Sunday, June 18, 2017

नेत्रोपनिषद

नेत्रोपनिषद

नित्यो प्रात: सूर्योदय के समय सूर्य को सूर्य का मंत्र ।। ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: ।। बोलते हुए तांबे की गड़वी/लोटा में जल, अक्षत, लाल चन्द न, लाल गुलाब/गुड़हल का फुल, सिंदूर एवं गुड़/चीनी डालकर नित्य/ अर्ध्यस देना चाहिये उसके बाद इसका (नेत्रोपनिषद का) नित्यु प्रात: पाठ करने से नेत्र ज्यो ति (आंखों की रोशनी) ठीक रहती है तथा खोई हुई ज्योिति (आंखों की रोशनी) पुन: प्राप्ते होने की संभावना होती है।

ऊँ नमो भगवते सूर्य्याय अक्षय तेजसे नम: ।
ऊँ खेचराय: नम: ।
ऊँ महते नम: । ऊँ रजसे नम: ।
ऊँ असतोमासदगमय ।
तमसो मा ज्योमतिर्गमय ।
मृत्योार्मामतंगमय ।
उष्णोो भगवान शुचिरूप: । हंसो भगवान हंसरूप: ।
इमां चक्षुष्मसति विद्यां ब्राह्मणोनित्यकमधीयते ।
न तस्या्क्षिरोगो भवति न तस्यर कुलेन्धोर भवति । अष्टौय ब्राह्मणान प्राहयित्वा् विद्यासिद्धिर्भविष्योति ।
ऊँ विश्व‍ रूप घृणन्तंा जात वेदसंहिरण्यिमय ज्यो‍तिरूपमतं ।
सहस्त्रवरश्मिधिश: तधा वर्तमान: पुर: प्रजाना ।
मुदयतेष्यु सूर्य्य: । ऊँ नमो भगवते आदित्यारय अहोवाहनवाहनाय स्वा्हा ।
हरि ऊँ तत्सेत् ब्रहमणो नम: ।
ऊँ नम: शिवाय ।
ऊँ सूर्य्यायर्पणमस्तु ।

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विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )