चाहे आप ने गया श्राद्ध किया हो या न किया हो
गया श्राद्ध के पश्चात भी वार्षिक पितृपक्ष आदि में तर्पण अवश्य करना चाहिए ।यद्यपि गया श्राद्ध किया जा चुका हो किन्तु पितरो की मुक्ति आदि के संदर्भ में तीन पीढ़ी के पित्र पितृ लोक में अर्यमा आदि संज्ञाओं से युक्त हो विराजित रहते हैं |दूसरी बात यह है कि निश्चित कर यह नही कहा जा सकता कि गया श्राद्ध के पश्चात आपके पितर मुक्त हो वैकुंठ या अन्यान्य किसी लोक में चले ही गए होंगे अन्यथा धुंधकारी के प्रसंग में जब गोकर्ण जी ने यह कहा कि मैंने तो आपका गया श्राद्ध कर दिया फिर भी आप मुक्त नही हुवे तो धुंधकारी ने उत्तर दिया है कि ""गयाश्राद्ध शतेनापि मुक्तिर्मे न भविष्यति ""।।
अतः संसार मे जब तक आप हो आपका परम कर्तव्य है कि तर्पण आदि के द्वारा जो कुछ भी आपका सामर्थ्य हो तदनुरूप पित्रो के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें।। चाहे आप ने गया श्राद्ध किया हो या न किया हो।।
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