BIRTHDAY JANAMDIN KAISE MNAYEN जन्मदिन कैसे मनाएं
हर जातक को चाहे वह स्त्री हो या पुरुष , छोटा हो या बड़ा अपना जन्मदिवस बहुत ही प्रिय होता है । सभी लोगो को अच्छा लगता है कि लोग उनके जन्मदिन के दिन उन्हें शुभकामनाएँ दें, उन्हें सराहे, परिवार के सदस्य , अभिन्न मित्र उस दिन साथ में समय बिताएं , उनके बारे में अच्छी अच्छी बाते करें। इसीलिए अधिकतर सभी लोग अपना जन्मदिवस बहुत प्रसन्नता से मानते है, लेकिन क्या हमें मालूम है कि इस महत्वपूर्ण दिन में हम क्या करें जिससे ईश्वर की कृपा मिले, जिससे जीवन में सुख-शान्ति, आरोग्य, दीर्घायु, सम्पन्नता, यश और सफलता की प्राप्ति हो ।
वर्तमान युग में अधिकतर लोग पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित होकर अपना जन्म दिन रात में धूम धड़ाका करके मानते है । लोग रात्रि में पहले केक पर मोमबत्ती जलाकर उसे फूंक मार कर बुझा देते है, फिर उस केक को जिस पर उनका नाम लिखा होता है उसे काटकर सब लोगो को खिलाते है , उस रात्रि में लोग मौज-मस्ती करके माँस मदिरा का सेवन करते है जो कि सर्वथा गलत है ।
इस संसार में प्रत्येक जातक का जन्म किसी ना किसी उद्देश्य से ही हुआ है , ईश्वर ने हम सभी पर बहुत बड़ी कृपा की है कि हमें 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि में जन्म दिया है।
हमें इस बात का अवश्य ही ध्यान देना चाहिए की ईश्वर ने हमें जितनी आयु दे रखी है , उसकी अवधि शने: शने: समाप्त हो रही है, इसलिए इस दिन हम ईश्वर से अपनी सभी पिछली जाने अनजाने में की गयी गलतियों के लिए क्षमा माँगते हुए उन्हें अब तक के जीवन के लिए धन्यवाद दें । उनसे प्रार्थना करें कि हमारा आने वाला जीवन और भी अधिक सार्थक और उद्देश्य पूर्ण साबित हो ।
जानिए जन्मदिन वाली तिथि पर क्या करें कि हमें ईश्वर की पूर्ण कृपा प्राप्त हो
हम जन्मदिन दिनांक के आधार पर मानते है लेकिन हमें अपना जन्मदिन तिथि के अनुसार मनाना चाहिए । तिथि नुसार जन्मदिन मनाने से हमें देवताओं का आशीर्वाद मिलता है । हम जिस दिन पैदा हुए थे उस दिन की तिथि, वार, नक्षत्र का स्मरण करते हुए वर्तमान तिथि , वार, नक्षत्र से अपने सफल जीवन के लिए प्रार्थना करें। इससे हमें परम पिता परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इसलिए हमें जन्म दिन तिथि के अनुसार ही मनाना चाहिए ।
हमें यदि अपना जन्म दिन याद है तो किसी भी पंडित से मिलकर पंचाग के माध्यम से बहुत आसानी से हम अपनी जन्मतिथि और माह को ज्ञात कर सकते है ।
लोग जन्मदिवस कहते है और इसे रात्रि में मनाते है ऐसा क्यों ? हमें जन्म दिवस मनाना है या जन्म रात्रि ?जन्मदिन को देर रात्रि में नहीं मनाना चाहिए यह जातक के लिए शुभ नहीं होता है। रात्रि का सम्बन्ध अंधेरे से है और दिन का रोशनी से तो आखिर क्यों हम अपना जन्म दिन को रात्रि में मनाकर अपने जीवन में खुद ही अंधेरा करते है, इसलिए जन्मदिन दिन के समय में ही मनाना उचित है ।
जन्मदिवस के दिन प्रात: बेला में उठकर सबसे पहले ईश्वर का ध्यान करते हुए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ते हुए ।
"कराग्रे वस्ते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दःप्रभाते करदर्शनम्"।।
मन्त्र का जाप करके हथेलियों को तीन बार चूमें ।
फिर सबसे पहले अपने माता -पिता और बड़ों का आशीर्वाद ले , क्योंकि उन्ही के कारण आज आपका अस्तित्व है , उन्ही के आशीर्वाद से आप बड़े से बड़े संकट से बाहर निकलते रहे है । फिर स्नान , पूजा करने के बाद आप अपने गुरु का आशीर्वाद भी अवश्य ही लें । वह गुरु आपका अध्यापक / आपको राह दिखाने वाला / आपका अधिकारी / आपका आदर्श, प्रेणना स्रोत्र कोई भी हो सकता है ।
मनु स्मृति में लिखा है कि
"मातृदेवो भव। पितृदेवो भव,
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्"।।
“अर्थात जो व्यक्ति नित्य अपने माता-पिता एवं गुरूजनों को प्रणाम करते हैं, उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश तथा बल यह सभी चार पदार्थ बढ़ते रहते हैं।”
इस दिन प्रात: घर पर खीर, हलवा आदि मीठा बनवाकर घर के मंदिर में ईश्वर को भोग लगाना चाहिए । तत्पश्चात घर के मुखिया को चाहिए कि वह इसे घर के बड़े बुजुर्गो, बच्चो और स्त्रियों को बाँटकर फिर स्वयं ग्रहण करें इससे ईश्वर की कृपा प्राप्त होगी है ।
इस दिन अपने घर में कोई धार्मिक अनुष्ठान , हवन आदि करके उसका प्रशाद लोगो में बँटवाना चाहिए ।
अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर किसी सिद्ध मंदिर में ईश्वर की पूजा अर्चना करके उनके चरणों में फल, फूल, नारियल, मिठाई, दक्षिणा आदि अर्पण कर अपने जीवन में सुख शांति और सभी संकटो से मुक्ति के लिए आशीर्वाद माँगना चाहिए।
वर्तमान समय में हम केक पर मोमबत्ती बुझा कर, अपना नाम काट कर अपने लिए जीवन की राह में अंधेरा कर लेते है, खुद ही संकटो को बुलावा देते है, जबकि हमें जीवन में हर्ष और प्रसन्नता चाहिए ना की अँधेरा । इसीलिए जन्मदिवस के दिन हमे भगवान के सम्मुख दीपक अवश्य जलाना चाहिएं। जिससे हमारा आने वाला समय हमारे जीवन में सुख-शान्ति, समृद्धि, सफलता और आरोग्य की रोशनी ले कर आए।
जन्मदिवस के दिन हमें अपने दाहिने कलाई पर रक्षा मंत्र के साथ किसी पण्डित से रक्षा सूत्र / कलावा बंधवाकर माथे पर सौभाग्य के लिए तिलक लगवाना चाहिए ।
अपनी जन्म तिथि पर किसी धर्म स्थान / पार्क / नदी / तालाब के किनारे कोई शुभ , उपयोगी पेड़ जैसे आम, आंवला, नीम, पीपल को लगाएं । शास्त्रों के अनुसार जीवन में पेड़ लगाकर उसकी सेवा करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है । मान्यता है कि जैसे जैसे ये पेड़ बढेगा वैसे ही आप के जीवन में सुख और सौभाग्य आएगा ।
इस दिन किसी अनाथालय अथवा वृद्ध आश्रम में अन्न फल का दान अवश्य ही करना चाहिए । जिससे हम पर माँ अन्नपूर्ण की सदैव कृपा बनी रहे ।
जन्मदिवस के शुभ अवसर पर घर पर ही सात्विक भोजन/ पकवान बना कर सबसे पहले घर के मंदिर में ईश्वर को भोग लगाएं फिर अपने पितरों को स्मरण करते हुए कम से कम एक ब्राह्मण को बुला कर प्रेम, श्रद्धा और आदर के साथ अपने हाथो से परोस कर भोजन कराएँ । भोजन के अंत में उन्हें मीठा अवश्य खिलाएं फिर उन्हें यथाशक्ति दान , दक्षिणा देकर उनके चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें । इससे जिसका जन्मदिवस है उसे ईश्वर, पितृ और ब्राह्मण सभी की कृपा मिलती है, धर्म की प्राप्ति होती है , जीवन से अस्थिरता दूर होती है और आने वाला समय शुभ फलो को प्रदान करने वाला होता है ।
जन्मदिवस में यदि रात्रि को आयोजन करना है तो अवश्य ही करें , लेकिन ध्यान दे कि दिन के प्रकाश में शुभ शक्तियाँ होती है अत: दिन में जो आयोजन होता है उसमें तामसी पदार्थो, माँस , मदिरा आदि का प्रयोग बहुत ही कम होता है लेकिन रात्रि अर्थात अंधकार में असुरी शक्तियाँ विचरण करने लगती है अत: रात्रि के आयोजन में सामान्यता: माँस, मदिरा, आदि का उपयोग अधिक होता है। तब आप ही निर्णय करें कि अपने जन्मदिवस में आप अपनी लम्बी , सफल और समृद्धि से भरी जिंदगी की कामना करते हुए कुछ निर्दोष पशु पक्षियों की जीवन की लौ बुझा देंगे ।
जन्मदिवस में यदि केक काटना है तो काटे लेकिन केक के ऊपर मोमबत्ती को जलाकर क्यों बुझाना है । हिन्दु संस्कृति में ज्योति को मुख से फूँक कर बुझाना बहुत अशुभ माना जाता है। दीपक का बुझना अपशकुन माना जाता है ,शास्त्रो के अनुसार ज्योति प्रकाश का स्वरूप है और उसे बुझा कर हम क्यों जीवन में अन्धकार को आमंत्रण ही देते है । इसलिए केक के ऊपर मोमबत्ती कदापि ना लगाएं ।
हर व्यक्ति चाहता है कि उसको यश मिले, उसका नाम सब जगह जाना जाय, लोग उसका नाम आदर के साथ लें , और करते हम सब उल्टा ही है । हम केक के ऊपर अपना ( जिसका जन्मदिवस होता है उसका नाम ) लिखवाकर खुद ही उसे चाकू से काटते है फिर उस नाम के टुकड़े टुकड़े करके लोगो में खाने को बाँट देते है , यह हिन्दु धर्म के अनुसार बहुत ही अशुभ माना जाता है अत: पहली बात तो यह है कि केक की जगह कोई अच्छी सी मिठाई / लड्डू आदि हर्ष और प्रसन्नता के लिए बाँटे और यदि केक ही काटना हो तो उस पर अपना नाम लिखवाकर तो उसे कदापि ना काटे और ना ही नाम को खाएं । केक पर नाम इसलिए भी ना लिखवाएं क्योंकि वहाँ पर उपस्थित सभी लोगो को इतना तो पता ही होता है कि जन्मदिवस किसका है ।
जन्मदिवस पर कोई भी आयोजन दिन में ही करें , केक काटना है तो काटे लेकिन उस पर अपना नाम ना लिखे और मोमबत्तियाँ ना बुझाएं , फिर अगर आपको रात में लोगो को पार्टी देनी है तो रात में पार्टी में दिन के समय काटा गया केक लोगो के मध्य बाँट दें ।
जन्मदिवस पर आप अनाथ, गरीब और असहायों की अवश्य ही मदद करें, उन्हें फल, खिलौने, कपड़े आदि दें उन्हें मीठा कुछ अच्छा खिलाएं / दान में दे, इससे आपको उनकी दिल से निकली हुई दुआएं मिलती है । याद रखिये हमारे अच्छे कर्मो के कारण मिलने वाली दुआएं आशीर्वाद हमारे लिए एक रक्षा कवच का कार्य करती है । इनसे घोर से घोर कष्ट, संकट भी कट जाते है ।
तो अब जब भी आपका आपके परिवार के सदस्य या किसी परिचित का जन्मदिवस हो तो यहाँ पर बताई गई बातो पर अवश्य ध्यान दें इससे ना केवल आप को पूर्ण आत्म शांति ही मिलेगी वरन आप हर वर्ष नयी ऊँचाइयों को भी छूते रहेंगे ।
जन्मदिवस कैसे मनायेंCelebrate Vedic Birthday - Precious Gift Wishes
जन्मदिवस पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें, उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प करें कि आनेवाले वर्षों में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का गौरव बढायेंगे ।
जन्मदिवस के दिन बच्चा ‘केक’ पर लगी मोमबत्तियाँ जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देता है । जरा सोचिये, हम कैसी उलटी गंगा बहा रहे हैं ! जहाँ दीये जलने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं ! जहाँ शुद्ध चीज खानी चाहिए वहाँ फूँक मारकर उडे हुए थूक से जूठे, जीवाणुओं से दूषित हुए ‘केक' को बडे चाव से खा-खिला रहे हैं ! हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को उनके जन्मदिवस पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखायें ताकि इन मासूमों को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें । यह शरीर, जिसका जन्मदिवस मनाना है, पंचभूतों से बना है जिनके अलग-अलग रंग हैं । पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला । थोडे-से चावल हल्दी, कुंकुम आदि उपरोक्त पाँच रंग के द्रव्यों से रँग लें । फिर उनसे स्वस्तिक बनायें और जितने वर्ष पूरे हुए हों, मान लो ४, उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा ५वें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक रूप में एक बडा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें । फिर घर के सदस्यों से सब दीये जलवायें तथा बडा दीया कुटुम्ब के श्रेष्ठ, ऊँची समझवाले, भक्तिभाववाले व्यक्ति से जलवायें । इसके बाद जिसका जन्मदिवस है, उसे सभी उपस्थित लोग शुभकामनाएँ दें । फिर आरती व प्रार्थना करें । अभिभावक एवं बच्चे ध्यान दें - * पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाय बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्र इत्यादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार डालें । * लोगों से चीज-वस्तुएँ (गिफ्ट्स) लेने के बजाय अपने बच्चे को गरीबों को दान करना सिखायें ताकि उसमें लेने की नहीं अपितु देने की सुवृत्ति विकसित हो ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
'हैप्पी बर्थ-डे' भूल ही जाओ,जन्मदिवस बधाई कहो-कहलवाओ ।।
सुबह ब्राह्ममुहूर्त में जागो, मात-पिता-प्रभु पाँवों लागो ।
सभी बडों के चरण छूना, केक का नाम भूल ही जाना ।।
अपने सोये मन को जगाओ, अपना जीवन उन्नत बनाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
जन्मदिवस को दीये जलाना, नहीं चाहिए ज्योति बुझाना ।
दीपज्योति से जीवन जगमगाना, ना इसको तम में ले जाना ।।
वेदों की ये शिक्षा पा लो, ज्ञान-सुधा से मन महकाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
आज तुम अन्न-प्रसाद बाँटना, दीन-गरीबों में दान भी देना ।
गये साल का हिसाब लगाना, नये साल की उमंगें जगाना ।।
बापू कहते सदा खुश रहो, यही आशीष है प्रभु-सुख पाओ ।
भारतीय संस्कृति तुम अपनाओ, जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ ।
क्यों अशुभ है अंग्रेजी तारीख पर जन्मदिन मनाना?
1
जन्मदिन
किसे का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के बारह बजे केक काटना लेटेस्ट फैशन बन गया है। घर के बच्चे हमेशा इस बात को लेकर उत्साहित रहते हैं कि उन्हें अपने माता-पिता के लिए रात को बारह बजे केक काटना है या भाई-बहन का जन्मदिन रात के बारह बजे ही सेलिब्रेट करना है। लेकिन क्या आप जानते हैं अंग्रेजी तिथि अनुसार बर्थडे या एनिवर्सरी मनाना किसी के लिए भी शुभ नहीं है। इसके पीछे कुछ ऐसे कारण है, जिनका सीधा संबंध हमारे शास्त्रों से हैं।
2
मॉडर्न पीढ़ी
पश्चात्य संस्कृति की अत्याधिक लोकप्रियता होने के बाद लोग अपनी मूल संस्कृति को लगभग दरकिनार कर चुके हैं। लेकिन हम चाहे कितने ही मॉडर्न या आधुनिक क्यों ना हो जाएं शास्त्रों के महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
3
अंग्रेजी कैलेंडर
अंग्रेजियत के हावी होने की वजह से लोग उसी तिथि को अपना जन्मदिन समझ बैठते हैं जो कि अंग्रेजी कैलेंडर में मौजूद होती है। लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से यह कतई सही नहीं है।
4
धार्मिक कार्य
आजकल के लोग इस बात को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते लेकिन धार्मिक कार्यों में जरूरी और निश्चित प्रक्रिया क्या होती है, उन्हें इस बात को दरकिनार नहीं करना चाहिए। हिन्दी कैलेंडर में दर्ज तिथि के अनुसार जन्मदिन मनाने का अपना एक अलग और अलौकिक महत्व है।
5
जन्म लेने वाली तिथि
दरअसल जिस तिथि पर हम जन्म लेते हैं उस तिथि पर प्रवाहित होने वाली ऊर्जा तरंगें हमारे शरीर में मौजूद तरंगों से सर्वाधिक मेल खाती हैं। इसलिए उस दिन हमें अपने बड़े-बुजुर्गों या परिवार के सदस्यों के द्वारा जो भी आशीर्वाद मिलते हैं वह सर्वाधिक फलित होते हैं।
6
आसमान के नीचे स्नान
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन को सुबह वस्त्र पहनकर खुले आसमान के नीचे ही स्नान करना चाहिए। इतना ही नहीं, स्नान करते समय अपने भीतर कुछ ऐसे भाव रखने चाहिए जैसे कि शुद्ध या निर्मल जल आपकी देह को स्पर्श कर रहा है। आपको ऐसा अनुभव होना चाहिए जैसे आप गंगा के पवित्र पानी में स्नान कर रहे हैं।
7
शरीर की शुद्धि
ऐसे भाव रखने से आपकी देह के चारो ओर अलौकिक प्रभा मंडल बनता है जो आपके शरीर की शुद्धि करता है। स्नान के पश्चात आपको अपने से उम्र में बड़े व्यक्तियों को आदरपूर्वक प्रणाम करना चाहिए। इससे आपके मन की अशुद्धियां नियंत्रित होती हैं।
8
श्रद्धा भाव
ज्येष्ठों का आदर करने के बाद आपको अपने गुरु को प्रणाम करना चाहिए और उसके बाद ईश्वर की आराधना पूरी श्रद्धा भाव के साथ संपन्न करनी चाहिए।
9
आरती उतारना
हमारे शास्त्रों और पौराणिक दस्तावेजों में जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसकी आरती उतारने का भी प्रावधान है। लेकिन आरती उतारने वाले और संबंधित व्यक्ति के भीतर और चेहरे पर उत्पन्न होने वाले भाव भी इसमें अपना अलग महत्व रखते हैं।
10
आशीर्वाद का भाव
शास्त्रों के अनुसार जन्मदिन की सुबह आरती उतारने से संबंधित व्यक्ति के शरीर पर मौजूद सूक्ष्म से सूक्ष्म अशुद्धियां भी दूर होती हैं। साथ ही दोनों के मन में ऐसे भाव होने चाहिए, जैसे ईश्वर प्रत्यक्ष रूप में उन्हें आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं।
11
सात्विक तरंगें
आरती उतारने की इस पूरी प्रक्रिया से दोनों व्यक्तियों के शरीर से सात्विक तरंगों का प्रक्षेपण होता है। ये तरंगें आसपास के वातावरण और वायुमंडल की अशुद्धियों को दूर करती हैं। जन्मदिन के अवसर पर पधारे अन्य जनों को भी इन तरंगों का लाभ मिलता है।
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भेंट
जिस व्यक्ति का जन्मदिन है उसे भेंट अवश्य देनी चाहिए। यह आपका उनके लिए आशीर्वाद और प्रेम दर्शाता है। आपको कर्ताभाव से रहित होकर भेंट देनी चाहिए, यह आपके और भेंट लेने वाले, दोनों के लिए ही फायदेमंद है। भेंट स्वीकार करने वाले के भीतर भी किसी प्रकार का लालच नहीं होना चाहिए। इसके विपरीत उस व्यक्ति को भेंट को कुछ इस तरह स्वीकार करना चाहिए जैसे ईश्वर का प्रसाद हो।
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नए कपड़े पहनने का महत्व
हालांकि हम सभी अपने जन्मदिन पर नए कपड़े पहनना पसंद करते हैं लेकिन इसका औचित्य भी केवल पसंद तक ही सीमित नहीं है। यह शास्त्रों के अनुसार जरूरी भी है। लेकिन जन्मदिन पर पहनने वाले नए वस्त्रों का दोबारा प्रयोग करने की बजाय उन्हें दान कर देना उत्तम माना गया है।
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असहाय व्यक्ति की मदद
किसी जरूरतमंद और असहाय व्यक्ति को अपने वस्त्र दान करने से आपको मिलने वाले आशीर्वाद में अत्याधिक वृद्धि होती है। पहले के दौर में सात्विकता का अत्याधिक महत्व था, सात्विक लोगों द्वारा दान की गई वस्तु भी महत्व रखती थी।
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पवित्रता
लेकिन भौतिकवाद से ग्रस्त आज के युग में मनुष्यों में सात्विकता का अभाव है। जन्मदिन के समय आप पवित्र होते हैं, किसी भी प्रकार की अशुद्धि से दूर होते हैं इसलिए उस दिन दान करना आपके लिए फलदायक है।
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अशुभ क्रियाएं
जहां एक ओर हमारे शास्त्रों में अपने जन्मदिन पर क्या करना चाहिए, इससे जुड़ी बातें दर्ज हैं वहीं ये बात भी दर्ज है कि जन्मदिन पर क्या करना बिल्कुल भी शुभ नहीं है
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निषेध
बाल काटना, किसी भी वाहन से यात्रा करना, क्लेश करना, किसी से झगड़ना, स्त्री या पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने जैसे कार्य कदापि नहीं करने चाहिए। साथ ही मांस-मदिरा के सेवन से भी बचना चाहिए।
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दीपक बुझाना
हिन्दू पुराणों में दीपक की लौ की तुलना मनुष्य के शरीर में मौजूद ऊर्जा से की गई है। प्रज्वलित दीये का बुझना या स्वयं उसे बुझा देना, आकस्मिक मृत्यु या गंभीर संकट की ओर इशारा करता है। इसलिए जन्मदिन के समय कभी भी दीपक को नहीं बुझाना चाहिए।
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सूर्योदय के बाद ही दें बधाई
जैसा कि पहले ही वार्ता की गई है कि लोग रात के बारह बजे बर्थडे सेलिब्रेट करना पसंद करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम कणों की मात्रा अत्याधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।
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शुद्ध वातावरण
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस कला में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है।
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मोमबत्ती को जलाना
पश्चिमी संस्कृति के अनुसार जन्मदिन के अवसर पर केक पर मोमबत्ती लगाने और फिर बुझाने की प्रक्रिया को अपनाया गया है। जबकि हिन्दू संस्कृति में ना तो केक काटना शुभ है और ना ही मोमबत्ती को बुझाना अच्छा माना जाता है।
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ज्योति का बुझना
हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि मोमबत्ती तमो गुण वाली होती है, उसे जलाने से कष्ट प्रदान करने वाली नकारात्मक ऊर्जाएं पैदा होती हैं। जिस प्रकार हिन्दू धर्म में ज्योति का बुझना सही नहीं माना गया वैसे ही मोमबत्ती को बुझाना भी नकारात्मकता का प्रतीक है। इसलिए कभी भी जानबूझकर मोमबत्ती को नहीं बुझाना चाहिए।
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धर्म के विरुद्ध
इसी तरह शुभ कार्य के लिए रखे गए केक को चाकू से काटना भी अच्छा नहीं कहा जा सकता। गलती तो खैर इंसान से होती ही है लेकिन जानबूझकर धर्म के विरुद्ध कार्य करना ना तो वर्तमान पीढ़ी के लिए सही है और ना ही भावी पीढ़ी के लिए।
जन्मदिन मनाने की पद्धति
१. जन्मदिन पर अभ्यंग स्नान कर नए वस्त्र पहनें ।
२. माता-पिता तथा बडों को नमस्कार करें ।
३. कुलदेवता की मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका अभिषेक करें ।
४. कुल देवता का कम से कम तीन माला नाम जप करें ।
५. जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें । (उसकी घीके दीपसे आरती उतारें ।)
६. आरती के उपरांत कुलदेवता अथवा उपास्य देवता का स्मरण कर जिसका जन्मदिन है उसके सिर पर तीन बार अक्षत डालें ।
७. जिसका जन्मदिन है उसे मिठाई अथवा कोई मीठा पदार्थ खिलाएं ।
८. जिसका जन्मदिन है उसकी मंगल कामना के लिए प्रार्थना करें ।
९. उसे कुछ भेंटवस्तु दें; परंतु वह देते समय अपेक्षा अथवा कर्तापन न लें ।
१०. भेंटवस्तु स्वीकारते समय `यह ईश्वरसे मिला हुआ प्रसाद है’, ऐसा भाव रखें ।
जन्मदिन कैसे मनायें ?
बच्चों को अपना जन्मदिन मनाने का बड़ा शौक होता है और उनमें उस दिन बड़ा उत्साह होता है लेकिन अपनी परतंत्र मानसिकता के कारण हम उस दिन भी बच्चे के दिमाग पर अंग्रजियत की छाप छोड़कर अपने साथ, उनके साथ व देश तथा संस्कृति के साथ बड़ा अन्याय कर रहे हैं.
बच्चों के जन्मदिन पर हम केक बनवाते हैं तथा बच्चे को जितने वर्ष हुए हों उतनी मोमबत्तियाँ केक पर लगवाते हैं। उनको जलाकर फिर फूँक मारकर बुझा देते हैं।
ज़रा विचार तो कीजिए के हम कैसी उल्टी गंगा बहा रहे हैं! जहाँ दीये जलाने चाहिए वहाँ बुझा रहे हैं। जहाँ शुद्ध चीज़ खानी चाहिए वहीं फूँक मारकर उड़े हुए थूक से जूठे बने हुए केक को हम बड़े चाव से खाते हैं! जहाँ हमें गरीबों को अन्न खिलाना चाहिए वहीं हम बड़ी पार्टियों का आयोजन कर व्यर्थ पैसा उड़ा रहे हैं! कैसा विचित्र है आज का हमारा समाज?
हमें चाहिए कि हम बच्चों को उनके जन्मदिन पर भारतीय संस्कार व पद्धति के अनुसार ही कार्य करना सिखाएँ ताकि इन मासूम को हम अंग्रेज न बनाकर सम्माननीय भारतीय नागरिक बनायें।
1. मान लो, किसी बच्चे का 11 वाँ जन्मदिन है तो थोड़े-से अक्षत् (चावल) लेकर उन्हें हल्दी, कुंकुम, गुलाल, सिंदूर आदि मांगलिक द्रव्यों से रंग ले एवं उनसे स्वस्तिक बना लें। उस स्वस्तिक पर 11 छोटे-छोटे दीये रख दें और 12 वें वर्ष की शुरूआत के प्रतीकरूप एक बड़ा दीया रख दें। फिर घर के बड़े सदस्यों से सब दीये जलवायें एवं बड़ों को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद ग्रहण करें।
