माँ दुर्गा के लोक कल्याणकारी सिद्ध मन्त्र
दुर्गा सप्तशती से कामनापूर्ति—– लक्ष्मी, ऐश्वर्य, धन संबंधी प्रयोगों के लिए पीले रंग के आसन का प्रयोग करें।
– वशीकरण, उच्चाटन आदि प्रयोगों के लिए काले रंग के आसन का प्रयोग करें।
बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन प्रयोग करें।
– सात्विक साधनाओं, प्रयोगों के लिए कुश के बने आसन का प्रयोग करें।
वस्त्र- लक्ष्मी संबंधी प्रयोगों में आप पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करें। यदि पीले वस्त्र न हो तो मात्र धोती पहन लें एवं ऊपर शाल लपेट लें। आप चाहे तो धोती को केशर के पानी में भिगोंकर पीला भी रंग सकते हैं।
हवन करने से
जायफल से कीर्ति और किशमिश से कार्य की सिद्धि होती है।
आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राप्ति होती है। इस प्रकार फलों से अर्ध्य देकर यथाविधि हवन करें।
खांड, घी, गेंहू, शहद, जौ, तिल, बिल्वपत्र, नारियल, किशमिश और कदंब से हवन करें।
गेंहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
खीर से परिवार, वृद्धि, चम्पा के पुष्पों से धन और सुख की प्राप्ति होती है।
आवंले से कीर्ति और केले से पुत्र प्राप्ति होती है।
कमल से राज सम्मान और किशमिश से सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
खांड, घी, नारियल, शहद, जौं और तिल इनसे तथा फलों से होम करने से मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है।
व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यंत नम्रता के साथ प्रमाण करें और यज्ञ की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दें। इस महाव्रत को पहले बताई हुई विधि के अनुसार जो कोई करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
नवार्ण मंत्र को मंत्रराज कहा गया है।
‘ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’
शीघ्र विवाह के लिए।
क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला पर।
ओंम ऐं हृी क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
परेशानियों के अन्त के लिए।
क्लीं हृीं ऐं चामुण्डायै विच्चे।
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