पारद शिवलिंग
महाशिवरात्रि में सर्व कार्यसिद्धि (मनोकामना पूर्ण करने) हेतु विशेष उपायमहाशिवरात्रि के दिन अपने घर में अंगूठे के बराबर लम्बााई के पारद शिवलिंग की स्थापना कर पूजा करने से सर्व कार्य सिद्धि होती है इसके साथ-साथ पितृ दोष का निवारण भी होता है। लिंग रहस्य के अनुसार पारद शिवलिंग में ‘प’ विष्णु, ‘अ’ कालिका, ‘र’ शिव एवं ‘द’ ब्रह्मा होता है इस तरह सभी इसमें देवी-देवता विद्यमान हैं। कायिक-वाचिक-मानसिक शांति, दैहिक-वैदिक-भौतिक रोगों से सुरक्षार्थ, वात, कफ, पित्त दोषों से साम्यावस्था में रखते हुए सुख-शांति, धन-धान्य , यश-कीर्ति, बल, विद्या वृद्धि तथा मनोकामना पूर्ति के अभिलाषी मनुष्य को चाहिये कि दिव्य गुण सम्पन्न- महिमामय भगवान पारदेश्वर (पारद शिवलिंग) का नित्य दर्शन एवं पूजन करें। नित्य प्रात: स्नान करके पवित्र होकर गणेश भगवान की एक माला ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ जप करने के बाद भगवान पारदेश्वर (पारद शिवलिंग) के सामने एक माला ‘ऊँ नम: शिवाय’ और एक माला महामृत्युं जय मंत्र का अवश्य जप करना चाहिये।पारद शिवलिंग अर्थात भगवान पाररदेश्वर के संबंध में शास्त्रों में वर्णन निम्नलिखित है:-
(1). श्ता श्ववमेद्येन कृतेन पुण्यं गो कोटिभ: स्वर्ण सहस्त्र दानात् ।
नृणा भवेत्सूत कारित कदर्शने नयत्सर्वतीथयु कृताभि सेकात ।। (र.र.स.)
अर्थात विधि सहित किये हुए सैकड़ों अश्वेमेघों यज्ञों से अथवा करोड़ों गायों के दान से और हजारों मन स्वर्ण दान करने से तथा काशी प्रयागादि पुण्य तीर्थों में स्नान करने से जो पुण्य फल प्राप्त होता है वही मनुष्य को केवल भगवान पारदेश्वुर (पारद) शिवलिंग के दर्शन मात्र से होता है।
(2). वधाय रसलिंगयों शक्तियुक्त समर्न्वयते ।
जगस्त्रितय लिंगानां पूजा फलम वाप्यु्नात् ।।
अर्थात भक्ति पारद शिवलिंग का भक्तिपूर्वक पूजन करता है उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग पूजन का फल प्राप्त होता है।
(3). लिंग कोटि सहस्त्रस्यह यत्फलम् सम्यगर्चनात ।
तत्फलम् कोटि गुणितम् रसलिंगा र्चनात् भवेत् (र.र.स.)।।
अर्थात एक सहस्त्र कोटि शिवलिंगों के यथाविधि पूजन करने से जो फल मिलता है, उससे भी कई करोड़ गुणा अधिक फल रसलिंग (पारद शिवलिंग) के पूजन से प्राप्त होता है।
(4). लिंग स्वाईम्भूवे वाणे रत्न जे रस निर्मित ।
सिद्ध प्रतिष्ठते चैन न पाण्डाधि कृति र्भवेत ।। (लिं.र.)
अर्थात स्वायंभू लिंग के समान रत्न तथा पारद निर्मित शिवलिंग के शिव निर्मल्य तथा नैवेद्य प्रेम सहित ग्रहण करना चाहिये क्यों कि इन पर चण्डं का अधिकार नहीं है।
(5). धर्मार्थ काम मोक्षाख्यां पुरुषार्थ चतुर्विधा: ।
सिध्यंति नात्र संदेहो रस राज प्रसादत: ।। (रसार्णवतंत्र)
अर्थात जीवन के धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चतुर्थ पुरुषार्थ ही परम लक्ष्य है और भगवान पारदेश्वर (पारद शिवलिंग) की पूजा अर्चना से यह लक्ष्य स्वयं सिद्ध हो जाते हैं साथ ही कोटि-कोटि पुण्य की प्राप्ति होती है।
(6). मृद: कोटि गुणं स्वर्ण स्वर्णत्किोटि गुणं मणि ।
मणो कोटि गुणों वाणों, वाणात्कोटि गुणों रस: ।।
रसात्परतरं लिंग न भूतो न भविष्यिति ।। (शि.नि.र.)
अर्थात मिट्टी या पत्थर से करोड़ों गुणा अधिक फल स्वुर्ण निर्मित शिवलिंग के पूजन से मिलता है, स्वरर्ण से करोड़ गुणा अधिक फल स्फटिक मणि (स्फकटिक निर्मित शिवलिंग) और स्फटिक मणि से करोड़ गुणा अधिक फल बाण लिंग नर्मदेश्वर (नर्मदेश्वर शिवलिंग) के पूजन से प्राप्त होता है, नर्मदेश्वर शिवलिंग के पूजन से करोड़ों गुणा फल पारद शिवलिंग की पूजा से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग से श्रेष्ठ शिवलिंग न तो संसार में हुआ है और न हो सकता है।
(7). आयुर्द्रवण मारोम्बाह्निमेधा महद्धलम् ।
रूप यौवन लावण रसोपासन याभवेत ।। (र.स.)
अर्थात पारद शिवलिंग की उपासना करने से आयु, धन, आरोग्यता, मेधा, अत्यन्त बल, रूप यौवन, लावण्यता उत्पन्न होती है।
(8). यत्कि चिद्रसराजस्य साधनार्थे व्ययोभवेत ।
तत्सर्व कोटिगुणितं दत्ते श्री भैरवो ध्रुवम् ।। (र.र.वा.ख.)
अर्थात पारद शिवलिंग की साधाना हेतु जितना खर्च होता है। बुद्धिमान साधक को उससे कोटि गुणा अधिक भैवर जी देते हैं।
(9). प्रत्येेक्षण, प्रमाणीन यों जानाति सूलकम ।
अदृष्टो विग्रहं देवे कथ ज्ञास्यति चिन्मेयम् ।।
अर्थात जो मनुष्यै प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा अर्थात नेत्रों द्वारा दिखने वाले शरीर का अजर अमर बनाने वाले पारद शिवलिंग को नहीं जानता वह शरीर इन्द्रीय सहित चिन्मयदेव परब्रह्म को किस प्रकार जान सकता है।
(10). भक्षण, स्पर्सन: दानं, ध्यानम् च परिपूजनम् ।
पउदधा रस पूजोक्ता महापातक नाशिनी ।।
अर्थात पारद शिवलिंग का यथाविधि स्पर्श करना, दान देना, ध्यान करना तथा पूजा व अर्चना करना। यह प्रयोग विधियां हैं जो महापातकों (कैंसर, एडस, कुष्ट, महाकुष्ट) आदि असाध्य रोगों को नष्ट करती है।
(11). यश्च निन्दति सूतेन्द्र शम्भो स्तेज: परात्परम् ।
स पतेन्न्करके घोरे यावल्कल्य विकल्पनम् ।।
अर्थात जो मनुष्य शिवजी के परम श्रेष्ठ तेजो रूप पारद शिवलिंग की निंदा करता है। कल्पान्त पर्यन्त घोर नरक में पड़ा रहता है।
नोट :- मंदिर में एक ही पारद शिवलिंग रखना है। एक से ज्यादा एक मंदिर में पारद शिवलिंग नहीं रखना है। पारद शिवंलिंग अपने आप में स्वयं सिद्ध होता है। अत: इसकी विशेष प्राणप्रतिष्ठा् की आवश्यकता नहीं होती है। यदि प्राणप्रतिष्ठा करना ही चाहते हैं तो यह सोने में सुहागा होगा इसके लिए आप अंगूठे के बराबर पारद शिवंलिंग को पंचामृत, साफ जल एवं गंगाजल से ‘ऊँ नम: शिवाय’ बोलते हुए स्नान कराकर साफ कपड़ा पोछकर अपने घर के मन्दिर में साफ पूजा की प्लेट में रखें उसके बाद उसका पंचोपचार (अक्षत, पुष्प्, धूप, दीप एवं नैवेद्य से पूजन) करें। उसके बाद गणेश भगवान की एक माला ‘ऊँ गं गणपतये नम:’ जप करने के बाद भगवान पारदेश्वर (पारद शिवलिंग) के सामने एक माला ‘ऊँ नम: शिवाय’ और एक माला महामृत्युंजय मंत्र का अवश्य जप करना चाहिये। मंत्र जप हेतु अभिमंत्रित रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इससे मनोकामना जल्द पूरी होने की संभावना होती है। ध्यान रहे कि पारा जहर होता है इसलिए भूलवश भी पारा का सेवन न करें।
पारद शिवलिंग का महत्वय
पारद शम्भुबीज है यानी पारद की उत्पति महादेव शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है। इसलिए शास्त्रकारों ने इसे साक्षात शिव माना हैऔर पारदलिंग का सबसे ज्यादा महत्व बताकर उसे दिव्य बताया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध हो सकती है। पारद शब्द में प विष्णु, अ अकार, र शिव और द ब्रह्मा का प्रतीक है।वागभट्ट के मतानुसार जो पारद शिवलिंग का भक्ति सहित पूजा करता है उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिंग का पूजन फल मिलता है। पारदलिंग का दर्शन महापुण्य देने वाला है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञों का फल प्राप्त होता है। यह सभी तरह के लौकिक और परालौकिक सुख देने वाला है। इस शिवलिंग का जहां नियमित पूजन होता है वहां धन की कभी कमी नहीं होती है। साक्षात भगवान शंकर का वास भी होता है। इसके अलावा वहां का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। हर सोमवार को पारद शिवलिंग का अभिषेक करने पर तांत्रिक प्रयोग का असर खत्म हो जाता है।
शिवमहापुराण में शिवजी का कथन है
लिंगकोटिसहस्त्रय यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद्भवेत्।।
ब्रहमाहत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यांति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।
यानी करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल मिलता है, उससे भी करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से मिलता है। हजारों ब्रह्मा हत्याएं ओर सैकड़ों गौ- हत्याओं का पाप पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाता है। पारद शिवलिंग को छूने से भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
शताश्वमेधेन् कृतेन पुण्यं, गोकोटिभिः स्वर्ण सहस्त्र दानात् नृणां भवेत्सूतक दर्शनेन्, यत्सर्वतीर्थेषु कृता भिषेकात्।। अर्थात् 100 अश्वमेघ यज्ञ, कोटि गायों के दान, अनेक स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा चार धाम की यात्रा व तीर्थ स्नान से जो पुण्य मिलता है वह पुण्य पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। जब पारद से बने शिवलिंग की पूजा विधि विधान, पूर्ण विश्वास व उत्साह के साथ की जाती है तो शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति होती है साथ ही प्राकृतिक आपदाओं व अन्य बाहरी दुष्प्रभावों से रक्षा भी होती है। संत ज्ञानदेव के अनुसार सफलता व उन्नति प्राप्ति के उद्देश्य से पारद शिवलिंग रखना सर्वश्रेष्ठ है। आधुनिक युग में व्यक्ति सब कुछ खरीद सकता है लेकिन पवित्र किया हुआ, भली भांति पूजित, यंत्र सिद्ध व प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग किसी विरले भाग्यशाली के पास ही हो सकता है। संसार के सभी साधु, महात्मा पुरूषों ने ये माना है कि पारद शिवलिंग के स्पर्श व पूजन से सभी प्रकार के सांसारिक, आध्यात्मिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी सुलभ हो जाती है। इसी कारण से सभी ऐश्वर्यवान लोग, राजनीतिज्ञ, फिल्मी सितारे, साधु संन्यासी आदि सभी शुद्ध पारद शिवलिंग की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। आयुर्वेद व अन्य पौराणिक ग्रंथांे से उद्धृत निम्नांकित श्लोकों द्वारा उपरोक्त विश्वास को बल मिलता है – विभिन्न शास्त्रों में ऐसे विविध उल्लेख मिलते हैं जिसके अनुसार यदि पारद शिवलिंग को घर के पूजा स्थल, पवित्र सामाजिक स्थल या किसी मंदिर में स्थापित किया जाय तो इसके शुभ प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि की प्राप्ति तथा भगवती लक्ष्मी के सान्निध्य से न केवल स्थापित करने वाला अपितु उसकी आने वाली पीढ़ियां भी लाभान्वित होती हैं। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को उसके शारीरिक, आध्यात्मिक अथवा मनोवैज्ञानिक कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है। शास्त्रों में ऐसा भी कहा गया है।
घर में पारद शिवलिंग सौभाग्य, शान्ति, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली है। दुकान, ऑफिस व फैक्टरी में व्यापारी को बढाऩे के लिए पारद शिवलिंग का पूजन एक अचूक उपाय है। शिवलिंग के मात्र दर्शन ही सौभाग्यशाली होता है। इसके लिए किसी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्कता नहीं हैं। पर इसके ज्यादा लाभ उठाने के लिए पूजन विधिक्त की जानी चाहिए।
पूजन की विधि यहाँ पर दी जा रही है।
सर्वप्रथम शिवलिंग को सफेद कपड़े पर आसन पर रखें।
स्वयं पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठ जाए।
अपने आसपास जल, गंगाजल, रोली, मोली, चावल, दूध और हल्दी, चन्दन रख लें।
सबसे पहले पारद शिवलिंग के दाहिनी तरफ दीपक जला कर रखो।
थोडा सा जल हाथ में लेकर तीन बार निम्न मन्त्र का उच्चारण करके पी लें।
प्रथम बार ॐ मुत्युभजाय नम:
दूसरी बार ॐ नीलकण्ठाय: नम:
तीसरी बार ॐ रूद्राय नम:
चौथी बार ॐशिवाय नम:
हाथ में फूल और चावल लेकर शिवजी का ध्यान करें और मन में ”ॐ नम: शिवाय“ का 5 बार स्मरण करें और चावल और फूल को शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करते रहे।
फिर हाथ में चावल और पुष्प लेकर ”ॐ पार्वत्यै नम:“ मंत्र का उच्चारण कर माता पार्वती का ध्यान कर चावल पारा शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके बाद ॐ नम: शिवाय का निरन्तर उच्चारण करें।
फिर मोली को और इसके बाद बनेऊ को पारद शिवलिंग पर चढ़ा दें।
इसके पश्चात हल्दी और चन्दन का तिलक लगा दे।
चावल अर्पण करे इसके बाद पुष्प चढ़ा दें।
मीठे का भोग लगा दे।
भांग, धतूरा और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ा दें।
फिर अन्तिम में शिव की आरती करे और प्रसाद आदि ले लो।
जो व्यक्ति इस प्रकार से पारद शिवलिंग का पूजन करता है इसे शिव की कृपा से सुख समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि पारद शिवलिंग के सामने निम्नीलिखित सम्पुणटयुक्तप महामृत्युं जय मंत्र जपने से भगवान शिव जी की कृपा से जीवन में धन-धान्य , ऐश्व्र्य व आरोग्यश की प्राप्ति होती है तथा सभी मनोकामनायें भी पूर्ण होती हैं :-
महामृत्युंजजय मंत्र :-
।। ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूभुर्व: स्वह:।
ऊँ त्र्यम्बूकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम।
ऊर्वारूकमिव बन्धनात मृर्त्योिमुक्षीय मामृतात।
स्वव: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ ।।
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