनके यशकीर्ति तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना दीपक जला कर करनी चाहिए, मोमबत्तियाँ  बुझाकर तो कभी नहीं। आयु और श्री वृद्घि के लिए प्रति वर्ष जन्म दिन (वर्धापन) मनाने की विधि शास्त्रों में बताई गई है। इस तरह के संस्कारों की जानकारी के अभाव में युवा पीढ़ी पश्चिमी अधकचरे आचरण अपनाए तो दोष किसका?

जन्मदिन के दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए। सुबह 4 से 6 के बीच ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय में जागने से आयु में वृद्धि होती है। मन में गणेश जी का ध्यान करें व आंखे खोलें। सबसे पहले अपनी दोनो हथेलियों का दर्शन करें। मन ही मन अपने इष्टदेव तथा गुरु को प्रणाम करे पुनः माता-पिता ( मातृदेवो भव। पितृदेवो भव ) का चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। नए दिन अच्छे से गुजरे। ये प्रार्थना अपने ईष्ट से करें। धरती माता को प्रणाम करें। तिल के उबटन से नहाएं। नहाकर के साफ व स्वच्छ वस्त्र पहनें।

अपने जन्मदिन के शुभावसर पर भगवान के चरणों में दीपक अवश्य जलाना चाहिएं तथा ईश्वर की आराधन पूजा और उनके चरणों में फल फूल, मिठाई, वस्त्र, दक्षिणा अर्पण कर सुख शांति और कष्टों से मुक्ति के लिए आशीर्वाद लेना चाहिए।
जन्मदिन के दिन तिल के तेल का मालिश करके जल में तिल एवं गंगाजल डालकर  — ॐ गंगे च यमुने सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन् जले सन्निधिं कुरु।  इस मन्त्र को बोलकर स्नान करना चाहिए। स्नान केवल ठन्डे पानी से करना चाहिए।
जातक के जितने वर्ष पूर्ण हुए हैं उतने दीप रात्रि में जलाकर घर में सब जगह रखनी चाहिए इससे जातक में बल बुद्धि तथा तेज तत्त्व की वृद्धि होती है।

ईश्वर की पूजन करें। प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश का गंध,पुष्प,अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें।  लड्डु और दूर्वा समर्पित करें।

पूर्णिमा को चंद्रमा २७ नक्षत्रों में से जिस नक्षत्र के आसपास आता है उस नक्षत्र के नाम से उस महीने को संबोधित किया जाता है - पहला चित्रा से चैत्र, फिर विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा,श्रवण, पूर्वाभाद्रपदा, अश्विनी, कृत्तिका, मृर्गशिरा, पुष्य, मघा और अंत में उत्तरा फाल्गुनी से फागुन। सूर्य से प्रकाशित होने के कारण और प्रतिदिन पृथ्वी से दूरी घटनेबढ़ने के कारण चंद्रमा पृथ्वी के हर प्राणी को, जिनमें मनुष्य प्रमुख है, प्रभावित करता है। चंद्रमा मन का द्योतक है। साथ ही, चंद्र नक्षत्रों का भी मनुष्य जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए सही चंद्र कला और चंद्र नक्षत्र के समय उदयतिथि के हिसाब से जन्मदिन मनाना ही शुभ तथा कल्याणकारी हो सकता है, जिसकी शास्त्रोक्त विधि ‘वर्धापन’ कहलाती है।

वर्धापन (संक्षिप्त) विधिः उस दिन, प्रथम उबटन आदि से जातक को स्नान कराएँ। इस अवसर पर नए वस्त्र धारण करें तो पुराने वस्त्र किसी जरूरतमंद को दे देने चाहिए। पूर्व दिशा की  ओर मुँह करके जातक आसन पर या अपने मातापिता के साथ (या एक की गोद) में बैठ कर, जल से भरे एक कलश को चंदन-रोली से स्वस्तिक अंकित कर रंगोली से चित्रित जगह पर स्थापित करें। इस पर एक कटोरी (शिकोरे) में गेहूँ या चावल रखकर उस पर शुद्घ गोघृत का दीपक जलाएँ। उपस्थित लोगों के मस्तक पर कुंकुम से तिलक लगाएँ। पंडित न हो तो परिवार का एक सदस्य ही निम्नानुसार इस कलश का पूजन करा सकता है।

हाथ में जल, चावल, पुष्प, चंदन, द्रव्य (सिक्का) लेकर संकल्प करें। स्थान, तिथि, गोत्र, नाम (जातक का नाम) का उल्लेख कर के कहें –

