Tuesday, August 8, 2017

RUDRAKSH DHARAN KARNE KI SARAL VIDHI रुद्राक्ष धारण सरल विधि

RUDRAKSH DHARAN KARNE KI SARAL VIDHI रुद्राक्ष धारण सरल विधि


♦ यदि किसी कारणवश रुद्राक्ष को विशेष मन्त्रों से धारण न कर सकें तो इस सरल विधि का प्रयोग करके धारण कर सकते हैं ।
♦ सरल विधि यह है कि रुद्राक्ष के मनकों को शुद्ध लाल धागे में माला तैयार करने के बाद गंगाजल सहित पंचामृत और पंचगव्य को मिलाकर स्नान करवायें और प्रतिष्ठा के समय श्रद्धा और विश्वास के साथ *ॐ नमः शिवाय* मन्त्र को बोलें । उसके पश्चात दोबारा गंगाजल में शुद्ध करते हुए चन्दन, बिल्वपत्र, लाल पुष्प, धूप, दीप द्वारा पूजन करते हुए *ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात* मन्त्र से अभिमन्त्रित करके धारण कर लिजिए ।
♦ शिवपूजन, मन्त्र, जप, उपासना आरम्भ करने से पहले ऊपर लिखी विधि के अनुसार रुद्राक्ष माला को धारण करें एवं एक अन्य रुद्राक्ष की माला का पूजन करके जाप करना चाहिए । इसके अतिरिक्त नीचे लिखी सावधानियों को भी ध्यान में पढ़ें और ग्रहण करें ।
♦ जो रुद्राक्ष कीड़ों ने दूषित किया हो, जो टूटा-फूटा हो, जिसमें उभरे हुए दाने न हों और पूरा-पूरा गोल न हो इस प्रकार के रुद्राक्षों को धारण नहीं करना चाहिए । जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट गये हों (जो शुद्ध रुद्राक्ष न हों) उन्हें धारण न करें ।
♦ धारण करने से पहले परीक्षण कर लें कि रुद्राक्ष असली है या नकली । जानकार ऐसा बताते हैं कि नकली रुद्राक्ष पानी में तैरने लगेगा और असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाएगा ।
♦ जो रुद्राक्ष गोल, चिकना, मोटा, कांटेदार हो उसे ही धारण करना चाहिए ।
♦ एक बहुत अच्छी विधि यह भी है कि आप बड़ी ही श्रद्धा पूर्वक एक पीतल का कोई बर्तन लें । उसमें चन्दन से *ओम नमः शिवाय* लिखकर रुद्राक्ष को उस पीतल के बर्तन में रख दें । फिर इसी पंचाक्षरी मन्त्र - *ओम नमः शिवाय* को बोलते हुए एक-एक करके उस रुद्राक्ष के ऊपर 108 बिल्वपत्र रख दीजिये और फिर प्रातः रुद्राक्ष को प्रणाम् करके धारण कर लें ।
♦ रुद्राक्ष के दानों को तेज धूप में 6 घण्टे तक रखने से अगर रुद्राक्ष चटके नहीं (टूटे नहीं) तो असली रुद्राक्ष माने जाते हैं ।
♦ रुद्राक्ष धारण करने पर अण्डा, मीट, शराब, लहसुन, प्याज, बीड़ी, सिगरेट आदि व्यसनों का त्याग करना चाहिए ।
♦ जप आदि कार्यो में छोटा रुद्राक्ष ही विशेष फलदायक होता है और बड़ा रुद्राक्ष रोगों पर विशेष फलदायी माना जाता है ।
♦ रुद्राक्ष शिवलिंग से या फिर शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर धारण करना चाहिए ।
♦ रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह और शाम भगवान शिव का पूजन और पंचाक्षरी मन्त्र - *ओम नमः शिवाय* का जाप करना चाहिए ।


रुद्राक्ष शाबर मंत्र

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ॐ गुरुजी
अकल सकल सुमेरु की छाया शिव शक्ति मिल वृक्ष लगाया ।
एक डाल अगम को गई - एक डाल उत्तर को गई ।
एक डाल पश्चिम को गई - एक डाल दक्षिण को गई ।
एक डाल आकाश को गई - एक डाल पाताल को गई ।
उसी पेड़ के फल लगा रुद्राक्ष का ।
एक मुखी रुद्राक्ष उकार को बरणे ।
दो मुखी रुद्राक्ष सूर्य चन्द्र को बरणे ।
तीन मुखी रुद्राक्ष तीन देवों को बरणे ।
चार मुखी रुद्राक्ष चार वेदों को बरणे ।
पांच मुखी रुद्राक्ष पांच पांडवों को बरणे ।
छः मुखी रुद्राक्ष छः दर्शनों (जति) को बरणे ।
सात मुखी रुद्राक्ष सात सायरों (सति) को बरणे ।
आठ मुखी रुद्राक्ष आठ कुली पर्वतों को बरणे ।
नौ मुखी रुद्राक्ष नौ कुली नाग को बरणे ।
दस मुखी रुद्राक्ष दस अवतारों को बरणे ।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष ग्यारह रुद्र शंकर को बरणे ।
बारह मुखी रुद्राक्ष बारह पंथों को बरणे ।
तेरह मुखी रुद्राक्ष तेरह रत्नों को बरणे ।
चौदह मुखी रुद्राक्ष चौदह विद्याओं को बरणे ।
पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पंद्रह तिथियों को बरणे ।
सोलह मुखी रुद्राक्ष सोलह कलाओं को बरणे ।
सत्रह मुखी रुद्राक्ष सीता सतवंती को बरणे ।
अठारह मुखी रुद्राक्ष अठारह भार वनस्पति को बरणे ।
उन्नीस मुखी रुद्राक्ष शिव पार्वती गणेश को बरणे ।
बीस मुखी रुद्राक्ष विश्वासु मुनि साधु को बरणे ।
इक्कीस मुखी रुद्राक्ष एक अलख को बरणे ।
हाथ बांधे हतनापुर का राज पावे, कान के बांधे कनकापुर का राज पावे, कंठ गले के बांधे सात द्विप का राज पावे, मस्तक के बांधे कैलाशपुरी का राज पावे । नहीं जाने रुद्राक्ष जाप अठ्ठत्तर गऊ का लागे पाप, बांधे रुद्राक्ष जाणे जाप जन्म जन्म का पाप समाप्त ।  रुद्राक्ष जाप समाप्त हुआ शिव ध्यान में दत्तात्रेय महाराज ने कहा ।  श्री नाथजी गुरुजी को आदेश आदेश आदेश ।

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विशेष सुचना

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