श्रीचक्रराजस्तोत्रम्
श्रीचक्रराजस्तोत्रम्प्रोक्ता पञ्चदशी विद्या महात्रिपुरसुन्दरी ।
श्रीमहाषोडशी प्रोक्ता महामाहेश्वरी सदा ॥ १ ॥
प्रोक्ता श्रीदक्षिणा काली महाराज्ञीति संज्ञया ।
लोके ख्याता महाराज्ञी नाम्ना दक्षिणकालिका ।
आगमेषु महाशक्तिः ख्याता श्रीभुवनेश्वरी ॥ २ ॥
महागुप्ता गुह्यकाली नाम्ना शास्त्रेषु कीर्तिता ।
महोग्रतारा निर्दिष्टा महाज्ञप्तेति भूतले ॥ ३ ॥
महानन्दा कुब्जिका स्यात् लोकेऽत्र जगदम्बिका ।
त्रिशक्त्याद्याऽत्र चामुण्डा महास्पन्दा प्रकीर्तिता ॥ ४ ॥
महामहाशया प्रोक्ता बाला त्रिपुरसुन्दरी ।
श्रीचक्रराजः सम्प्रोक्तस्त्रिभागेन महेश्वरि ॥ ५ ॥
ब्रह्मीभूत पूज्य श्रीस्वामी विद्यारण्य की कृपा से प्राप्त
हिन्दी अनुवाद
पञ्चदशी विद्या महात्रिपुरसुन्दरी और श्रीमहाषोडशी विद्या
सदैव महामाहेश्वरी कही गई हैं । श्रीदक्षिणा काली को
महाराज्ञी नाम से कहा गया है और श्री भुवनेश्वरी आगमों में
महाशक्ति नाम से प्रसिद्ध हैं । शास्त्रों में गुह्यकाली नाम से
महागुप्ता का वर्णन है और पृथ्वी पर महोग्रतारा महाज्ञप्ता
बताई गई हैं । जगदम्बा कुब्जिका इस लोक में महानन्दा हैं और
त्रिशक्त्यात्मिका आद्या चामुण्डा महास्पन्दा कही गई हैं ।
बाला त्रिपुरसुन्दरी महामहाशया कही गई हैं । हे महेश्वर!
इस प्रकार तीन भागों में श्रीचक्रराज का वर्णन है ।
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