‘अस्य जातकस्य आयुरारोग्याभिवृद्घेये विष्णु प्रीतये वर्धापन कर्म करिष्ये, तदंगत्वेन च गणेशादि पूजनमहं करिष्ये’।

 कलश पर गणेश, गौरी और अन्य देवों का निम्न मंत्रों से पूजन करें। पूजन में चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, धूपदीप, नैवेद्य, दक्षिणा चढ़ावे।

श्री गणेशाय नमः, श्री गणेश पूज्यामि। श्री गौर्य नमः, श्री गौरी पूज्यामि। ... इसी प्रकार वरूणायवरूणं, जन्म नक्षत्राधिपायजन्म नक्षत्राधिपं, पित्रेपितरं, प्रजापत्यैप्रजापति,भानवेभानु, ... श्री मार्कण्डेयाय नमः, मार्कण्डेयाय पूज्यामि।

विद्वान पंडित के परामर्श से इस विधि में सामर्थ्य अनुसार विस्तार या परिवर्तन किया जा सकता है।

इस दिन जन्मनक्षत्र का पूजन किया जाता है। जन्मदिन पर अष्टचिरंजीवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए। यह पूजन आयु में वृद्धि करता है।

अष्टचिरंजीवी
अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि ये आठ चिरंजीवी हैं जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। अष्टचिरंजीवी को प्रणाम करें। इनके लिए तिल से होम करें। कहा जाता है कि इनके नित्य स्मरण मात्र से व्यक्ति निरोगी तथा दीर्घजीवी हो जाता है।

अष्टचिरंजीवी मंत्र
ॐ मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी यथा त्वं भो भविष्यामि तथा मुने।।
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात् अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि को प्रणाम है। इन नामों के स्मरण रोज सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त दूर  होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।

ऊँ कुलदेवताभ्यौ नमः मंत्र से कुलदेवता का पूजन करें। अब जन्म नक्षत्र, भगवान गणेश, सूर्यदेव, अष्टचिरंजीवी, षष्ठी देवी की स्थापना चावल की ढेरियों पर करें। नाम मंत्र से पूजन करें। भगवान मार्कण्डेय से दीर्घायु की प्रार्थना करें। तिल और गुड़ के लड्डु तथा दूध अर्पित करें। षष्ठी देवी को दही भात का नैवेद्य अर्पित करें।

जन्मदिवस के शुभ अवसर पर शिव की आराधना करनी चाहिए साथ ही आयु वृद्धि करने वाला

मन्त्र  महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
‘ॐ त्रयंबकं यजामहे, सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥’

इस मंत्र का जाप जातक के पूर्ण हुए वर्षों की संख्या के बराबर अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में  आने वाली कठिनाइयाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाएगी। यही नहीं यदि किसी अशुभ ग्रह से आप पीड़ित है तो उसमे भी आपको लाभ मिलेगा।

अंत में यह “मंत्र, 

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं महामुने। यदर्चितं मया देवाः परिपूर्ण तदस्तु मे॥' 

पढ़कर प्रार्थना करें कि हे प्रजापति  इस जातक को चिरायु (जीवेम् शरद: शतं),आरोग्य, ऐश्वर्य, यश और आनंदमय जीवन प्रदान करें। तत्पश्चात, जातक का रोली से तिलक करें, उसकी अंजलि में मिठाई, फल, आदि रख कर उसे गौदुग्ध में काले तिल और गुड़ डालकर पिलाएँ - सतिलं गुड़ सम्मिश्रं अंजल्यर्धमितं पयः। केक की जगह भी कोई अन्य पौष्टिक व्यंजन बनाया जा सकता हैं, पर केक ही मँगानी हो तो विश्वसनीय शाकाहारी स्थान से केक मँगाने का आग्रह रखना चाहिए।

पूजन के बाद माता-पिता को प्रणाम करें। सभी आदरणीय लोगों को और अपने गुरुजनों को प्रणाम करें। उनसे आर्शीवाद लें। माता-पिता बच्चों को उपहार में सिक्का व रूपया दें।
ब्राह्मण भोजन करवाएं। इस दिन जन्मपत्रिका में एक मोली यानी कि लाल रंग का धागा बांधे। और हर साल एक-एक गांठ बांधते जाएं।

अब स्वयं तिल-गुड़ के लड्डु तथा दूध का सेवन करें।

समारोह को गरिमामय बनाने के लिए सुंदर काण्ड, भगवती जागरण, सत्यनारायण कथा आदि  का आयोजन करना श्रेयस्कर रहेगा। जातक के जितने वर्ष पूर्ण हुए हैं उतने दीप रात्रि में जलाकर घर में सब जगह रखे। इति।

जन्मदिन पर क्या नहीं करना चाहिए |  Should not do on Birthday

जन्मदिन के शुभावसर पर तामसिक भोजन, मदिरा सेवन तथा अनैतिक क्रिया-कलाप करने से परहेज करना चाहिए। जन्मदिन पर नाखून एवं बाल काटना नहीं काटना चाहिए। वाहन चलाना या वाहन से यात्रा नहीं करना चाहिए। घर में कलह अथवा किसी से लड़ाई-झगड़े बचने की हर संभव कोशिश करनी चहिए। मॉस मदिरा के सेवन नहीं करे।

मोमबत्ती जलाकर जन्मदिन मनाने से बचें क्योकि केक के ऊपर मोमबत्ती जलाकर बुझाना अशुभ है परन्तु आजकल इसका ही प्रचलन हो गया है फिर भी आप परिहार स्वरूप  मोमबत्ती जलाए परन्तु मुंह से बुझाए नहीं बल्कि सभी प्रज्ज्वलित मोमबत्तियों को अपने घर के प्रत्येक स्थान पर रख दे इससे आपके और आपके घर के अंदर नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिल जायेगा।

जन्मदिन पर क्या करना चाहिए ? What should do on Birthday

जन्मदिवस के दिन बच्चा ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है । जरा सोचिये, हम कैसी उलटी गंगा बहा रहे हैं ! जहाँ दीये जलने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं ! जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से खा-खिला रहे हैं ! हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि इन मासूमों को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें । यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं । पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला । थोडे-से चावल हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें । फिर उनसे स्वस्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो ४, उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा ५वें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप में एक बडा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें । फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बडा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाववाले व्यक्ति से जलवायें । इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें । फिर आरती व प्रार्थना करें । अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें - * पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें । * लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।

अपने जन्मदिन के अवसर पर कोई ऐसा काम करने की कोशिश करे जिससे आपको आजीवन प्रेरणा मिलते रहे आप आंवला, पीपल,बरगद इत्यादि  का पेड़ लगा सकते है पेड़ की वृद्धि आपको प्रेरित करते रहेगा।
जन्म कुंडली में जो कोई भी अरिष्ट ग्रह हो अथवा उनकी दशा चल रही हो तो उस दिन विशेष पूजा दान एवं होम द्वारा शांति करवानी चाहिए। यदि आप या आपका बच्चा शारीरिक कष्ट से गुजर रहा है तो अरिष्ट ग्रह का तुला दान कराने से शीघ्र ही रोग से मुक्ति मिलती है।

यदि आपकी साढ़े साती चल रही है या शनि की ढैया चल रही हो तो अपने जन्मदिन के दिन अवश्य ही छायापात्र का दान करना चाहिए तथा संभव हो तो अंध विद्यालय, गोशाला, अस्प्ताल  कुष्ठाश्रम इत्यादि में जाकर अन्न वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक लाभ, आयु, विद्या, यश एवं बल की वृद्धि होगी।

 वर्तमान समय में हम केक पर मोमबत्ती बुझा कर, अपना नाम काट कर अपने लिए जीवन की राह में अंधेरा कर लेते है, खुद ही संकटो को बुलावा देते है, जबकि हमें जीवन में हर्ष और प्रसन्नता चाहिए ना की अँधेरा । इसीलिए जन्मदिवस के दिन हमे भगवान के सम्मुख दीपक अवश्य जलाना चाहिएं। जिससे हमारा आने वाला समय हमारे जीवन में सुख-शान्ति, समृद्धि, सफलता और आरोग्य की रोशनी ले कर आए।

जन्मदिवस में यदि रात्रि को आयोजन करना है तो अवश्य ही करें , लेकिन ध्यान दे कि दिन के प्रकाश में शुभ शक्तियाँ होती है अत: दिन में जो आयोजन होता है उसमें तामसी पदार्थो, माँस , मदिरा आदि का प्रयोग बहुत ही कम होता है लेकिन रात्रि अर्थात अंधकार में असुरी शक्तियाँ विचरण करने लगती है अत: रात्रि के आयोजन में सामान्यता: माँस, मदिरा, आदि का उपयोग अधिक होता है। तब आप ही निर्णय करें कि अपने जन्मदिवस में आप अपनी लम्बी , सफल और समृद्धि से भरी जिंदगी की कामना करते हुए कुछ निर्दोष पशु पक्षियों की जीवन की लौ बुझा देंगे ।

जन्मदिवस में यदि केक काटना है तो काटे लेकिन केक के ऊपर मोमबत्ती को जलाकर क्यों बुझाना है । हिन्दु संस्कृति में ज्योति को मुख से फूँक कर बुझाना बहुत अशुभ माना जाता है। दीपक का बुझना अपशकुन माना जाता है ,शास्त्रो के अनुसार ज्योति प्रकाश का स्वरूप है और उसे बुझा कर हम क्यों जीवन में अन्धकार को आमंत्रण ही देते है । इसलिए केक के ऊपर मोमबत्ती कदापि ना लगाएं ।

 हर व्यक्ति चाहता है कि उसको यश मिले, उसका नाम सब जगह जाना जाय, लोग उसका नाम आदर के साथ लें , और करते हम सब उल्टा ही है । हम केक के ऊपर अपना ( जिसका जन्मदिवस होता है उसका नाम ) लिखवाकर खुद ही उसे चाकू से काटते है फिर उस नाम के टुकड़े टुकड़े करके लोगो में खाने को बाँट देते है , यह हिन्दु धर्म के अनुसार बहुत ही अशुभ माना जाता है अत: पहली बात तो यह है कि केक की जगह कोई अच्छी सी मिठाई / लड्डू आदि हर्ष और प्रसन्नता के लिए बाँटे और यदि केक ही काटना हो तो उस पर अपना नाम लिखवाकर तो उसे कदापि ना काटे और ना ही नाम को खाएं । केक पर नाम इसलिए भी ना लिखवाएं क्योंकि वहाँ पर उपस्थित सभी लोगो को इतना तो पता ही होता है कि जन्मदिवस किसका है ।

 जन्मदिवस पर कोई भी आयोजन दिन में ही करें , केक काटना है तो काटे लेकिन उस पर अपना नाम ना लिखे और मोमबत्तियाँ ना बुझाएं , फिर अगर आपको रात में लोगो को पार्टी देनी है तो रात में पार्टी में दिन के समय काटा गया केक लोगो के मध्य बाँट दें ।

 जन्मदिवस पर आप अनाथ, गरीब और असहायों की अवश्य ही मदद करें, उन्हें फल, खिलौने, कपड़े आदि दें उन्हें मीठा कुछ अच्छा खिलाएं / दान में दे, इससे आपको उनकी दिल से निकली हुई दुआएं मिलती है । याद रखिये हमारे अच्छे कर्मो के कारण मिलने वाली दुआएं आशीर्वाद हमारे लिए एक रक्षा कवच का कार्य करती है । इनसे घोर से घोर कष्ट, संकट भी कट जाते है ।

तो अब जब भी आपका आपके परिवार के सदस्य या किसी परिचित का जन्मदिवस हो तो यहाँ पर बताई गई बातो पर अवश्य ध्यान दें इससे ना केवल आप को पूर्ण आत्म शांति ही मिलेगी वरन आप हर वर्ष नयी ऊँचाइयों को भी छूते रहेंगे ।

क्यों अशुभ है अंग्रेजी तारीख पर जन्मदिन मनाना?
1
जन्मदिन
किसे का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। घर के बच्चे हमेशा इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के लिए रात को बारह बजे केक काटना है या भाई-बहन का जन्मदिन रात के बारह बजे ही सेलिब्रेट करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं अंग्रेजी तिथि अनुसार बर्थडे या एनिवर्सरी मनाना किसी के लिए भी शुभ नहीं है। इसके पीछे कुछ ऐसे कारण है, जिनका सीधा संबंध हमारे शास्त्रों से हैं।

2
मॉडर्न पीढ़ी
पश्चात्य संस्कृति की अत्याधिक लोकप्रियता होने के बाद लोग अपनी मूल संस्कृति को लगभग दरकिनार कर चुके हैं। लेकिन हम चाहे कितने ही मॉडर्न या आधुनिक क्यों ना हो जाएं शास्त्रों के महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

3
अंग्रेजी कैलेंडर
अंग्रेजियत के हावी होने की वजह से लोग उसी तिथि को अपना जन्मदिन समझ बैठते हैं जो कि अंग्रेजी कैलेंडर में मौजूद होती है। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह कतई सही नहीं है।

4
धार्मिक कार्य
आजकल के लोग इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते लेकिन धार्मिक कार्यों में जरूरी और निश्चित प्रक्रिया क्या होती है, उन्हें इस बात को दरकिनार नहीं करना चाहिए। हिन्दी कैलेंडर में दर्ज तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाने का अपना एक अलग और अलौकिक महत्व है।

5
जन्म लेने वाली तिथि
दरअसल जिस तिथि पर हम जन्म लेते हैं उस तिथि पर प्रवाहित होने वाली ऊर्जा तरंगें हमारे शरीर में मौजूद तरंगों से सर्वाधिक मेल खाती हैं। इसलिए उस दिन हमें अपने बड़े-बुजुर्गों या परिवार के सदस्यों के द्वारा जो भी आशीर्वाद मिलते हैं वह सर्वाधिक फलित होते हैं।

6
आसमान के नीचे स्नान
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन को सुबह वस्त्र पहनकर खुले आसमान के नीचे ही स्नान करना चाहिए। इतना ही नहीं, स्नान करते समय अपने भीतर कुछ ऐसे भाव रखने चाहिए जैसे कि शुद्ध या निर्मल जल आपकी देह को स्पर्श कर रहा है। आपको ऐसा अनुभव होना चाहिए जैसे आप गंगा के पवित्र पानी में स्नान कर रहे हैं।

7
शरीर की शुद्धि
ऐसे भाव रखने से आपकी देह के चारो ओर अलौकिक प्रभा मंडल बनता है जो आपके शरीर की शुद्धि करता है। स्नान के पश्चात आपको अपने से उम्र में बड़े व्यक्तियों को आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहिए। इससे आपके मन की अशुद्धियां नियंत्रित होती हैं।

8
श्रद्धा भाव
ज्येष्ठों का आदर करने के बाद आपको अपने गुरु को प्रणाम करना चाहिए और उसके बाद ईश्वर की आराधना पूरी श्रद्धा भाव के साथ संपन्न करनी चाहिए।

9
आरती उतारना
हमारे शास्त्रों और पौराणिक दस्तावेजों में जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसकी आरती उतारने का भी प्रावधान है। लेकिन आरती उतारने वाले और संबंधित व्यक्ति के भीतर और चेहरे पर उत्पन्न होने वाले भाव भी इसमें अपना अलग महत्व रखते हैं।

10
आशीर्वाद का भाव
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन की सुबह आरती उतारने से संबंधित व्यक्ति के शरीर पर मौजूद सूक्ष्म से सूक्ष्म अशुद्धियां भी दूर होती हैं। साथ ही दोनों के मन में ऐसे भाव होने चाहिए, जैसे ईश्वर प्रत्यक्ष रूप में उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।

11
सात्विक तरंगें
आरती उतारने की इस पूरी प्रक्रिया से दोनों व्यक्तियों के शरीर से सात्विक तरंगों का प्रक्षेपण होता है। ये तरंगें आसपास के वातावरण और वायुमंडल की अशुद्धियों को दूर करती हैं। जन्मदिन के अवसर पर पधारे अन्य जनों को भी इन तरंगों का लाभ मिलता है।

12
भेंट
जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसे भेंट अवश्य देनी चाहिए। यह आपका उनके लिए आशीर्वाद और प्रेम दर्शाता है। आपको कर्ताभाव से रहित होकर भेंट देनी चाहिए, यह आपके और भेंट लेने वाले, दोनों के लिए ही फायदेमंद है। भेंट स्वीकार करने वाले के भीतर भी किसी प्रकार का लालच नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत उस व्यक्ति को भेंट को कुछ इस तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे ईश्वर का प्रसाद हो।

13
नए कपड़े पहनने का महत्व
हालांकि हम सभी अपने जन्मदिन पर नए कपड़े पहनना पसंद करते हैं लेकिन इसका औचित्य भी केवल पसंद तक ही सीमित नहीं है। यह शास्त्रों के अनुसार जरूरी भी है। लेकिन जन्मदिन पर पहनने वाले नए वस्त्रों का दोबारा प्रयोग करने की बजाय उन्हें दान कर देना उत्तम माना गया है।

14
असहाय व्यक्ति की मदद
किसी जरूरतमंद और असहाय व्यक्ति को अपने वस्त्र दान करने से आपको मिलने वाले आशीर्वाद में अत्याधिक वृद्धि होती है। पहले के दौर में सात्विकता का अत्याधिक महत्व था, सात्विक लोगों द्वारा दान की गई वस्तु भी महत्व रखती थी।

15
पवित्रता
लेकिन भौतिकवाद से ग्रस्त आज के युग में मनुष्यों में सात्विकता का अभाव है। जन्मदिन के समय आप पवित्र होते हैं, किसी भी प्रकार की अशुद्धि से दूर होते हैं इसलिए उस दिन दान करना आपके लिए फलदायक है।

16
अशुभ क्रियाएं
जहां एक ओर हमारे शास्त्रों में अपने जन्मदिन पर क्या करना चाहिए, इससे जुड़ी बातें दर्ज हैं वहीं ये बात भी दर्ज है कि जन्मदिन पर क्या करना बिल्कुल भी शुभ नहीं है

17
निषेध
बाल काटना, किसी भी वाहन से यात्रा करना, क्लेश करना, किसी से झगड़ना, स्त्री या पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने जैसे कार्य कदापि नहीं करने चाहिए। साथ ही मांस-मदिरा के सेवन से भी बचना चाहिए।

18
दीपक बुझाना
हिन्दू पुराणों में दीपक की लौ की तुलना मनुष्य के शरीर में मौजूद ऊर्जा से की गई है। प्रज्वलित दीये का बुझना या स्वयं उसे बुझा देना, आकस्मिक मृत्यु या गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। इसलिए जन्मदिन के समय कभी भी दीपक को नहीं बुझाना चाहिए।

19
सूर्योदय के बाद ही दें बधाई
जैसा कि पहले ही वार्ता की गई है कि लोग रात के बारह बजे बर्थडे सेलिब्रेट करना पसंद करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम कणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।

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शुद्ध वातावरण
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस कला में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है।

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मोमबत्ती को जलाना
पश्चिमी संस्कृति के अनुसार जन्मदिन के अवसर पर केक पर मोमबत्ती लगाने और फिर बुझाने की प्रक्रिया को अपनाया गया है। जबकि हिन्दू संस्कृति में ना तो केक काटना शुभ है और ना ही मोमबत्ती को बुझाना अच्छा माना जाता है।

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ज्योति का बुझना
हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि मोमबत्ती तमो गुण वाली होती है, उसे जलाने से कष्ट प्रदान करने वाली नकारात्मक ऊर्जाएं पैदा होती हैं। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में ज्योति का बुझना सही नहीं माना गया वैसे ही मोमबत्ती को बुझाना भी नकारात्मकता का प्रतीक है। इसलिए कभी भी जानबूझकर मोमबत्ती को नहीं बुझाना चाहिए।

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धर्म के विरुद्ध
इसी तरह शुभ कार्य के लिए रखे गए केक को चाकू से काटना भी अच्छा नहीं कहा जा सकता। गलती तो खैर इंसान से होती ही है लेकिन जानबूझकर धर्म के विरुद्ध कार्य करना ना तो वर्तमान पीढ़ी के लिए सही है और ना ही भावी पीढ़ी के लिए।

जन्मदिन मनानेकी पद्धति

१. जन्मदिनपर अभ्यंगस्नान कर नए वस्त्र पहनें ।
२. माता-पिता तथा बडोंको नमस्कार करें ।
३. कुलदेवताकी मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका अभिषेक करें ।
४. कुलदेवताका कमसे कम तीन माला नामजप करें ।
५. जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें । (उसकी घीके दीपसे आरती उतारें ।)
६. आरतीके उपरांत कुलदेवता अथवा उपास्यदेवताका स्मरण कर जिसका जन्मदिन है उसके सिरपर तीन बार अक्षत डालें ।
७. जिसका जन्मदिन है उसे मिठाई अथवा कोई मीठा पदार्थ खिलाएं ।
८. जिसका जन्मदिन है उसकी मंगलकामनाके लिए प्रार्थना करें ।
९. उसे कुछ भेंटवस्तु दें; परंतु वह देते समय अपेक्षा अथवा कर्तापन न लें ।
१०. भेंटवस्तु स्वीकारते समय `यह ईश्वरसे मिला हुआ प्रसाद है’, ऐसा भाव रखें ।


विद्वान पंडित के परामर्श से इस विधि में सामर्थ्य अनुसार विस्तार या परिवर्तन किया जा सकता है।



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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )