मंत्र साधना के अचूक प्रयोग
जप के अनुष्ठान में प्रतिदिन पहले जिस देवता का जप करना है उसका पूजन अवश्य करना चाहिए। बिना पूजन के जप नहीं करना चाहिए। मंत्रानुष्ठान स्वयं करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो परोपकारी, बिना लोभ करने वाला संतोषी शास्त्रज्ञाता एवं सदाचारी ब्राह्मण के द्वारा कराया जा सकता है। भावनानुसार सिद्धि प्राप्त होती है।
व्याधि नाश के लिए मंत्र —
उतदेवा अवहितं देवन्नयथा पुन:।
उतागश्र्चक्रुषं देवादेवाजीवयथा पुन:।।
मंत्र को व्रतपूर्वक जप करने से प्रत्येक रोगों का नाश होता है तथा व्याधियों से छुटकारा मिलता है।
संतान-प्राप्ति के लिए मंत्र—
अपश्यं त्वमनसा दीध्यानां
स्वायां तनू ऋत्वये नाधमानाम्
उप मामुच्या युवतिर्बभूय:
प्रजायस्व प्रजया पुत्र कामे।
पवित्र होकर व्रत करके उपरोक्त मंत्र का जाप करने से संतान की प्राप्ति होती है।
मनवांछित वस्तुओं की प्राप्ति के लिए मंत्र—
उभन्यासो जातवेश: स्याम ते
स्तोतारो अग्ने सूर्यजश्र्च शर्मणि।
वस्वोराय: पुरुष्चंद्रस्य भूयस:
प्रजावत: स्वपत्यस्य शाग्धिन:।
इस मंत्र ऋचा का नियमित जप करने से मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। ये सभी मंत्र ऋग्वेद के प्रमुख मंत्र हैं। इनका प्रयोग करने से मनुष्य जीवन का कल्याण होता ही है।
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