नेत्रोपनिषद
नित्यो प्रात: सूर्योदय के समय सूर्य को सूर्य का मंत्र ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।। बोलते हुए तांबे की गड़वी/लोटा में जल, अक्षत, लाल चन्द न, लाल गुलाब/गुड़हल का फुल, सिंदूर एवं गुड़/चीनी डालकर नित्य/ अर्ध्यस देना चाहिये उसके बाद इसका (नेत्रोपनिषद का) नित्यु प्रात: पाठ करने से नेत्र ज्यो ति (आंखों की रोशनी) ठीक रहती है तथा खोई हुई ज्योिति (आंखों की रोशनी) पुन: प्राप्ते होने की संभावना होती है।ऊँ नमो भगवते सूर्य्याय अक्षय तेजसे नम: ।
ऊँ खेचराय: नम: ।
ऊँ महते नम: । ऊँ रजसे नम: ।
ऊँ असतोमासदगमय ।
तमसो मा ज्योमतिर्गमय ।
मृत्योार्मामतंगमय ।
उष्णोो भगवान शुचिरूप: । हंसो भगवान हंसरूप: ।
इमां चक्षुष्मसति विद्यां ब्राह्मणोनित्यकमधीयते ।
न तस्या्क्षिरोगो भवति न तस्यर कुलेन्धोर भवति । अष्टौय ब्राह्मणान प्राहयित्वा् विद्यासिद्धिर्भविष्योति ।
ऊँ विश्व रूप घृणन्तंा जात वेदसंहिरण्यिमय ज्योतिरूपमतं ।
सहस्त्रवरश्मिधिश: तधा वर्तमान: पुर: प्रजाना ।
मुदयतेष्यु सूर्य्य: । ऊँ नमो भगवते आदित्यारय अहोवाहनवाहनाय स्वा्हा ।
हरि ऊँ तत्सेत् ब्रहमणो नम: ।
ऊँ नम: शिवाय ।
ऊँ सूर्य्यायर्पणमस्तु ।
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