कुंडली में त्रिक स्थान
कुंडली में छटवा,आठवा,तथा बारवा स्थान अशुभ माने जाते है,इन भावो पर यदि किसी शुभ स्थान का स्वामी बैठ जाये तो उसके फलो में तथा उस भाव के फलो में कमी आ जाती है,
छटवा भाव:-
यह रोग और क़र्ज़ आदि से सम्बंधित स्थान है यहाँ से शत्रु का विचार किया जाता है,इस स्थान में पाप ग्रह अच्छा फल देते है,तथा शुभ ग्रह अच्छा फल नहीं देते मानले की यदि किसी व्यक्ति के धन का स्वामी इस स्थान में बैठा हो तो उसके ऊपर क़र्ज़ बना ही रहता है
आठवा भाव
इस स्थान से विशेषकर मृत्यु,आयु,तथा पेट के विकार और गुप्त रोग आदि का विचार करते है यहाँ पर भी पाप ग्रह ही फलदायी है अन्यथा शुभ ग्रह यदि यहाँ बैठे तो उसका पूरा फल नष्ट हो जाता है यदि किसी के अष्टम स्थान में अग्नि तत्व राशी हो और कोई अग्नि तत्व ग्रह वहा हो तो पाइल्स जैसी बीमारी होने की सम्भावना है
बारहवाँ भाव
यह व्यय का स्थान है पर यहाँ से यात्रा और विदेश यात्रा का भी विचार किया जाता है इस स्थान में यदि कोई शुभ स्थान का स्वामी बैठता है तो उस स्थान का फल व्यय हो जाता है
किन्तु इन भावो की यह विशेषता है की यदि इन भावो का स्वामी स्वगृही हो या एक अशुभ स्थान का स्वामी दुसरे अशुभ स्थान में हो तो विपरीत राजयोग भी बनता है
उतना सत्य यह भी है की इन स्थानों में बैठे ग्रहों का उपाय आव्यशक होता है क्युकी वह समय समय पर मनुष्य को परेशान करते रहते है..
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