सर्प गायत्री मंत्र
।। ऊँ नवकुल नागाय विदमहे विषदन्ताय धीमही तन्नो सर्प: प्रचोदयात।।
को कालसर्प योग यंत्र के सामने श्रद्धावश पाठ एक माला नित्य अवश्य पाठ करें। कोई जरूरी नहीं है कि आप त्रयम्बकेश्वर में ही पाठ करायें। आप स्वयं कर पाठ कर सकते हैं। सबसे अच्छा है आप एक माला शुक्र आधारित सम्पुट युक्तं महामृत्युपन्जय मंत्र का एक माला पारद शिवलिंग के सामने अवश्य करें।
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