2. पार्टियों में फालतू का खर्च करने के बजाए बच्चों के हाथों से गरीबों में, अनाथालयों में भोजन, वस्त्रादि का वितरण करवाकर अपने धन को सत्कर्म में लगाने के सुसंस्कार सुदृढ़ करें।
3. लोगों के पास से चीज-वस्तुएँ लेने के बजाए हम अपने बच्चों के हाथों दान करवाना सिखाएँ ताकि उनमें लेने की वृत्ति नहीं अपितु देने की वृत्ति को बल मिले।
4. हमें बच्चों से नये कार्य करवाकर उनमें देशहित की भावना का संचार करना चाहिए। जैसे, पेड़-पौधे लगवाना इत्यादि।
5. बच्चों को इस दिन अपने गत वर्ष का हिसाब करना चाहिए यानि कि उन्होंने वर्ष भर में क्या-क्या अच्छे काम किये? क्या-क्या बुरे काम किये? जो अच्छे कार्य किये उन्हें भगवान के चरणों में अर्पण करना चाहिए एवं जो बुरे कार्य हुए उनको भूलकर आगे उसे न दोहराने व सन्मार्ग पर चलने का संकल्प करना चाहिए।
6. उनसे संकल्प करवाना चाहिए कि वे नए वर्ष में पढ़ाई, साधना, सत्कर्म, सच्चाई तथा ईमानदारी में आगे बढ़कर अपने माता-पिता व देश के गौरव को बढ़ायेंगे।
उपरोक्त सिद्धान्तों के अनुसार अगर हम बच्चों के जन्मदिन को मनाते हैं तो जरूर समझ लें कि हम कदाचित् उन्हें भौतिक रूप से भले ही कुछ न दे पायें लेकिन इन संस्कारों से ही हम उन्हें महान बना सकते हैं। उन्हें ऐसे महकते फूल बना सकते हैं कि अपनी सुवास से वे केवल अपना घर, पड़ोस, शहर, राज्य व देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को सुवासित कर सकेंगे।
जन्मदिवस
के दिन प्रात: बेला में उठकर सबसे पहले ईश्वर का ध्यान करते
हुए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में
जोड़ते हुए ।
"कराग्रे
वस्ते
लक्ष्मीः
करमध्ये
सरस्वती।
करमूले तू
गोविन्दःप्रभाते
करदर्शनम्"।।
जन्मदिन
के दिन सुबह जल्दी जागना चाहिए। सुबह 4 से 6 के बीच ब्रह्म
मुहूर्त होता है। इस समय में
जागने से आयु में
वृद्धि होती है। मन में गणेश
जी का ध्यान करें
व आंखे खोलें। सबसे पहले अपनी दोनो हथेलियों का दर्शन करें।
मन ही मन अपने
इष्टदेव तथा गुरु को प्रणाम करे
पुनः माता-पिता ( मातृदेवो भव। पितृदेवो भव ) का चरण स्पर्श
कर उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। नए दिन अच्छे
से गुजरे। ये प्रार्थना अपने
ईष्ट से करें। धरती
माता को प्रणाम करें।
तिल के उबटन से
नहाएं। नहाकर के साफ व
स्वच्छ वस्त्र पहनें।
जन्मदिवस
पर बच्चे बडे-बुजुर्गों को प्रणाम करें,
उनका आशीर्वाद पायें । बच्चे संकल्प
करें कि आनेवाले वर्षों
में पढाई, साधना, सत्कर्म आदि में सच्चाई और ईमानदारी से
आगे बढकर अपने माता-पिता व देश का
गौरव बढायेंगे ।
जन्मदिन
मनानेकी पद्धति
१.
जन्मदिनपर अभ्यंगस्नान कर नए वस्त्र
पहनें ।
२.
माता-पिता तथा बडोंको नमस्कार करें ।
३.
कुलदेवताकी मनःपूर्वक पूजा करें एवं संभव हो तो उसका
अभिषेक करें ।
४.
कुलदेवताका कमसे कम तीन माला
नामजप करें ।
५.
जिसका जन्मदिन है, उसकी आरती उतारें । (उसकी घीके
दीपसे आरती उतारें ।)
६.
आरतीके उपरांत कुलदेवता अथवा उपास्यदेवताका स्मरण कर जिसका जन्मदिन
है उसके सिरपर तीन बार अक्षत डालें ।
७.
जिसका जन्मदिन है उसे मिठाई
अथवा कोई मीठा पदार्थ खिलाएं ।
८.
जिसका जन्मदिन है उसकी मंगलकामनाके
लिए प्रार्थना करें ।
९.
उसे कुछ भेंटवस्तु दें; परंतु वह देते समय
अपेक्षा अथवा कर्तापन न लें ।
१०.
भेंटवस्तु स्वीकारते समय `यह ईश्वरसे मिला
हुआ प्रसाद है’, ऐसा भाव रखें ।
जन्मदिन
के दिन तिल के तेल का
मालिश करके जल में तिल
एवं गंगाजल डालकर — ॐ गंगे च
यमुने
सरस्वती
नर्मदे
सिंधु
कावेरी
अस्मिन्
जले
सन्निधिं
कुरु। इस
मन्त्र को बोलकर स्नान
करना चाहिए। स्नान केवल ठन्डे पानी से करना चाहिए।
जातक
के जितने वर्ष पूर्ण हुए हैं उतने दीप रात्रि में जलाकर घर में सब
जगह रखनी चाहिए इससे जातक में बल बुद्धि तथा
तेज तत्त्व की वृद्धि होती
है।
बच्चों को इस दिन
अपने गत वर्ष का
हिसाब करना चाहिए यानि कि उन्होंने वर्ष
भर में क्या-क्या अच्छे काम किये? क्या-क्या बुरे काम किये? जो अच्छे कार्य
किये उन्हें भगवान के चरणों में
अर्पण करना चाहिए एवं जो बुरे कार्य
हुए उनको भूलकर आगे उसे न दोहराने व
सन्मार्ग पर चलने का
संकल्प करना चाहिए।
ईश्वर
की पूजन करें। प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश का गंध,पुष्प,अक्षत, धूप, दीप से पूजन करें। लड्डु
और दूर्वा समर्पित करें।
वर्धापन
(संक्षिप्त) विधिः उस दिन, प्रथम
उबटन आदि से जातक को
स्नान कराएँ। इस अवसर पर
नए वस्त्र धारण करें तो पुराने वस्त्र
किसी जरूरतमंद को दे देने
चाहिए। पूर्व दिशा की ओर
मुँह करके जातक आसन पर या अपने
मातापिता के साथ (या
एक की गोद) में
बैठ कर, जल से भरे
एक कलश को चंदन-रोली
से स्वस्तिक अंकित कर रंगोली से
चित्रित जगह पर स्थापित करें।
इस पर एक कटोरी
(शिकोरे) में गेहूँ या चावल रखकर
उस पर शुद्घ गोघृत
का दीपक जलाएँ। उपस्थित लोगों के मस्तक पर
कुंकुम से तिलक लगाएँ।
पंडित न हो तो
परिवार का एक सदस्य
ही निम्नानुसार इस कलश का
पूजन करा सकता है।
हाथ
में जल, चावल, पुष्प, चंदन, द्रव्य (सिक्का) लेकर संकल्प करें। स्थान, तिथि, गोत्र, नाम (जातक का नाम) का
उल्लेख कर के कहें
–‘अस्य
जातकस्य
आयुरारोग्याभिवृद्घेये
विष्णु
प्रीतये
वर्धापन
कर्म
करिष्ये,
तदंगत्वेन
च
गणेशादि
पूजनमहं
करिष्ये’। कलश
पर गणेश, गौरी और अन्य देवों
का निम्न मंत्रों से पूजन करें।
पूजन में चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, धूपदीप, नैवेद्य, दक्षिणा चढ़ावे।
श्री
गणेशाय नमः, श्री गणेश पूज्यामि। श्री गौर्य नमः, श्री गौरी पूज्यामि। ... इसी प्रकार वरूणायवरूणं, जन्म नक्षत्राधिपायजन्म नक्षत्राधिपं, पित्रेपितरं, प्रजापत्यैप्रजापति,भानवेभानु, ... श्री मार्कण्डेयाय नमः, मार्कण्डेयाय पूज्यामि।
अष्टचिरंजीवी
अश्वथामा,
दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि
ये आठ चिरंजीवी हैं
जिन्हें अमरत्व प्राप्त है। अष्टचिरंजीवी को प्रणाम करें।
इनके लिए तिल से होम करें।
कहा जाता है कि इनके
नित्य स्मरण मात्र से व्यक्ति निरोगी
तथा दीर्घजीवी हो जाता है।
अष्टचिरंजीवी मंत्र
ॐ
मार्कण्डेय महाभाग सप्तकरूपान्तजीवन।
चिरंजीवी
यथा त्वं भो भविष्यामि तथा
मुने।।
अश्वत्थामा
बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषणः।
कृपः
परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविनः।।
सप्तैतान्
संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं
सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थात्
अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि
को प्रणाम है। इन नामों के
स्मरण रोज सुबह करने से सारी बीमारियां
समाप्त दूर होती
हैं और मनुष्य 100 वर्ष
की आयु को प्राप्त करता
है।
ऊँ
कुलदेवताभ्यौ नमः मंत्र से कुलदेवता का
पूजन करें। अब जन्म नक्षत्र,
भगवान गणेश, सूर्यदेव, अष्टचिरंजीवी, षष्ठी देवी की स्थापना चावल
की ढेरियों पर करें। नाम
मंत्र से पूजन करें।
भगवान मार्कण्डेय से दीर्घायु की
प्रार्थना करें। तिल और गुड़ के
लड्डु तथा दूध अर्पित करें। षष्ठी देवी को दही भात
का नैवेद्य अर्पित करें।
जन्मदिवस
के शुभ अवसर पर शिव की
आराधना करनी चाहिए साथ ही आयु वृद्धि
करने वाला
मन्त्र महामृत्युंजय
मंत्र का जप करना
चाहिए।
‘ॐ
त्रयंबकं
यजामहे,
सुगंधिम्
पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय
माऽमृतात्॥’