सुंदरकांड का महत्त्व IMPORTANCE OF SUNDER KAND
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क्यों है सुंदरकांड का ये नाम
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी ! त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था।
दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे थे और तीसरे पर्वत का नाम था सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका बनाई गई थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी! इस काण्ड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाणड रखा गया।
क्यों होता है शुभ अवसरों पर सुंदर कांड का पाठ
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता हैं। शुभ कार्यों की शुरुआत सें पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। जबकि किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानीयां हों, कोई काम नहीं बन पा रहा हैं, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो तो सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं।
क्यों है विशेष सुंदरकांड का पाठ
माना जाता हैं कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती हैं।
जो लोग नियमित रूप से सुंदरकाण्ड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस कांड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की हैं।
इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता हैं।
क्या मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ
श्रीरामचरितमानस कें सुंदरकाणड की कथा सबसे अलग हैं। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती हैं। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय हैं जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड हैं। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला माना जाता हैं, सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।
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