रोग-दोष दूर करने के लिए जपें माता चन्द्र घण्टा के मंत्र
तृतीया तिथि माता चन्द्र घण्टा की मानी जाती है। रोग-दोष दूर करने के लिए इनकी कृपा प्राप्त की जाती है।मंत्र जपें।
'ॐ चन्द्र घण्टायै नम:।।'
माता की कृपा प्राप्त करने हेतु निम्न मंत्र जपा जा सकता है जिससे व्यक्ति का चहुंमुखी विकास होता है।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम्।।
या
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।
जिन व्यक्तियों को दुश्मनों से भय हो, वे दक्षिण कालीजी का मंत्र नित्य जपें-
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिण कालिके।
क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।।
ज्ञान, मोक्ष तथा शत्रु नाश करने की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी कृपा से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं।
अपने मालिक से परेशान व्यक्ति या समाज में जिनका बहिष्कार समय-समय पर होता हो, जपें।
ज्ञानिनापि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।।
इस मंत्र की अधिष्ठात्री देवी महाकाली हैं।
मनुष्यों का क्या कहें, जीव-जंतु का भी आकर्षण होता है।
हवन में इलायची, बिल्वपत्र, तिल, घृत का प्रयोग करें।
अचानक संकट उपस्थित हो तथा कोई रास्ता न दिख रहा हो तो मंत्र जप कर घृत, काली मिर्च, गुग्गल की आहुति दें। भगवती की कृपा से मार्ग मिल जाएगा।
ॐ इत्थं यदा-यदा बाधा दानवोत्था भविष्यति।तदा तदावतीर्यां करिष्याम्यरिसंक्षयम् ॐ ।।
स्थान दोष, वास्तु दोष, प्रेत बाधा के स्थान पर मंत्र जप कर गुगल, घी, सरसों से हवन करें।
ॐ ऐं दुर्वृत्तानामशेषाणां बलहानि करं परम्। रक्षोभूत पिशाचानां पठनादेव नाशनम् ऐं ॐ।।
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