Monday, June 25, 2018

श्री हनुमान उपासना

श्री हनुमान उपासना

हनुमान जयंती से आरंभ करें यह शुभ मंत्र

* स्नान के बाद श्री हनुमान की पंचोपचार पूजा यानी सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर करें।
* गुग गल धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ साल और जीवन को सफल व पीड़ामुक्त बनाने की इच्‍छा से बोलें और अंत में श्री हनुमान की आरती करें।

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय
प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।

मंत्र साधना के अचूक प्रयोग

मंत्र साधना के अचूक प्रयोग

जप के अनुष्ठान में प्रतिदिन पहले जिस देवता का जप करना है उसका पूजन अवश्य करना चाहिए। बिना पूजन के जप नहीं करना चाहिए। मंत्रानुष्ठान स्वयं करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो परोपकारी, बिना लोभ करने वाला संतोषी शास्त्रज्ञाता एवं सदाचारी ब्राह्मण के द्वारा कराया जा सकता है। भावनानुसार सिद्धि प्राप्त होती है। 

व्याधि नाश के लिए मंत्र —
उतदेवा अवहितं देवन्नयथा पुन:।
उतागश्र्चक्रुषं देवादेवाजीवयथा पुन:।।
मंत्र को व्रतपूर्वक जप करने से प्रत्येक रोगों का नाश होता है तथा व्याधियों से छुटकारा मिलता है।

संतान-प्राप्ति के लिए मंत्र—

अपश्यं त्वमनसा दीध्यानां
स्वायां तनू ऋत्वये नाधमानाम्
उप मामुच्या युवतिर्बभूय:
प्रजायस्व प्रजया पुत्र कामे।
पवित्र होकर व्रत करके उपरोक्त मंत्र का जाप करने से संतान की प्राप्ति होती है।

मनवांछित वस्तुओं की प्राप्ति के लिए मंत्र—

उभन्यासो जातवेश: स्याम ते
स्तोतारो अग्ने सूर्यजश्र्च शर्मणि।
वस्वोराय: पुरुष्चंद्रस्य भूयस:
प्रजावत: स्वपत्यस्य शाग्धिन:।
इस मंत्र ऋचा का नियमित जप करने से मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। ये सभी मंत्र ऋग्वेद के प्रमुख मंत्र हैं। इनका प्रयोग करने से मनुष्य जीवन का कल्याण होता ही है।

ऐसे व्यक्ति जिन्हें रोग ने ग्रसित कर रखा है, इलाज कराने पर भी ठीक न हो रहे हों

ऐसे व्यक्ति जिन्हें रोग ने ग्रसित कर रखा है, इलाज कराने पर भी ठीक न हो रहे हों

जपें-

ॐ ऐं रोगान शेषान पहंसि तुष्टा। ददासि कामान् सकलानाभीष्टान्।।
त्यामाश्रितानां न विपन्नराणांस। त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ऐं ॐ।।

काली‍ मिर्च, गिलोय, सरसों इत्यादि से आहुति दें।

हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए निम्न श्लोकों का पाठ करना चाहिए

हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए निम्न श्लोकों का पाठ करना चाहिए

जो कोई भी श्रद्धाभाव से हनुमान जी की सेवा आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती हैं। उसके चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) सिद्ध हो जाते हैं। हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए निम्न श्लोकों का पाठ करना चाहिए।

जयत्यतिबलो रामो लक्ष्मणश्च महाबलः। राजा जयति सुग्रीवो राघवेणाभिपालितः।। दासोऽहं कोसलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्ट कर्मणः। हनूमा´्शत्रुसैन्यानां निहन्ता मारुतात्मजः।। न रावणसहस्रं मे युद्धे प्रतिबलं भवेत्। शिलाभिश्च प्रहरतः पादपैश्च सहस्रशः।। अर्दयित्वा पुरीं लंकामभिवाद्य च मैथिलीम्। समृद्धार्थो गमिष्यामि मिषतां सर्वरक्षसाम्।।

(वा.रा. 5/42/33-36) हनुमान वाहक के पाठ से सभी पीड़ाएं दूर हो जाती हैं। हनुमान जी की भक्ति स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध सभी समान रूप से कर सकते हैं। भक्त की भक्तवत्सलता, श्रद्धा भाव, संबंध, समर्पण ही श्री हनुमान जी की कृपा का मूल का मंत्र है।

नौकरी रोजगार पाने के लिए मंत्र

नौकरी रोजगार पाने के लिए मंत्र


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आप लाख प्रयास कर थक गए हैं, परंतु आपको नौकरी प्राप्त नहीं हो रही हो तो आप नवरात्रि में निम्न मंत्र की 7 माला रोज करें।

मंत्र 
ॐ वर वरदाय सर्व कार्य सिद्धि करि-करि ॐ नम:

उपरोक्त मंत्र पूर्ण-श्रद्धा एवं विश्वास से करें, आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।

चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

साधना करने के लिए गुरु दीक्षा, साधना दीक्षा लेना आवश्यक है |
गोपनीयता की दृष्टि से साधना की कुछ बारीकियां प्रकशित नहीं की हैं |

हम भैरव भैरवी कुण्डलनी जागरण साधनायें भी करवाते हैं | साधनायें सिखने के लिए सम्पर्क करें, जो की निशुल्क नहीं हैं |

भैरवी साधना के लिए इच्छुक भैरवियों का स्वागत है, व्हाट्सप्प पर सम्पर्क करें |

गृह-क्लेश निवारण मंत्र

गृह-क्लेश निवारण मंत्र

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घर में यदि यदि भूत-प्रेत का प्रकोप हो अथवा उत्पात हो रहा हो या परिवार के सदस्यों में आपस में मनमुटाव चल रहा हो व कई प्रकार के उपाय करने से यह समस्या हल नहीं हो रही हो तो नवरात्रि में निम्न उपाय करें।
रात्रि में लाल रंग की धोती पहनकर शुद्ध आसन पर बैठ जाएं चौकी या पटिए पर भी बैठ सकते हैं। लाल कपड़ा बिछाकर थाली या प्लेट रखें फिर कुमकुम से 'हूं हनुमते नम:' लिखकर हनुमानजी का यंत्र रख दें एवं तांत्रिक नारियल या सादा नारियल सिन्दूर लगाकर रख दें, फिर गुड़-चने का भोग लगाएं।
प्रतिदिन निम्न मंत्र की 3 या 5 माला करें। राम नवमी के दिन किसी लड़के को भोजन करा दें। फिर नारियल एवं यंत्र घर की कच्ची जमीन में गाड़ दें।

मंत्र -

ॐ घंटाकर्णो महावीर सर्व उपद्रव नाशय कुरु-कुरु स्वाहा।


चेतावनी – 


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कोर्ट-कचहरी विवाद समाप्त करने के लिए मंत्र

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पति-पत्नी या परिवार में, किसी रिश्तेदार से, जमीन या व्यापार को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा हो तो निम्न मंत्र का नवदुर्गा में जाप करें।

मंत्र - 

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।




चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

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शीघ्र विवाह के लिए जपें यह मंत्र

शीघ्र विवाह के लिए जपें यह मंत्र


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हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चों का समय पर विवाह हो जाए। यदि विवाह में देरी हो रही हो या कोई अड़चन आ रही हो तो नवदुर्गा में पहले दिन से यह मंत्र हल्दी की माला से करें।

मंत्र -
पत्नीं मनोरमा देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्। तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवाम।

नौ दिन यह मंत्र करके अंतिम दिन किसी भी देवी के मंदिर में सुहाग सामग्री, श्रृंगार एवं प्रसाद चढ़ा दें।


चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

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हनुमान जयंती का विशेष टोटका

हनुमान जयंती का विशेष टोटका


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बजरंगबली चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। हनुमान जयंती पर उनका यह टोटका ‍विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जात‍ा है। साथ ही यह टोटका हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करता है।
टोटका 1. -
कचची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।
टोटका 2. -
अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु ‍फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती पर गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है।
टोटका 3. -
एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं। धन लाभ होगा।
टोटका 4. -
पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, शनि तथा राहु के दोषों के निवारण के लिए हनुमान की आराधना विशेष मानी गई है।
ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए निम्न राशि के जातक हनुमान जयंती पर इन उपायों का प्रयोग कर सकते हैं।

मेष- हनुमान चालीसा  का पाठ, वानरों को मीठा रोट खिलाएं।
वृषभ- एकमुखी हनुमंत कवच का पाठ, हनुमान मंदिर में पीले पेड़े अर्पित करें।
मिथुन- तीन मुखी हनुमान कवच, लाल रंग से मिलती रंग की गाय को हरी घास खिलाएं।
कर्क- हनुमान अष्टक का पाठ, हनुमान मंदिर में ध्वज अर्पित करें।
सिंह- पंचमुखी हनुमंत कवच, भिक्षुकों को भोजन कराएं।
कन्या- सुंदरकांड का पाठ, हनुमान मंदिर में 11 दीपक लगाएं।
तुला- हनुमंत बाहुक का पाठ, बच्चों को मिष्ठान खिलाएं।
वृश्चिक- रामचरित मानस के बालकांड का पाठ, बच्चों को भोजन कराएं।
धनु- अयोध्याकांड का पाठ, घर के बुजुर्गों के नाम से वृद्घाश्रम में भोजन।
मकर- सुंदरकांड तथा एकमुखी हनुमंत कवच का पाठ, मछलियों को आटे की गोली डालें।
कुंभ व मीन- हनुमान अष्टक व हनुमान कवच तथा सुंदरकांड का पाठ करें।

चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

साधना करने के लिए गुरु दीक्षा, साधना दीक्षा लेना आवश्यक है |
गोपनीयता की दृष्टि से साधना की कुछ बारीकियां प्रकशित नहीं की हैं |

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भगवान कृष्ण के अद्भुत चमत्कार मन्त्र

भगवान कृष्ण के अद्भुत चमत्कार मन्त्र 

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यह मन्त्र काफी सरल है, लेकिन फिर भी ध्यान रहे की इनका उच्चारण सही प्रकार से हो -

1 . ”कृं कृष्णाय नमः” – इस मन्त्र के उच्चारण करने से मनुष्य को उसके अटके धन की प्राप्ति होती है तथा घर-परिवार में सुख सम्पति की वर्षा होती है.

2 .”ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा ” – भगवान श्री कृष्ण का यह मन्त्र साधारण नहीं है, यह सप्तदशाक्षर महामंत्र है. अन्य मन्त्र 108 बार जप करने से सिद्ध हो जाते है परन्तु इस मन्त्र का जाप एक लाख बार करने से सिद्ध होता है.

3 . ”गोल्ल्भय स्वाहा” – यह मन्त्र दिखने में तो सिर्फ दो अक्षर के लग रहे है परन्तु इन मंत्रो में सात शब्दों का प्रयोग किया गया है. यदि इस मन्त्र के उच्चारण में थोड़ी सी भी चूक हो जाए तो यह मन्त्र सिद्ध नहीं होता है.

4 . ”गोकुल नाथाय नम:” – इस आठ अक्षरों वाले श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसकी सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं. जी हां… अब वह इच्छा धन से संबंधित हो, भौतिक सुखों से संबंधित हो या किसी भी निजी कामना को पूरा करने के लिए हो. इस मंत्र का सही उच्चारण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

5 “क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः” – आर्थिक स्थित को सुधारने वाले इस मन्त्र का उच्चारण प्रातः काल के समय करना उत्तम होता है. यह मंत्र न केवल धन की वर्षा करता है बल्कि परिवार में आये हर कष्ट को भी दूर कर देता है. यह मन्त्र बहुत ही शक्तिशाली माना गया है.

6 . ”ॐ नमः भगवते श्रीगोविन्दाय ” – अभी तक हमने जितने भी मंत्रो का वर्णन किया है वे सभी घर में धन वृद्धि करते है और सुख सम्पति लाते है. परन्तु यह मन्त्र विवाह से संबंधित है. जिस किसी भी व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा या कोई व्यक्ति लव विवाह करना चाहता हो उसका इस मन्त्र की सिद्धि द्वारा विवाह हो जाता है. जो व्यक्ति विवाह इच्छुक हो तो उसे प्रातः उठकर स्नान आदि कर इस मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए.

7 . ”ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो” – इस मन्त्र को उच्चारण करने में थोड़ी कठिनता महसूस होती है, परन्तु यह मन्त्र उतना ही प्रभावशाली है तथा व्यक्ति के वाणी में मधुरता लाती है. यहाँ वाणी से अभिप्राय व्यक्ति के न बोल पाने या गूंगे से नहीं है.. यह मन्त्र ऐसी शक्ति प्रदान करता है की जिससे व्यक्ति की वाणी क्षमता मजबूत होती है तथा उस की बोली ही बाते सिद्ध होने लगती है.

8 .“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री” – यह 23 अक्षरों का बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र है जिसके जाप से व्यक्ति की हर प्रकार की बाधा का अंत होता है तथा व्यक्ति की घर में धन-दौलत की वर्षा होती है. ऐसी मान्यता है की इस 23 अक्षर के मंत्र का नित्य जाप करने से व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं आती तथा मनुष्य सदैव वैभव-सम्पन्न बना रहता है.

9 . “ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा” – यह श्रीकृष्ण का 28 अक्षरों वाला मंत्र है, जिसका जाप करने से मनोवांछित फल प्राप्ति होते हैं. जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसको समस्त अभीष्ट वांछित वस्तुएं प्राप्त होती हैं.

10 .“लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा” – श्री कृष्ण के इस 29 अक्षर के मंत्रो के जाप को साधक यदि एक लाख बार जप के साथ शक़्कर , घी के साथ हवन करें तो वह स्थायी लक्ष्मी पा सकता है।

11 “नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा” – श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया यह मंत्र 32 अक्षरों वाला है. इस मंत्र के जाप से समस्त आर्थिक मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यदि आप किसी आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं तो सुबह स्नान के बाद कम से कम एक लाख बार इस मंत्र का जाप करें. आपको जल्द ही सुधार देखने को मिलेगा।


चेतावनी – 


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सर्व-कार्य-सिद्धि हेतु : माँ कामाख्या मंत्र

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ऐं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले योनि
भगनिपतिनि सर्वभग शंकरी भगरूपे नित्य
क़्लें भगस्वरूपे सर्व भगानी में वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिकनें क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेशवरी ऐं ल्कं जं ब्लूं ब्लूं मैं मैं ब्लूँ
हे हे किल्ने सर्वाणी भगानि तस्मै स्वाहा


चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

साधना करने के लिए गुरु दीक्षा, साधना दीक्षा लेना आवश्यक है |
गोपनीयता की दृष्टि से साधना की कुछ बारीकियां प्रकशित नहीं की हैं |

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लक्ष्मी प्राप्ति के लिए राशि के अनुसार जपें ये मंत्र

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए राशि के अनुसार जपें ये मंत्र


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हमारे धर्मों और शास्त्रों में भी धन प्राप्ति के लिए उपाय उपस्थित हैं? हर व्यक्ति की एक चन्द्र राशि होती है और हर चन्द्र राशि का एक ‘स्वामी-ग्रह’ होता है और हर ग्रह का एक इष्टदेव निश्चित है। अगर हम अपने इष्टदेव को प्रसन्न कर लेते हैं तो हमारी व्यापारिक एवं वित्तीय समस्याओं का अंत हो सकता है।
जानते हैं अपनी राशि के इष्टदेव को और उनको प्रसन्न करने वाले मंत्र को, ताकि हमारे जीवन में धन संबंधित समस्याओं का अंत हो सके-

मेष-
मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है। जीवन में आ रहीं, सभी तरह की समस्याओं के लिए अगर भगवान हनुमान जी की आराधना की जाए तो यह काफी मददगार साबित हो सकती है।

मन्त्र- ॐ हनुमते नमः का जाप नित्य रोज करने से, आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है।

वृष-
वृष राशि का स्वामी ग्रह शुक्र माना जाता है। वृष जातकों को धन संबंधित सभी तरह की समस्याओं के अंत के लिए माँ दुर्गा की पूजा करना लाभदायक साबित हो सकता है।

मंत्र- ॐ दुर्गादेव्यै नम: के जाप से वित्तीय समस्याओं का अंत होता है।

मिथुन-
मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध है और मिथुन राशि के जातकों को भगवान गणेश जी की पूजा करने से प्रसिद्धी प्राप्त हो सकती है।

मंत्र- ॐ गं गणपते नमः के जाप से नौकरी और व्यवसाय में आ रही परेशानियों का अंत होता है।

कर्क-
चंद्रमा ग्रह, कर्क राशि का स्वामी होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा पर भगवान शिव का राज है। इसलिए अगर कर्क राशि के जातकों को धन संबंधित लाभ प्राप्त करना है तो भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

मंत्र- ॐ नमः शिवाय मन्त्र का नित्य रोज जाप फलदायक साबित होता है।

सिंह-
सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है। सिंह राशि के जातकों को भगवान सूर्य की पूजा करने से और नित्य प्रति अर्ग चढ़ाने से ऊर्जा प्राप्त होती है।

मंत्र- ॐ सुर्याय नमः का जाप करने से लाभ प्राप्त होता है।

कन्या-
कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह माना जाता है। इस राशि के जातकों को भगवान गणेश जी की पूजा से शीघ्र ही धन सम्बंधित समस्याओं में लाभ प्राप्त होता है।

मंत्र- ॐ गं गणपते नमः मन्त्र का जाप प्रतिदिन सुबह-शाम करने से लाभ प्राप्त होता है।

तुला-
तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। तुला राशि वालों को देवी लक्ष्मी जी की पूजा लाभदायक मानी जाती है। अब देवी लक्ष्मी जी तो वैसे भी धन की देवी हैं अतः अगर तुला राशि के जातक देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न कर लें तो धन संबंधित समस्याओं का अंत हो जाता है।

मंत्र- ॐ महा लक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करने से लक्ष्मी की वृद्धि होती है।

वृश्चिक-
वृश्चिक राशि का ग्रह मंगल है। वृश्चिक राशि वालों के लिए हनुमान जी की पूजा शुभ बताई जाती है।

मंत्र- ॐ हं हनुमते नमः मन्त्र के जाप से शारीरिक पीड़ा और धन संबंधित पीड़ा का अंत होता है।

धनु-
धनु राशि ब्रहस्पति ग्रह से संबंध रखती है। धनु राशि वालों के लिए भगवान विष्णु की पूजा शुभ होती है।

मंत्र- ॐ श्री विष्णवे नमः मंत्र के नित्य जाप से व्यवसाय में लाभ प्राप्त होता है।

मकर-
मकर राशि का स्वामी शनि है इसलिए शनि या हनुमान जी की पूजा, इन जातकों के लिए शुभ रहती है।

मंत्र- ॐ शम् शनिश्चराये नम: मन्त्र का जाप करने से बाधा दूर होती है और सुख-शान्ति मिलती है।

कुंभ-
कुंभ का स्वामी शनि है। शनि के गुरु भगवान शंकर माने जाते हैं, इसलिए इस राशि वालों को शनि के साथ-साथ भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए

मंत्र- ॐ महामृत्युंजय नमः मन्त्र का जाप नित्य प्रति सुबह शाम 108 बार करने से सभी प्रकार के दुःख दूर होते हैं।

मीन-
मीन राशि का स्वामी ब्रहस्पति बताया गया है। इस राशि के जातकों को भगवान नारायण का ध्यान और मन्त्र जप करने से धन संबंधित समस्याओं में लाभ प्राप्त होता है।

मंत्र- ॐ नारायणा नमः एवं ॐ गुरुवे नमः मन्त्र का जाप शुभ फल प्रदान करता है।

चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

साधना करने के लिए गुरु दीक्षा, साधना दीक्षा लेना आवश्यक है |
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उपद्रव शांत करने का अचूक मंत्र उपाय

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उपद्रव शांत करने के लिए चक्रेश्वरी देवी की आराधना करें। नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिन तक 10 माला प्रतिदिन फेरें। 21 दिन के बाद प्रतिदिन एक माला फेरें। यह मंत्र अत्यंत लाभप्रद है। इसके करने से किसी भी प्रकार का उपद्रव होगा, वह शांत हो जाएगा।

मंत्र : 

ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी, चक्रवारुणी,
चक्रधारिणी, चक्रवे गेन मम उपद्रवं
हन-हन शांति कुरु-कुरु स्वाहा।


चेतावनी – 


यह एक तीव्र साधना है इसलिए इसे गुरु आज्ञा से ही करे ! किसी भी तरह के फायदे और नुक्सान की जिम्मेदारी हमारी नहीं है !

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धन पैसा और प्रतिष्ठा मिलेगी

धन पैसा और प्रतिष्ठा मिलेगी


आप सुबह-शाम मात्र महालक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर पर गंध, फूल चढ़ाकर और अगरबत्ती लगाकर आस्था और पवित्र भाव से इस मन्त्र को जपा करें -

लक्ष्मी उपासना का मंत्र :

क्षीरदायै धनदायै बुद्धिदायै नमो नम:।
यशोदायै कीर्तिदायै धर्मदायै नमो नम:।।

प्रेमी को पाने के लिए मंत्र जाप

प्रेमी को पाने के लिए मंत्र जाप


जाप करने से प्रेमी के साथ विवाह के रास्ते की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

1
ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:


2
केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता,
रूद्र रूपा रूद्र मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता।


 प्रेमी या प्रेमिका के लिए मन से उपरोक्त मंत्रों का जाप करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करना चाहिए। प्रेम- विवाह में अवश्य सफलता मिलेगी। प्रत्येक शुक्रवार को राधा-कृष्ण की प्रतिमा के सामने इन मंत्रों का सच्चे मन से 108 बार जाप करें।  3 माह के अंदर प्रेम-विवाह में आ रही सारी अड़चनें दूर हो जाती हैं और सफलता के रास्ते बन जाते हैं।

कहते हैं कि शुक्ल पक्ष के गुरुवार से इस प्रयोग को आरंभ करना चाहिए। भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ति के सामने बैठकर ‘ॐ लक्ष्मी नारायणाय नमः’ मंत्र का दिन में तीन बार स्फटिक का माला पर जप करें। इसे शुक्ल पक्ष के गुरुवार से ही शुरू करना चाहिए। कहा जाता है कि तीन महीने तक हर गुरुवार को मंदिर में प्रसाद चढ़ाकर विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करना फलदायक साबित होता है।


यदि प्रेम-विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो 5 नारियल लेकर इसे भगवान शंकर की मूर्ति के आगे रखकर ‘ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः’ मंत्र का जाप बार करें। यह जाप स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर पांच माला फेरते हुए करें। इसके बाद वे पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढ़ाएं, विवाह की बाधाएं दूर होती नजर आएंगी।


प्रत्येक सोमवार को यदि सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर ‘ऊं सोमेश्वराय नमः’ का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढ़ाएं और वहीं मंदिर में बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का एक माला जप करें तो विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आने लगेगी।


गोपनीयता की दृष्टि से प्रयोग विधि व मंत्र अधूरे हैं 
जिनसे लाभ के जगह हानि भी हो सकती है 
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यह अनुभवसिद्ध 5 चमत्कारी मंत्र से फौरन पूरी होती हैं मन की मुराद

यह अनुभवसिद्ध  5 चमत्कारी मंत्र से फौरन पूरी होती हैं मन की मुराद :


1) इन मंत्रों के जप या स्मरण के वक्त सामान्य पवित्रता का ध्यान रखें। जैसे घर में हो तो देवस्थान में बैठकर, कार्यालय में हो तो पैरों से जूते-चप्पल उतारकर इन मंत्र और देवताओं का ध्यान करें। इससे आप मानसिक बल पाएंगे, जो आपकी ऊर्जा को जरूर बढ़ाने वाले साबित होंगे।

शिव – शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोले व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें-

“ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ”

2) श्रीहनुमान – हनुमानजी को सिंदूर, गुड़-चना चढ़ाकर इस मंत्र का नित्य स्मरण या जप सफलता व यश देने वाला माना गया है –

मनोजवं मारुततुल्यवेगम् |
जितेन्दि्रयं बुद्धिमतां वरिष्थम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं |
श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये ||

3) विष्णु – भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर इस मंत्र से स्मरण खुशहाल रखता है –

त्वमेव माता च पिता त्वमेव |
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव |
त्वमेव सर्व मम देवदेव ||

4) महामृंत्युजय देवता – शिव का महामृंत्युजय स्वरूप मृत्यु व काल को टालने वाला माना जाता है। इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर यह मंत्र हर रोज बोलना संकटमोचक होता है –

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिपुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

5) श्रीगणेश – गणेशजी को दूर्वा व चुटकीभर सिंदूर व घी चढ़ाकर नीचे लिखा मंत्र बोले व कम से कम 108 बार जप करें –

“ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः “

धन प्राप्ति के मन्त्र

धन प्राप्ति के मन्त्र


लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त करने हेतु एवं धन संपत्ति प्राप्ति हेतु निम्न कुछ अत्यन्त महत्वपूर्ण शाबर मन्त्र प्रस्तुत किये जा रहे हैं । ऐसा प्रचलित है कि नियम व संयम से इनका जप अनुष्ठान किया जाने पर ये साधक को अवश्य ही मनोवांछित फल प्राप्त कराने में सहायक सिद्ध होते है ।

1 मन्त्र :-    ओइम् द्धीं ह्रीं ह्रीं श्रीं क्रीं क्रीं क्रीं स्थिरां स्थिरां ओइम्।

प्रयोग-

 कांचनी वृक्ष के नीचे, काले मृगचर्म पर बैठकर मोतियों की माला पर, नित्य इस मन्त्र का 110 बार जप लगातार 41 दिनों तक करने से लक्ष्मीजी की कृपा प्राप्त होती है।



2 मन्त्र :-   ओइम् सच्चिदा एकी ब्रह्म ह्रीं सच्चिदी क्रीं ब्रह्म।

प्रयोग-

 इस मन्त्र को एक लाख बार जपने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है।



3 मन्त्र :-   ओइम् लक्ष्मी वं श्रीं कमला धारं स्वाहा।

प्रयोग-

 वैसाख महीने के स्वाति नक्षत्र में इस मन्त्र का अनुष्ठान प्रारम्भ करें। एक लाख बीस हजार जप एवं तत्पश्चात दशांश हवन करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।



4 मन्त्र :-   ओइम् श्रीं श्रीं श्रीं परमां सिद्धि श्रीं श्रीं श्रीं ओइम्।

प्रयोग- प्रदोष का व्रत रखकर, उसी दिन सायंकाल इस मन्त्र का 1000 बार जप करें। नागौरी पुष्प और अष्टगन्ध से 108 बार हवन करें। इस प्रकार सात प्रदोष व्रत और मन्त्र जप व दशांश हवन करने से लक्ष्मी लाभ होता है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लिए है।



5 मन्त्र :-  ओइम् नमो ह्रीं श्रीं क्लीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिन्ता दूर करोति स्वाहा।

प्रयोग- 

लक्ष्मी प्राप्ति हेतु इस मन्त्र की एक माला नित्य जपनी चाहिए।

लंकेश दर्शन प्रयोग

लंकेश दर्शन प्रयोग

रावण एक ऐसा नाम जो की आज घर घर मे प्रचलित है, लेकिन एक तंत्र साधक के लिए ये नाम कोई की व्याख्या पूर्ण रूप से बदल जाती है| वह व्यक्तित्व जो की एक महान शिव भक्त था, शैव तन्त्रो मे अत्यधिक उच्चता प्राप्त व्यक्ति जिस के सामने शिव हमेशा ही प्रत्यक्ष रहते थे. जिसने ‘श्रीशंकरं’, ‘उड्डीश’, ‘लंकेश’,‘तंत्रेश’ जैसे अत्यधिक महान तंत्र ग्रंथो की रचना की थि. ज्योतिष विज्ञान व् नक्षत्र तंत्र मे सिद्ध हस्त वह आचार्य अपने आप मे अजय था जिसकी भृकुटी संकेत मात्र से ग्रह अपनी स्थिति को परावर्तित कर लेते थे ज्योतिष के क्षेत्र मे रुचिवान व्यक्ति इस महान सिद्ध के ज्ञान के बारे मे रावण संहिता को देख कर ही अंदाज़ लगा सकते है.
साधक इस साधना को सोमवार रात्रि मे १० बजे के बाद शुरू करे. अपने सामने पारदशिवलिंग और भगवान शिव का कोई फोटो स्थापित करे और उसका पूजन करे. उसके बाद मन ही मन सिद्धाचार्यरावण को दर्शन के लिए प्रार्थना कर निम्न मंत्र की ११ माला रुद्राक्ष माला से करे. इस साधना मे दिशा उत्तर रहे, वस्त्र व् आसन सफ़ेद रहे.

मंत्र :

ओम लंकेशसिद्ध लंका थापलो शिव शम्भू को सेवक दास तिहारो दर्शय दर्शय आदेश

यह क्रम अगले सोमवार तक (कुल ८ दिन ) नियमित रहे. साधना के बीच मे या आखरी दिन साधक को लंकेश के दर्शन हो जाते है. माला को विसर्जित ना करे, उसे पहना जा सकता है.

सभी प्रकार की बाधाएँ शान्त के लिए : बाधा-निवारक शाबर मन्त्र

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मन्त्रः-

“ॐ-कार गुरु गोविन्द को नमस्कार । चलु चलु सब देवतन की शक्ति । भूत-प्रेत-पिशाच, कुल-दोष, गोत्र-वध, चमर-दोष कुल मह, केहू कर मारा मुवा वा, मुवा मिरचुक केतहू कर, किहा आइ होइ, नन औरेक, अजि औरेक, ससुरारीक, बैताल, जोगनी चरी चमारी, देव-दानव, भैरो-भवानी, मरी-मसान, हड़न्त, गड़न्त, भूत-प्रेत, शाकिनी, डाकिनी, तर धरती कर ऊपर अकास कर ।

आदि-जोति महा-काली आद्या-शक्ति, कासी के कोतवाल भैरो साहेब । हदी-वदी किहा-करावा, पेशा पेशागर वा, गरा, झगरा मरा नात कबीला कर भाई भवादी कर, कुल कर, रोग-दोष-प्रयोग, मही मारुका, फूलमती, चौंसठ दोष गोरख हाँकै, हनुमन्त पडापै, जिमी हालै, अकास हालै । अरजुन कर बाण, भीम कर गदा, हनीमान कर मुगदर, कासी कोतवाल भैरो का दण्ड, छांडु ग्रह लागु पन्थ ।

काल-भैरो, भूत-भैरो, महा-काली, आद्या-शक्ति पदी कर पद, जहाँ कर तहाँ । जेहि डार का बिछुरा, तहि डार लागै । दूध का दूध, पानी का पानी, निरीक्षण करि देइ । ब्रह्म वाचा, विष्णु वाचा, रुद्र वाचा, तीनिऊ वाचा कर दोष ऊपर परै । जो एतना काज न करौ, तो गऊ के रक्त सो नहाई । वाचा छोड़ कुवाचा चलै, तो सात इस्त्री के अघोर नरक में पचि मरै । या काल भैरो बटुक भैरो, एतना काज न करो, तो कासी भरे का पूजा हराम है । या हनुमान साहब, अञ्जनी के पूत, एतना काज न करौ, तो तीनों लोक, अजोध्या पुरी, जगन्नाथ-पुरी का रोट-पूजा हराम है । माता अञ्जनी पारबती का सत टारै का दोष परै ।

या पाँचो पीर औलिया, गाजी मियाँ, एतना काज न करौ, तो बीबी फातिमा का तीसौ रोजा क हराम है, सुवर का हलाल है । या भैरो-नाथ, हनुमान साहेब, चारहु दिसा के पीरहु, तैंतीस कोटि देवता, नृसिंह, देवी पाटन, विन्ध्याचल की भवानी, एतना देवता का लाख गौ, लाख ब्राह्मण मारै का दोष है, ईश्वर का हतक है । जौन हदी करहद पदी कर पद, जहाँ कर तहाँ । जवनी गाई कर लेहवा, तवनी गाई लगाइ देइ । आनि करह, तौ परमेश्वर कै दोहाई । नारायन की शक्ति, गौ गोहारि, बालक गोहारि, त्रिया गोहारि, तीनिऊ गोहारि, न मिलै तो एतना दोष पाप ऊपर परै ।”



 विधिः-

नित्य ७ पाठ करे । १ पाठ करने पर, १ फूलदार लौंग तोड़ता जाए । इस प्रकार प्रति-दिन ७ बार पढ़कर ७ लौंग तोड़ता जाए ।

Sunday, June 17, 2018

दस दिशाओं के 10 दिग्पाल

दस दिशाओं के 10 दिग्पाल


दिशाएं 10 होती हैं जिनके नाम और क्रम इस प्रकार हैं- उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। एक मध्य दिशा भी होती है। इस तरह कुल मिलाकर 11 दिशाएं हुईं। प्रत्येक दिशा का एक देवता नियुक्त किया गया है जिसे 'दिग्पाल' कहा गया है अर्थात दिशाओं के पालनहार। दिशाओं की रक्षा करने वाले।

10 दिशा के 10 दिग्पाल : उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।

1. उर्ध्व दिशा :उर्ध्व दिशा के देवता ब्रह्मा हैं। इस दिशा का सबसे ज्यादा महत्व है। आकाश ही ईश्वर है। जो व्यक्ति उर्ध्व मुख होकर प्रार्थना करते हैं उनकी प्रार्थना में असर होता है। वेदानुसार मांगना है तो ब्रह्म और ब्रह्मांड से मांगें, किसी और से नहीं। उससे मांगने से सब कुछ मिलता है।

वास्तु : घर की छत, छज्जे, उजालदान, खिड़की और बीच का स्थान इस दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। आकाश तत्व से हमारी आत्मा में शांति मिलती है। इस दिशा में पत्थर फेंकना, थूकना, पानी उछालना, चिल्लाना या उर्ध्व मुख करके अर्थात आकाश की ओर मुख करके गाली देना वर्जित है। इसका परिणाम घातक होता है।

2. ईशान दिशा :पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान दिशा कहते हैं। वास्तु अनुसार घर में इस स्थान को ईशान कोण कहते हैं। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है। चूंकि भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है इसीलिए इस दिशा को ईशान कोण कहा जाता है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए हैं।

वास्तु अनुसार : घर, शहर और शरीर का यह हिस्सा सबसे पवित्र होता है इसलिए इसे साफ-स्वच्छ और खाली रखा जाना चाहिए। यहां जल की स्थापना की जाती है जैसे कुआं, बोरिंग, मटका या फिर पीने के पानी का स्थान। इसके अलावा इस स्थान को पूजा का स्थान भी बनाया जा सकता है। इस स्थान पर कूड़ा-करकट रखना, स्टोर, टॉयलेट, किचन वगैरह बनाना, लोहे का कोई भारी सामान रखना वर्जित है। इससे धन-संपत्ति का नाश और दुर्भाग्य का निर्माण होता है।

3. पूर्व दिशा :ईशान के बाद पूर्व दिशा का नंबर आता है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो वह ईशान से ही निकलता है, पूर्व से नहीं। इस दिशा के देवता इंद्र और स्वामी सूर्य हैं। पूर्व दिशा पितृस्थान का द्योतक है।

वास्तु : घर की पूर्व दिशा में कुछ खुला स्थान और ढाल होना चाहिए। शहर और घर का संपूर्ण पूर्वी क्षेत्र साफ और स्वच्छ होना चाहिए। घर में खिड़की, उजालदान या दरवाजा रख सकते हैं। इस दिशा में कोई रुकावट नहीं होना चाहिए। इस स्थान में घर के वरिष्ठजनों का कमरा नहीं होना चाहिए और कोई भारी सामान भी न रखें। यहां सीढ़ियां भी न बनवाएं।

4. आग्नेय दिशा :दक्षिण और पूर्व के मध्य की दिशा को आग्नेय दिशा कहते हैं। इस दिशा के अधिपति हैं अग्निदेव। शुक्र ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं।

वास्तु : घर में यह दिशा रसोई या अग्नि संबंधी (इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि) के रखने के लिए विशेष स्थान है। आग्नेय कोण का वास्तुसम्मत होना निवासियों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। आग्नेय कोण में शयन कक्ष या पढ़ाई का स्थान नहीं होना चाहिए। इस दिशा में घर का द्वार भी नहीं होना चाहिए। इससे गृहकलह निर्मित होता है और निवासियों का स्वास्थ्य भी खराब रहता है।

5. दक्षिण दिशा :दक्षिण दिशा के अधिपति देवता हैं भगवान यमराज। दक्षिण दिशा में वास्तु के नियमानुसार निर्माण करने से सुख, संपन्नता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

वास्तु : वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में मुख्‍य द्वार नहीं होना चाहिए। इस दिशा में घर का भारी सामान रखना चाहिए। इस दिशा में दरवाजा और खिड़की नहीं होना चाहिए। यह स्थान खाली भी नहीं रखा जाना चाहिए। इस दिशा में घर के भारी सामान रखें। शहर के दक्षिण भाग में आपका घर है तो वास्तु के उपाय करें।

6. नैऋत्य दिशा :दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य के स्थान को नैऋत्य कहा गया है। यह दिशा नैऋत देव के आधिपत्य में है। इस दिशा के स्वामी राहु और केतु हैं।

वास्तु : इस दिशा में पृथ्वी तत्व की प्रमुखता है इसलिए इस स्थान को ऊंचा और भारी रखना चाहिए। नैऋत्य दिशा में द्वार नहीं होना चाहिए। इस दिशा में गड्ढे, बोरिंग, कुएं इत्यादि नहीं होने चाहिए। इस दिशा में क्या होना चाहिए, यह किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर तय करें।

7. पश्चिम दिशा :पश्चिम दिशा के देवता, वरुण देवता हैं और शनि ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं। यह दिशा प्रसिद्धि, भाग्य और ख्याति की प्रतीक है। इस दिशा में घर का मुख्‍य द्वार होना चाहिए।

वास्तु : पश्‍चिम दिशा में द्वार है तो वास्तु के उपाय करें। द्वार है तो द्वार को अच्छे से सजाकर रखें। द्वार के आसपास की दीवारों पर किसी भी प्रकार की दरारें न आने दें और इसका रंग गहरा रखें। घर के पश्चिम में बाथरूम, टॉयलेट, बेडरूम नहीं होना चाहिए। यह स्थान न ज्यादा खुला और न ज्यादा बंद रख सकते हैं।

8. वायव्य दिशा :उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य में वायव्य दिशा का स्थान है। इस दिशा के देव वायुदेव हैं और इस दिशा में वायु तत्व की प्रधानता रहती है।

वास्तु : यह दिशा पड़ोसियों, मित्रों और संबंधियों से आपके रिश्तों पर प्रभाव डालती है। वास्तु ज्ञान के अनुसार इनसे अच्छे और सदुपयोगी संबंध बनाए जा सकते हैं। इस दिशा में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होना चाहिए। इस दिशा के स्थान को हल्का बनाए रखें। खिड़की, दरवाजे, घंटी, जल, पेड़-पौधे से इस दिशा को सुंदर बनाएं।

9. उत्तर दिशा :उत्तर दिशा के अधिपति हैं रावण के भाई कुबेर। कुबेर को धन का देवता भी कहा जाता है। बुध ग्रह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। उत्तर दिशा को मातृ स्थान भी कहा गया है।

वास्तु : उत्तर और ईशान दिशा में घर का मुख्‍य द्वार हो तो अति उत्तम होता है। इस दिशा में स्थान खाली रखना या कच्ची भूमि छोड़ना धन और समृद्धिकारक है। इस दिशा में शौचालय, रसोईघर बनवाने, कूड़ा-करकट डालने और इस दिशा को गंदा रखने से धन-संपत्ति का नाश होकर दुर्भाग्य का निर्माण होता है।

10. अधो दिशा :अधो दिशा के देवता हैं शेषनाग जिन्हें अनंत भी कहते हैं। घर के निर्माण के पूर्व धरती की वास्तु शांति की जाती है। अच्छी ऊर्जा वाली धरती का चयन किया जाना चाहिए। घर का तलघर, गुप्त रास्ते, कुआं, हौद आदि इस दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

वास्तु : भूमि के भीतर की मिट्टी पीली हो तो अति उत्तम और भाग्यवर्धक होती है। आपके घर की भूमि साफ-स्वच्छ होना चाहिए। जो भूमि पूर्व दिशा और आग्नेय कोण में ऊंची तथा पश्चिम तथा वायव्य कोण में धंसी हुई हो, ऐसी भूमि पर निवास करने वालों के सभी कष्ट दूर होते रहते हैं।

वराह पुराण के अनुसार दिग्पालों की उत्पत्ति की कथा इस प्रकार है- जब ब्रह्मा सृष्टि करने के विचार में चिंतनरत थे, उस समय उनके कान से 10 कन्याएं उत्पन्न हुईं जिनमें मुख्य 6 और 4 गौण थीं।

1. पूर्वा: जो पूर्व दिशा कहलाई।

2. आग्नेयी: जो आग्नेय दिशा कहलाई।

3. दक्षिणा: जो दक्षिण दिशा कहलाई।

4. नैऋती: जो नैऋत्य दिशा कहलाई।

5. पश्चिमा: जो पश्चिम दिशा कहलाई।

6. वायवी: जो वायव्य दिशा कहलाई।

7. उत्तर: जो उत्तर दिशा कहलाई।

8. ऐशानी: जो ईशान दिशा कहलाई।

9. उर्ध्व: जो उर्ध्व दिशा कहलाई।

10. अधस्‌: जो अधस्‌ दिशा कहलाई।

उन कन्याओं ने ब्रह्मा को नमन कर उनसे रहने का स्थान और उपयुक्त पतियों की याचना की। ब्रह्मा ने कहा- 'तुम लोगों की जिस ओर जाने की इच्छा हो, जा सकती हो। शीघ्र ही तुम लोगों को तदनुरूप पति भी दूंगा।'

इसके अनुसार उन कन्याओं ने 1-1 दिशा की ओर प्रस्थान किया। इसके पश्चात ब्रह्मा ने 8 दिग्पालों की सृष्टि की और अपनी कन्याओं को बुलाकर प्रत्येक लोकपाल को 1-1 कन्या प्रदान कर दी। इसके बाद वे सभी लोकपाल उन कन्याओं के साथ अपनी-अपनी दिशाओं में चले गए। इन दिग्पालों के नाम पुराणों में दिशाओं के क्रम से निम्नांकित है-


लोकपाल दिग्पालों

* पूर्व के इंद्र

* दक्षिण-पूर्व के अग्नि

* दक्षिण के यम

* दक्षिण-पश्चिम के सूर्य

* पश्चिम के वरुण

* पश्चिमोत्तर के वायु

* उत्तर के कुबेर

* उत्तर-पूर्व के सोम।

शेष 2 दिशाओं अर्थात उर्ध्व या आकाश की ओर वे स्वयं चले गए और नीचे की ओर उन्होंने शेष या अनंत को प्रतिष्ठित किया।

Saturday, June 16, 2018

नक्षत्र दोष NAKSHATRA DOSH

नक्षत्र दोष NAKSHATRA DOSH 


दक्षिणा 2100 /- ज्योतिष तंत्र मंत्र यंत्र टोटका वास्तु कुंडली हस्त रेखा राशि रत्न,भूत प्रेत जिन जिन्नात बुरे गंदे सपने का आना, कोर्ट केस, लव मैरिज, डाइवोर्स, वशीकरण पितृ दोष कालसर्प दोष चंडाल दोष गृह क्लेश बिजनस विदेश यात्रा, अप्सरा परी साधना, अघोर साधनायें , समशान तांत्रिक साधनायें, सास बहु, सास ससुर, पति पत्नी, जेठ जेठानी, देवर देवरानी, नन्द नन्दोई, साला साली, सभी झगड़े विवाद का हल व वशीकरण कार्य किया जाता है      

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ज्योतिष विज्ञान के अनुसार 27 नक्षत्रों का उल्लेख किया गया है | जिसमे से कुछ नक्षत्र बहुत ही शुभ और कुछ को अशुभ माना गया है |
ये नक्षत्र हमारी कुंडली में जन्म से लेकर मृत्यु तक बने रहते है | कुंडली में नक्षत्र दोष होने पर यह जीवन भर मृत्युतुल कष्ट देते है | और साथ ही साथ परिवार के अन्य सदस्यों जैसे भाई -बहन, माता -पिता पर भी इसका बुरा प्रभाव आता है |

 ऐसे 7 अशुभ नक्षत्र बता रहे है जिनके कुंडली में होने पर ये मृत्युतुल कष्ट देते है |  1. आर्द्रा 2. इस्लेखा 3. ज्येष्ठा 4. स्वाति 5. पूर्वा फाल्गुनी 6. पूर्वा साढ़ा 7.  पूर्वा भाद्रपदा |

यदि आपकी कुंडली में इनमे से कोई भी नक्षत्र दोष है तो आप तुरंत ही किसी अच्छे जानकर पंडित जी से इनकी शांति हेतु समाधान कराएँ |

मंत्र-तंत्र, टोना-टोटका और काले जादू से छुटकारा पाने का सरल टोटका

मंत्र-तंत्र, टोना-टोटका और काले जादू से छुटकारा पाने का सरल टोटका


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प्रयोग विधि

किसी शनिवार के दिन , 2 निम्बू लेकर उन्हें बीच से काट ले | अब उनके बीच नमक और राई भरकर निम्बू के दोनों हिस्सों को बंदकर रोगी व्यक्ति के सिर पर से 5 या 7 बार वार ले और संध्या के समय किसी चौराहे पर जाकर इन निम्बुओं को चौराहे पर खड़े होकर चारों दिशाओं में डाल दे | इसी प्रकार यह प्रयोग आप शनिवार के दिन से शुरू कर अगले शनिवार तक यानि पूरे 8 दिन तक ऐसे ही करें |

किसी भी प्रकार के काले जादू  तंत्र-मंत्र, किये-कराये में यह टोटका पूर्ण रूप से अपना प्रभाव दिखाता है | 8 दिनों तक इस टोटके को प्रयोग करने से पीड़ित व्यक्ति से हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियाँ दूर होने लगती है |

सूर्य देव को जल अर्पित करने की सही विधि

सूर्य देव को जल अर्पित करने की सही विधि

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सूर्य देव आराधना विधि एवं लाभ 

सूर्य देव की आराधना करने से मनुष्य बल , बुद्धि , तेज , मान -सम्मान , धन -सम्पति और स्वास्थ्य से परिपूर्ण होता है | इनके साथ -साथ सूर्य देव की नित्य आराधना करने से मानव जीवन में नव शक्ति का संचार होने लगता है |

जन्म कुंडली में सूर्य दोष होने पर सूर्य देव की आराधना करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है | ऐसे व्यक्ति को नियमित रूप से सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए |

सूर्य देव की आराधना कैसे करें
रविवार के दिन नवग्रह मंदिर जाकर सूर्यदेव को चंदन का लेप करें | दूप -दीप जलाये | सूर्य देव को जल से स्नान कराये | कुमकुम से टीका करें | इसके पश्चात् चावल , मीठा व पुष्प अर्पित करें | अब सूर्य देव के समक्ष बैठकर सूर्य देव के इस मंत्र के यथासंभव हो सके उतने जप करें :-

ऊँ खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे। 

निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।

त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।

भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।। 



सूर्य देव को जल अर्पित करने की विधि

सूर्य देव एकमात्र ऐसे देव है जो प्रत्यक्ष दिखाई देते है इसलिए सूर्य देव की आराधना घर में पूजा स्थल की जगह बाहर खुले में सूर्य देव के समक्ष करना अधिक फलदायी है |

सूर्यदेव आराधना में सूर्यदेव को जल अर्पित करना सबसे अधिक महत्व रखता है | इसे हम सूर्य को अर्ध्य देना कहते है | सूर्यदेव को अर्ध्य देने हेतु सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और जैसे ही सूर्य उदय होता है आप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके खड़े हो जाये | एक ताम्बे के पात्र में जल भरकर इसमें थोड़े चावल , थोड़ी चीनी , पुष्प डाले व कुमकुम द्वारा जल में छीटे लगाये | अब आप सूर्य देव के सामने खड़े होकर ताम्बे के पात्र द्वारा दोनों हाथों से जल नीचे जमीन पर छोड़ते जाये | ध्यान दे, ताम्बे के पात्र को अपने सीने के सामने रखे और सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए पात्र को कंधो से ऊपर तक ले जाने का प्रयास करें | पात्र द्वारा नीचे गिरने वाली जलधारा में सूर्य के प्रतिबिम्ब को देखने का प्रयास करें |

सूर्य देव को अर्ध्य देते समय निरंतर सूर्यदेव के इस मंत्र का जप करते रहे : “ ॐ सूर्याय नमः ” | सूर्य देव को अर्ध्य देने के पश्चात् नीचे झुककर जल को स्पर्श करें और अंत में सीधे खड़े होकर हाथ जोड़कर सूर्यदेव को प्रणाम करें |

सूर्य देव को जल अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सूर्य उदय से लेकर इसके एक घंटे बाद तक होता है | इसलिए इस अवधि में ही सूर्यदेव को अर्ध्य देने का प्रयत्न करें | रविवार का दिन सूर्य देव आराधना  के लिए विशेष माना गया है, यदि समय का अभाव रहते आप नियमित सूर्यदेव को अर्ध्य नहीं दे पाते है तो रविवार के दिन सूर्य देव को अर्ध्य जरुर दे | 

Monday, June 11, 2018

कुलदेवता बंधन मुक्ति मन्त्र

कुलदेवता बंधन मुक्ति मन्त्र


गुरु दत्तात्रेय का ध्यान कर 11 बार भस्म को अभिमंत्रित करते हुए हवा में घर में सभी दिशाओं में उड़ा दें फूंक मर के

मंत्र

श्री गणेश कुल देवता नवचंडी, शतचंडी दत्तगुरु 
ॐ सोऽहं यमुनाजल शीतल काया प्रह्लाद नाम अम्र पाया ||

Sunday, June 10, 2018

बगल काँखबाई में फोड़े गांठ का मंत्र

बगल काँखबाई में फोड़े गांठ का मंत्र  

शुभ मुहूर्त आदि का ध्यान रख के पहले मंत्र सिद्ध कर लें
रविवार या सोमवार को इस प्रयोग को साध्य पर करें
21 बार मंत्र पढ़ कर नीम की टहनी पत्तोें से झाड़ें 3 दिन लगातार

मंत्र 
ॐ नमो काँखबाई की भरी तलाई,
तहाँ बैठे हनुमंता आई ,
पाके न फूटे न पिराये 
चलैं च्छेवाल इति सहाय,
गुरु गोरक्षनाथ सहाय || 

दो व्यक्तियों में शत्रुता कराने का मंत्र

दो व्यक्तियों में शत्रुता कराने का मंत्र

शुभ मुहर्त दीवाली ग्रहण आदि में 10000 मंत्र जप कर सिद्ध  करें 
7 रुई के कागज पर मंत्र लिखें व पलाश की लकड़ी में जलाएं ७ दिन तक

मंत्र
सत्य नाम आदेश गुरु को आक ढाक दोनों वन राइ अमुक ऐसी करे जैसे कुकर और बिलाई   || 

रोजगार पाने का मंत्र

रोजगार पाने का मंत्र

शुभ मुहर्त वारआदि का ध्यान करके राम मंदिर में नित्य ४० दिन तक इस मंत्र की एक माला जप करें

मंत्र
बिस्व भरण पोषण कर जोई ताकर नाम भरत अस होइ   || 

शत्रु मुख बंधन मंत्र

शत्रु मुख बंधन मंत्र

शुभ मुहर्त पर दीवाली ग्रहण  होली में 10000 मंत्र जप से सिद्धि करें 
दशांश हवन गाये के शुद्ध देसी घी व शुद्ध मधु से करें |
प्रयोग के लिए 4 इंच की कील मंत्र जप के साथ भूमि में गाड़ दें |

मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं वेताल वीर चौसट जोगिनी प्रतिहार मम शत्रुनाम अमुकस्य मुख बन्धनं कुरु कुरु स्वाहा || 

सर्व कार्य तंत्रोक्त सिद्धि मंत्र

सर्व कार्य तंत्रोक्त सिद्धि मंत्र

जी भर कर इसका जप करते रहें

मंत्र
नमस्ते कार्तवीर्याय ॐ ह्रीं श्रीं ऐं द्रां क्लीं हूँ फट फट खें खें ठः ठः हूँ ||

Saturday, June 9, 2018

हनुमान रक्षा मंत्र

हनुमान रक्षा मंत्र

४१ दिन लगातार १०८ बार जप करें

मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं हरिश्चंद्र हनुमंत हलयुधम 
पंचक वै स्मरेन्नित्यं घोर संकटनाशनम ॐ 

गणेश मंत्र रोजगार पाने के लिए

गणेश मंत्र रोजगार पाने के लिए 


गणेश मंदिर में अपने कार्य का संकल्प लें गुड़ व नारियल की भेंट देकर
21 दिन लगातार १०८ बार मंत्र का जप करें २१ दिन तक हर रोज मंदिर में ही यह कार्य करना है यह साधना है, इसलिए साधना के सभी नियम लागु होंगे
उसके बाद अगले 6 महीने तक प्रतिदिन २१ बार मंत्र जप करें

मंत्र 
मंगलमुर्ती विघ्नहर्ता दुरितनाशन कृपा करा 

मनोकामना मनोरथ पूर्ति राम मंत्र

मनोकामना मनोरथ पूर्ति राम मंत्र 


राम चरित्र मानस में वर्णित इस मंत्र की 40 दिवसीय साधना है
शुभ मुहरत वार धुप बत्ती आदि का ध्यान रखकर करें
1000 मंत्र जप हवन के साथ करना है
गूगल की आहुति देनी है हर मंत्र पर
या फिर गाय के शुद्ध घी में चावल डाल कर हवन करें

मंत्र 
सो तुम जानहु अंतर्यामी पुरवह मोर मनोरथ स्वामी   ||

मन को भावना को नियंत्रित करने निग्रह मंत्र

मन को भावना को नियंत्रित करने निग्रह मंत्र 


कुण्डिलिनी शक्ति का ध्यान करते हुए पद्म कमल पर एकाग्रित होकर मंत्र जप करते रहें तो मन शांत हो जायेगा साधना के समय नहीं भटकेगा

मंत्र 
ॐ ह्रीं ह्रूं खे मच्छे क्षः स्त्री हूँ क्षें ह्रीं फट त्वरितायै नमः  ||

विष जहर दूर करने के लिए पुराणों का मंत्र

विष जहर दूर करने के लिए पुराणों का मंत्र 


शुभ मुहरत घडी  वार पर यह  पहले सिद्ध कर लें फिर आपातकाल में साध्य से वमन उलटी करावें  और फिर शीतल जल को अभिमंत्रित कर साध्य को पिलावें पिलाते समय भी मंत्र का उच्चारण करते रहें
कहते हैं यह सर्प बिच्छू के दंश में भी काम करता है

मंत्र 
ॐ नमो वैदूर्य मंत्र तंत्र रक्ष रक्ष माँ 
सर्वविषेभ्यो गौरी गांधारी चांडाली मातंगिनी स्वाहा हरिमय  ||

कामेश्वरी यक्षणी मंत्र

कामेश्वरी यक्षणी  मंत्र

प्रातः धुप अगरबत्ती कर कार्तिक माह के शुभ वार को शुरू करें ३ माह ९० दिवसीय ये साधना करनी है  1000 बार नित्य मंत्र जप करना है
यक्षणी का प्रत्यक्षिकरण भी हो सकता है अन्यथा जीवन में  सब मंगलमय  तो ही जायेगा

मंत्र 
|| ॐ ह्रीं आगच्छ आगच्छ कामेश्वरी यक्षणी स्वाहा  ||

कालेजादू को पलटने का मंत्र

कालेजादू को पलटने का मंत्र 

सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय इस मंत्र का 10000 जप करें
प्रयोग के समय गुरु गोरखनाथ का ध्यान करते हुए ३१ बार मंत्र पढ़कर काले उड़द के दानो को अभिमंत्रित करते हुए निम्न मंत्र से चरों दिशाओं की तरफ फेंके उछालें

मंत्र 
|| ॐ सी आई को लगाई जट गट खट उल्ट पुलट लुका झुका को 
सार नार सिद्धि गोरखनाथ की दुहाई मंत्र फुरो ईश्वरो वाचा ||

विशेष सुचना

( जो भी मंत्र तंत्र टोटका इत्यादि ब्लॉग में दिए गए है वे केवल सूचनार्थ ही है, अगर साधना करनी है तो वो पूर्ण जानकार गुरु के निर्देशन में ही करने से लाभदायक होंगे, किसी भी नुक्सान हानि के लिए प्रकाशक व लेखक जिम्मेदार नहीं होगा। )