Sunday, January 30, 2022

SARAL HINDI SANKALP PUJA PATH VIDHI सरल हिंदी संकल्प पूजा पाठ विधि

SARAL HINDI  SANKALP PUJA PATH VIDHI सरल हिंदी संकल्प पूजा पाठ विधि

पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल पाने के लिए , इस प्रकार संकल्प लेना है जरुरी |

इस प्रकार से संकल्प लेने के पश्चात् यदि आपने हथेली पर जल लेकर संकल्प किया तो इस जल को नीचे जमीन पर छोड़ दे | 

यदि आपने हथेली में चावल रखकर संकल्प किया है तो चावल को गणेश जी पर छोड़ दे |


इस प्रकार से किसी भी पूजा -पाठ में संकल्प लेने से सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होती है | इस संकल्प विधि में संकल्प के साथ -साथ अरदास भी निहित होती है |

पूजा में संकल्प लेने से उस पूजा को पूरा करना जरुरी हो जाता है | इसलिए व्यक्ति को संकल्प द्वारा साहस और शक्ति मिलती है जिससे वह विषम परिस्तिथियों में भी पूजा को पूर्ण करने में सक्षम हो जाता है |

पूजा में संकल्प का महत्व : – 

धरम शास्त्रों के अनुसार यदि पूजा में संकल्प नहीं लिया जाता है तो सम्पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है | इसके पीछे मान्यता है कि पूजा से पहले संकल्प न लेने पर पूजा का सम्पूर्ण फल इंद्र देव को प्राप्त हो जाता है | इसलिए पूजा से पहले उपरोक्त विधि अनुसार संकल्प ले फिर पूजा आरम्भ करें |

सभी भक्तजन समय – समय पर देवों को खुश करने हेतु पूजा – पाठ का आयोजन करते रहते है | यह पूजा प्रतिदिन , सप्ताह के किसी विशेष दिन या फिर किसी विशेष पर्व पर हो सकती है यह सब किसी व्यक्ति के भक्ति भाव और उसकी भगवान के प्रति श्रद्धा पर निर्भर करता है | सामान्यतः भक्ति भाव रखने वाले व्यक्ति नियमित रूप से सुबह और शाम के समय पूजा करते है और सप्ताह के किसी विशेष दिन अपने ईष्ट देव की पूजा करते है |

कभी – कभी व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों से घिर जाने पर उनके निवारण हेतु विशेष पूजा -पाठ का आयोजन करता है | और उसका प्रतिफल भी उसे शीघ्र ही मिलने लगता है | किन्तु किसी भी पूजा -पाठ का सम्पूर्ण फल पाने के लिए पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना बहुत जरुरी होता है |

संकल्प : – किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए द्रढ़ निश्चय कर लेना फिर चाहे परिस्तिथियाँ अनूकुल हो या प्रतिकूल , तब व्यक्ति के लिए उस कार्य की पूर्णता अंतिम लक्ष्य बन जाता है | यही संकल्प है | किन्तु पूजा – पाठ के समय संकल्प में द्रढ़ निश्चय के साथ -साथ एक अरदास भी लगाई जाती है |

पूजा – पाठ से पहले संकल्प लेने की विधि : – 

हमारे धरम शास्त्रों के अनुसार किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए की गयी कोई भी पूजा या अनुष्ठान के शुरू करने से पहले संकल्प लिया जाता है | संकल्प लेने के लिए सामने गणेश जी स्थापना कर हाथ में थोडा जल या चावल लेकर इस प्रकार बोले : –


” हे परमपिता परमेश्वर, मैं ( अपना नाम और अपना गोत्र बोले ) 

ना मैं आपकी पूजा -पाठ जानता हूं , 

ना मंत्र जानता हूं , ना यन्त्र जानता हूं, ना वेद -पाठ पढ़ना जानता हूं , 

ना स्वाध्याय जानता हूं , ना सत्संग जानता हूं , 

ना क्रियाएं जानता हूं , ना मुद्राएँ जानता हूं , 

ना आसन जानता हूं , 

मैं तो आप द्वारा दी गई बुद्धि से यथा समय, यथा शक्ति यह (यहाँ  ‘यह’  के स्थान पर पूजा का नाम बोले ) पूजा पाठ कर रहा हूं | 

हे परमपिता परमेश्वर इसमें कोई गलती हो तो क्षमा करें , और मुझ पर और मेरे परिवार पर अपनी कृपा द्रष्टि बनाये रखे | 

मेरे और मेरे परिवार में सभी अरिष्ट , जरा , पीड़ा , बाधा ,  रोग, दोष ,  भूत बाधा , प्रेत बाधा ,  जिन्न बाधा , पिसाच बाधा , डाकिनी बाधा , शाकिनी बाधा , नवग्रह बाधा , नक्षत्र बाधा , अग्नि बाधा , अग्नि बेताल बाधा , जल बाधा , किसी भी प्रकार की कोई बाधाएं हो तो  उनका निवारण करें | 

मेरे और मेरे परिवार के इस जन्म में और पहले के जन्म में यदि कोई पाप हुए हो तो उनका समूल निवारण कर दे | मेरे और मेरे परिवार के जन्म कुंडली में यदि किसी प्रकार की दुष्ट गृह की नजर पड़ रही हो तो उन्हें शांत कर दे | मेरे और मेरे परिवार की जन्म कुंडली में कोई गोचर दशा , अंतर दशा , विन्शोत्री दशा , मांगलिक दशा और कालसर्प दशा , किसी भी प्रकार की कोई दशा हो तो उनको समाप्त कर दे | 

मेरे और मेरे परिवार में आयु , आरोग्य , एश्वर्य , धन सम्पत्ति की वृद्धि करें और मेरे और मेरे परिवार पर , पशुओं पर और वाहन पर अपनी शुभ द्रष्टि बनाये रखे इसके लिए मैं इस पूजा का (भगवान् श्री गणेश जी के  साथ -साथ सभी देवी – देवताओं का ) संकल्प लेता हूं | ”

Friday, January 28, 2022

WHAT WILL BE YOUR CHILD FUTURE बच्चा सन्तान क्या करेगी , क्या बनेगी

WHAT WILL BE YOUR CHILD FUTURE बच्चा सन्तान क्या करेगी , क्या बनेगी



कुंडली का दसवाँ भाव और इसका स्वामी यह बताएगा की कैरियर की दिशा क्या होगी, आगे चलकर कैसा कैरियर रहेगा ,बच्चा आगे चलकर क्या करेगा, किस क्षेत्र में उतरेगा और कैसा फ्यूचर रहेगा साथ ही कुंडली का लग्न और लग्नेश की स्थिति कैसी इस विषय पर भी बच्चा क्या बनेगा यह सब निर्भर करेगा।

कुंडली का दसवाँ भाव ,दसवे भाव स्वामी बलवान होकर शुभ स्थिति में जिन भी शुभ योगो में होगा, साथ ही लग्न लग्नेश की स्थिति अच्छी होगी तब बच्चा आगे चलकर उसी क्षेत्र में उतरेगा और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए शुरू से प्रयास रत रहना बहुत अच्छा भविष्य बच्चे का होगा यदि पहले ही भविष्य के रास्ते पता चल जाये तब, अब कुछ उदाहरणों से समझते है कैसे क्या बच्चा बड़ा होकर ,क्या बनेगा

उदाहरण अनुसार मिथुन लग्न:- 

यहाँ मिथुन लग्न में दसवे भाव का स्वामी गुरु बनेगा अब गुरु यहाँ छठे भाव में बैठा हो छठे भाव स्वामी मंगल के साथ साथ ही शिक्षा स्वामी शुक्र भी यहाँ छठे भाव में ही हो और लग्न  स्वामी यहाँ बुध होगा, बुध भी बलवान हो तब यहाँ ऐसी स्थिति में बच्चा बनेगा डॉक्टर बनेगा, मेडिकल क्षेत्र में सफल होगा क्योंकि छठा भाव मेडिकल का है।।

उदाहरण अनुसार मकर लग्न:- 

मकर लग्न में दसवे भाव ,कैरियर का स्वामी शुक्र बनता है साथ ही बुध छठे+नवे भाव का स्वामी है जो वकालत/जज के कैरियर से सम्बंधित है अब यहाँ शुक्र का सम्बन्ध बुध के साथ हो और सरकारी पद के कारक सूर्य या मंगल गुरु का सम्बन्ध भी दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी से है तब ऐसा जातक/जातिका यहाँ जज/वकील बन बनेगे या बन सकते है।।

उदाहरण अनुसार मीन लग्न:- 

मीन लग्न में दसवे भाव स्वामी गुरु बनता है अब गुरु ज्ञान का कारक भी होता है, गुरु अब यहाँ 5वे भाव में बैठा हो शुभ होकर साथ ही बुद्धि कारक बुध बलवान है (5वां भाव शिक्षा/अध्यापक(टीचर) का है) तब ऐसे जातक जातिका यहाँ टीचर कैरियर में सफल होंगे।। 

 इस तरह से दसवे भाव और इसके स्वामी की स्थिति कितनी ज्यादा शक्तिशाली है और जिस क्षेत्र की तरह आगे बढ़ने के रास्ते दसवे भाव/दसवे भाव स्वामी के द्वारा बन रहे है उसी क्षेत्र में बच्चा जायेगा, और बच्चा या आप उसी क्षेत्र में सफल होकर जो बनना है बनेंगे।।

आपका या आपके बच्चे का काबिल बनने के लिए ज्योतिष अनुसार जरूरी है लग्न, लग्नेश का बलवान होना, दसवे+नवे भाव और इनके स्वामियों का बलवान या राजयोगों में होना साथ ही वर्तमान भविष्य में चल रही या आने वाली महादशा ग्रहो का अनुकूल रहना, 

यदि यह उपरोक्त सब स्थितियां अनुकुल है तब एक काबिल व्यक्ति बन जायेंगे आप या आपकी संतान, बाकी जितनी कुंडली मे अन्य स्थितियां अच्छी होंगी उतने अच्छे बड़े काबिल व्यक्ति बन जायेंगे, यदि काबिल इंसान बनने लिखा है लेकिन काबिल बनाने वाले ग्रह पीड़ित या अशुभ है तब उपाय करने से ही काबिल इंसान बन पाएंगे।

उदाहरण अनुसार मिथुन लग्न1:- 

मिथुन लग्न में लग्नेश बुध बलवान और शुभ होकर बैठा हो या राजयोग में हो साथ ही दशमेश गुरु व भाग्येश शनि भी अच्छी बलवान या राजयोग की स्थिति में है तब आप या आपके बच्चे की कुंडली मे यह स्थिति है तब काबिल इंसान बनेंगे, इसके अलावा अन्य जितने ग्रह अच्छी स्थिति में होंगे उतने ज्यादा कई तरह से काबिल बनेगे।

उदाहरण अनुसार कन्या लग्न2:- 

कन्या लग्न में बुध शुक्र चन्द्र मुख्य रूप से बलवान और शुभ स्थिति में है या राजयोग में है तब एक काबिल इंसान आप या आपका बच्चा बन जायेगा, इसके अलावा अन्य ग्रह जितने अच्छे होंगे उतने अच्छे मकान, वाहन, नाम आदि को काबिल बन जायेगे।

उदाहरण अनुसार मीनMलग्न3:-

मीन लग्न में  लग्नेश दशमेश गुरु भाग्येश धनेश मंगल अच्छी बलवान स्थिति में है या राजयोग बनाकर बैठे है तब काबिल इंसान जरूर बन जायेंगे, इसके अलावा अन्य ग्रह जितने ज्यादा अच्छी स्थिति में होंगे उतनी ज्यादा मामलों में काबिल इंसान बनेगे।

अब यदि काबिलियत या काबिल इंसान बनने के योग है लेकिन ग्रह पीड़ित है तब उपाय करना जरूरी है बाकी  वर्तमान और खासकर सही समय भविष्य में आने वाली महादशा ग्रह ज्यादा से ज्यादा शुभ अनुकूल होना अच्छा काबिल इंसान बनाएगा या बन पाएंगे।

Thursday, January 27, 2022

HOW WILL RAHU GIVE RAJYOG राहु महादशा अन्तरर्दशा क्या राजयोग देगी

HOW WILL RAHU GIVE RAJYOG राहु महादशा अन्तरर्दशा क्या राजयोग देगी



कैसा राजयोग देगा राहु और राहु महादशा? 

राहु कई जातक/जातिकाओ पर वर्तमान समय मे चल रही होगी तो भविष्य में अब कुछ जातको पर आने वाली होगी।

राहु जो राजयोग देता है वह बहुत ज्यादा लाभ वाला राजयोग होता है और बहुत कम समय मे बहुत कुछ हासिल करा देगा क्योंकि राहु जब राजयोग में होता है तब सभी ग्रहों की राजयोग कारक शक्ति को यह अपने अंदर समाहित कर लेता है और वर्तमान युग राहु ही है 

आज सब काम ऑनलाइन होते है जो कि ऑनलाइन, इंटरनेट राहु है, पलक छपकते ही बहुत अच्छी कामयाबी, पलक छपकते ही ज़िन्दगी चमक जाना, यह राहु से मिलने वाले राजयोगों का ही कमाल होता है अन्य किसी ग्रह में इतनी शक्ति नही की राजयोग पलक छपकते दे सके, मतलब बहुत जल्द सर्व सुख जैसे मकान, वाहन, संपत्ति ,धन, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठत रोजगार आदि राजयोग देता है।

राजयोग मतलब जब भी केंद्र और त्रिकोण के स्वामी आपस मे बैठे होंगे और राहु केतु इनके साथ शुभ सम्बन्ध में होंगे या राहु कुंडली में जिस राशि मे बैठा हो, उस राशि का स्वामी राजयोग बनाकर बैठा हो और राहु केतु दोनों शुभ स्थिति में हो तब राहु और राहु की महादशा-अन्तरदशाये बहुत बड़े स्तर पर राजयोग के उपरोक्त फल दिलाता है 

उदाहरण अनुसार वृष लग्न1:- 

वृष लग्न में जैसे शुक्र शनि सम्बन्ध बनने से यह राजयोग बनेगा, अब राहु इन्ही शुक्र शनि के साथ राजयोग में शुभ स्थिति में बैठ जाये जैसे शनि शुक्र राहु 11वे भाव मे जाकर बैठ जाये तब ऐसी स्थिति में व्यक्ति ने जो सपने देखे होते है उससे अच्छा राजयोग सुख मिलेंगे क्योंकि राहु यहां लग्नेश शुक्र+भाग्येश-कर्मेश शनि के साथ प्रबल राजयोग में है।।

उदाहरण अनुसार कन्या लग्न2:- 

कन्या लग्न में दसवे भाव मे बैठा हो मिथुन राशि का, मिथुन राशि मे राहु उच्च होकर बलवान भी होता है, अब राहु का राशि स्वामी(मिथुन राशि) बुध राजयोग बनाकर शुक्र या शनि के साथ हो या शुक्र शनि दोनों के साथ हो या गुरु के साथ को और बुध से बनने वाला राजयोग पीड़ित या अशुभ किसी भी तरह न हो और न राहु से बुध से बनने वाला राजयोग पीड़ित हो रहा हो तब राहु इतना शक्तिशाली उच्च राजयोग देगा की फर्श से अर्श तक जातक जाएगा, राजनीति/व्यापार आदि से बड़ी सफलता , बड़ा राजयोग सुख मिल जाता है क्योंकि राहु राजनीति है और राजनीति के घर 10वे भाव मे है और राहु राशि स्वामी बुध राजयोग ने होने से राहु राजयोग बहुत बड़े स्तर पर देगा।। 

उदाहरण अनुसार कुंभ लग्न3:- 

कुंभ लग्न में केंद्र त्रिकोण स्वामी शुक्र और त्रिकोण स्वामी बुध एक साथ बैठे हो राजयोग बनाकर और अब राहु भी बुध शुक्र के साथ बैठ जाये या इनके दृष्टि सम्बन्ध बना ले , जैसे शुक्र बुध राहु दूसरे भाव (धन भाव) मे बैठ जाये तब यहाँ एक तो राहु आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा उन्नति देगा और बड़े स्तर का राजयोग देकर जातक की किस्मत ही चकमायेगा क्योंकि धन के घर मे राजतोग बनाकर शुक्र बुध के साथ यहाँ राहु बैठा हैं।।

नोट:- 

राहु या केतु कुंडली मे राजयोग बनाकर बैठे होते है तब राहु केतु का थोड़ा उपाय करते रहने से राजयोग ज्यादा मात्रा में फलित होता है क्योंकि राहु केतु जिन ग्रहों के साथ राजयोग में बैठें हो यदि उन ग्रहों की राशियों को पीड़ित करेंगे तो बिघ्न थोड़ा फल में कर देते है इस कारण राहु राजयोग में हो तब बहुत बड़े स्तर पर राजयोग मिलते है दूसरी बात आज के इस युग मे सभी ज्यादातर चीजे उपभोग की राहु के अधिकार में ही है जैसे ऑनलाइन काम , मोबाइल वर्क , मकान आदि की बनाबट, रोजगार आदि। इस कारण आज के समय मे असली राजयोग राहु के सहयोग से मिलता है जिनकी कुंडली मे राहु राजयोग में है और जिनकी कुंडली मे राहु राजयोग में नही है और राहु के बिना राजयोग है तब बिना राहु वाले राजयोगों की अपेक्षा राहु से बनने वाले राजयोग वाले जातक जातिक जीवन मे ज्यादा चमकते है।।

HOW WILL BE YOUR FAMILY FINANCIALLY PERSONAL AND PROFESSIONAL LIFE कैसी रहेंगी प्रोफेशनली, फाइनेंसियली, फैमिली और पर्सनल लाइफ

HOW WILL BE YOUR FAMILY FINANCIALLY PERSONAL AND PROFESSIONAL LIFE कैसी रहेंगी प्रोफेशनली, फाइनेंसियली, फैमिली और पर्सनल लाइफ



प्रोफेशनली लाइफ के लिए कुंडली का दसवाँ भाव ,इसका स्वामी जिम्मेदार है यह भाव और इस भाव का स्वामी जितना ज्यादा शुभ और शक्तिशाली होगा उतनी अच्छी प्रोफेशनली लाइफ रहेगी, जबकि दसवाँ भाव भावेश अशुभ या कमजोर हुआ तब प्रोफेशनली लाइफ से खुशी कम रहेगी।

 फाइनेंसियली लाइफ के लिए खासकर दूसरा भाव सहित ग्यारहवा भाव जितना ज्यादा से ज्यादा शुभ और शक्तिशाली होगा उतनी ज्यादा फाइनेसियल और फैमिली लाइफ लाइफ अच्छी रहेगी साथ ही लग्न लग्नेश की ज्यादा शुभ और बलशाली स्थिति पर्सनल लाइफ को अच्छा बनाएगा, अब जिन भावो में  स्थिति कमजोर होगी उस लाइफ में संतुष्टि कम मिलेगी, दिक्कत रहेगी जो कि समय रहते उपाय करके अच्छी बनाई जा सकती है।

उदाहरण अनुसार कन्या लग्न1:- 

कन्या लग्न में लग्न(पर्सनल लाइफ) और दशम भाव(प्रोफेशनली लाइफ)स्वामी बुध बनता है अब यहाँ बुध और लग्न जितना ज्यादा अच्छा होगा उतनी ज्यादा पर्सनल लाइफ और बुध सहित दसवाँ भाव जितना अच्छा होगा उतनी ज्यादा प्रोफ़ेशनली लाइफ अच्छी रहेगी, साथ ही दूसरा भाव सहित ग्यारहवां व इनके स्वामी शुक्र चन्द्र जितने ज्यादा से ज्यादा शुभ व अचसहि स्थिति में होंगे उतनी फैमिली व फाइनेंसियल लाइफ अच्छी रहेगी।।

उदाहरण अनुसार वृश्चिक लग्न2:- 

वृश्चिक लग्न में लग्नेश मंगल व धन और परिवार स्वामी गुरु और प्रोफेशन स्वामी सूर्य अच्छी स्थिति में है तब पर्सनल, प्रोफेशनल ,फैमिली फाइनेंसियल लाइफ अच्छी रहेगी, यहाँ यह ग्रह जितने ज्यादा शुभ शक्तिशाली या शुभ योगों होंगे उतनी उपरोक्त चारो लाइफ अच्ची रहेगी।

 उदाहरण अनुसार मीन लग्न3:- 

मीन लग्न में गुरु बहुत अच्छी/शुभ और शक्तिशाली स्थिति में है साथ ही लग्न व दशम भाव भी शुभ और अच्छी स्थिति में है तब पर्सनल व प्रोफेशनल लाइफ अच्छी चलेगी, बाकी फैमिली और फाइनेंसियल लाइफ मंगल और दूसरा भाव जितना अच्छा व शुभ स्थिति में ग्यारहवे भाव सहित होगा उतनी ज्यादा अच्छी फाइनेंसियल व फैमिली लाइफ रहेगी।।

इस तरह कौन सी लाइफ कैसी है यह सब निर्भर करेगा जन्मकुंडली के ग्रहो पर बाकी प्रोफेशनल, फाइनेंसियल, फैमिली और पर्सनल लाइफ में कमी, असंतुष्टि व दिक्कत है तब उपाय करके इन्हें अच्छा किया जा सकता है।

WHEN YOU WILL GET PROMOTION AND TRANSFERS पदौन्नति और ट्रांसफर/स्थानांतरण कब होगा

 WHEN YOU WILL GET PROMOTION AND TRANSFERS पदौन्नति और ट्रांसफर/स्थानांतरण कब होगा




हम जब किसी प्रशासनिक या किसी अच्छे पद पर किसी भी नौकरी में कार्यरत होते है तब पदौन्नति(promotion) की लालसा रहती है साथ ही कुछ मनो अनुकूल जगह(Transfer) ट्रांसफर/स्थांतरण न हो पाए तो अच्छी और मनो अनुकूल जगह ट्रांसफर ही जाए यही जिज्ञासा रहती है साथ ही हर इंसान चाहे नौकरी में हो या व्यापार में पदौन्नति समय समय पर हर एक इंसान चाहता है,

कुंडली में दसवाँ भाव, दसवे भाव स्वामी और 9वां भाव, 9वे भाव  स्वामी पदौन्नति का है क्योंकि 10वा भाव कैरियर/कार्यक्षेत्र है तो 9वां भाव भाग्य है अब यह दोनों भाव और इनके स्वामी बलवान है साथ ही इनकी जब महादशा अंतर्दशा अच्छे ग्रह गोचर के समय आने पर आयेगी पदौन्नति हो जायेगी और होती रहेगी।।

ट्रांसफर/स्थानांतरण भी जब होगा जब दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी पर जब राहु केतु या 12वे भाव स्वामी का गोचर का समय कुंडली में आयेगा क्योंकि राहु केतु या 12वां भाव ही नौकरी में स्थांतरण कराने के लिए जिम्मेदार है।।

उदाहरण अनुसार कर्क लग्न1:- 

कर्क लग्न में दशमेश मंगल बलवान हो साथ ही 9वां भाव और इसका स्वामी भी बलवान है तब इन दोनों भाव स्वामियों की जब दशा अंतरदशा या गोचर दसवे भाव में होगा पदौन्नति(Pramotion)हो जायेगा, और ट्रांसफर तब होगा जब दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी मंगल पर राहु या केतु या 12वे भाव स्वामी बुध का यहाँ गोचर में संबंध बनेगा।।

 उदाहरण अनुसार कन्या लग्न2:- 

यहाँ दसवे भाव स्वामी बुध अच्छी स्थिति में बलवान होकर स्थित है और दसवाँ भाव् भी बलवान है और भाग्य स्वामी और भाग्य 9वा भाव भी बलवान है तब पदौन्नति बुध शुक्र दशा आते ही होगी या दसवे भाव पर प्रभाव डाल रहे शुभ ग्रहो के समयकाल में, ट्रांसफर जब भी होगा जब राहु केतु या 12वे भाव स्वामी का गोचर में प्रभाव बुध पर पड़ेगा या जन्मकुंडली में बुध से राहु केतु या 12वे भाव स्वामी सूर्य का संबंध होगा और इनकी दशा आयेगी तब।।

यदि दसवाँ भाव या दसवे भाव स्वामी कमजोर है तब उपाय करने से ही पदौन्नति सम्भव होगी, और दसवाँ भाव और भावेश अशुभ या ज्यादा ही पाप ग्रहों के सम्बन्ध में है तब मनोअनुकूल जगह प्रमोशन जातक/जातिका के द्वारा उपाय करने से ही हो पायेगा।

SHARE MARKET AND YOUR FORTUNE कैसा है भाग्य शेयर मार्किट धनलाभ के लिए

SHARE MARKET AND YOUR FORTUNE कैसा है भाग्य शेयर मार्किट धनलाभ के लिए



शेयर मार्किट उन्ही लोगो को लाभ देता है जिनकी कुंडली मे शेयर मार्किट से लाभ और सफलता लिखी हो।

कुंडली का 5वा भाव शेयर या शेयर मार्किट का है तो 11वा भाव धनलाभ(प्रॉफिट)का है 

दूसरा भाव रुपये पैसे का है तो 7वा भाव मार्किट या डेली शेयर खरीदने बेचने का है 

तो मुख्य रूप से बुध राहु केतु गुरु शेयर मार्किट से लाभ देने वाले ग्रह है इसी कारण इन सब भावों और भावो के स्वामियों और ग्रहो का आपस मे सम्बन्ध बलवान और शुभ स्थिति में होने से शेयर मार्किट से अच्छा भाग्योदय, अच्छा धन लाभ, अच्छी सफलता मिलती रहेगी

5वे भाव या 5वे भाव(शेयर मार्किट भाव) स्वामी के साथ 11वे,दूसरे(धनलाभ भाव) और 9वे भाव स्वामी या भाव का(भाग्य या किस्मत का भाव)का शुभ और बलवान स्थिति में सम्बन्ध है 7वे भाव(डेली बिजनेस भाव) सहित तब शेयर मार्किट से अच्छा भाग्योदय, अच्छी सफलता, अच्छा धनलाभ, धन कमाई होती रहेगी, 

शेयर मार्किट के इस पूरे योग औऱ सम्बन्ध में दूसरा और खासकर 11वा भाव,भाव स्वामी जितना ज्यादा बलवान होंगे धनलाभ उतना ज्यादा होगा/होता रहेगा।

उदाहरण अनुसार मेष लग्न1:- 

मेष लग्न में 5वे भाव स्वामी सूर्य,11वे भाव स्वामी ,भाग्य स्वामी गुरु और धन स्वामी शुक्र यह ग्रह आपस मे शुभ और बलवान स्थिति में सम्बन्ध बनाकर बैठे है और बुध राहु गुरु अत्यंत बलवान है या 5वे भाव या सूर्य का 11वे दूसरे 9वे भाव और 7वे भाव या इन भाव स्वामियों से अच्छी स्थिति में सम्बन्ध तब शेयर मार्किट खेलने या शेयर से अच्छा भाग्योदय, अच्छा धनलाभ, धन कमाई होकर अच्छी सफलता मिलती रहेगी।

उदाहरण अनुसार सिंह लग्न2:--

सिंह लग्न में जैसे 5वे भाव स्वामी गुरु बलवान होकर धनलाभ स्वामी बलवान बुध से मंगल या 9वे भाव सहित सम्बन्ध करे और बुध राहु गुरु अत्यंत बलवान है तब शेयर मार्किट से अच्छा भाग्योदय, अच्छा धन लाभ,अच्छी सफलता मिल जाएगी, यदि इस उपरोक्त सबन्ध में 7वे भाव या 7वे भाव स्वामी शनि का भी यहाँ सम्बन्ध है तब रोज शेयर खरीदने,बेचने, शेयर मार्किट से धनलाभ होगा।                            

उदाहरण अनुसार मकर लग्न3:-

मकर लग्न में पंचमेश शुक्र या बलवान 5वे भाव से शनि मंगल बुध का सम्बन्ध है या इन ग्रहो के भावों दूसरे, ग्यारहवे, नवे भाव का शुक्र से बलवान स्थिति में सम्बन्ध है इन सभी ग्रहो सहित बुध गुरु राहु अत्यंत बलवान है तब शेयर मार्किट खेलने या करने से भाग्योदय भी होगा,धनलाभ भी होगा और सफलता भी अच्छी मिल जाएगी।

अब उपरोक्त उदाहरणो अनुसार सफलता की स्थिति बनी हुई है तब 5वे भाव या शेयर मार्किट योग जो ग्रह बनाकर बैठे उन ग्रहो की महादशा, अंतरदशा प्रत्यंतर दशा चलने या आने पर शेयर मार्किट से भाग्ययोदय भी होगा ,धन कमाई,धन लाभ भी अच्छा होकर सफलता मिलती रहेगी जब तक शेयर मार्किट सम्बन्धी दशा चलती रहेगी तब ज्यादा सफलता मिल जाएगी।

Wednesday, January 26, 2022

BOY OR GIRL CHILD लड़का लड़की संतान किन्हें होंगे

BOY OR GIRL CHILD लड़का लड़की संतान किन्हें होंगे



संतान सुख के लिए 5वां भाव, इसका स्वामी और संतान सुख ग्रह बृहस्पति है। इन सबकी अच्छी स्थिति संतान सुख अच्छा देगी, अब केवल लड़का संतान सुख मिलेगा या लड़की या लड़का-लड़की दोनों होंगे इस विषय पर बात करते है।

5वे भाव(संतान भाव) में पुरुष राशि 1,3,5,7,9,11,12 तरह की है और पुरुष ग्रह होने पर लड़का संतान के योग ही बनते है और लड़के ही होंगे, 

जबकि 5वे भाव में स्त्री राशियां 2,4,6,8,10,12 इस तरह की है राशियां और स्त्री ग्रह है तब केवल लड़की संतान ही होंगी, 

साथ ही स्त्री पुरुष दोनों तरह के ग्रह 5वे भाव या 5वे भाव के स्वामी के साथ है तब लड़की और लड़का दोनों ही होते है या होंगे ,

दोनों का ही सुख मिलेगा साथ ही लड़की या लड़के संतान सम्बन्धी जो भी स्त्री/पुरुष राशि और ग्रह जो भी ज्यादा बलवान होंगे उसी अनुसार लड़का या लड़की संतान होंगी,दोनो तरके की राशि ग्रह बलवान हौ तब लड़की लड़का दोनो हो जाएंगे

उदाहरण अनुसार कर्क लग्न1:- 

कर्क लग्न में 5वे भाव में स्त्री राशि वृश्चिक(8 नम्बर)आती है इसका स्वामी मंगल है अब मंगल भी यहाँ किसी स्त्री राशि 2,4,6,8,10,12 इनमें से किसी में हो और पुरुष ग्रहो का कोई प्रभाव 5वे भाव या मंगल पर नही है तब निश्चित ही लड़की संतान सुख मिलेगा केवल, जबकि यहाँ 5वे भाव स्वामी मंगल किसी पुरुष राशि 1,3,5,7,9,11 जैसी राशियों में हो और 5वे भाव पर या मंगल पुरुष ग्रहो का असर है यहाँ तब लड़का संतान होगा।।                                                                                                                   

उदाहरण अनुसार तुला लग्न2:- 

तुला लग्न के 5वे भाव में पुरुष राशि कुम्भ होने से यदि कुम्भ राशि स्वामी शनि भी किसी पुरुष राशि में बैठा है तब लड़का होगा लेकिन साथ ही अब कुम्भ राशि 5वे भाव में चन्द्र या शुक्र बैठे हो जो की स्त्री ग्रह है यह तब लड़की संतान भी होंगी मतलब दोनों होंगे।                      

इस तरह से पुत्र संतान होंगे केवल, या पुत्री संतान केवल या पुत्र-पुत्री(लड़का-लड़की) दोनों होंगे, और इस तरह की संतानों का सुख मिलेगा

WILL YOU BE MARRIED OR BACHELOR कुँवारा रहेंगे या शादी होगी

WILL YOU BE MARRIED OR BACHELOR कुँवारा रहेंगे या शादी होगी



कुँवारा रह जाना मतलब शादी ही न होना। कुँवारे रह जाना यह तब ही होगा जब कुंडली मे सातवाँ भाव, सातवें भाव स्वामी विवाह ग्रह कारक लड़को के लिए शुक्र लड़कियों के लिए गुरु कमजोर हो और सातवें भाव ,सातवे भाव स्वामी पर विवाह सम्बन्धी ग्रहो भावों जैसे गुरु शुक्र चन्द्र नवे ,पाचवे भाव स्वामियों के शुभ प्रभाव न हो केवल सतावे भाव और भाव स्वामी कारक ग्रहो गुरु शुक्र पर केवल अशुभ शनि, राहु केतु का ही पूर्ण प्रभाव है तब ऐसी स्थिति में जातक/जातिका कुँवारे ही रह जाएंगे

क्योंकि शनि राहु केतु विवाह न होने देने वाले ग्रह है लेकिन यदि सातवे भाव या सातवे भाव स्वामी का सम्बन्ध विवाह कारक ग्रहो गुरु शुक्र चन्द्र और भाव 5वे 9वे आदि शुभ भावों या इनके स्वामियों से सम्बन्ध है तब शादी जरूर होगी चाहे देर से हो।

उदाहरण अनुसार मेष लग्न 1:- 

मेष लग्न कुंडली मे सातवें भाव स्वामी शुक्र है जो विवाह सुख का कारक भी है अब सातवे भाव और सातवें भाव स्वामी शुक्र पर शनि राहु का पूर्ण प्रभाव है शुक्र बहुत कमजोर है और विवाह ग्रहो, भाव गुरु चन्द्र सहित 9वे या 5वे या 11वे भाव से कोई शुभ सम्बन्ध नही है तब ऐसी स्थिति में कुँवारा ही रहना पड़ेगा।।                                                                                  

उदाहरण अनुसार मिथुन लग्न 2:-

मिथुन लग्न में सातवें भाव स्वामी गुरु ही हैं अब गुरु यहाँ बहुत होकर 6,8,12 भाव मे है या सातवे अशुभ और कमजोर होकर शनि मंगल राहु से सातवाँ भाव और गुरु दोनो ही पूरी तरह पीड़ित और सम्बन्ध में हैं तब कुँवारा रहने की स्थिति रहेगी मिथुन लग्न लड़कियो की कुंडली मे यह स्थिति ज्यादा दिक्कत देगी।।                                                                 

उदाहरण अनुसार वृश्चिक लग्न 3:- 

वृश्चिक लग्न में सातवें भाव स्वामी शुक्र और सातवाँ भाव दोनो ही राहु शनि से पूरी तरह पीड़ित है और शुक्र भी बहुत कमजोर है साथ ही शुभ और विवाह ग्रहो गुरु चन्द्र बुध से कोई सम्बन्ध शुक्र या सातवे भाव का नही हैं तब कुँवारा रहना पड़ेगा,ऐसी स्थिति में कुँवारा रहने वाले योगो की स्थिति में 6, 8, 12भाव से सम्बन्ध सातवे भाव या सातवे भाव स्वामी का सम्बन्ध बन गया है और शुभ विवाह सम्बन्धी ग्रहों से सम्बन्ध नही है तब कोशिशों के बाद भी शादी नही होगी।।                                         

नोट:-

सातवे भाव सातवे भाव स्वामी पर कितना भी शनि राहु ,छठे आठवे भावो का प्रभाव हो लेकिन सातवे भाव ,सातवे भाव स्वामी का सम्बन्ध विवाह सम्बन्धी ग्रहो और भावो गुरु शुक्र चन्द्र बुध और भावो 5वे भाव, 9वे भाव 11वे भाव या इनके स्वामियों से शुभ स्थिति में हैं तब शादी जरूर होंगी।

WHO CAN BE POLITICIAN AND MINISTER नेता मंत्री कौन बन सकते है

WHO CAN BE POLITICIAN AND MINISTER नेता मंत्री कौन बन सकते है



नेता या मंत्री कौन लोग बन सकते है और कैसा रहेगा नेता या मंत्री बनने पर

जन्मकुंडली और दशमांश कुंडली का दसवाँ भाव और भाव स्वामी राजनीति या पद और अधिकार, कैरियर के है तो 5वा भाव मंत्री या नेता से सम्बंधित है 

सूर्य मंगल गुरु शुक्र यह मंत्री पद अधिकार दिलाने वाले ग्रह है।

 दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी का सम्बन्ध 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी से बलवान और शुभ स्थिति मे बन रहा है और इस सम्बन्ध में गुरु सूर्य या शुक्र सूर्य या गुरु मंगल या गुरु शुक्र या शुक्र मंगल या इन चारों ग्रहो ही सम्बन्ध शुभ स्थिति में है तब मंत्री या नेता बन जायेंगे, 

मंत्री या नेता ग्रहो 5वे या 5वे भाव सम्बन्ध में 10वे या 10वे भाव स्वामी सम्बन्ध में सूर्य मंगल गुरु शुक्र का सम्बन्ध राजयोग बनाकर है तब बड़े और उच्च स्तर के अधिकारों,पद से सम्पन्न मंत्री बनेगे जबकि सामान्य स्तर पर राजयोग के द्वारा इन ग्रहो का सम्बन्ध/सहयोग नही है तब सामान्य स्तर के अधिकार ,पद के मंत्री या नेता राजनीति में बन पाएंगे 

उदाहरण अनुसार वृष लग्न1:- 

वृष लग्न है तब यहाँ दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी शनि का सबन्ध बलवान स्थिति में 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी बुध से होने के साथ सूर्य गुरु ,सूर्य शुक्र, मंगल गुरु,मंगल शुक्र से है बलवान स्थिति में है तब राजनीति मंत्री या नेता बनकर अच्छा कैरियर बन जायेंगे ,मंत्री नेता में अच्छी सफलता मिल जाएगी।                                                                        

उदाहरण अनुसार वृश्चिक लग्न2:- 

वृश्चिक लग्न में दशमेश सूर्य बलवान होकर 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी गुरु से सम्बन्ध करे बलवान स्थिति में सूर्य और दसवा भाव  भी बलवान है तब मंत्री या नेता बन जायेंगे, यहाँ अब सूर्य राजयोग में हो जैसे मंगल या चन्द्र शुक्र के साथ या इनमे से किसी के साथ भी सूर्य का सम्बन्ध है तब बहुत सफल नेता/मंत्री बनकर अच्छा पद मिल जाएगा अच्छा कैरियर मंत्री या नेता बनने पर बन जाएगा।                                                

उदाहरण अनुसार मीन लग्न3:-

यहाँ दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी गुरु का सम्बन्ध 5वे भाव स्वामी चन्द्रमा या 5वे भाव से है बलवान स्थिति में तब मंत्री या नेता बन जायेंगे, इस सम्बन्ध में मंगल या बुध भी सम्बन्ध में हुए खासकर मंगल तब यह राजयोग बनेगा जिस कारण बड़े प्रतिष्ठित अधिकार संपन्न मंत्री या नेता बनकर अच्छी सफलता और कैरियर बन पाएगा।

MANY SOURCES OF INCOME एक से अधिक आय के स्त्रोत

 MANY SOURCES OF INCOME एक से अधिक आय के स्त्रोत



एक से ज्यादा आय(इनकम) के रास्ते या स्त्रोत क्या कुंडली मे है और क्या एक से ज्यादा रास्तो से आय(इनकम)हो सकती है और यदि ऐसे योग है और आय के एक से ज्यादा रास्ते है तब किन किन रास्तो से आय और धन कमाई के रास्ते बनेगे

कुंडली का 11वा भाव आय(इनकम) धन लाभ या धन कमाई का है अब जिन जातक/जातिकाओ की कुंडली में 11वा भाव और 11वे भाव का स्वामी बलवान होकर राजयोग, शुभ योगो में या 3 से 4 ग्रहो के साथ अच्छी स्थिति में बलवान होकर बैठा है तब आय और धन कमाई के एक से ज्यादा रास्ते रहेगे लेकिन किस रास्ते और एक से ज्यादा कार्यो से आय आने के अलग अलग रास्ते यह मुख्य है 

यदि सही रास्ता धन कमाई के अलग अलग पता चल जाये तब एक से ज्यादा रास्तो से आय/धन कमाई होती रहेगी, 

उदाहरण अनुसार कुम्भ लग्न1:-

कुम्भ लग्न में 11वे भाव स्वामी शनि यहाँ राजयोग ग्रहो के साथ राजयोग बनाकर बैठा हो जैसे बुध शुक्र सूर्य मंगल या इनमे से दो ग्रहो खासकर भाग्य स्वामी और कारक बुध के साथ सम्बन्ध में है बलवान होकर तब आय और धन कमाई के एक से ज्यादा रास्ते है लेकिन यहाँ शुक्र बुध धार्मिक कार्यो, बुद्धि विवेक से, शेयर बाजार, प्रॉपर्टी कार्यो से एक से ज्यादा रास्ते आय के लिए दे पाएंगे।

उदाहरण अनुसार कर्क लग्न2:-

कर्क लग्न में 11वे भाव स्वामी शुक्र बलवान होकर राजयोग ग्रहो 5वे भाव स्वामी मंगल व गुरु के साथ सम्बन्ध में है या अन्य शुभ ग्रहों के साथ शुक्र सम्बन्ध बनाकर बैठा है बलवान होकर तब एक से ज्यादा क्षेत्रों से आय आएगी, यहाँ जैसे शुक्र मंगल गुरु के साथ हो तब एजुकेशन, शेयर बाजार, ब्याज के काम, किराये से आय के रास्ते एक से अधिक बन पाएंगे।

उदाहरण अनुसार कुंभ लग्न3:- 

कुंभ लग्न में 11वे भाव स्वामी गुरु बलवान होकर अब यहाँ राजयोग में हो या 2 से 3 ग्रहो के साथ शुभ स्थिति में है जैसे गुरु यहाँ शुक्र सूर्य के साथ हो तब यहाँ दुकानदारी से काम से, शेयर बाजार से, बुद्धि विवेक से, धार्मिक कार्यो से, आदि के एक से ज्यादा क्षेत्रों से धन कमाई के रास्ते बन पाएंगे।           

इस तरह एक से ज्यादा क्षेत्रो या कार्यो से आय/धन कमाई योग है तब उन क्षेत्रों से धन कमाई के रास्ते बनाकर आय के रास्ते बनाने से कई रास्तों से धन कमाई होती रहेगी और आर्थिक स्थिति अच्छी होती जाएगी

WHEN TO SELL PROPERTY कब बेचे सम्पति

WHEN TO SELL PROPERTY कब बेचे सम्पति

 


जमीन, मकान/घर, प्लाट, दुकान, फ्लैट आदि के रूप में जो भी प्रॉपर्टी है तो खरीदना या बेचना लगा रहता है लेकिन यदि कोई प्रॉपर्टी बेचनी है तो कब प्रॉपर्टी बेचने का अच्छा टाइम है और कब ज्यादा आर्थिक लाभ होगा

कुंडली का चौथा भाव ही किसी भी तरह की प्रॉपर्टी से सम्बंधित है चाहें जमीन, मकान, प्लाट, दुकान या मोल आदि का है तो दूसरा और ग्यारहवां भाव धन और धनलाभ का है।अब जब चौथे भाव और चौथे भाव स्वामी सहित ग्यारहवें और दूसरे भाव और इनके स्वामियों की स्थिति अच्छी होगी तब प्रॉपर्टी अच्छे दामो पर बिकेगी

 जितना ज्यादा से ज्यादा चौथे दूसरे ग्यारहवें इसमे भी खासकर ग्यारहवा भाव और भाव स्वामी(धन लाभ/प्रॉफिट)जितना ज्यादा बलवान और शुभ होगा

प्रॉपर्टी कब बेचे जिससे अच्छे दामों पर बिक कर अच्छा प्रॉफिट दे जाए या दे इसके लिए जरूरी है चौथे भाव या चौथे भाव स्वामी की महादशा या अंतरदशा समय के साथ दूसरे या ग्यारहवे भाव स्वामी या इन भावों में बैठे ग्रहो की अंतरदशा या महादशा साथ मे आ जाये, या चौथे भाव सहित किसी लाभ देने वाले ग्रह की दशा का समय चले तब प्रॉपर्टी भी ऐसी स्थिति में बिक जाएगी और ज्यादा धन लाभ भी अच्छे दामो पर दे जाएगी।

जबकि किसी अशुभ या नुकसान देने वाले ग्रह की महादशा या अंतरदशा के समय प्रॉपर्टी बेचते है तब कोई फायदा नही उल्टा नुकसान रहेगा,

इस वजह से प्रॉपर्टी कुंडली मे लाभकारी प्रॉपर्टी बेचने से सम्बंधित दशा(समय)आने पर बेचना अच्छा लाभ दे जाएगा और अच्छे से बिक जाएगी। 

उदाहरण अनुसार वृष लग्न1:- 

वृष लग्न में चौथे भाव प्रॉपर्टी स्वामी सूर्य है अब सूर्य और चौथा भाव शुभ और बलवान स्थिति में है साथ ही अब सूर्य या चौथे भाव मे बैठे शुभ ग्रह की महादशा या अंतरदशा आने के साथ जब भी धन और लाभ देने वाले बलवान और शुभ दूसरे या ग्यारहवे भाव स्वामी या इन भावो में बैठे अच्छे शुभ ग्रहों की अन्तर्दशा या महादशा साथ होगी तब कोई भी प्रॉपर्टी बेचना अच्छा फायदा दे जाएगा और प्रॉपर्टी अच्छे से बिक भी जाएगी।

उदाहरण अनुसार कर्क लग्न2:-

कर्क लग्न में चौथे भाव स्वामी शुक्र है अब शुक्र और चौथा भाव अच्छी स्थिति में है और ग्यारहवां भाव जो कि लाभ का है यह भी अच्छी स्थिति में कुंडली मे हो या है तब चौथे भाव या चौथे भाव स्वामी शुक्र की महादशा या अन्तर्दशा के साथ जब किसी भी राजयोग देने वाले ग्रह की या लाभ देने वाले शुभ फल ग्रह की अन्तर्दशा या महादशा साथ आएगी तब प्रॉपर्टी बेचना उसी समय अच्छा लाभ देगा और अच्छे से उसी समय प्रॉपर्टी बिकेगी।                                                                                                        

अब जबकि किसी नुकसान देह ग्रहो के समय में या जो ग्रह प्रॉपर्टी के लिए कुंडली मे शुभ नही है या लाभ देने की स्थिति में शुभ नही है तो ऐसे ग्रहो की महादशा या अन्तर्दशा में प्रोपर्टी बेचना नुकसान दे जाएगा और आगे जीवन मे इस वजह से आगे पष्ताना पड़ेगा।इसी कारण जब अच्छा समय है प्रॉपर्टी सम्बंधित तब ही बेचना लाभ देगा और प्रॉपर्टी बिक पाएगी।

GOVERNMENT TEACHER JOB सरकारी अध्यापक कौन लोग बनेगे

GOVERNMENT TEACHER JOB सरकारी अध्यापक कौन लोग बनेगे



सरकारी अध्यापक कौन लोग बन पाएंगे और सरकारी अध्यापक बनने के बाद कैसा कैरियर रहेगा 

कुंडली का दसवाँ भाव और भाव स्वामी कैरियर, कार्यक्षेत्र/नौकरी का है 

5वा भाव और 5वे भाव स्वामी अध्यापन कार्य से सम्बंधित है तो गुरु बुध शिक्षा के ग्रह 

सूर्य मंगल सरकारी नौकरी देने वाले ग्रह है अब जब दसवे भाव स्वामी या दसवें भाव(नौकरी/कैरियर/रोजगार भाव) का सम्बन्ध 5वे भाव या 5वे भाव स्वामी(शिक्षा/अधयापक/अधयापन कार्य भाव) से बन रहा है 

शिक्षा ग्रह गुरु बुध बलवान है और 5वे और 10वे भाव या इन दोनों भाव या भाव स्वामी के सम्बन्ध में सरकारी नौकरी देने वाले ग्रहो सूर्य या मंगल और गुरु का शुभ स्थिति में सम्बन्ध है तब सरकारी अध्यापक बन जायेंगे, सम्बन्ध शुभ और बलवान होना जरूरी है।

बाकी 5वे और 10वे भाव ,भाव स्वामियों के बीच सम्बन्ध है लेकिन सरकारी नौकरी देने वाले ग्रहो सूर्य मंगल गुरु इन ग्रहो का दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी से कोई सम्बन्ध नही है तब सरकारी अधयापक नही बन पायेगे।

दशमांश कुंडली या लग्न कुंडली मे से किसी मे भी सरकारी अध्यापक बनने की स्थिति बनी हुई है तब जरूर बनेगे।

अब बनेगे कब ,कब सरकारी अध्यापक का जोइनिंग लेटर मिलेगा जब दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी की महादशा या अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा आने पर या दसवे भाव ,दसवे भाव स्वामी से सम्बंध किये ग्रहो की दशा(समय)आने पर।

उदाहरण अनुसार वृष लग्न1:-

वृष लग्न में दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी शनि का सम्बंध 5वे भाव स्वामी बुध या 5वे भाव से बलवान स्थिति में सरकारी जॉब ग्रह या ग्रहो सूर्य या मंगल या गुरु से है या बन रहा है अच्छी स्थिति में तब सरकारी अधयापक बन जायेंगे, जब दसवे भाव या दसवे भाव सम्बन्धी ग्रहो का समय आएगा उसी समय सरकारी अध्यापक का जोइनिंग लेटर हाथ मे आ जायेगा।। 

उदाहरण अनुसार सिंह लग्न2:- 

सिंह लग्न में दसवे भाव या दसवे भाव स्वामी शुक्र का सबन्ध अब यहाँ 5वे भाव स्वामी गुरु या 5वे भाव से बलवान और शुभ स्थिति में सरकारी नौकरी ग्रह या ग्रहो शुभ बलवान सूर्य या मंगल से है या गुरु बलवान और शुभ ज्यादा ही है तब सरकारी अध्यापक बन जायेंगे,जब भी शुक्र ,शुक्र से सम्बंधित या दसवे भाव से सम्बंधित ग्रहो का समय आएगा तब सरकारी अधयापक का जोइनिंग लेटर मिलकर सरकारी अध्यापक बन जायेंगे।। 

उदाहरण अनुसार मकर लग्न3:-

मकर लग्न में दशमेश शुक्र बलवान होकर बुध मंगल या सूर्य सहित 5वे भाव से सम्बन्ध किया है तब सरकारी अध्यापक बन जायेंगे, यहाँ सूर्य के कारण यदि सरकारी अधयापक बनते है तब दिक्कतों से कुछ बन पायेगे क्योंकि सूर्य यहाँ थोड़ा बाधा और परेशानी देकर सफलता सरकारी नौकरी में देने वाला ग्रह है।।

अब दसवाँ भाव और भाव स्वामी(कैरियर/नौकरी) साथ ही 5वा भाव और भाव स्वामी(अधयापक/अध्यापन कार्य/शिक्षा भाव)जितना बलवान और शुभ होगा उतना की शानदार कैरियर और नौकरी की स्थिति सरकारी अध्यापक बनने पर रहेंगी और सरकारी अधयापक बन जायेंगे, सूर्य मंगल गुरु का सहयोग नही है जन्मकुंडली या दशमांश कुंडली के दसवे भाव या भाव स्वामी को तब सरकारी अध्यापक नही बन पायेगे।।

BEING A BILLIONAIRE अरबपति क्या बन पाएंगे

BEING A BILLIONAIRE अरबपति क्या बन पाएंगे

रुपया पैसा कमाना हर एक इंसान की चाहत होती है धन कमाने की चाहत भी ऐसी होती है जो कभी खत्म नही होती है।आज इसी बारे में बात करेंगे क्या लखपति बन पायेगें या करोड़पति बनेगे या अरबपति बन पायेगे आदि??                                                                                 

कुंडली का दूसरा भाव रुपये पैसे और धन कितना होगा आदि का है तो 

ग्यारहवां भाव धन कमाने के रास्ते और कितना धन कमाएंगे इसका है 

गुरु शुक्र बुध धन सम्बन्धी ग्रह है।अब दूसरा भाव/दूसरे भाव का स्वामी साथ ही ग्यारहवां भाव/ग्यारहवें भाव का स्वामी बलवान स्थिति में, शुभ स्थिति में है और ज्यादा से ज्यादा अनुकूल ग्रहो के साथ सम्बन्ध में है धन ग्रह गुरु शुक्र बुध भी बलवान और शुभ स्थिति में है तब लखपति जरूर बन जायेगे 

 दूसरा भाव, भाव स्वामी/ग्यारहवां भाव, ग्यारहवें भाव स्वामी अधिक से अधिक बलवान है और दोनो भाव स्वामी आपस मे सम्बन्ध में है औऱ कुंडली के राजयोग ग्रहो केंद्र त्रिकोण भाव स्वामियों के साथ शुभ स्थिति में सम्बन्ध में है गुरु शुक्र बुध बलवान है या दूसरे भाव स्वामी दूसरे भाव मे  और ग्यारहवे भाव स्वामी ग्यारहवे भाव मे राजयोग बनाकर बैठे है तब बड़े करोड़पति बनना तय है 

जबकि ऎसी स्थिति होने के साथ साथ जन्मकुंडली के दूसरे व ग्यारहवे भाव स्वामी नवमांश कुंडली में भी जाकर बलवान है और राजयोग में है साथ ही होरा कुंडली(धन कुंडली)में भी धनयोग योग बने हुए है तब करोड़पति से अरबपति तक बन जायेंगे 

लेकिन धन सम्बन्धी ग्रह अस्त, नीच के, किसी तरह अशुभ योगो आदि में न हो, पीड़ित नही होने चाहिए।अब औऱ आसान तरह से कुछ उदाहरणो से समझते है कौन लोग लखपति तक रहेंगे, करोड़पति तक बन पायेगे और करोड़पति से अरबपति कौन लोग बन पायेगे??                                                                   

उदाहरण मेष लग्न1:-

मेष लग्न दूसरे भाव स्वामी शुक्र और ग्यारहवें भाव स्वामी शनि दोनो ग्रह और यह दोनो भाव बलवान है बलवान होकर आपस मे सम्बन्ध में है तब लखपति बन जायेंगे।अब यही दोनो भाव बलवान हैं और दोनो भाव स्वामी शुक्र शनि बलवान होकर राजयोग ग्रहो से सम्बन्ध में है तब करोड़पति बन जायेंगे या शनि दूसरे भाव मे और शुक्र ग्यारहवें भाव मे बलवान होकर बैठे हैं और पीड़ित व अशुभ नही है किसी भी तरह तब करोड़पति तक बनेंगे।।                                                                                                 

उदाहरण अनुसार कन्या लग्न2:- 

कन्या लग्न यहाँ दूसरे भाव स्वामी शुक्र व ग्यारहवें भाव स्वामी चन्द्र दोनो बलवान होकर दूसरे ग्यारहवे घर मे ही बैठे हैं तब करोडपति बन जायेंगे और यह शुक्र चन्द्र नवमांश कुंडली मे भी अत्यंत बलवान है और राजयोग में है जन्मकुंडली में शक्तिशाली राजयोग है तब अरबपति बनना तय है लेकिन सामान्य बलवान होकर दूसरे ग्यारहवे भाव सहित शुक्र चन्द्र राजयोग बनाकर बुध या गुरु के साथ बैठे है लखपति बनेगे केवल।।                                                                      

उदाहरण अनुसार कुम्भ लग्न3:-

कुम्भ लग्न में दूसरे औऱ ग्यारहवें भाव स्वामी गुरु है अब गुरु बलवान होकर उच्च होकर छठे भाव मे शुभ स्थिति में हैं तब बड़े लखपति बनना तय है, अब साथ ही दूसरे भाव पर यहाँ राजयोग ग्रह शुक्र बुध मंगल सूर्य जैसे ग्रहो की दृष्टि है या यह ग्रह बैठें तब करोड़पति बन जायेंगे जबकि नवमांश में भी यहाँ गुरु बलवान हैं राजयोग में भी हैं और साथ ही होरा कुंडली मे भी धन स्थिति अच्छी हैं तब अरबपति तक बन जायेंगे।।                                                             

नोट:- 

धन सम्बन्धी शक्तिशाली महादशा अन्तर्दशाये व गोचर ग्रहो का समय आने पर या जब समय आएगा धन सम्बन्धी ग्रहो का तब लखपति, करोड़पति, अरबपति आदि बनने का जो भी योग स्थिति होगी तब उसी समय बन पायेगे बाकी उपरोक्त उदाहरण अनुसार लखपति, करोड़पति, अरबपति बनने के योगो के साथ कुंडली का रोजगार भाव दसवाँ भाव भी राजयोग और अच्छे रोजगार की स्थिति में होना भी जरूरी है तब पूर्ण रूप से लखपति, करोड़पति, अरबपति पूर्णतः बन पायेगे।।

Saturday, January 22, 2022

SOMVATI MOUNI AMAVASYA सोमवती अमावस्या

 SOMVATI MOUNI AMAVASYA सोमवती अमावस्या 

* यह खास उपाय सोमवती अमावस्या को होता है , जो एक ही बार काफी है… 

फिर भी यदि 5 सोमवती अमावस्या किया जाए तो बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते है।
ये उपाय संकल्प के साथ किया जाता है ,
सोमवती अमावस्या को , पास ही स्थित किसी पीपल के पेड़ के पास जाइये और उस पेड़ को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये। 
पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, 
फिर उस पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा कीजिये। 
हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई (जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो, यदि नहीं भी हो तो बताशे ही अर्पित कर दें ) पीपल को अर्पित कीजिये। 
परिक्रमा करते समय " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” मंत्र का जाप करते जाइये। 
परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड़ और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये। 
उनसे जाने-अनजाने मे हुए अपराधों के लिए क्षमा मांग लीजिए।


सोमवती अमावस्या को अत्यंत पुण्य तिथि माना जाता है । 
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन किये गए किसी भी प्रकार के उपाय शीघ्र ही फलीभूत होते है । सोमवती अमावस्या के दिन उपाय करने से मनुष्यों को सभी तरह के शुभ फल प्राप्त होते है , अगर उनको कोई कष्ट है तो उसका शीघ्र ही निराकरण होता है और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार पर आने वाले सभी तरह के संकट टल जाते है। इस दिन जो मनुष्य व्यवसाय में परेशानियां से जूझ रहे हो, वे पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें तो उनकी व्यवसाय में आ रही समस्त रुकावट दूर हो जाएगी।


 इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य निश्चय ही समृद्ध, स्वस्थ और सभी दुखों से मुक्त होगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।

 इस दिन पवित्र  नदियों, तीर्थों में स्नान, ब्राह्मण भोजन, गौदान, अन्नदान, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन यदि गंगा जी जाना संभव न हो तो प्रात:काल किसी नदी या सरोवर आदि में स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और तुलसी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। 

इसलिए इस दिन भगवान शिव कि कृपा पाने के लिए शिव जी का अभिषेक करना चाहिए, या प्रभु भोले भंडारी पर बेलपत्र, कच्चा दूध ,मेवे,फल,मीठा,जनेऊ जोड़ा  आदि चढ़ाकर ॐ नम: शिवाय का जाप करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। 

मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह-सुबह नित्यकर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाकर सवा किलो साफ चावल अर्पित करते हुए भगवान शिव का पूजन करें। पूजन के पश्चात यह चावल किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को दान करें। शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमवस्या पर शिवलिंग पर चावल चढ़ाकर उसका दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। 

 शास्त्रों में वर्णित है कि सोमवती अमावस्या के दिन उगते हुए भगवान सूर्य नारायण को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करती है । 

सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारायण का जाप करते हुए परिक्रमा करें, इससे जीवन के सभी आर्थिक संकट निश्चय ही समाप्त हो जाते है।  

जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह यदि गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें अवश्य ही मानसिक शांति प्राप्त होगी। 
इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है। 

इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा,कानूनी विवाद,आर्थिक परेशानियों और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गये उपाय अवश्य ही सफल होते है । इस दिन जो व्यक्ति धोबी,धोबन  को भोजन कराता है,सम्मान करता है, दान दक्षिणा देता है, उसके बच्चो को कापी किताबे, फल, मिठाई,खिलौने आदि देता है उसके सभी मनोरथ अवश्य ही पूर्ण होते है । 
इस दिन ब्राह्मण, भांजा और  ननद को फल, मिठाई या खाने की सामग्री का दान करना बहुत ही उत्तम फल प्रदान करता है।


अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राषि में रहे, तब तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए। अमावस्या को केवल श्री हरि विष्णु का भजन र्कीतन ही करना चाहिए। अमावस्या व्रत का फल भी शास्त्रों में बहुत ही ऊंचा बतलाया है।

हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें। इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है ।

अमावश्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्लव पत्र को भूल से भी न तोड़ा. अमावश्या पर देवी देवताओ अथवा भगवान शिव को बिल्लव पत्र चढ़ाएं के लिए उसे एक पहले ही तोड़ कर रख ले.

किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।

वास्तु विजिटिंग के लिए एवं अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने या अपनी कुण्डली बनवाने के लिए अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति हेतु संपर्क करें ।।

Tuesday, January 18, 2022

SHABAR MANTRON KO JAGANE KI VIDHI शाबर मंत्रों को जगाने की विधि

SHABAR MANTRON KO JAGANE KI VIDHI 

शाबर मंत्रों को जगाने की विधि


शाबर मंत्रों के मुख्य पांच प्रकार है –

1. प्रबल शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र कार्य सिद्धि के लिए प्रयोग होते है, इन में प्रत्यक्षीकरण नहीं होता! केवल जिस मंशा से जप किया जाता है वह इच्छा पूर्ण हो जाती है! इन्हें कार्य सिद्धि मंत्र कहना गलत ना होगा! यह मंत्र सभी प्रकार के कर्मों को करने में सक्षम है! अतः इस प्रकार के मंत्रों में व्यक्ति देवता से कार्य-सिद्धि के लिए प्रार्थना करता है, साधक एक याचक के रूप में देवता से याचना करता है!

2. बर्भर शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र भी सभी प्रकार के कार्यों को करने में सक्षम है पर यह प्रबल शाबर मंत्र से अधिक तीव्र माने जाते है ! बर्भर शाबर मंत्र में साधक देवता से याचना नहीं करता अपितु देवता से सौदा करता है! इस प्रकार के मंत्रों में देवता को गाली, श्राप, दुहाई और धमकी आदि देकर काम करवाया जाता है! देवता को भेंट दी जाती है और कहा जाता है कि मेरा अमुक कार्य होने पर मैं आपको इसी प्रकार भेंट दूंगा! यह मंत्र बहुत ज्यादा उग्र होते है!

3. बराटी शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र में देवता को भेंट आदि ना देकर उनसे बलपूर्वक काम करवाया जाता है! यह मंत्र स्वयं सिद्ध होते है पर गुरु-मुखी होने पर ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाते है! इस प्रकार के मंत्रों में साधक याचक नहीं होता और ना ही सौदा करता है! वह देवता को आदेश देता है कि मेरा अमुक कार्य तुरंत करो! यह मन्त्र मुख्य रूप से योगी कानिफनाथ जी के कापालिक मत में अधिक प्रचलित है! कुछ प्रयोगों में योगी अपने जुते पर मंत्र पढ़कर उस जुते को जोर-जोर से नीचे मारते है तो देवता को चोट लगती है और मजबूर होकर देवता कार्य करता है!

4. अढैया शाबर मंत्र – इस प्रकार के शाबर मंत्र बड़े ही प्रबल माने जाते है और इन मंत्रों के प्रभाव से प्रत्यक्षीकरण बहुत जल्दी होता है! प्रत्यक्षीकरण इन मन्त्रों की मुख्य विशेषता है और यह मंत्र लगभग ढ़ाई पंक्तियों के ही होते है! अधिकतर अढैया मन्त्रों में दुहाई और धमकी का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता पर फिर भी यह पूर्ण प्रभावी होते है!

5. डार शाबर मंत्र – डार शाबर मंत्र एक साथ अनेक देवताओं का दर्शन करवाने में सक्षम है जिस प्रकार “बारह भाई मसान” साधना में बारह के बारह मसान देव एक साथ दर्शन दे जाते है! अनेक प्रकार के देवी देवता इस मंत्र के प्रभाव से दर्शन दे जाते है जैसे “चार वीर साधना” इस मार्ग से की जाती है और चारों वीर एक साथ प्रकट हो जाते है! इन मन्त्रों की जितनी प्रशंसा की जाए उतना ही कम है, यह दिव्य सिद्धियों को देने वाले और हमारे इष्ट देवी देवताओं का दर्शन करवाने में पूर्ण रूप से सक्षम है! गुरु अपने कुछ विशेष शिष्यों को ही इस प्रकार के मन्त्रों का ज्ञान देते है!

नाथ पंथ की महानता को देखकर बहुत से पाखंडी लोगों ने अपने आपको नाथ पंथी घोषित कर दिया है ताकि लोग उनकी बातों पर विश्वास कर ले! ऐसे लोगों से यदि यह पूछा जाये कि आप बारह पन्थो में से किस पंथ से सम्बन्ध रखते है? आपकी दीक्षा किस पीठ से हुयी है ? आपके गुरु कौन है? तो इन लोगों का उत्तर होता है कि मैं बताना जरूरी नहीं समझता क्योंकि इन लोगों को इस विषय में ज्ञान ही नहीं होता , पर आज के इस युग में लोग बड़े समझदार है और इन धूर्तों को आसानी से पहचान लेते है!

ऐसे महापाखंडीयो ने ही प्रचार किया है कि सभी शाबर मंत्र ”गोरख वाचा” है अर्थात गुरु गोरखनाथ जी के मुख से निकले हुए है पर मेरा ऐसे लोगों से एक ही प्रश्न है क्या जो मन्त्र कानिफनाथ जी ने रचे है वो भी गोरख वाचा है? क्या जालंधरनाथ जी के रचे मन्त्र भी गोरख वाचा है? इन मंत्रों की बात अलग है पर क्या मुस्लिम शाबर मंत्र भी गोरख वाचा है? ऐसा नहीं है मुस्लिम शाबर मंत्र मुस्लिम फकीरों द्वारा रचे गए है!

भगवान शिव ने सभी मंत्रों को किलित कर दिया पर शाबर मंत्र किलित नहीं है ! शाबर मंत्र कलियुग में अमृत स्वरूप है! शाबर मंत्र को सिद्ध करना बड़ा ही सरल है न लम्बे विधि विधान की आवश्यकता और न ही करन्यास और अंगन्यास जैसी जटिल क्रियाएँ! इतने सरल होने पर भी कई बार शाबर मंत्र का पूर्ण प्रभाव नहीं मिलता क्योंकि शाबर मंत्र सुप्त हो जाते है ऐसे में इन मंत्रों को एक विशेष क्रिया द्वारा जगाया जाता है!

शाबर मंत्र के सुप्त होने के मुख्य कारण –
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1. यदि सभा में शाबर मंत्र बोल दिए जाये तो शाबर मंत्र अपना प्रभाव छोड़ देते है!
2. यदि किसी किताब से उठाकर मन्त्र जपना शुरू कर दे तो भी शाबर मंत्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते!
3. शाबर मंत्र अशुद्ध होते है इनके शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता क्योंकि यह ग्रामीण भाषा में होते है यदि इन्हें शुद्ध कर दिया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है!
4. प्रदर्शन के लिए यदि इनका प्रयोग किया जाये तो यह अपना प्रभाव छोड़ देते है!
5. यदि केवल आजमाइश के लिए इन मंत्रों का जप किया जाये तो यह मन्त्र अपना पूर्ण प्रभाव नहीं देते !

ऐसे और भी अनेक कारण है ! उचित यही रहता है कि शाबर मंत्र को गुरुमुख से प्राप्त करे क्योंकि गुरु साक्षात शिव होते है और शाबर मंत्र के जन्मदाता स्वयं शिव है ! शिव के मुख से निकले मन्त्र असफल हो ही नहीं सकते !

शाबर मंत्र के सुप्त होने का कारण कुछ भी हो इस विधि के बाद शाबर मन्त्र पूर्ण रूप से प्रभावी होते है !

|| मन्त्र ||
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सत नमो आदेश! गुरूजी को आदेश! ॐ गुरूजी! डार शाबर बर्भर जागे, जागे अढैया और बराट, मेरा जगाया न जागे तो तेरा नरक कुंड में वास! दुहाई शाबरी माई की! दुहाई शाबरनाथ की! आदेश गुरु गोरख को!

|| विधि ||
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इस मन्त्र को प्रतिदिन गोबर का कंडा सुलगाकर उसपर गूगल डाले और इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे ! जब तक मन्त्र जाप हो गूगल सुलगती रहनी चाहिये ! यह क्रिया आपको २१ दिन करनी है, अच्छा होगा आप यह मन्त्र अपने गुरु के मुख से ले या किसी योग्य साधक के मुख से ले! गुरु कृपा ही सर्वोपरि है कोई भी साधना करने से पहले गुरु आज्ञा जरूर ले!

|| प्रयोग विधि ||
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जब भी कोई साधना करे तो इस मन्त्र को जप से पहले ११ बार पढ़े और जप समाप्त होने पर ११ बार दोबारा पढ़े मन्त्र का प्रभाव बढ़ जायेगा! यदि कोई मन्त्र बार-बार सिद्ध करने पर भी सिद्ध न हो तो किसी भी मंगलवार या रविवार के दिन उस मन्त्र को भोजपत्र या कागज़ पर केसर में गंगाजल मिलाकर अनार की कलम से या बड के पेड़ की कलम से लिख ले! फिर किसी लकड़ी के फट्टे पर नया लाल वस्त्र बिछाएं और उस वस्त्र पर उस भोजपत्र को स्थापित करे! घी का दीपक जलाये, अग्नि पर गूगल सुलगाये और शाबरी देवी या माँ पार्वती का पूजन करे और इस मन्त्र को १०८ बार जपे फिर जिस मन्त्र को जगाना है उसे १०८ बार जपे और दोबारा फिर इसी मन्त्र का १०८ बार जप करे! लाल कपडे दो मंगवाए और एक घड़ा भी पहले से मंगवा कर रखे! जिस लाल कपडे पर भोजपत्र स्थापित किया गया है उस लाल कपडे को घड़े के अन्दर रखे और भोजपत्र को भी घड़े के अन्दर रखे! दूसरे लाल कपडे से भोजपत्र का मुह बांध दे और दोबारा उस कलश का पूजन करे और शाबरी माता से मन्त्र जगाने के लिए प्रार्थना करे और उस कलश को बहते पानी में बहा दे! घर से इस कलश को बहाने के लिए ले जाते समय और पानी में कलश को बहाते समय जिस मन्त्र को जगाना है उसका जाप करते रहे! यह क्रिया एक बार करने से ही प्रभाव देती है पर फिर भी इस क्रिया को ३ बार करना चाहिये मतलब रविवार को फिर मंगलवार को फिर दोबारा रविवार को ! भगवान आदिनाथ और माँ शाबरी आप सबको मन्त्र सिद्धि प्रदान करे !

Monday, January 17, 2022

LAGHU DURGA GUPT SAPTSHATI दुर्गासप्तशती लघु गुप्तसप्तशती

 LAGHU DURGA GUPT SAPTSHATI दुर्गासप्तशती लघु गुप्तसप्तशती

ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है      

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JYOTISH TANTRA MANTRA YANTRA TOTKA VASTU GHOST BHUT PRET JINNAT BAD DREAMS BURE GANDE SAPNE COURT CASE LOVE AFFAIRS, LOVE MARRIAGE, DIVORCEE PROBLEM, VASHIKARAN, PITR DOSH, MANGLIK DOSH, KAL SARP DOSH, CHANDAL DOSH, GRIH KALESH, BUSINESS, VIDESH YATRA, JNMPATRI, KUNDLI, PALMISTRY, HAST REKHA, SOLUTIONS

दुर्गासप्तशती लघु गुप्तसप्तशती LAGHU DURGA GUPT SAPTSHATI

मार्कण्डेय कृत 
नवरात्री में करे गुप्त सप्तशती का पाठ दुर्गा सप्तशती के पाठ से जो फल प्राप्त होता है वो फल इस गुप्तसप्तशती के पाठ से प्राप्त होता है नौ दिनों तक मातारानी के आगे या श्रीयंत्र के आगे  गाय के घी का दीपक प्रज्वलित करके मानसिक संकल्प करके ( अपनी कामना अनुसार संकल्प करे ) और मातारानी को खीर का भोग लगाकर इस लघु गुप्त सप्तशती के नौ पाठ करने से माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा प्राप्त करे | इस स्तोत्र को पढ़ने से पहले हो सके तो तंत्रोक्त दुर्गाकवच सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करे और बाद में इस लघु गुप्त सप्तशती का पाठ करे | इसका कोई विनियोग न्यास आदि नहीं है ना ही यह शापित या कीलित है | 

ॐ ब्रीं ब्रीं ब्रीं वेणुहस्ते स्तुत सुर बटुकैर्हां गणेशस्य माता | 
स्वानन्दे नन्दरूपे अनहतनिरते मुक्तिदे मुक्तिमार्गे || 
हंसः सोऽहं विशाले वलयगति हसे सिद्ध देवी समस्ता 
हीं हीं हीं सिद्धलोके कच रुचि विपुले वीरभद्रे नमस्ते || १ || 

ॐ ह्रींकारोच्चारयन्ती मम हरति भयं चण्डमुण्डौ प्रचण्ड़े  
खां खां खां खड्ग पाणे ध्रक ध्रक ध्रकिते उग्ररूपे स्वरूपे | 
हुं हुं हुँकार नादे गगन भुवि तले व्यापिनी व्योमरूपे 
हं हं हँकार नादे सुरगण नमिते चण्डरुपे नमस्ते || २ || 

ऐं लोके कीर्तयन्ति मम हरतु भयं राक्षसान हन्यमाने 
घ्रां घ्रां घ्रां घोररूपे घघ घटिते घर्घरे घोर रावे | 
निर्मांसे काकजङ्घे घसित नख नखा धूम्रनेत्रे त्रिनेत्रे 
हस्ताब्जे शूलमुण्डे कुल कुल कुकुले सिद्धहस्ते नमस्ते || ३ || 

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ऐं कुमारी कुह कुह मखिले कोकिलेमानुरागे 
मुद्रासंज्ञं त्रिरेखा कुरु कुरु सततं सततं श्रीमहामारि गुह्ये | 
तेजोंगे सिद्धिनाथे मनुपवन चले नैव आज्ञा निधाने 
ऐंकारे रात्रिमध्ये स्वपित पशुजने तंत्रकान्ते नमस्ते || ४ || 

ॐ व्रां व्रीं व्रूं  व्रैं कवित्वे दहनपुर गते रुक्मिरूपेण चक्रे
त्रिः शक्त्या युक्तवर्णादिक करनमिते दादिवं पूर्व वर्णे |
ह्रीं स्थाने कामराजे ज्वल ज्वल ज्वलिते कोशिनि कोशपत्रे 
स्वच्छन्दे कष्टनाशे सुरवर वपुषे गुह्यमुंडे नमस्ते || ५ 

ॐ घ्रां घ्रीं घ्रूं घोरतुण्डे घघ घघ घघघे घर्घरान्यांघ्रिघोषे
ह्रीं क्रीं द्रूं  द्रोंच चक्रे रर रर रमिते सर्वज्ञाने प्रधाने | 
द्रीं तीर्थेषु च ज्येष्ठे जुग जुग जुजुगे म्लीं पदे कालमुण्डे
सर्वाङ्गे रक्तधोरा मथन करवरे वज्रदण्डे नमस्ते || ६ || 

ॐ क्रां क्रीं क्रूं वामनमिते गगन गड़गड़े गुह्य योनिस्वरूपे 
वज्रांगे वज्रहस्ते सुरपति वरदे मत्त मातङ्गरूढे | 
स्वस्तेजे शुद्धदेहे लललल ललिते छेदिते पाशजाले 
कुंडल्याकाररुपे वृष वृषभ ध्वजे ऐन्द्रि मातर्नमस्ते || ७ || 

ॐ हुं हुं हुंकारनादे विषमवशकरे यक्ष वैताल नाथे
सुसिद्ध्यर्थे सुसिद्धेः ठठ ठठ ठठठः सर्वभक्षे प्रचन्डे | 
जूं सः सौं शान्ति कर्मेऽमृत मृतहरे निःसमेसं समुद्रे 
देवि त्वं साधकानां भव भव वरदे भद्रकाली नमस्ते || ८ || 

ब्रह्माणी वैष्णवी त्वं त्वमसि बहुचरा त्वं वराहस्वरूपा 
त्वं ऐन्द्री त्वं कुबेरी त्वमसि च जननी त्वं कुमारी महेन्द्री | 
ऐं ह्रीं क्लींकार् भूते वितळतळ तले भूतले स्वर्गमार्गे 
पाताले शैलशृङ्गे हरिहर भुवने सिद्धचन्डी नमस्ते || ९ ||       

हं लं क्षं शौण्डिरुपे शमित भव भये सर्वविघ्नान्त विघ्ने 
गां गीं गूं गैं षडङ्गे गगन गतिगते सिद्धिदे सिद्धसाध्ये | 
वं क्रं मुद्रा हिमांशोरप्रॅहसतिवदने  त्र्यक्षरे ह्सैं निनादे 
हां हूँ गां गीं गणेशी गजमुखजननी त्वां महेशीं नमामि 
|| इति श्री मार्कण्डेय कृत लघुगुप्त सप्तशती सम्पूर्णं || 

हर बार पाठ करने से पहले दुर्गातन्त्रोक्त कवच या सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नहीं करना है सिर्फ एक ही बार जब पाठ की शुरुआत करे तब यह पाठ करना है .

फिर दूसरे दिन भी वैसे ही जब पाठ की शुरुआत करे उससे पहले एक बार दुर्गा तंत्रोक्त कवच या कुंजिका स्तोत्र का पाठ करे और पश्चात गुप्तसप्तशती का आरम्भ करे 

संकल्प भी एक ही बार लेना है प्रथम दिन ( पहले नवरात्र ) में | 
नवरात्री में नौ दिनो तक नौ नौ पाठ करके गुप्त सप्तशती की साधना करनी चाहिए 

इस साधना से दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है इस पाठ से माँ दुर्गा की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है 
दुर्गा माँ सभी कार्य सिद्ध करते है लक्ष्मी प्राप्ति के द्वार खुल जाते है व्यपार में वृद्धि होती है 
दुश्मनो पर विजय प्राप्त होती है सरकारी कामो में सफलता प्राप्त होती है और सभी प्रकार के लाभ मिलते है 

Wednesday, January 12, 2022

BIRTHDAY JANAMDIN KAISE MNAYEN जन्मदिन कैसे मनाएं

BIRTHDAY JANAMDIN KAISE MNAYEN जन्मदिन कैसे मनाएं

हर जातक को चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , छोटा हो या बड़ा अपना जन्मदिवस बहुत ही प्रिय होता है । सभी लोगो को अच्छा लगता है कि लोग उनके जन्मदिन के दिन उन्हें शुभकामनाएँ दें, उन्हें सराहे, परिवार के सदस्य , अभिन्न मित्र उस दिन साथ में समय बिताएं , उनके बारे में अच्छी अच्छी बाते करें। इसीलिए अधिकतर सभी लोग अपना जन्मदिवस बहुत प्रसन्नता से मानते है, लेकिन क्या हमें मालूम है कि इस महत्वपूर्ण दिन में हम क्या करें जिससे ईश्वर की कृपा मिले, जिससे जीवन में सुख-शान्ति, आरोग्य, दीर्घायु, सम्पन्नता, यश और सफलता की प्राप्ति हो । 

वर्तमान युग में अधिकतर लोग पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होकर अपना जन्म दिन रात में धूम धड़ाका करके मानते है । लोग रात्रि में पहले केक पर मोमबत्ती जलाकर उसे फूंक मार कर बुझा देते है, फिर उस केक को जिस पर उनका नाम लिखा होता है उसे काटकर सब लोगो को खिलाते है , उस रात्रि में लोग मौज-मस्ती करके माँस मदिरा का सेवन करते है जो कि सर्वथा गलत है । 

इस संसार में प्रत्येक जातक का जन्म किसी ना किसी उद्देश्य से ही हुआ है , ईश्वर ने हम सभी पर बहुत बड़ी कृपा की है कि हमें 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि में जन्म दिया है। 
हमें इस बात का अवश्य ही ध्यान देना चाहिए की ईश्वर ने हमें जितनी आयु दे रखी है , उसकी अवधि शने: शने: समाप्त हो रही है, इसलिए इस दिन हम ईश्वर से अपनी सभी पिछली जाने अनजाने में की गयी गलतियों के लिए क्षमा माँगते हुए उन्हें अब तक के जीवन के लिए धन्यवाद दें । उनसे प्रार्थना करें कि हमारा आने वाला जीवन और भी अधिक सार्थक और उद्देश्य पूर्ण साबित हो । 

जानिए जन्मदिन वाली तिथि पर क्या करें कि हमें ईश्वर की पूर्ण कृपा प्राप्त हो 

 हम जन्मदिन दिनांक के आधार पर मानते है लेकिन हमें अपना जन्मदिन तिथि के अनुसार मनाना चाहिए । तिथि नुसार जन्मदिन मनाने से हमें देवताओं का आशीर्वाद मिलता है । हम जिस दिन पैदा हुए थे उस दिन की तिथि, वार, नक्षत्र का स्मरण करते हुए वर्तमान तिथि , वार, नक्षत्र से अपने सफल जीवन के लिए प्रार्थना करें। इससे हमें परम पिता परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इसलिए हमें जन्म दिन तिथि के अनुसार ही मनाना चाहिए । 

हमें यदि अपना जन्म दिन याद है तो किसी भी पंडित से मिलकर पंचाग के माध्यम से बहुत आसानी से हम अपनी जन्मतिथि और माह को ज्ञात कर सकते है ।

लोग जन्मदिवस कहते है और इसे रात्रि में मनाते है ऐसा क्यों ? हमें जन्म दिवस मनाना है या जन्म रात्रि ?जन्मदिन को देर रात्रि में नहीं मनाना चाहिए यह जातक के लिए शुभ नहीं होता है। रात्रि का सम्बन्ध अंधेरे से है और दिन का रोशनी से तो आखिर क्यों हम अपना जन्म दिन को रात्रि में मनाकर अपने जीवन में खुद ही अंधेरा करते है, इसलिए जन्मदिन दिन के समय में ही मनाना उचित है ।

 जन्मदिवस के दिन प्रात: बेला में उठकर सबसे पहले ईश्वर का ध्यान करते हुए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ते हुए । 

"कराग्रे वस्ते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती। 
करमूले तू गोविन्दःप्रभाते करदर्शनम्"।। 

मन्त्र का जाप करके हथेलियों को तीन बार चूमें । 

फिर सबसे पहले अपने माता -पिता और बड़ों का आशीर्वाद ले , क्योंकि उन्ही के कारण आज आपका अस्तित्व है , उन्ही के आशीर्वाद से आप बड़े से बड़े संकट से बाहर निकलते रहे है । फिर स्नान , पूजा करने के बाद आप अपने गुरु का आशीर्वाद भी अवश्य ही लें । वह गुरु आपका अध्यापक / आपको राह दिखाने वाला / आपका अधिकारी / आपका आदर्श, प्रेणना स्रोत्र कोई भी हो सकता है ।
मनु स्मृति में लिखा है कि

"मातृदेवो भव। पितृदेवो भव,
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्"।


“अर्थात जो व्यक्ति नित्य अपने माता-पिता एवं गुरूजनों को प्रणाम करते हैं, उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश तथा बल यह सभी चार पदार्थ बढ़ते रहते हैं।”

 इस दिन प्रात: घर पर खीर, हलवा आदि मीठा बनवाकर घर के मंदिर में ईश्वर को भोग लगाना चाहिए । तत्पश्चात घर के मुखिया को चाहिए कि वह इसे घर के बड़े बुजुर्गो, बच्चो और स्त्रियों को बाँटकर फिर स्वयं ग्रहण करें इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होगी है ।

 इस दिन अपने घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान , हवन आदि करके उसका प्रशाद लोगो में बँटवाना चाहिए ।

 अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर किसी सिद्ध मंदिर में ईश्वर की पूजा अर्चना करके उनके चरणों में फल, फूल, नारियल, मिठाई, दक्षिणा आदि अर्पण कर अपने जीवन में सुख शांति और सभी संकटो से मुक्ति के लिए आशीर्वाद माँगना चाहिए।

 वर्तमान समय में हम केक पर मोमबत्ती बुझा कर, अपना नाम काट कर अपने लिए जीवन की राह में अंधेरा कर लेते है, खुद ही संकटो को बुलावा देते है, जबकि हमें जीवन में हर्ष और प्रसन्नता चाहिए ना की अँधेरा । इसीलिए जन्मदिवस के दिन हमे भगवान के सम्मुख दीपक अवश्य जलाना चाहिएं। जिससे हमारा आने वाला समय हमारे जीवन में सुख-शान्ति, समृद्धि, सफलता और आरोग्य की रोशनी ले कर आए।

 जन्मदिवस के दिन हमें अपने दाहिने कलाई पर रक्षा मंत्र के साथ किसी पण्डित से रक्षा सूत्र / कलावा बंधवाकर माथे पर सौभाग्य के लिए तिलक लगवाना चाहिए ।

 अपनी जन्म तिथि पर किसी धर्म स्थान / पार्क / नदी / तालाब के किनारे कोई शुभ , उपयोगी पेड़ जैसे आम, आंवला, नीम, पीपल को लगाएं । शास्त्रों के अनुसार जीवन में पेड़ लगाकर उसकी सेवा करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है । मान्यता है कि जैसे जैसे ये पेड़ बढेगा वैसे ही आप के जीवन में सुख और सौभाग्य आएगा ।

 इस दिन किसी अनाथालय अथवा वृद्ध आश्रम में अन्न फल का दान अवश्य ही करना चाहिए । जिससे हम पर माँ अन्नपूर्ण की सदैव कृपा बनी रहे ।

 जन्मदिवस के शुभ अवसर पर घर पर ही सात्विक भोजन/ पकवान बना कर सबसे पहले घर के मंदिर में ईश्वर को भोग लगाएं फिर अपने पितरों को स्मरण करते हुए कम से कम एक ब्राह्मण को बुला कर प्रेम, श्रद्धा और आदर के साथ अपने हाथो से परोस कर भोजन कराएँ । भोजन के अंत में उन्हें मीठा अवश्य खिलाएं फिर उन्हें यथाशक्ति दान , दक्षिणा देकर उनके चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें । इससे जिसका जन्मदिवस है उसे ईश्वर, पितृ और ब्राह्मण सभी की कृपा मिलती है, धर्म की प्राप्ति होती है , जीवन से अस्थिरता दूर होती है और आने वाला समय शुभ फलो को प्रदान करने वाला होता है ।

 जन्मदिवस में यदि रात्रि को आयोजन करना है तो अवश्य ही करें , लेकिन ध्यान दे कि दिन के प्रकाश में शुभ शक्तियाँ होती है अत: दिन में जो आयोजन होता है उसमें तामसी पदार्थो, माँस , मदिरा आदि का प्रयोग बहुत ही कम होता है लेकिन रात्रि अर्थात अंधकार में असुरी शक्तियाँ विचरण करने लगती है अत: रात्रि के आयोजन में सामान्यता: माँस, मदिरा, आदि का उपयोग अधिक होता है। तब आप ही निर्णय करें कि अपने जन्मदिवस में आप अपनी लम्बी , सफल और समृद्धि से भरी जिंदगी की कामना करते हुए कुछ निर्दोष पशु पक्षियों की जीवन की लौ बुझा देंगे ।

 जन्मदिवस में यदि केक काटना है तो काटे लेकिन केक के ऊपर मोमबत्ती को जलाकर क्यों बुझाना है । हिन्दु संस्कृति में ज्योति को मुख से फूँक कर बुझाना बहुत अशुभ माना जाता है। दीपक का बुझना अपशकुन माना जाता है ,शास्त्रो के अनुसार ज्योति प्रकाश का स्वरूप है और उसे बुझा कर हम क्यों जीवन में अन्धकार को आमंत्रण ही देते है । इसलिए केक के ऊपर मोमबत्ती कदापि ना लगाएं ।

 हर व्यक्ति चाहता है कि उसको यश मिले, उसका नाम सब जगह जाना जाय, लोग उसका नाम आदर के साथ लें , और करते हम सब उल्टा ही है । हम केक के ऊपर अपना ( जिसका जन्मदिवस होता है उसका नाम ) लिखवाकर खुद ही उसे चाकू से काटते है फिर उस नाम के टुकड़े टुकड़े करके लोगो में खाने को बाँट देते है , यह हिन्दु धर्म के अनुसार बहुत ही अशुभ माना जाता है अत: पहली बात तो यह है कि केक की जगह कोई अच्छी सी मिठाई / लड्डू आदि हर्ष और प्रसन्नता के लिए बाँटे और यदि केक ही काटना हो तो उस पर अपना नाम लिखवाकर तो उसे कदापि ना काटे और ना ही नाम को खाएं । केक पर नाम इसलिए भी ना लिखवाएं क्योंकि वहाँ पर उपस्थित सभी लोगो को इतना तो पता ही होता है कि जन्मदिवस किसका है ।

 जन्मदिवस पर कोई भी आयोजन दिन में ही करें , केक काटना है तो काटे लेकिन उस पर अपना नाम ना लिखे और मोमबत्तियाँ ना बुझाएं , फिर अगर आपको रात में लोगो को पार्टी देनी है तो रात में पार्टी में दिन के समय काटा गया केक लोगो के मध्य बाँट दें ।

 जन्मदिवस पर आप अनाथ, गरीब और असहायों की अवश्य ही मदद करें, उन्हें फल, खिलौने, कपड़े आदि दें उन्हें मीठा कुछ अच्छा खिलाएं / दान में दे, इससे आपको उनकी दिल से निकली हुई दुआएं मिलती है । याद रखिये हमारे अच्छे कर्मो के कारण मिलने वाली दुआएं आशीर्वाद हमारे लिए एक रक्षा कवच का कार्य करती है । इनसे घोर से घोर कष्ट, संकट भी कट जाते है ।

तो अब जब भी आपका आपके परिवार के सदस्य या किसी परिचित का जन्मदिवस हो तो यहाँ पर बताई गई बातो पर अवश्य ध्यान दें इससे ना केवल आप को पूर्ण आत्म शांति ही मिलेगी वरन आप हर वर्ष नयी ऊँचाइयों को भी छूते रहेंगे ।


जन्मदिवस कैसे मनायेंCelebrate Vedic Birthday - Precious Gift Wishes

जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का गौरव बढायेंगे ।

जन्मदिवस के दिन बच्चा ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है । जरा सोचिये, हम कैसी उलटी गंगा बहा रहे हैं ! जहाँ दीये जलने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं ! जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से खा-खिला रहे हैं ! हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि इन मासूमों को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें । यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं । पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला । थोडे-से चावल हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें । फिर उनसे स्वस्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो ४, उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा ५वें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप में एक बडा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें । फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बडा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाववाले व्यक्ति से जलवायें । इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें । फिर आरती व प्रार्थना करें । अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें - * पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें । * लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।

भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
'हैप्पी बर्थ-डे' भूल ही जाओ,जन्मदिवस बधाई कहो-कहलवाओ ।।
सुबह ब्राह्ममुहूर्त में जागो, मात-पिता-प्रभु पाँवों लागो ।
सभी बडों के चरण छूना, केक का नाम भूल ही जाना ।।
अपने सोये मन को जगाओ, अपना जीवन उन्नत बनाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
जन्मदिवस को दीये जलाना, नहीं चाहिए ज्योति बुझाना ।
दीपज्योति से जीवन जगमगाना, ना इसको तम में ले जाना ।।
वेदों की ये शिक्षा पा लो, ज्ञान-सुधा से मन महकाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
आज तुम अन्न-प्रसाद बाँटना, दीन-गरीबों में दान भी देना ।
गये साल का हिसाब लगाना, नये साल की उमंगें जगाना ।।
बापू कहते सदा खुश रहो, यही आशीष है प्रभु-सुख पाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।

क्यों अशुभ है अंग्रेजी तारीख पर जन्मदिन मनाना?
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जन्मदिन
किसे का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। घर के बच्चे हमेशा इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के लिए रात को बारह बजे केक काटना है या भाई-बहन का जन्मदिन रात के बारह बजे ही सेलिब्रेट करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं अंग्रेजी तिथि अनुसार बर्थडे या एनिवर्सरी मनाना किसी के लिए भी शुभ नहीं है। इसके पीछे कुछ ऐसे कारण है, जिनका सीधा संबंध हमारे शास्त्रों से हैं।

2
मॉडर्न पीढ़ी
पश्चात्य संस्कृति की अत्याधिक लोकप्रियता होने के बाद लोग अपनी मूल संस्कृति को लगभग दरकिनार कर चुके हैं। लेकिन हम चाहे कितने ही मॉडर्न या आधुनिक क्यों ना हो जाएं शास्त्रों के महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

3
अंग्रेजी कैलेंडर
अंग्रेजियत के हावी होने की वजह से लोग उसी तिथि को अपना जन्मदिन समझ बैठते हैं जो कि अंग्रेजी कैलेंडर में मौजूद होती है। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह कतई सही नहीं है।

4
धार्मिक कार्य
आजकल के लोग इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते लेकिन धार्मिक कार्यों में जरूरी और निश्चित प्रक्रिया क्या होती है, उन्हें इस बात को दरकिनार नहीं करना चाहिए। हिन्दी कैलेंडर में दर्ज तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाने का अपना एक अलग और अलौकिक महत्व है।

5
जन्म लेने वाली तिथि
दरअसल जिस तिथि पर हम जन्म लेते हैं उस तिथि पर प्रवाहित होने वाली ऊर्जा तरंगें हमारे शरीर में मौजूद तरंगों से सर्वाधिक मेल खाती हैं। इसलिए उस दिन हमें अपने बड़े-बुजुर्गों या परिवार के सदस्यों के द्वारा जो भी आशीर्वाद मिलते हैं वह सर्वाधिक फलित होते हैं।

6
आसमान के नीचे स्नान
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन को सुबह वस्त्र पहनकर खुले आसमान के नीचे ही स्नान करना चाहिए। इतना ही नहीं, स्नान करते समय अपने भीतर कुछ ऐसे भाव रखने चाहिए जैसे कि शुद्ध या निर्मल जल आपकी देह को स्पर्श कर रहा है। आपको ऐसा अनुभव होना चाहिए जैसे आप गंगा के पवित्र पानी में स्नान कर रहे हैं।

7
शरीर की शुद्धि
ऐसे भाव रखने से आपकी देह के चारो ओर अलौकिक प्रभा मंडल बनता है जो आपके शरीर की शुद्धि करता है। स्नान के पश्चात आपको अपने से उम्र में बड़े व्यक्तियों को आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहिए। इससे आपके मन की अशुद्धियां नियंत्रित होती हैं।

8
श्रद्धा भाव
ज्येष्ठों का आदर करने के बाद आपको अपने गुरु को प्रणाम करना चाहिए और उसके बाद ईश्वर की आराधना पूरी श्रद्धा भाव के साथ संपन्न करनी चाहिए।

9
आरती उतारना
हमारे शास्त्रों और पौराणिक दस्तावेजों में जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसकी आरती उतारने का भी प्रावधान है। लेकिन आरती उतारने वाले और संबंधित व्यक्ति के भीतर और चेहरे पर उत्पन्न होने वाले भाव भी इसमें अपना अलग महत्व रखते हैं।

10
आशीर्वाद का भाव
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन की सुबह आरती उतारने से संबंधित व्यक्ति के शरीर पर मौजूद सूक्ष्म से सूक्ष्म अशुद्धियां भी दूर होती हैं। साथ ही दोनों के मन में ऐसे भाव होने चाहिए, जैसे ईश्वर प्रत्यक्ष रूप में उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।

11
सात्विक तरंगें
आरती उतारने की इस पूरी प्रक्रिया से दोनों व्यक्तियों के शरीर से सात्विक तरंगों का प्रक्षेपण होता है। ये तरंगें आसपास के वातावरण और वायुमंडल की अशुद्धियों को दूर करती हैं। जन्मदिन के अवसर पर पधारे अन्य जनों को भी इन तरंगों का लाभ मिलता है।

12
भेंट
जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसे भेंट अवश्य देनी चाहिए। यह आपका उनके लिए आशीर्वाद और प्रेम दर्शाता है। आपको कर्ताभाव से रहित होकर भेंट देनी चाहिए, यह आपके और भेंट लेने वाले, दोनों के लिए ही फायदेमंद है। भेंट स्वीकार करने वाले के भीतर भी किसी प्रकार का लालच नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत उस व्यक्ति को भेंट को कुछ इस तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे ईश्वर का प्रसाद हो।

13
नए कपड़े पहनने का महत्व
हालांकि हम सभी अपने जन्मदिन पर नए कपड़े पहनना पसंद करते हैं लेकिन इसका औचित्य भी केवल पसंद तक ही सीमित नहीं है। यह शास्त्रों के अनुसार जरूरी भी है। लेकिन जन्मदिन पर पहनने वाले नए वस्त्रों का दोबारा प्रयोग करने की बजाय उन्हें दान कर देना उत्तम माना गया है।

14
असहाय व्यक्ति की मदद
किसी जरूरतमंद और असहाय व्यक्ति को अपने वस्त्र दान करने से आपको मिलने वाले आशीर्वाद में अत्याधिक वृद्धि होती है। पहले के दौर में सात्विकता का अत्याधिक महत्व था, सात्विक लोगों द्वारा दान की गई वस्तु भी महत्व रखती थी।

15
पवित्रता
लेकिन भौतिकवाद से ग्रस्त आज के युग में मनुष्यों में सात्विकता का अभाव है। जन्मदिन के समय आप पवित्र होते हैं, किसी भी प्रकार की अशुद्धि से दूर होते हैं इसलिए उस दिन दान करना आपके लिए फलदायक है।

16
अशुभ क्रियाएं
जहां एक ओर हमारे शास्त्रों में अपने जन्मदिन पर क्या करना चाहिए, इससे जुड़ी बातें दर्ज हैं वहीं ये बात भी दर्ज है कि जन्मदिन पर क्या करना बिल्कुल भी शुभ नहीं है

17
निषेध
बाल काटना, किसी भी वाहन से यात्रा करना, क्लेश करना, किसी से झगड़ना, स्त्री या पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने जैसे कार्य कदापि नहीं करने चाहिए। साथ ही मांस-मदिरा के सेवन से भी बचना चाहिए।

18
दीपक बुझाना
हिन्दू पुराणों में दीपक की लौ की तुलना मनुष्य के शरीर में मौजूद ऊर्जा से की गई है। प्रज्वलित दीये का बुझना या स्वयं उसे बुझा देना, आकस्मिक मृत्यु या गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। इसलिए जन्मदिन के समय कभी भी दीपक को नहीं बुझाना चाहिए।

19
सूर्योदय के बाद ही दें बधाई
जैसा कि पहले ही वार्ता की गई है कि लोग रात के बारह बजे बर्थडे सेलिब्रेट करना पसंद करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम कणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।

20
शुद्ध वातावरण
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस कला में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है।

21
मोमबत्ती को जलाना
पश्चिमी संस्कृति के अनुसार जन्मदिन के अवसर पर केक पर मोमबत्ती लगाने और फिर बुझाने की प्रक्रिया को अपनाया गया है। जबकि हिन्दू संस्कृति में ना तो केक काटना शुभ है और ना ही मोमबत्ती को बुझाना अच्छा माना जाता है।

22
ज्योति का बुझना
हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि मोमबत्ती तमो गुण वाली होती है, उसे जलाने से कष्ट प्रदान करने वाली नकारात्मक ऊर्जाएं पैदा होती हैं। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में ज्योति का बुझना सही नहीं माना गया वैसे ही मोमबत्ती को बुझाना भी नकारात्मकता का प्रतीक है। इसलिए कभी भी जानबूझकर मोमबत्ती को नहीं बुझाना चाहिए।

23
धर्म के विरुद्ध
इसी तरह शुभ कार्य के लिए रखे गए केक को चाकू से काटना भी अच्छा नहीं कहा जा सकता। गलती तो खैर इंसान से होती ही है लेकिन जानबूझकर धर्म के विरुद्ध कार्य करना ना तो वर्तमान पीढ़ी के लिए सही है और ना ही भावी पीढ़ी के लिए।

जन्मदिन मनाने की पद्धति

१. जन्मदिन पर अभ्यंग स्नान कर नए वस्त्र पहनें ।
२. माता-पिता तथा बडों को नमस्कार करें ।
३. कुलदेवता की मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका अभिषेक करें ।
४. कुल देवता का कम से कम तीन माला नाम जप करें ।
५. जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें । (उसकी घीके दीपसे आरती उतारें ।)
६. आरती के उपरांत कुलदेवता अथवा उपास्य देवता का स्मरण कर जिसका जन्मदिन है उसके सिर पर तीन बार अक्षत डालें ।
७. जिसका जन्मदिन है उसे मिठाई अथवा कोई मीठा पदार्थ खिलाएं ।
८. जिसका जन्मदिन है उसकी मंगल कामना के लिए प्रार्थना करें ।
९. उसे कुछ भेंटवस्तु दें; परंतु वह देते समय अपेक्षा अथवा कर्तापन न लें ।
१०. भेंटवस्तु स्वीकारते समय `यह ईश्वरसे मिला हुआ प्रसाद है’, ऐसा भाव रखें ।


जन्मदिन कैसे मनायें ?

बच्चों को अपना जन्मदिन मनाने का बड़ा शौक होता है और उनमें उस दिन बड़ा उत्साह होता है लेकिन अपनी परतंत्र मानसिकता के कारण हम उस दिन भी बच्चे के दिमाग पर अंग्रजियत की छाप छोड़कर अपने साथ, उनके साथ व देश तथा संस्कृति के साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं.

बच्चों के जन्मदिन पर हम केक बनवाते हैं तथा बच्चे को जितने वर्ष हुए हों उतनी मोमबत्तियाँ केक पर लगवाते हैं। उनको जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देते हैं।

ज़रा विचार तो कीजिए के हम कैसी उल्टी गंगा बहा रहे हैं! जहाँ दीये जलाने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं। जहाँ शुद्ध चीज़ खानी चाहिए वहीं फूँक मारकर उड़े हुए थूक से जूठे बने हुए केक को हम बड़े चाव से खाते हैं! जहाँ हमें गरीबों को अन्न खिलाना चाहिए वहीं हम बड़ी पार्टियों का आयोजन कर व्यर्थ पैसा उड़ा रहे हैं! कैसा विचित्र है आज का हमारा समाज?

हमें चाहिए कि हम बच्चों को उनके जन्मदिन पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखाएँ ताकि इन मासूम को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें।

1. मान लो, किसी बच्चे का 11 वाँ जन्मदिन है तो थोड़े-से अक्षत् (चावल) लेकर उन्हें हल्दी, कुंकुम, गुलाल, सिंदूर आदि मांगलिक द्रव्यों से रंग ले एवं उनसे स्वस्तिक बना लें। उस स्वस्तिक पर 11 छोटे-छोटे दीये रख दें और 12 वें वर्ष की शुरूआत के प्रतीकरूप एक बड़ा दीया रख दें। फिर घर के बड़े सदस्यों से सब दीये जलवायें एवं बड़ों को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद ग्रहण करें।

2. पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाए बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्रादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार सुदृढ़ करें।

3. लोगों के पास से चीज-वस्तुएँ लेने के बजाए हम अपने बच्चों के हाथों दान करवाना सिखाएँ ताकि उनमें लेने की वृत्ति नहीं अपितु देने की वृत्ति को बल मिले।

4. हमें बच्चों से नये कार्य करवाकर उनमें देशहित की भावना का संचार करना चाहिए। जैसे, पेड़-पौधे लगवाना इत्यादि।

5. बच्चों को इस दिन अपने गत वर्ष का हिसाब करना चाहिए यानि कि उन्होंने वर्ष भर में क्या-क्या अच्छे काम किये? क्या-क्या बुरे काम किये? जो अच्छे कार्य किये उन्हें भगवान के चरणों में अर्पण करना चाहिए एवं जो बुरे कार्य हुए उनको भूलकर आगे उसे न दोहराने व सन्मार्ग पर चलने का संकल्प करना चाहिए।

6. उनसे संकल्प करवाना चाहिए कि वे नए वर्ष में पढ़ाई, साधना, सत्कर्म, सच्चाई तथा ईमानदारी में आगे बढ़कर अपने माता-पिता व देश के गौरव को बढ़ायेंगे।

उपरोक्त सिद्धान्तों के अनुसार अगर हम बच्चों के जन्मदिन को मनाते हैं तो जरूर समझ लें कि हम कदाचित् उन्हें भौतिक रूप से भले ही कुछ न दे पायें लेकिन इन संस्कारों से ही हम उन्हें महान बना सकते हैं। उन्हें ऐसे महकते फूल बना सकते हैं कि अपनी सुवास से वे केवल अपना घर, पड़ोस, शहर, राज्य व देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को सुवासित कर सकेंगे।



जन्मदिवस के दिन प्रात: बेला में उठकर सबसे पहले ईश्वर का ध्यान करते हुए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ते हुए
"कराग्रे वस्ते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दःप्रभाते करदर्शनम्"।।

जन्मदिन के दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए। सुबह 4 से 6 के बीच ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय में जागने से आयु में वृद्धि होती है। मन में गणेश जी का ध्यान करें आंखे खोलें। सबसे पहले अपनी दोनो हथेलियों का दर्शन करें। मन ही मन अपने इष्टदेव तथा गुरु को प्रणाम करे पुनः माता-पिता ( मातृदेवो भव। पितृदेवो भव ) का चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। नए दिन अच्छे से गुजरे। ये प्रार्थना अपने ईष्ट से करें। धरती माता को प्रणाम करें। तिल के उबटन से नहाएं। नहाकर के साफ स्वच्छ वस्त्र पहनें।
जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता देश का गौरव बढायेंगे

जन्मदिन मनानेकी पद्धति
. जन्मदिनपर अभ्यंगस्नान कर नए वस्त्र पहनें
. माता-पिता तथा बडोंको नमस्कार करें
. कुलदेवताकी मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका अभिषेक करें
. कुलदेवताका कमसे कम तीन माला नामजप करें
. जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें (उसकी घीके दीपसे आरती उतारें )
. आरतीके उपरांत कुलदेवता अथवा उपास्यदेवताका स्मरण कर जिसका जन्मदिन है उसके सिरपर तीन बार अक्षत डालें
. जिसका जन्मदिन है उसे मिठाई अथवा कोई मीठा पदार्थ खिलाएं
. जिसका जन्मदिन है उसकी मंगलकामनाके लिए प्रार्थना करें
. उसे कुछ भेंटवस्तु दें; परंतु वह देते समय अपेक्षा अथवा कर्तापन लें
१०. भेंटवस्तु स्वीकारते समय `यह ईश्वरसे मिला हुआ प्रसाद है’, ऐसा भाव रखें

जन्मदिन के दिन तिल के तेल का मालिश करके जल में तिल एवं गंगाजल डालकर  गंगे यमुने सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन् जले सन्निधिं कुरु।  इस मन्त्र को बोलकर स्नान करना चाहिए। स्नान केवल ठन्डे पानी से करना चाहिए।
जातक के जितने वर्ष पूर्ण हुए हैं उतने दीप रात्रि में जलाकर घर में सब जगह रखनी चाहिए इससे जातक में बल बुद्धि तथा तेज तत्त्व की वृद्धि होती है।

 बच्चों को इस दिन अपने गत वर्ष का हिसाब करना चाहिए यानि कि उन्होंने वर्ष भर में क्या-क्या अच्छे काम किये? क्या-क्या बुरे काम किये? जो अच्छे कार्य किये उन्हें भगवान के चरणों में अर्पण करना चाहिए एवं जो बुरे कार्य हुए उनको भूलकर आगे उसे दोहराने सन्मार्ग पर चलने का संकल्प करना चाहिए।
ईश्वर की पूजन करें। प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश का गंध,पुष्प,अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें।  लड्डु और दूर्वा समर्पित करें।
वर्धापन (संक्षिप्त) विधिः उस दिन, प्रथम उबटन आदि से जातक को स्नान कराएँ। इस अवसर पर नए वस्त्र धारण करें तो पुराने वस्त्र किसी जरूरतमंद को दे देने चाहिए। पूर्व दिशा की  ओर मुँह करके जातक आसन पर या अपने मातापिता के साथ (या एक की गोद) में बैठ कर, जल से भरे एक कलश को चंदन-रोली से स्वस्तिक अंकित कर रंगोली से चित्रित जगह पर स्थापित करें। इस पर एक कटोरी (शिकोरे) में गेहूँ या चावल रखकर उस पर शुद्घ गोघृत का दीपक जलाएँ। उपस्थित लोगों के मस्तक पर कुंकुम से तिलक लगाएँ। पंडित हो तो परिवार का एक सदस्य ही निम्नानुसार इस कलश का पूजन करा सकता है।
हाथ में जल, चावल, पुष्प, चंदन, द्रव्य (सिक्का) लेकर संकल्प करें। स्थान, तिथि, गोत्र, नाम (जातक का नाम) का उल्लेख कर के कहें –‘अस्य जातकस्य आयुरारोग्याभिवृद्घेये विष्णु प्रीतये वर्धापन कर्म करिष्ये, तदंगत्वेन गणेशादि पूजनमहं करिष्ये  कलश पर गणेश, गौरी और अन्य देवों का निम्न मंत्रों से पूजन करें। पूजन में चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, धूपदीप, नैवेद्य, दक्षिणा चढ़ावे।

श्री गणेशाय नमः, श्री गणेश पूज्यामि। श्री गौर्य नमः, श्री गौरी पूज्यामि। ... इसी प्रकार वरूणायवरूणं, जन्म नक्षत्राधिपायजन्म नक्षत्राधिपं, पित्रेपितरं, प्रजापत्यैप्रजापति,भानवेभानु, ... श्री मार्कण्डेयाय नमः, मार्कण्डेयाय पूज्यामि।

अष्टचिरंजीवी

अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि ये आठ चिरंजीवी हैं जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। अष्टचिरंजीवी को प्रणाम करें। इनके लिए तिल से होम करें। कहा जाता है कि इनके नित्य स्मरण मात्र से व्यक्ति निरोगी तथा दीर्घजीवी हो जाता है।

अष्टचिरंजीवी मंत्र

मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी यथा त्वं भो भविष्यामि तथा मुने।।
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।

अर्थात् अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि को प्रणाम है। इन नामों के स्मरण रोज सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त दूर  होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।
ऊँ कुलदेवताभ्यौ नमः मंत्र से कुलदेवता का पूजन करें। अब जन्म नक्षत्र, भगवान गणेश, सूर्यदेव, अष्टचिरंजीवी, षष्ठी देवी की स्थापना चावल की ढेरियों पर करें। नाम मंत्र से पूजन करें। भगवान मार्कण्डेय से दीर्घायु की प्रार्थना करें। तिल और गुड़ के लड्डु तथा दूध अर्पित करें। षष्ठी देवी को दही भात का नैवेद्य अर्पित करें।
जन्मदिवस के शुभ अवसर पर शिव की आराधना करनी चाहिए साथ ही आयु वृद्धि करने वाला
मन्त्र  महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।

त्रयंबकं यजामहे, सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )