दन्त पीड़ा निवारक शाबर मन्त्र
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मन्त्र – (1) ओइम् नमो कीड़वे तू कुँडकुँडाजा, लाल पूंछ तेरा मुख काला।
मैं तोहिं पूछूँ कहां ते आया, तोड़ मांस सबको क्यों खाया।
अब तू जाय भस्म हो जाय, गुरु गोरखनाथ के लागूं पायं।
शब्द सांचाय पिण्ड काचा, फुरोमन्त्र ईश्वरोवाचा।
प्रयोग – उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए नीम की टहनी से रोगी को झड़ने पर दांत में लगे कीड़े मर जाते हैं एवं दन्त शूल का शमन हो जाता हैं।
मन्त्र – (2) (क) अग्नि बांधों अग्नीश्वर बांधौं, सौ लाल विकराल बांधौ।
सौ लोह लोहार बांधौं, बज्र के निहाय,
बज्र घन दांत बिहाय तो महादेव की आन।
(ख) आग बांधौं, अगिया बैताल बांधौं,
सौ काल विकराल बांधौं, सौ लोहा लोहार बांधौं।
वज्र अस होय बज्रघन, दांत पिसय तो महादेव की आन।
प्रयोग - उपर्युक्त दो में से किसी एक मन्त्र से, दायें हाथ की तर्जनी से रोगी को झाड़ना चाहिए। इस क्रिया से दांत का दर्द मिट जाता है।
मन्त्र – (3) काहे रिसियाये हम तो अकेला, तुम हो बतीस बार म जोला।
हम लावैं, तुम बैठे खाव, अन्तकाल में संगहि जाव।
प्रयोग - दांत दर्द से पीडि़त व्यक्ति जब भी मुंह धोये, या वैसे भी इस मन्त्र को पड़ते हुए कुल्ला करें तो दांत के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
मन्त्र- (4) ओइम् नमो आदेश गुरु को,
बन में व्याई अंजनी, जिन जाया हनुमन्त।
कीड़ा-मकोड़ा ये तीनों भस्मत।
गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति, फुरोमन्त्र ईश्वरोवाचा।
प्रयोग -
इस मन्त्र की साधना कुछ कठिन है, लेकिन इसका प्रभाव बड़ा अचूक है। दीपावली की रात्रि से इस मन्त्र का जप प्रारम्भ करना चाहिए। घर के किसी शुद्ध व एकांत स्थल पर शुद्ध गऊ के घी से दीपक जलाकर ऊतक मरे के एक लाख जप करें, ऐसा करने पर मन्त्र सिद्ध हो जाता है। सिद्ध हो जाने के पश्चात जब किसी को दन्त शूल की समस्या हो तो नीम की टहनी से इस सिद्ध मन्त्र पढ़ते हुए रोगी को झाड़ने से दन्त रोग का शमन होता है। इस मन्त्र को पढ़ते हुए रोगी के दांत में कष्टकारी भटकैया के बीजों की धूनी डालने से भी दन्त शूल का शमन हो जाता हे। इस धूनी के प्रभाव से दांत में लगा कीड़ा बाहर आ जाता है।
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