Monday, September 17, 2018

चतुष्षष्टि-योगिनी नाम-स्तोत्रम् CHATUSHASTHI YOGINI NAAM STOTRAM

चतुष्षष्टि-योगिनी नाम-स्तोत्रम् CHATUSHASTHI YOGINI NAAM STOTRAM

गजास्या सिंह-वक्त्रा च, गृध्रास्या काक-तुण्डिका । 
उष्ट्रा-स्याऽश्व-खर-ग्रीवा, वाराहास्या शिवानना ।। 

उलूकाक्षी घोर-रवा, मायूरी शरभानना । 
कोटराक्षी चाष्ट-वक्त्रा, कुब्जा च विकटानना ।। 

शुष्कोदरी ललज्जिह्वा, श्व-दंष्ट्रा वानरानना । 
ऋक्षाक्षी केकराक्षी च, बृहत्-तुण्डा सुराप्रिया ।। 

कपालहस्ता रक्ताक्षी च, शुकी श्येनी कपोतिका । 
पाशहस्ता दंडहस्ता, प्रचण्डा चण्डविक्रमा ।। 

शिशुघ्नी पाशहन्त्री च, काली रुधिर-पायिनी । 
वसापाना गर्भरक्षा, शवहस्ताऽऽन्त्रमालिका ।। 

ऋक्ष-केशी महा-कुक्षिर्नागास्या प्रेतपृष्ठका । 
दन्द-शूक-धरा क्रौञ्ची, मृग-श्रृंगा वृषानना ।। 

फाटितास्या धूम्रश्वासा, व्योमपादोर्ध्वदृष्टिका । 
तापिनी शोषिणी स्थूलघोणोष्ठा कोटरी तथा ।। 

विद्युल्लोला वलाकास्या, मार्जारी कटपूतना । 
अट्टहास्या च कामाक्षी, मृगाक्षी चेति ता मताः ।। 

।। फल-श्रुति ।। 
चतुष्षष्टिस्तु योगिन्यः पूजिता नवरात्रके । 
दुष्ट-बाधां नाशयन्ति, गर्भ-बालादि-रक्षिकाः ।। 

न डाकिन्यो न शाकिन्यो, न कूष्माण्डा न राक्षसाः । 
तस्य पीड़ां प्रकुर्वन्ति, नामान्येतानि यः पठेत् ।। 

बलि-पूजोपहारैश्च, धूप-दीप-समर्पणैः ।
 क्षिप्रं प्रसन्ना योगिन्यो, प्रयच्छेयुर्मनोरथान् ।। 

कृष्णा-चतुर्दशी-रात्रावुपवासी नरोत्तमः । 
प्रणवादि-चतुर्थ्यन्त-नामभिर्हवनं चरेत् ।। 

प्रत्येकं हवनं चासां, शतमष्टोत्तरं मतम् । 
स-सर्पिषा गुग्गुलुना, लघु-बदर-मानतः ।। 

उक्त चौंसठ योगिनियाँ नवरात्र में पूजन करने से कलुषित यातनाओं का नाश और गर्भस्थ शिशु तथा बच्चों की रक्षा करती है ।
जो इन नामों का पाठ करता है, उसे डाकिनी, शाकिनी, कूष्माण्ड और राक्षस आदि किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती ।
धूप-दीपादि उपचारों सहित पूजन और बलि प्रदान करने से योगनियाँ शीघ्र प्रसन्न होकर सभी कामनाओं को पूरा करती है ।
साधक कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी को उपवास करे ।
रात्रि में छोटी बेर के बराबर गुग्गुल और घृत से चतुर्थी विभक्ति (सम्प्रदान कारक) युक्त प्रत्येक नाम के आगे प्रणव (ॐ) लगाकर, प्रत्येक नाम से १०८ आहुतियाँ अर्पित करे ।
पूरी तरह शुद्ध होकर, एकाग्र-मन से, अपने अभीष्ट का चिन्तन करने वाला जो-जो कामनाएँ करता है, उस -उसको पाता है ।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )