Wednesday, January 26, 2022

BOY OR GIRL CHILD लड़का लड़की संतान किन्हें होंगे

BOY OR GIRL CHILD लड़का लड़की संतान किन्हें होंगे



संतान सुख के लिए 5वां भाव, इसका स्वामी और संतान सुख ग्रह बृहस्पति है। इन सबकी अच्छी स्थिति संतान सुख अच्छा देगी, अब केवल लड़का संतान सुख मिलेगा या लड़की या लड़का-लड़की दोनों होंगे इस विषय पर बात करते है।

5वे भाव(संतान भाव) में पुरुष राशि 1,3,5,7,9,11,12 तरह की है और पुरुष ग्रह होने पर लड़का संतान के योग ही बनते है और लड़के ही होंगे, 

जबकि 5वे भाव में स्त्री राशियां 2,4,6,8,10,12 इस तरह की है राशियां और स्त्री ग्रह है तब केवल लड़की संतान ही होंगी, 

साथ ही स्त्री पुरुष दोनों तरह के ग्रह 5वे भाव या 5वे भाव के स्वामी के साथ है तब लड़की और लड़का दोनों ही होते है या होंगे ,

दोनों का ही सुख मिलेगा साथ ही लड़की या लड़के संतान सम्बन्धी जो भी स्त्री/पुरुष राशि और ग्रह जो भी ज्यादा बलवान होंगे उसी अनुसार लड़का या लड़की संतान होंगी,दोनो तरके की राशि ग्रह बलवान हौ तब लड़की लड़का दोनो हो जाएंगे

उदाहरण अनुसार कर्क लग्न1:- 

कर्क लग्न में 5वे भाव में स्त्री राशि वृश्चिक(8 नम्बर)आती है इसका स्वामी मंगल है अब मंगल भी यहाँ किसी स्त्री राशि 2,4,6,8,10,12 इनमें से किसी में हो और पुरुष ग्रहो का कोई प्रभाव 5वे भाव या मंगल पर नही है तब निश्चित ही लड़की संतान सुख मिलेगा केवल, जबकि यहाँ 5वे भाव स्वामी मंगल किसी पुरुष राशि 1,3,5,7,9,11 जैसी राशियों में हो और 5वे भाव पर या मंगल पुरुष ग्रहो का असर है यहाँ तब लड़का संतान होगा।।                                                                                                                   

उदाहरण अनुसार तुला लग्न2:- 

तुला लग्न के 5वे भाव में पुरुष राशि कुम्भ होने से यदि कुम्भ राशि स्वामी शनि भी किसी पुरुष राशि में बैठा है तब लड़का होगा लेकिन साथ ही अब कुम्भ राशि 5वे भाव में चन्द्र या शुक्र बैठे हो जो की स्त्री ग्रह है यह तब लड़की संतान भी होंगी मतलब दोनों होंगे।                      

इस तरह से पुत्र संतान होंगे केवल, या पुत्री संतान केवल या पुत्र-पुत्री(लड़का-लड़की) दोनों होंगे, और इस तरह की संतानों का सुख मिलेगा

No comments:

Post a Comment

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )