सिर-दर्द-नाशक मन्त्र
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लङ्का में बैठ के माथ हिलावै हनुमन्त, सो देखि के राक्षस-गण पराय तुरन्त । बैठी सीता देवी अशोक वन में, देखि हनुमान को आनन्द भई मन में । गई उर विषाद, देवी स्थिर दरशाय । अमुक के नहिं कछु पीर, नहिं कछु भार । आदेश कामाख्या हरिदासी चण्डी की दुहाई ।।
विधि –
किसी भी मङ्गलवार को गुगल की धूप देकर १०८ बार जपे । फिर सिर पर हाथ रखकर ७ बार मन्त्र पढ़ने से सिर-दर्द नष्ट होगा ।
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