मृत्यु भय दूर भगाएं माता कूष्माण्डा के मंत्र
चतुर्थी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता कूष्माण्डा है। जरा, मृत्यु, रोग, कमजोरी दूर कर शरीर तथा आत्मा के दोष दूर कर दिव्यता देने का विलक्षण कार्य माता कूष्मांडा का है।
इनके जप मंत्र कई हैं। सरलतम मंत्र यह है-
'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
जो व्यक्ति शत्रु द्वारा अत्यंत पीड़ा प्राप्त कर रहे हों, वे इस दुख से मुक्ति हेतु निम्न मंत्र का जप कर हवन में घृत, मधु, पुष्प, फल, पत्रादि का प्रयोग करें।
मंत्र
ॐ ऐं गर्ज गर्ज क्षणं मूढ मधु यावत् पिबाम्यहम्।
मया त्वयि हतेऽत्रैव गर्जिष्यन्त्याशु देवताः ऐं ॐ।।
या
ॐ ऐं ततो हाहाकृतं ततो हाहाकृतं सर्वं दैत्यसैन्यं ननाश तत्।
प्रहर्षं च परं जग्मुः सकला देवतागणाः ऐं ॐ।।
शत्रु अत्यंत बलवान व संगठित हो तब
ॐ ऐं क्षणेन तन्महासैन्यमसुराणां तथाऽम्बिका।
निन्ये क्षयं यथा वह्निस्तृणदारु महाचयम् ऐं ॐ।।
राई, घृत तथा दर्भा मिश्रित कर होम करें। बलवान से बलवान संगठित शत्रु दल पराजित होगा तथा तितर-बितर हो जाएगा।
बाधा दूर कर शत्रुओं को नेस्तनाबूद करने में सक्षम यह मंत्र
ॐ ऐं से नम: सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या खिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
बाधा दूर कर शत्रुओं को नेस्तनाबूद करने में सक्षम यह मंत्र अपरिमित शक्ति रखता है। नित्य एक माला मात्र करने से जीवन की सैकड़ों समस्याएं दूर की जा सकती हैं। एक मंत्र से ही कई काम किए जा सकते हैं। इस अद्भुत मंत्र के होम द्रव्य में सरसों, काली मिर्च, दालचीनी, जायफल इत्यादि का प्रयोग होता है।
विरोधियों के बीच विवाद, शास्त्रार्थ में विजय प्राप्ति हेतु निम्न मंत्र का जप करें।
ॐ ऐं विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेष्वाद्येषु
वाक्येषु च का त्वदन्या।
ममत्वगर्तेऽतिमहान्धकारे,
विभ्रामयत्येतदतीव विश्वम् ऐं ॐ।
होम द्रव्य में मालकांगनी के पुष्प, घृत, भोजपत्र इत्यादि लें। विजय के साथ सम्मान-प्रतिष्ठा प्राप्त करें।
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