Wednesday, March 4, 2020

अम्बास्तोत्रं स्वामी विवेकानन्दरचितम्

 अम्बास्तोत्रं स्वामी विवेकानन्दरचितम्


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॥ अम्बास्तोत्रं स्वामी विवेकानन्दरचितम् ॥
का त्वं शुभकरे सुखदुःखहस्ते
      आघूर्णितं भवजलं प्रबलोर्मिभङ्गैः ।
शांतिं विधातुमिह किं बहुधा विभग्नाम्
      मतः प्रयत्नपरमासि सदैव विश्वे ॥
सम्पादयत्यविरतं त्वविरामवृता
      या वै स्थिता कृतफलं त्वकृतस्य नेत्री ।
सा मे भवत्वनिदिनं वरदा भवानी
      जानाम्यहं ध्रुवमिदं धृतकर्मपाशा ॥
को वा धर्मः किमकृतं क्वः कपाललेखः
      किंवादृष्टं फलमिहास्ति हि यां विना भोः ।
इच्छापाशैर्नियमिता नियमाः स्वतंत्रैः
      यस्या नेत्री भवति सा शरणं ममाद्या ॥
सन्तानयन्ति जलधिं जनिमृत्युजालम्
      सम्भावयन्त्यविकृतं विकृतं विभग्नम् ।
यस्या विभूतय इहामितशक्तिपालाः
      नाश्रित्य तां वद कुत शरणं व्रजामः ॥
मित्रे रिपौ त्वविषमं तव पद्मनेत्रम्
      स्वस्थे दुःस्थे त्ववितथं तव हस्तपातः ।
मृत्युच्छाया तव दया त्वमृतञ्च मातः
      मा मां मुञ्चन्तु परमे शुभदृष्टयस्ते ॥
क्वाम्बा सर्वा क्व गणनं मम हीनबुद्धेः
      धत्तुं दोर्भ्यामिव मतिर्जगदेकधात्रीम् ।
श्रीसञ्चिन्त्यं सुचरणमभयपतिष्ठम्
      सेवासारैरभिनुतं शरणं प्रपद्ये ॥
या मामा जन्म विनयत्यतिदुःखमार्गैः
      आसंसिद्धेः स्वकलितैर्ल्ललितैर्विलासैः ।
या मे बुद्धिं सुविदधे सततं धरण्यम्
      साम्बा सर्वा मम गतिः सफले फले वा ॥

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )