कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र
दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है
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ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन.
गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे.
राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर.
औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी.
जय गिरनार-पति. ॐ नमो स्वाहा.
विधि
सामग्रीः धूप या गुग्गुल, दीपक, घी, सिन्दूर, बेसन का लड्डू
दिनः- बुधवार, गुरुवार या शनिवार (निर्दिष्ट वारों में यदि ग्रहण, पर्व, पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ-सिद्धि योग हो तो उत्तम)
समयः- रात्रि 10 बजे
जप संख्या-125
अवधिः- 40 दिन
1.किसी एकान्त स्थान में या देवालय में, जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, भगवान् गणेश की षोडशोपचार से पूजा करे.
2.घी का दीपक जलाकर, अपने सामने, एक फुट की ऊँचाई पर रखे. सिन्दूर और लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और प्रतिदिन 125 बार उक्त मन्त्र का जप करें.
3.प्रतिदिन के प्रसाद को बच्चों में बाँट दे. चालीसवें दिन सवा सेर लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और मन्त्र का जप समाप्त होने पर तीन बालकों को भोजन कराकर उन्हें कुछ द्रव्य-दक्षिणा में दे.
4.सिन्दूर को एक डिब्बी में सुरक्षित रखे. एक सप्ताह तक इस सिन्दूर को न छूए.
5.उसके बाद जब कभी कोई कार्य या समस्या आ पड़े, तो सिन्दूर को सात बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपने माथे पर टीका लगाए. कार्य सफल होगा.
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