Tuesday, October 2, 2018

BHAIRAV KI BHAIRAVI SADHNA भैरव कि भैरवी साधना

BHAIRAV KI BHAIRAVI SADHNA भैरव कि भैरवी साधना

तंत्र के क्षेत्र में प्रविष्ट होने के उपरांत साधक को किसी न किसी चरण में भैरवी का साहचर्य ग्रहण करना पड़ता ही है। यह तंत्र एक निश्चित मर्यादा है। प्रत्येक साधक, चाहे वह युवा हो, अथवा वृद्ध, इसका उल्लंघन कर ही नहीं सकता, क्योंकि भैरवी 'शक्ति' का ही एक रूप होती है, तथा तंत्र की तो सम्पूर्ण भावभूमि ही, 'शक्ति' पर आधारित है। 

कदाचित इसका रहस्य यही है, कि साधक को इस बात का साक्षात करना होता है, कि स्त्री केवल वासनापूर्ति का एक माध्यम ही नहीं, वरन शक्ति का उदगम भी होती है और यह क्रिया केवल गुरु ही अपने निर्देशन में संपन्न करा सकते है, क्योंकि उन्हें ही अपने किसी शिष्य की भावनाओं व् संवेदनाओं का ज्ञान होता है। इसी कारणवश तंत्र के क्षेत्र में तो पग-पग पर गुरु साहचर्य की आवश्यकता पड़ती है, अन्य मार्गों की अपेक्षा कहीं अधिक।

किन्तु यह भी सत्य है, कि समाज जब तक भैरवी साधना या श्यामा साधना जैसी उच्चतम साधनाओं की वास्तविकता नहीं समझेगा, तब तक वह तंत्र को भी नहीं समझ सकेगा, तथा, केवल कुछ धर्मग्रंथों पर प्रवचन सुनकर अपने आपको बहलाता ही रहेगा। 

कोई माने या न माने लेकिन यदि काम-भाव का सही इस्तेमाल किया जा सके तो इससे ब्रह्म की प्राप्ति सम्भव है। काम भाव के उचित और सही तरीके से उसका उपयोग ही भैरवी साधना सिखाती है |

काम ही इस चराचर का सृष्टि सूत्र है | इसी से सृष्टि होती है और इसी से सृष्टिकर्ता प्राप्त किया जा सकता है ,यही भरावी तंत्र का मत है | यह सत्य है | तीब्र काम उद्वेग का नियंत्रण और उसका उपयुक्त दिशा में प्रक्षेपण कुंडलिनी शक्ति को जगा देता है ,जो उर्ध्वमुखी हो भिन्न चक्रों और उनसे सम्बंधित देवी-देवताओं को जगा देता है ,सक्रिय कर देता है , जिससे इनकी सिद्धियाँ तो मिलती ही हैं ,कुंडलिनी के सहस्त्रार तक उत्थान से व्यक्ति ब्रह्म तत्व को पा जाता है | यह प्रकृति के नियमो के अनुसार ,उसके अनुकूल साधना है |यद्यपि यह बेहद कठिन है | क्योकि इसे उलटी दिशा में लाना पड़ता है | जीव-सृष्टि की शक्तियों से सृष्टिकर्ता की और |

साधना में सहयोगी स्त्री को भैरवी कहते हैं |
यह भगवती का स्वरुप मानी जाती है अतः भैरवी कहलाती है ,जबकि पुरुष साधक शिव का रूप होने से भैरव कहलाता है | जिस साधना में स्त्री और पुरुष समां रूप से सम्मिलित हो साधना करते हैं उस साधना को भैरवी साधना कहते हैं | चूंकि तंत्र साधना ,शक्ति साधना है और स्त्री शक्ति स्वरुप अतः इस साधना को शक्ति रुपी भैरवी के नाम पर भैरवी साधना कहते हैं | भैरवी के सहयोग से उसके द्वारा ही साधक को शक्ति प्राप्त होती है ,अतः मुख्या शक्ति ही है ,अतः यह साधना उसके स्वरुप भैरवी के नाम से जानी जाती है |


भैरवी साधना के लिए इच्छुक भैरवियों का स्वागत है, व्हाट्सप्प पर केवल वीडयो कॉल करें से सम्पर्क करें

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )