विद्या प्राप्ति के प्रभावशाली प्रज्ञावर्धन -स्तोत्र
इस स्तोत्र का पाठ प्रात: [ सूर्योदय के लगभग ] रविपुष्य या गुरु पुष्य नक्षत्र से प्रारम्भ करके आगामी पुष्य नक्षत्र तक [ पीपल वृक्ष की जड़ में ] करना चाहिये! पाठ करते समय कार्तिकेय जी का ध्यान करना चाहिये! २७ दिन में एक पश्चरण होगा! फिर हर रोज घर में इसका पाठ करना चाहिये! याद शक्ति बढ़ती है
दायें हाथ में जल लेकर विनियोग के बाद जल त्याग करके, स्तोत्र पाठ को शुरू करें!
विनियोग
ॐ अथास्य प्रज्ञावर्धन — स्तोत्रस्य भगवान शिव ऋषि:, अनुष्टुप छंद:, स्कन्द – कुमारो देवता, प्रज्ञा सिद्धयर्थे जपे विनिटिग:
[ यहाँ जल का त्याग कर दें! ]
अथ स्तोत्रम
ॐ योगेश्वरो महासेन: कार्तिकेयोSग्निननन्दन!
स्कन्द: कुमार : सेनानी स्वामी शंकरसंभव !!१!!
गांगेयस्ता म्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वज:!
तारकारिरुमापुत्र: क्रौंचारिश्च षडानन:!!२!!
शब्दब्रह्मसमूहश्च सिद्ध: सारस्वतो गुह:!
सनत्कुमारो भगवांन भोग- मोक्षप्रद प्रभु:!!३!!
शरजन्मा गणाधीशं पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत !
सर्वांगं – प्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शक:!!४!!
अष्टाविंशति नामानि मदीयानीति य: पठेत !
प्रत्यूषे श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् !!५!!
महामन्त्रमयानीति नामानि कीर्तयत !
महाप्रज्ञावाप्नोति नात्र कार्य विचारणा!!६!!
पुष्यनक्षत्रमारम्भय कपून: पुष्ये समाप्य च!
अश्वत्त्थमूले प्रतिदिनं दशवारं तु सम्पठेत!!७!!
!! प्रज्ञावर्धन स्तोत्रों सम्पूर्णम !!
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